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दिल्ली की कैबों में कंडोम क्यों होता है? तर्क सिर चकराने वाला है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 21 सितम्बर, 2019 09:05 PM
  • 21 सितम्बर, 2019 09:05 PM
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दिल्ली के कैब वाले गाड़ियों में कंडोम रख रहे हैं और इसके पीछे जो उन्होंने वजह दी है वो न सिर्फ पुलिस वालों को बल्कि किसी भी समझदार इंसान को नाकों तले चने चबवा देने के लिए काफी है.

अंग्रेजी में कहावत है कि 'precaution is better than cure'. बाकी हिंदुस्तान की आबादी किसी से छुपी नहीं है. लगातार बढ़ती हुई आबादी की एक बड़ी वजह कंडोम है. लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं इसलिए देश में थोक के हिसाब से बच्चे जन्म ले रहे हैं. कंडोम को लेकर कहा जाता है कि ये आबादी बढ़ने से रोकता है इसलिए व्यक्ति को इसे अपने पास रखना चाहिए. 'मौके' के दौरान इसका इस्तेमाल करना चाहिए. कुल मिलाकर कंडोम एक ऐसी चीज है जिसके इस्तेमाल का एक ही उद्देश्य है 'Safe Sex.' किसी भी समझदार आदमी के साथ चाय या फिर पकोड़ा खाते हुए चर्चा करिए और कंडोम का मुद्दा उठाइए जवाब यही होगा कि अगर देश की आबादी को नियंत्रित करना है तो इसे अपने जीवन में हर सूरत में शामिल करना होगा. ये वाकई एक काबिल-ए-तारीफ तर्क है. हमारी सोच इसी तर्क के इर्द गिर्द तक थी. हमने इसी पर सोचा. मगर दिल्ली और एनसीआर के कैब वाले हमसे दो हाथ आगे हैं और कंडोम को लेकर जो उनके तर्क हैं, वो कमाल के हैं. दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर एक कैब वाले ने पुलिस को देखा. नए मोटर वेहिकल एक्ट के बाद सख्ती बहुत हो गई है. तो सामने खड़े पुलिस वाले को देखकर कैब ड्राइवर ठिठका. उसने सीट बेल्ट लगा रखी थी. वर्दी भी पहनी थी. उसने अपना आत्मसात किया और पाया कि उसके पास पेपर पूरे हैं और उसकी मेडिकल किट में कंडोम भी है.

दिल्ली में कंडोम को लेकर जो तर्क कैब वाले दे रहे हैं वो हैरत में डालने वाले हैं

रखिये, ठहरिये और सोचिये कि आखिर कंडोम और फर्स्ट ऐड किट का क्या चक्कर है? क्यों उसे किट में रखा देखकर ड्राइवर की जान में जान आई ? ड्राइवर ने बताया कि एक बार कंडोम को लेकर उसका चालान हो चुका है. (मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि ये कहानी फर्जी है जिसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है.) ड्राइवर ने ये भी तर्क दिया कि...

अंग्रेजी में कहावत है कि 'precaution is better than cure'. बाकी हिंदुस्तान की आबादी किसी से छुपी नहीं है. लगातार बढ़ती हुई आबादी की एक बड़ी वजह कंडोम है. लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं इसलिए देश में थोक के हिसाब से बच्चे जन्म ले रहे हैं. कंडोम को लेकर कहा जाता है कि ये आबादी बढ़ने से रोकता है इसलिए व्यक्ति को इसे अपने पास रखना चाहिए. 'मौके' के दौरान इसका इस्तेमाल करना चाहिए. कुल मिलाकर कंडोम एक ऐसी चीज है जिसके इस्तेमाल का एक ही उद्देश्य है 'Safe Sex.' किसी भी समझदार आदमी के साथ चाय या फिर पकोड़ा खाते हुए चर्चा करिए और कंडोम का मुद्दा उठाइए जवाब यही होगा कि अगर देश की आबादी को नियंत्रित करना है तो इसे अपने जीवन में हर सूरत में शामिल करना होगा. ये वाकई एक काबिल-ए-तारीफ तर्क है. हमारी सोच इसी तर्क के इर्द गिर्द तक थी. हमने इसी पर सोचा. मगर दिल्ली और एनसीआर के कैब वाले हमसे दो हाथ आगे हैं और कंडोम को लेकर जो उनके तर्क हैं, वो कमाल के हैं. दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर एक कैब वाले ने पुलिस को देखा. नए मोटर वेहिकल एक्ट के बाद सख्ती बहुत हो गई है. तो सामने खड़े पुलिस वाले को देखकर कैब ड्राइवर ठिठका. उसने सीट बेल्ट लगा रखी थी. वर्दी भी पहनी थी. उसने अपना आत्मसात किया और पाया कि उसके पास पेपर पूरे हैं और उसकी मेडिकल किट में कंडोम भी है.

दिल्ली में कंडोम को लेकर जो तर्क कैब वाले दे रहे हैं वो हैरत में डालने वाले हैं

रखिये, ठहरिये और सोचिये कि आखिर कंडोम और फर्स्ट ऐड किट का क्या चक्कर है? क्यों उसे किट में रखा देखकर ड्राइवर की जान में जान आई ? ड्राइवर ने बताया कि एक बार कंडोम को लेकर उसका चालान हो चुका है. (मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि ये कहानी फर्जी है जिसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है.) ड्राइवर ने ये भी तर्क दिया कि दिल्ली के बहुत से कैब वाले अपनी गाड़ियों में कंडोम लेकर चलते हैं. उन्हें डर बना रहता है कि अगर ये गाड़ी में नहीं हुआ तो उनका चालान हो जाएगा.

कमलजीत गिल जो कि दिल्ली की सर्वोदय ड्राइवर एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं जब इस बारे में उनसे बात हुई तो अपनी बातों से उन्होंने चरक और धन्वन्तरी को भी फेल कर दिया. भाई साहब कह रहे हैं कि कैब वालों के लिए जरूरी है कि वो गाड़ी में कंडोम रखें. गिल कहते हैं कि अगर कभी एक्सीडेंट हो जाए तो कंडोम किसी संजीवनी की तरह काम करता है. अगर खून निकल रहा तो तो ये खून रोकता है वहीं अगर हड्डी टूटी हो तो इसे बांधकर दर्द कम किया जा सकता है.

इसके अलावा कंडोम की स्टोरिंग कैपेसिटी पर भी मिस्टर गिल ने खुलकर चर्चा की उन्होंने बताया कि एक कंडोम में तीन लीटर पानी को संचित किया जा सकता है. यानी गिल कहना ये चाह रहे थे कि मुश्किल की घड़ी (पेट्रोल डीजल ख़त्म होने की अवस्था) में कंडोम के एक सैशे को गैलन बनाया जा सकता है. अब क्योंकि दिल्ली के कैब वालों को निर्देशित किया गया है कि वो गाड़ी की मेडिकल किट में 3 कंडोम रखें तो ईंधन ख़त्म होने की स्थिति में इनमें 9 लीटर पेट्रोल या डीजल भरकर अच्छे दिन वापस लाए जा सकते हैं.

वाकई ये कमाल के तर्क हैं जिन्हें न तो पहले कभी देखा गया और न ही पहले कभी सुना गया. लेकिन बात क्योंकि नए वाले मोटर वेहिकल एक्ट के अंतर्गत हुई है तो बता दें कि गाड़ी में कंडोम रखने का प्रावधान न तो नए वाले में हैं और न ही इसकी कोई जानकारी पुराने वाले एक्ट में दी गई है.

एक आम आदमी के लिए कंडोम रखने का उद्देश्य केवल परिवार नियोजन है

ड्राइवरों का गाड़ी में एक नहीं तीन तीन कंडोम रखने का कारण असल में कुछ और ही है. नहीं मतलब खुद सोच के देखिये. कंडोम में पेट्रोल भर कर कौन लाता है ? या फिर कब हमने किसी घायल को कंडोम बांधे हुए किसी अस्पताल, किसी नर्सिंग होम या फिर किसी ट्रामा सेंटर में टहलते देखा?

कंडोम का एक ही उद्देश्य है और उसी उद्देश्य के तहत दिल्ली के ड्राइवर अपनी अपनी गाड़ियों में कंडोम रख रहे हैं. बाकी सीरियस नोट पर एक वजह जो हमें दिखाई दी है वो ये कि पूर्व में दिल्ली की कैबों में बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के भी कई मामले सामने आए हैं. तो कहीं गाड़ी में कंडोम रखने की वजह यही... समझदार को इशारा काफी है.

तो भइया बात बस इतनी है कि पेन, पेन है और तलवार, तलवार है. पेन से न तो सेब काटा जा सकता और न ही कलम के बल पर जंगल जाया जा सकता है. चूंकि बात चालान की हुई है और आरोप खुद बेचारे पुलिस वालों पर लगा है तो हम बस यही कहेंगे कि अब वो वक़्त आ गया है जब पुलिस वाले सावधान हो जाएं. रिश्वत के लिए बदनामी तो फर भी ठीक थी कंडोम पर चालान की बात तो वाकई 'टू मच' है. अब पुलिस वालों को कैब और टैक्सी को रोक रोककर उनकी तलाशी लेनी चाहिए और यदि उस गाड़ी की मेडिकल किट में कंडोम मिलता है तो ड्राइवर पर सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. दोषी ड्राइवरों को भी एहसास रहे कि 'precaution is better than cure.'

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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