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राम मंदिर भूमिपूजन मुहूर्त पर सवाल उठाने वालों के लिए हैं ये दो पौराणिक किस्से

    • प्रवीण मिश्रा
    • Updated: 04 अगस्त, 2020 10:00 PM
  • 04 अगस्त, 2020 10:00 PM
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पीएम मोदी (PM Modi) और कांग्रेस (Congress) नेताओं में राम मंदिर भूमिपूजन (Ram Temple bhumi Pujan) के मुहूर्त पर खूब बहस हुई है. ऐसे में भगवान राम के जन्म स्थान अयोध्या (Ayodhya) में मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का मुहूर्त अपने आप में अद्भुत है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह सब अभिजीत मुहूर्त में हो रहा है.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा अयोध्या (Ayodhya) में श्री राम मंदिर भूमिपूजन (Ram Temple Bhumi Pujan) करने के मुहूर्त पर बहुत बहस हुई है. कांग्रेस (Congress) के कई बड़े नेताओं ने इस पर सवाल खड़े किए हैं. तो इन सवालों का एक लाइन में जवाब तो यह है कि भगवान राम (Lord Ram) के जन्म स्थान अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का मुहूर्त अपने आप में अद्भुत है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह सब अभिजीत मुहूर्त में हो रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह आठवां मुहूर्त माना जाता है. यह विजय दिलाने वाला मुहूर्त है. ऐसा मुहूर्त जो सभी मुहूर्तो में श्रेष्ठ है. इसी अभिजीत मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान राम के मंदिर निर्माण का भूमि पूजन करेंगे वह भी सिर्फ 32 सेकंड में. जी हां 32 सेकंड में चांदी की शिला रखकर. इसके साथ 5 नक्षत्रों की परिचायक पंच रजत शिलाएं भी रखी जाएंगी.

अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर का मॉडल.

जब ऋषि वशिष्ठ ने बताया था राम के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त

श्रीराम के राज्याभिषेक की कामना लेकर राजा दशरथ अपने गुरु वशिष्ठ के पास पहुंचे. उन्होंने जब शुभ मुहूर्त के बारे में जानना चाहा तो प्रभु राम की लीला से अवगत वशिष्ठ जी ने यही उत्तर दिया था कि जिस समय भी आप राम का राजतिलक करेंगे वही स्वयं सिद्ध मुहूर्त होगा.

बेगि बिलंबु न करिअ नृप साजिअ सबुइ समाजु.

सुदिन सुमंगलु तबहिं जब रामु होहिं जुबराजु..

(भावार्थ- हे राजन्! अब देर न कीजिए, शीघ्र सब सामान सजाइए. शुभ दिन और सुंदर मंगल तभी है, जब श्री रामचन्द्रजी युवराज हो जाएँ. अर्थात उनके अभिषेक के लिए सभी दिन शुभ और मंगलमय हैं)

श्रीराम की महिमा को लेकर तो माता सती भी भ्रमित हो...

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा अयोध्या (Ayodhya) में श्री राम मंदिर भूमिपूजन (Ram Temple Bhumi Pujan) करने के मुहूर्त पर बहुत बहस हुई है. कांग्रेस (Congress) के कई बड़े नेताओं ने इस पर सवाल खड़े किए हैं. तो इन सवालों का एक लाइन में जवाब तो यह है कि भगवान राम (Lord Ram) के जन्म स्थान अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का मुहूर्त अपने आप में अद्भुत है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह सब अभिजीत मुहूर्त में हो रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह आठवां मुहूर्त माना जाता है. यह विजय दिलाने वाला मुहूर्त है. ऐसा मुहूर्त जो सभी मुहूर्तो में श्रेष्ठ है. इसी अभिजीत मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान राम के मंदिर निर्माण का भूमि पूजन करेंगे वह भी सिर्फ 32 सेकंड में. जी हां 32 सेकंड में चांदी की शिला रखकर. इसके साथ 5 नक्षत्रों की परिचायक पंच रजत शिलाएं भी रखी जाएंगी.

अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर का मॉडल.

जब ऋषि वशिष्ठ ने बताया था राम के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त

श्रीराम के राज्याभिषेक की कामना लेकर राजा दशरथ अपने गुरु वशिष्ठ के पास पहुंचे. उन्होंने जब शुभ मुहूर्त के बारे में जानना चाहा तो प्रभु राम की लीला से अवगत वशिष्ठ जी ने यही उत्तर दिया था कि जिस समय भी आप राम का राजतिलक करेंगे वही स्वयं सिद्ध मुहूर्त होगा.

बेगि बिलंबु न करिअ नृप साजिअ सबुइ समाजु.

सुदिन सुमंगलु तबहिं जब रामु होहिं जुबराजु..

(भावार्थ- हे राजन्! अब देर न कीजिए, शीघ्र सब सामान सजाइए. शुभ दिन और सुंदर मंगल तभी है, जब श्री रामचन्द्रजी युवराज हो जाएँ. अर्थात उनके अभिषेक के लिए सभी दिन शुभ और मंगलमय हैं)

श्रीराम की महिमा को लेकर तो माता सती भी भ्रमित हो गई थीं

शिव की पत्नी सती को भी एक बार ऐसा भ्रम हो गया था की भगवान राम विष्णु के अवतार नहीं, बल्कि साधारण मनुष्य मात्र हैं. दरअसल, सीता माता के अपहरण के बाद राम को विलाप करते देख भगवान शिव बहुत दुखी हो रहे थे. जब माता सती ने राम को देखा तो उन्हें लगा कि राम एक साधारण मनुष्य की तरह विलाप कर रहे हैं, वे विष्णु नहीं हो सकते. उन्होंने अपने मन की बातशिव को बताई तो उन्होंने इतना ही कहा राम ही त्रिलोकी श्रीहरि हैं. उनका विलाप एकसाधारण मनुष्य केरूप में उनकी लीला है. माता सीता को फिर भी यकीन नहीं हुआ और वे बोलीं की वे स्वयं राम की परीक्षा लेंगी. इस घटना का पौराणिक उल्लेख कुछ यूं है-

होइहि सोइ जो राम रचि राखा. को करि तर्क बढ़ावै साखा..

अस कहि लगे जपन हरिनामा. गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा..

(भावार्थ- जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा. तर्क करके कौन शाखा (विस्तार) बढ़ावे. (मन में) ऐसा कहकर शिवजी भगवान्‌श्री हरि का नाम जपने लगे और सतीजी वहां गईं, जहाँ सुख के धाम प्रभु श्री रामचंद्रजी थे.)

कथा आगे कुछ यूं बढ़ती है कि माता सीता का रूप धरकर सती एक पेड़ के नीचे बैठ गईं. जब राम विलाप करते हुए वहां से गुजरे तो सीता के वेष में बैठीं सती ने कहा कि आप मुझे कहां ढूंढ रहे हैं, मैं तो यहीं बैठी हूं. लेकिन, राम सती को तुरंत पहचान गए. और बोले माता आप यहां? भगवान शिव कहां हैं? यह सुनते ही सती स्तब्ध रह गईं.

अवाक होकर वे वापस शिव के पास लौटीं और अपनी भूल को व्यक्त करते हुए सारा किस्सा सुनाया. भगवान शिव ने सती की पूरी बात सुनकर इतना ही कहा कि राम मेरे आराध्य विष्णु हैं. और तुमने आज माता सीता का रूप धरा है, इसलिए आज से तुम भी मेरे लिए पत्नी नहीं, माता हो. और उसके बाद शिव समाधि में चले गए.

इन दो कथाओं का सार यह है कि भगवान राम की महिमा अपरंपार है. और उनसे जुड़ा हुआ हर समय शुभ है. 5 अगस्त 2020 बुधवार दिन संपूर्ण विश्व के इतिहास में अमर हो जाएगा जब भगवान राम के मंदिर के निर्माण की नींव रखी जाएगी. यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों को भगवान राम के द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता रहेगा.

भगवान राम का जीवन संपूर्ण विश्व के लिए एक आदर्श है. और उनके मंदिर का निर्माण भी ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब सारा विश्व कोरोनावायरस नामक महामारी से जूझ रहा है. सबको इस महामारी से मुक्ति पाने की लालसा है. ऐसे में भगवान राम की कृपा संपूर्ण पृथ्वी पर हो और सभी को प्रभु राम का आशीर्वाद मिले और उनके जीवन की दुख परेशानियां दूर हों, ऐसी कामना के साथ दुनिया भर से लोग भगवान राम के मंदिर निर्माण के भूमि पूजन का दृश्य देखने के लिए आतुर हैं.

देश विदेश में लोग अपने घर से ही इस कार्यक्रम में शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं. लोग दीपक जलाकर घंटी बजाकर शंख बजाकर अपने भाव को व्यक्त करेंगे. इस भूमि पूजन के समय ऐसे अवसर पर हमें अपने मन को पवित्र रखकर हर तरह की द्वेश भावनाओं को मिटा कर ईश्वरीय शक्ति से कनेक्ट होने का प्रयास करना चाहिए.

ईश्वर से जुड़कर ही हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं और इस माया रूपी भवसागर से मुक्ति का मार्ग तलाश सकते हैं. कहा गया है कि राम के नाम में अद्भुत शक्ति है. राम के नाम में अद्भुत चमत्कार है. राम के नाम में अंधकार को मिटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाली अनमोल किरणें छुपी हुई हैं. आइए ऐसे समय में हम मस्तिष्क से शंकओं-कुशंकाओं को दूर करके सब मिलकर भगवान राम का पूजन करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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