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'ज्ञानवापी हिंदुओं को सौंप दो' कहने वाली नेता रूबीना खानम से सपा ने पद छीन लिया, क्या यह सही हुआ?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 24 मई, 2022 08:32 PM
  • 24 मई, 2022 08:26 PM
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रुबीना खानम का कहना था कि हिंदू पक्ष यह दावा कर रहा है कि यहां प्राचीन मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था. मैं अपने धर्मगुरुओं से यह कहना चाहती हूं कि अगर यह साबित हो जाता है कि किसी शासक ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाया था तो इस जमीन को हिंदू पक्ष को दे देना चाहिए.

'ज्ञानवापी' (Gyanvapi) हिंदुओं को सौंपने की अपील करने वाली नेता रूबीना खानम से सपा ने अलीगढ़ महिला विंग अध्यक्ष का पद छीन लिया है. सपा ने रूबीना पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया है. इसके बाद रुबीना ने कहा कि, 'जिस घर में अपर्णा जैसी बहू का सम्मान न हो सका वहां मेरा क्या होगा?'

'आज मुझे पद से हटाया है कल बाहर निकाल फेकेंगे, इसलिए मैं ही पार्टी से इस्तीफा देती हूं और अपने सारे संबंध तोड़ती हूं.' वैसे आपको क्या लगता है, हमेशा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करने वाली सपा ने क्या सही फैसला किया है? अब ज्ञानवापी मंदिर है या मस्जिद...इस पर फैसला तो जिला कोर्ट करेगा लेकिन महिला नेता पर सपा ने पहले ही गाज गिरा दिया है.

रुबीना ने मुस्लिम समाज और धर्म गुरुओं को यह समझाने की कोशिश की थी कि, कब्जा की गई जमीन पर इस्लाम में नमाज पढ़ना हराम माना जाता है

क्या किसी मुद्दे पर अपनी बात रखना अनुशासनहीनता है?

रुबीना की गलती यह थी कि उन्होंने मुस्लिम समाज और धर्म गुरुओं को यह समझाने की कोशिश की थी कि, कब्जा की गई जमीन पर इस्लाम में नमाज पढ़ना हराम माना जाता है. तो अगर यह साबित हो जाता है कि पहले वहां मंदिर था तो मुस्लिमों को उसे हिंदुओं को लौटा देना चाहिए. सपा के हिसाब से तो किसी भी मुद्दे पर अपनी बात रखना गुनाह हो गया है.

रुबीना का कहना था कि हिंदू पक्ष यह दावा कर रहा है कि यहां प्राचीन मंदिर थी जिसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था. मैं अपने धर्मगुरुओं से यह से कहना चाहती हूं कि अगर यह साबित हो जाता है कि किसी शासक ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाया था तो इस जमीन को हिंदू पक्ष को दे देना चाहिए. वहीं अगर यह गलत है तो हिंदुओं को वहां शांतिपूर्ण मस्जिद की रहनी देनी चाहिए. यही बात सपा के गले से नीचे नहीं उतरी और...

'ज्ञानवापी' (Gyanvapi) हिंदुओं को सौंपने की अपील करने वाली नेता रूबीना खानम से सपा ने अलीगढ़ महिला विंग अध्यक्ष का पद छीन लिया है. सपा ने रूबीना पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया है. इसके बाद रुबीना ने कहा कि, 'जिस घर में अपर्णा जैसी बहू का सम्मान न हो सका वहां मेरा क्या होगा?'

'आज मुझे पद से हटाया है कल बाहर निकाल फेकेंगे, इसलिए मैं ही पार्टी से इस्तीफा देती हूं और अपने सारे संबंध तोड़ती हूं.' वैसे आपको क्या लगता है, हमेशा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करने वाली सपा ने क्या सही फैसला किया है? अब ज्ञानवापी मंदिर है या मस्जिद...इस पर फैसला तो जिला कोर्ट करेगा लेकिन महिला नेता पर सपा ने पहले ही गाज गिरा दिया है.

रुबीना ने मुस्लिम समाज और धर्म गुरुओं को यह समझाने की कोशिश की थी कि, कब्जा की गई जमीन पर इस्लाम में नमाज पढ़ना हराम माना जाता है

क्या किसी मुद्दे पर अपनी बात रखना अनुशासनहीनता है?

रुबीना की गलती यह थी कि उन्होंने मुस्लिम समाज और धर्म गुरुओं को यह समझाने की कोशिश की थी कि, कब्जा की गई जमीन पर इस्लाम में नमाज पढ़ना हराम माना जाता है. तो अगर यह साबित हो जाता है कि पहले वहां मंदिर था तो मुस्लिमों को उसे हिंदुओं को लौटा देना चाहिए. सपा के हिसाब से तो किसी भी मुद्दे पर अपनी बात रखना गुनाह हो गया है.

रुबीना का कहना था कि हिंदू पक्ष यह दावा कर रहा है कि यहां प्राचीन मंदिर थी जिसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था. मैं अपने धर्मगुरुओं से यह से कहना चाहती हूं कि अगर यह साबित हो जाता है कि किसी शासक ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाया था तो इस जमीन को हिंदू पक्ष को दे देना चाहिए. वहीं अगर यह गलत है तो हिंदुओं को वहां शांतिपूर्ण मस्जिद की रहनी देनी चाहिए. यही बात सपा के गले से नीचे नहीं उतरी और पार्टी ने रुबीना पर एक्शन ले लिया.

आप खुद देखिए और सुनिए-

हालांकि ये वही रुबीना हैं, जिन्होंने कुछ दिनों पहले यह कहा था कि 'मस्जिदों के सामने हनुमान चालिसा पढ़ी गई तो हम मंदिरों के सामने कुरान पढ़ेंगे. इसके पहले उन्होंने हिजाब गर्ल मुस्कान के सपोर्ट में कहा था कि अगर किसी ने हमसे हिजाब छीना तो हम उसके हाथ काट देंगे.'

अब इनका कहना है कि इन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया है. ये कहती हैं कि 'सपा में रहते हुए मैंने सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति की. मैंने हमेशा एक ही पक्ष का सोचा और उनकी ही बात की. अब मेरी आत्मा ने मुझे झकझोर दिया है. मेरे जमीर ने मुझे कोसा है. मुझे अब अपने किए का अंजादा हुआ है. मुझे समझ आ गया है कि मैंने जिस देश में रहती हूं, जहां का नमक खाती हूं मुझे उसे राष्ट्रहित की बात करनी चाहिए'.

इसके पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा था कि, 'हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ के नीचे कहीं पर भी पत्थर रख दो, एक लाल झंडा रख दो तो मंदिर बन गया. एक समय था जब रात के समय मूर्तियां रख दी गईं थीं', उनका ईशारा बाबरी मस्जिद की तरफ था. अब ऐसे बयान के लिए पार्टी ने क्या अखिलेश यादव के खिलाफ एक्शन लिया तो फिर महिला नेता के साथ ऐसा क्यों किया, शायद इसलिए क्योंकि उन्होंने हिंदू धर्म का पक्ष सामने रखा था?

रुबीना ने अब यह सवाल उठाया कि सभी समुदायों की बात करना, अपने देश की बात करना, हिंदुओं के धर्म और आस्था को सम्मान देना भला अनुशासनहीनता कैसे हो गया? क्या आपको लगता है कि रुबीना ने कुछ गलत बात कही है? वैसे भी हम किसी को उसकी बात कहने से कब तक रोक सकते हैं? इंसान हो या गुब्बारा, अधिक दबाव बनाने से वह फूट ही जाता है, फिर हमारे हाथ में कुछ नहीं रहता...  

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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