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नून रोटी खाएंगे...देश का भविष्य कैसे बनाएंगे

    • बिजय कुमार
    • Updated: 28 अगस्त, 2019 02:08 PM
  • 28 अगस्त, 2019 02:08 PM
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उत्तर प्रदेश सरकार ने इसी साल जनवरी में मिड डे मील में पारदर्शिता लाने के लिए सभी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की दीवारों पर मेन्यू पेंट करने का निर्देश दिया था और इसके लिए बाकायदा पैसे भी जारी किये थे बावजूद इसके बावजूद इसके बच्चे नमक रोटी खा रहे हैं.

प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर बच्चों की शिक्षा और मिड डे मील पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि बच्चों को इसका सम्पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा है तभी तो देश के हर कोने से अक्सर ऐसी खबरें आती हैं जो प्रशासन पर कई सवाल खड़े करती हैं. साल 2015 में कैग रिपोर्ट में भी मिड डे मील में कई तरह की अनियमितताओं का खुलासा हुआ था.

ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले का है जहां से आई खबर निराश करती है, और ये दर्शाती है कि सिस्टम में बैठे लोग बच्चों के प्रति कितने असंवेदनशील हैं. वैसे तो मिड डे मील में नियमानुसार बच्चों को मेन्यू के हिसाब से रोजाना खाना दिया जाना चाहिए. लेकिन मेन्यू के हिसाब से खाना देना तो दूर की बात है जिले के जमालपुर विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय सिउर में बच्चों को रोटी के साथ नमक परोसा गया और बच्चे उसे भी बड़े चाव से खाते दिखे जो ये दर्शाता है कि उनके लिए ये भोजन कितना जरुरी है.

बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने के विडियो के वायरल होने के बाद से प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार पर विपक्ष ने खूब हमला किया है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार को इंसेन्सिटिव कहा तो वहीं कांग्रेस पार्टी की महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की इंचार्ज प्रियंका गांधी ने ट्वीट में कहा "#Mirzapur के एक स्कूल में बच्चों को मिड-डे-मील में नमक रोटी दी जा रही है. ये उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार की व्यवस्था का असल हाल है. जहाँ सरकारी सुविधाओं की दिन-ब-दिन दुर्गति की जा रही है. बच्चों के साथ हुआ ये व्यवहार बेहद निंदनीय है".

प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी अपना दल (एस) ने भी इस मामले...

प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर बच्चों की शिक्षा और मिड डे मील पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि बच्चों को इसका सम्पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा है तभी तो देश के हर कोने से अक्सर ऐसी खबरें आती हैं जो प्रशासन पर कई सवाल खड़े करती हैं. साल 2015 में कैग रिपोर्ट में भी मिड डे मील में कई तरह की अनियमितताओं का खुलासा हुआ था.

ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले का है जहां से आई खबर निराश करती है, और ये दर्शाती है कि सिस्टम में बैठे लोग बच्चों के प्रति कितने असंवेदनशील हैं. वैसे तो मिड डे मील में नियमानुसार बच्चों को मेन्यू के हिसाब से रोजाना खाना दिया जाना चाहिए. लेकिन मेन्यू के हिसाब से खाना देना तो दूर की बात है जिले के जमालपुर विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय सिउर में बच्चों को रोटी के साथ नमक परोसा गया और बच्चे उसे भी बड़े चाव से खाते दिखे जो ये दर्शाता है कि उनके लिए ये भोजन कितना जरुरी है.

बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने के विडियो के वायरल होने के बाद से प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार पर विपक्ष ने खूब हमला किया है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार को इंसेन्सिटिव कहा तो वहीं कांग्रेस पार्टी की महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की इंचार्ज प्रियंका गांधी ने ट्वीट में कहा "#Mirzapur के एक स्कूल में बच्चों को मिड-डे-मील में नमक रोटी दी जा रही है. ये उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार की व्यवस्था का असल हाल है. जहाँ सरकारी सुविधाओं की दिन-ब-दिन दुर्गति की जा रही है. बच्चों के साथ हुआ ये व्यवहार बेहद निंदनीय है".

प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी अपना दल (एस) ने भी इस मामले में जांच की मांग की. वैसे प्रदेश की योगी सरकार ने मामले में सम्बंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. इससे पहले प्रदेश सरकार ने इसी साल जनवरी में मिड डे मील में पारदर्शिता लाने के लिए सभी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की दीवारों पर मेन्यू पेंट करने का निर्देश दिया था और इसके लिए बाकायदा पैसे भी जारी किये थे बावजूद इसके बच्चे नमक रोटी खा रहे हैं. इस तरह की घटनाओं से ये साफ जाहिर होता है कि इस योजना से जुड़े सभी लोगों को इसके प्रति जिम्मेदार होना होगा तभी इसका पूरा फायदा बच्चों तक पहुंच सकेगा.

क्या है मिड डे मील योजना

मध्यान्ह भोजन योजना भारत सरकार तथा राज्य सरकार के समवेत प्रयासों से संचालित है. भारत सरकार द्वारा यह योजना 15 अगस्त 1995 को लागू की गयी थी, जिसके अंतर्गत कक्षा 1 से 5 तक प्रदेश के सरकारी/परिषदीय/राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में पढने वाले सभी बच्चों को 80 प्रतिशत उपस्थिति पर प्रति माह 03 किलोग्राम गेहूं अथवा चावल दिए जाने की व्यवस्था की यी थी. किन्तु योजना के अंतर्गत छात्रों को दिए जाने वाले खाद्यान्न का पूर्ण लाभ छात्र को न प्राप्त होकर उसके परिवार के मध्य बट जाता था, इससे छात्र को वांछित पौष्टिक तत्व कम मात्रा में प्राप्त होते थे. मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 28 नवम्बर 2001 को दिए गए निर्देश के क्रम में प्रदेश में दिनांक 01 सितम्बर 2004 से पका पकाया भोजन प्राथमिक विद्यालयों में उपलब्ध कराये जाने की योजना आरम्भ कर दी गयी है. योजना की सफलता को दृष्टिगत रखते हुए अक्तूबर 2007 से इसे शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े ब्लाकों में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालयों तथा अप्रैल 2008 से शेष ब्लाकों एवं नगर क्षेत्र में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालयों तक विस्तारित कर दिया गया है.

मिड-डे-मील योजना साप्ताहिक मेन्यू

वर्तमान में इस योजना से उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्तर पर अध्ययनरत 120.94 लाख विद्यार्थी एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर 55.89 लाख विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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