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लालू यादव की बेटी रोहिणी ने सिद्ध किया, बेटियां कन्यादान के बाद भी पराई नहीं होती हैं

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 06 दिसम्बर, 2022 07:28 PM
  • 06 दिसम्बर, 2022 07:28 PM
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ये पिता-बेटी के बीच जो किडनी का रिश्ता है ना वही बेटियों की सच्चाई है. बेटियां भले ही ससुराल चली जाएं मगर उनका दिल अपने घर के किसी कोने में छूट जाता है.

लालू यावद (Lalu yadav) की बेटी रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya) ने अपने पिता को किडनी (Kidney) देकर नया जीवन दान दिया है. जो सुन रहा है उनके जज्बे को सलाम कर रहा है. असल में हमारे यहां बेटियां दूसरे की अमानत मानी जाती हैं. उन्हें जस का तस ससुराल पक्ष को सौंप दिया जाता है. कन्यादान के समय वर के हाथों में बेटी का हाथ थमाने वाले पिता कहते हैं कि ये आपकी अमानत थी अब आप ही संभालिए. उनका कन्यादान करने के बाद समझा जाता है कि अब वह परायाधन हो गई. उससे मात्र नाम भर का मतलब रखा जाता है.

शादी के बाद बेटी अपने ही घर में मेहमान हो जाती हैं. मगर ये पिता-बेटी के बीच जो किडनी का रिश्ता है ना वही बेटियों की सच्चाई है. बेटियां भले ही दूसरे के घर चली जाएं मगर उनका दिल अपने घर के किसी कोने में छूट जाता है. बेटियों के मन से अपने घर की चिंता कभी खत्म नहीं होती है.

जो लोग बेटियों को पराया कहता हैं आज रोहिणी यादव ने सबको जवाब दे दिया है

उनके बच्चे हो जाए, वे बूढ़ी हो जाएं मगर उनका मन घर की चिंता में भटकता रहता है. बेटियों को अपने माता-पिता से कुछ नहीं चाहिए, उन्हें कुछ चाहिए तो वह है अपनापन. ताकि जब वे शादी के बाद पहली बार घर आएं तो उनके साथ मेहमान जैसा व्यवहार न किया जाए. उन्हें अपना समझा जाए, मगर अफसोस की बेटियों को कभी वह स्थान न मिला जो बेटों को दिया जाता है. धन तो उन्हें चाहिए नहीं मगर उनके हिस्से का प्यार भी उन्हें नसीब नहीं होता है.

सारे बच्चे अपने माता-पिता की परवाह करते हैं. जब वे सुनते हैं कि माता-पिता बीमार हैं तो फोन पर उनका हाल-चाल पूछ लेते हैं. कुछ छुट्टी लेकर उन्हें देखने चले जाते हैं. मगर कुछ दिनों में माता-पिता की बामारी उनके लिए सामान्य सी बात हो जाती है.

मगर जितना लालू यादव की...

लालू यावद (Lalu yadav) की बेटी रोहिणी आचार्य (Rohini Acharya) ने अपने पिता को किडनी (Kidney) देकर नया जीवन दान दिया है. जो सुन रहा है उनके जज्बे को सलाम कर रहा है. असल में हमारे यहां बेटियां दूसरे की अमानत मानी जाती हैं. उन्हें जस का तस ससुराल पक्ष को सौंप दिया जाता है. कन्यादान के समय वर के हाथों में बेटी का हाथ थमाने वाले पिता कहते हैं कि ये आपकी अमानत थी अब आप ही संभालिए. उनका कन्यादान करने के बाद समझा जाता है कि अब वह परायाधन हो गई. उससे मात्र नाम भर का मतलब रखा जाता है.

शादी के बाद बेटी अपने ही घर में मेहमान हो जाती हैं. मगर ये पिता-बेटी के बीच जो किडनी का रिश्ता है ना वही बेटियों की सच्चाई है. बेटियां भले ही दूसरे के घर चली जाएं मगर उनका दिल अपने घर के किसी कोने में छूट जाता है. बेटियों के मन से अपने घर की चिंता कभी खत्म नहीं होती है.

जो लोग बेटियों को पराया कहता हैं आज रोहिणी यादव ने सबको जवाब दे दिया है

उनके बच्चे हो जाए, वे बूढ़ी हो जाएं मगर उनका मन घर की चिंता में भटकता रहता है. बेटियों को अपने माता-पिता से कुछ नहीं चाहिए, उन्हें कुछ चाहिए तो वह है अपनापन. ताकि जब वे शादी के बाद पहली बार घर आएं तो उनके साथ मेहमान जैसा व्यवहार न किया जाए. उन्हें अपना समझा जाए, मगर अफसोस की बेटियों को कभी वह स्थान न मिला जो बेटों को दिया जाता है. धन तो उन्हें चाहिए नहीं मगर उनके हिस्से का प्यार भी उन्हें नसीब नहीं होता है.

सारे बच्चे अपने माता-पिता की परवाह करते हैं. जब वे सुनते हैं कि माता-पिता बीमार हैं तो फोन पर उनका हाल-चाल पूछ लेते हैं. कुछ छुट्टी लेकर उन्हें देखने चले जाते हैं. मगर कुछ दिनों में माता-पिता की बामारी उनके लिए सामान्य सी बात हो जाती है.

मगर जितना लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने किया उतना कौन करता है? शायद एक बेटी ही कर सकती है. कौन उनकी जिम्मेदारी लेने को तैयार होता है? शायद एक बेटी. कौन उन्हें अपना अंग देकर उनकी जिंदगी बचाता है?

हो सकता है कि लालू यादव के बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप ने भी किडनी देने की इच्छा जाहिर की हो मगर लालू यादव की बेटी रोहिणी ने खुद ही आगे आकर कहा कि मैं पिता जी को किडनी देना चाहती हूं. उनसे पिता की किडनी का सैंपल मैच भी हो गया. ये होता है बेटी और पिता की रिश्ता. सिर्फ यही एक सच है और बाकी सब झूठ है. वे सिंगापुर रहती हैं और वहीं पर किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन सफलता पूर्वक हुआ है.

लालू यादव की बेटी रोहिणी पर गर्व है जो अपने पिता को जीवन देकर अपना कर्तव्य निभा रही हैं. इस बात से यह सीख मिलती है लड़कों को चाहें जितनी भी आप अहमियत दे दें, लेकिन समय आने पर बेटियां ही काम आती हैं. यह बात तो साबित हो गया है कि बच्चियां मरते दम तक पिता का साथ देती हैं.

अब तक क्या कहा जाता रहा है-

लोग कहते हैं कि बेटियों पराई होती हैं

बचपन से ही बेटियां ये शब्द सुनते हुए बड़ी होती हैं कि वे पराई होती हैं, मगर क्या दूसरे के घऱ जाने से अपने माता-पिता औऱ अपने घर से रिश्ता खत्म हो सकता है?

बेटा घर का चिराग होता है

बेटी है दूसरे घर चली जाएगी. बेटा ही तो घऱ का चिराग होता है जो घर को रोशन करता है. 

बेटा वंश चलाता है

लोग कहते हैं कि बेटी तो ठीक है मगर एक बेटा तो चाहिए कि वरना खानदान के वंश को कौन आगे बढ़ाएगा?

बेटा बुढ़़पे का सहारा होता है

लोग कहते हैं कि एक बेटा तो होना चाहिए वरना बुढ़़ापे में पानी कौन देगा? बेटी को अपने घर चली जाएगी.

बेटियां शादी के बाद माता-पिता की जिम्मेदारी नहीं निभा सकती हैं

लोग कहते हैं कि बेटी की शादी के बाद उसके घर का पानी नहीं पीना चाहिए. लोग बेटियों से उनके माता-पिता की देखरेख करने का भी अधिकारी भी छीन लेते हैं

बेटियां कमजोर दिल की होती हैं

समाज कहता है कि बेटियों का दिल कमजोर होता है. इसलिए उनसे घर से जुड़ी बहुत सी बातें नहीं बतानी चाहिए. मगर सच ये है कि बेटियां शेरनी होती हैं.

जो लोग बेटियों को पराया कहता हैं, आज रोहिणी यादव ने सबको जवाब दे दिया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि "मेरे पिता मेरे लिए भगवान हैं और मैं उनके लिए कुछ भी कर सकती हूं." सच में रोहिणी ने जो हिम्मत दिखाई है उसके लिए कलेजा चाहिए... क्या आप अब भी कहेंगे कि विदाई के बाद बेटी अपने पिता के लिए पराई हो जाती है? 

माँ- पिता मेरे लिए भगवान हैं. मैं उनके लिए कुछ भी कर सकती हूँ. आप सबों के शुभकामनाओं ने मुझे और मजबूत बनाया है.मैं आप सबके प्रति दिल से आभार प्रकट करती हूँ. आप सब का विशेष प्यार और सम्मान मिल रहा है. मैं भावुक हो गयी हूँ. आप सबको दिल से आभार कहना चाहती हूँ. pic.twitter.com/ipvrXrFitS

— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) November 11, 2022

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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