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नया Motor Vehicle Act नतमस्‍तक है बनारसी बुलेट और गुजराती सिर के आगे!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 16 अक्टूबर, 2019 01:55 PM
  • 16 अक्टूबर, 2019 01:55 PM
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नया Motor Vehicle Act आने के बाद जो वाराणसी में हुआ उसने ये बताया कि अब दोषियों की खैर नहीं. वहीं जो गुजरात में हुआ उसने कहा कि यदि नियम नहीं मान रहे तो इसके पीछे एक खास तरह की मजबूरी है.

New Motor Vehicle Act आने के बाद क्या आम आदमी क्या दबंग सबकी हालत पतली है. कब कौन सा चालान दरवाजे पर दस्तक दे दे किसी को इसका कोई आईडिया नहीं है. लोग डरे हुए हैं या ये कि जो कल तक नियम कानूनों की कोई परवाह नहीं करते थे आज बिलकुल राइट टाइम हो गए हैं और तमाम पेपर अपडेट कर के ही गाड़ियां स्टार्ट कर रहे हैं. बात अगर पुलिस की हो तो न्यू मोटर व्हीकल एक्ट आने के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली में भी एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है. पुलिस मुस्तैद हो गई है और जो डिफाल्टर हैं उन्हें चालान थमाया जा रहा है. नए कानून के बाद पुलिस सख्त है और सख्ती का आलम कितना है? इस प्रश्न को जो समझना हो तो हम उत्तर प्रदेश के वाराणसी का रुख का सकते हैं. जहां एक बुलेट की नंबर प्लेट पर पड़ा कैप्शन सुर्ख़ियों में है.

वाराणसी में बुलेट की नंबर प्लेट लोगों के बीच कौतुहल का विषय बनी है

वाराणसी के अस्सी इलाके में एक लड़के ने बुलेट खरीदी. नियम ये कहता है कि जब व्यक्ति नई गाड़ी लेता है तो उसके लिए ये अनिवार्य होता है कि वो उस पर नंबर डलवाए. लड़का शायद रंगबाज था उसने A/F की जगह गाड़ी की नंबर प्लेट पर 'आई त लिखाई' यानी आऊंगा तब लिखवाऊंगा लिखवाया और गाड़ी शहर भर में नचाता रहा. साफ़ था कि गाड़ी की नंबर प्लेट पर लिखा ये कैप्शन पुलिस को चुनौती दे रहा था. पुलिस को लगा कि लड़का कानून कि बखिया उधेड़ रहा है.

चेकिंग के दौरान लड़के को पुलिस द्वारा रोका गया और जरूरी पूछताछ की गई. वहां भी लड़के ने यही बात (आई त लिखाई) दोहराई. लड़के के जवाब को सुनकर इंस्पेक्टर आग बबूला हो गए और उन्होंने युवक को उसी भाषा में जवाब देते हुए कहा कि 'लिखाई तब्बे थाने से जाई ' (लिखवाओ तभी ये थाने से जाएगी) और बुलेट को थाने भिजवा दिया.

मामले की जानकारी खुद भेलूपुर थाने के प्रभारी निरीक्षक राजीव रंजन ने दी...

New Motor Vehicle Act आने के बाद क्या आम आदमी क्या दबंग सबकी हालत पतली है. कब कौन सा चालान दरवाजे पर दस्तक दे दे किसी को इसका कोई आईडिया नहीं है. लोग डरे हुए हैं या ये कि जो कल तक नियम कानूनों की कोई परवाह नहीं करते थे आज बिलकुल राइट टाइम हो गए हैं और तमाम पेपर अपडेट कर के ही गाड़ियां स्टार्ट कर रहे हैं. बात अगर पुलिस की हो तो न्यू मोटर व्हीकल एक्ट आने के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली में भी एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है. पुलिस मुस्तैद हो गई है और जो डिफाल्टर हैं उन्हें चालान थमाया जा रहा है. नए कानून के बाद पुलिस सख्त है और सख्ती का आलम कितना है? इस प्रश्न को जो समझना हो तो हम उत्तर प्रदेश के वाराणसी का रुख का सकते हैं. जहां एक बुलेट की नंबर प्लेट पर पड़ा कैप्शन सुर्ख़ियों में है.

वाराणसी में बुलेट की नंबर प्लेट लोगों के बीच कौतुहल का विषय बनी है

वाराणसी के अस्सी इलाके में एक लड़के ने बुलेट खरीदी. नियम ये कहता है कि जब व्यक्ति नई गाड़ी लेता है तो उसके लिए ये अनिवार्य होता है कि वो उस पर नंबर डलवाए. लड़का शायद रंगबाज था उसने A/F की जगह गाड़ी की नंबर प्लेट पर 'आई त लिखाई' यानी आऊंगा तब लिखवाऊंगा लिखवाया और गाड़ी शहर भर में नचाता रहा. साफ़ था कि गाड़ी की नंबर प्लेट पर लिखा ये कैप्शन पुलिस को चुनौती दे रहा था. पुलिस को लगा कि लड़का कानून कि बखिया उधेड़ रहा है.

चेकिंग के दौरान लड़के को पुलिस द्वारा रोका गया और जरूरी पूछताछ की गई. वहां भी लड़के ने यही बात (आई त लिखाई) दोहराई. लड़के के जवाब को सुनकर इंस्पेक्टर आग बबूला हो गए और उन्होंने युवक को उसी भाषा में जवाब देते हुए कहा कि 'लिखाई तब्बे थाने से जाई ' (लिखवाओ तभी ये थाने से जाएगी) और बुलेट को थाने भिजवा दिया.

मामले की जानकारी खुद भेलूपुर थाने के प्रभारी निरीक्षक राजीव रंजन ने दी हाई जिनके पास लड़के की पैरोकारी के लिए फ़ोन आ रहे हैं और उनसे अनुरोध किया जा रहा है कि वो पकड़ी हुई गाड़ी को छोड़ दें. इंस्पेक्टर अपनी बात पर अड़े हुए हैं और कह रहे हैं कि गाड़ी तब ही छूटेगी जब उसपर नंबर डलवा लिया जाएगा. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अक्सर देखा जाता है कि बगैर नंबर की गाड़ियों से अपराध होते रहते हैं. ऐसे में अपराधी की पहचान मुश्किल हो जाती है. इंस्पेक्टर के अनुसार अब बुलेट को छोड़ने का निर्णय न्यायालय करेगा.

उपरोक्त मामले में साफ़ था कि पुलिस रंगबाज युवक को सबक देना चाहती थी मगर हमारे सामने ऐसे भी मामले हैं जिनमें न सिर्फ लोग अपनी सुरक्षा के लिए फिक्रमंद हैं बल्कि अपनी मांग न पूरी होने पर पुलिस और प्रशासन से मदद भी मांग रहे हैं. इस बात की गंभीरता को समझने के लिए हमें गुजरात चलना होगा. अभी बीते दिनों ही गुजरात से एक हैरान करने वाला मामला प्रकाश में आया था. जहां एक व्यक्ति का सर उसके गले की हड्डी बन गया है. व्यक्ति का सर बड़ा है और उसके साइज का कोई हेलमेट बाजार में मौजूद नहीं है.

गुजरात के जाकिर इसलिए परेशान हैं क्योंकि उन्हें अपनी नाप का हेलमेट नहीं मिल पा रहा है

हुआ कुछ यूं था कि गुजरात के छोटा उदयपुर में रहने वाले जाकिर मेमन को पुलिस ने बिना हेलमेट गाड़ी चलाते हुए रोक लिया. जाकिर के पास गाड़ी से संबंधित सभी कागजात मौजूद थे लेकिन उसने हेलमेट नहीं पहना था. पुलिस ने उसे जुर्माना भरने को कहा. लेकिन जाकिर ने जब पुलिस को अपनी समस्या बताई तो पुलिस भी हैरान रह गई.  जाकिर ने कहा कि वह कोई हेलमेट नहीं पहन सकता क्योंकि कोई भी हेलमेट उसके सिर में एडजस्ट नहीं होता. बाजार में मौजूद हर हेलमेट शख्स के सिर से कहीं ज्यादा छोटा है. अपनी व्यथा से परेशान व्यक्ति ने पुलिस से कहा कि उसने शहर की हर दुकान पर हेलमेट खोजा लेकिन उसे ऐसा कोई हेलमेट कोई नहीं मिला जो उसके सिर में आ जाए.

जाकिर का कहना है कि मैं कानून की इज्जत करने वाला शख्स हूं. मैं भी हेलमेट पहनना चाहता हूं लेकिन मुझे ऐसा हेलमेट मिलता ही नहीं, जो सिर में सही से समा सके.दिलचस्प बात ये भी है कि जाकिर ने पुलिस से अपील की है कि वो उसकी बातों को गंभीरता से ले और उसकी समस्याओं का निवारण करें. जाहिर की परेशानी का पुलिस ने संज्ञान लिया है और वो उसकी मांग पर विचार कर रही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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