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उमा भारती अयोध्या तो जाएंगी लेकिन पीएम मोदी से दूरी का मकसद कुछ और है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 03 अगस्त, 2020 11:13 PM
  • 03 अगस्त, 2020 11:13 PM
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अयोध्या (Ayodhya ) में राम मंदिर (Ram Temple) के लिए भूमि पूजन (Bhoomi Pujan ) के दौरान कोरोना वायरस (Coronavirus ) के मद्देनजर, राम मंदिर आंदोलन की पुरोधा रहीं उमा भारती (Uma Bharti ) ने जो फैसला लिया उसके लिए वो बधाई की पात्र हैं. जो उन्होंने किया समझदारी का तकाजा भी वही है.

बात मार्च 2020 के आखिरी सप्ताह की है. सरकार ने कोरोना वायरस (Corona Virus) से निपटने के लिए लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा की. जिस वक्त सरकार कोरोना के तहत लॉक डाउन कर रही थी एक बहुत बड़ा वर्ग था जिसने कोरोना वायरस का उपहास किया और इसे भद्दे व्यंग्य की परिधि में बांधा. अब जबकि हम अगस्त के पहले सप्ताह में प्रवेश कर चुके हैं और 18 लाख मामलों और 38,135 (Coronavirus Death In India) मौतें को देख चुके हैं. साफ कहा जा सकता है कि भले ही कुछ हो लेकिन कोरोना मजाक तो हरगिज नहीं है. व्यक्ति इससे तभी बच सकता है जब वो नियमों का पालन करे और सावधानी बरते.

कोरोना वाक़ई जानलेवा है और इससे बचने के लिए हमें किस तरह की सावधानी रखनी चाहिए गर जो इस बात को समझना हो तो हम भाजपा नेता और राम मंदिर आंदोलन (Ram Temple Movement) के फ्रंट लाइन वरियर में शुमार उमा भारती (ma Bharti) का रुख कर सकते हैं. 5 अगस्त 2020 को अयोध्या (Ayodhya) में भूमि पूजन (Bhumi Pujan) होना है इसलिए तैयारियां तेज़ हैं. बात भाजपा नेताओं की हो तो एक लंबे समय के इंतजार के बाद राम मंदिर (Ram Temple) का बनना उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है. एक ऐसे समय में जब राम मंदिर आंदोलन के उस दौर के सभी फ्रंट लाइन वरियर्स या ये कहें कि रामभक्त अयोध्या में बन रहे राममंदिर को लेकर उत्साहित हों जो फैसला उमा भारती ने किया है उसके लिए मजबूत इरादों के साथ साथ एक मजबूत हृदय भी चाहिए होता है.

अयोध्या में होने वाले भूमि पूजन में अपनी भूमिका को लेकर सारे सवालों के जवाब उमा भारती ने दे दिए हैं

बताते चलें कि भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमा भारती को पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के लिए हो रहे भूमि पूजन में शामिल होने का इन्विटेशन मिल गया है. मगर उमा भारती ने फैसला किया है कि...

बात मार्च 2020 के आखिरी सप्ताह की है. सरकार ने कोरोना वायरस (Corona Virus) से निपटने के लिए लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा की. जिस वक्त सरकार कोरोना के तहत लॉक डाउन कर रही थी एक बहुत बड़ा वर्ग था जिसने कोरोना वायरस का उपहास किया और इसे भद्दे व्यंग्य की परिधि में बांधा. अब जबकि हम अगस्त के पहले सप्ताह में प्रवेश कर चुके हैं और 18 लाख मामलों और 38,135 (Coronavirus Death In India) मौतें को देख चुके हैं. साफ कहा जा सकता है कि भले ही कुछ हो लेकिन कोरोना मजाक तो हरगिज नहीं है. व्यक्ति इससे तभी बच सकता है जब वो नियमों का पालन करे और सावधानी बरते.

कोरोना वाक़ई जानलेवा है और इससे बचने के लिए हमें किस तरह की सावधानी रखनी चाहिए गर जो इस बात को समझना हो तो हम भाजपा नेता और राम मंदिर आंदोलन (Ram Temple Movement) के फ्रंट लाइन वरियर में शुमार उमा भारती (ma Bharti) का रुख कर सकते हैं. 5 अगस्त 2020 को अयोध्या (Ayodhya) में भूमि पूजन (Bhumi Pujan) होना है इसलिए तैयारियां तेज़ हैं. बात भाजपा नेताओं की हो तो एक लंबे समय के इंतजार के बाद राम मंदिर (Ram Temple) का बनना उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है. एक ऐसे समय में जब राम मंदिर आंदोलन के उस दौर के सभी फ्रंट लाइन वरियर्स या ये कहें कि रामभक्त अयोध्या में बन रहे राममंदिर को लेकर उत्साहित हों जो फैसला उमा भारती ने किया है उसके लिए मजबूत इरादों के साथ साथ एक मजबूत हृदय भी चाहिए होता है.

अयोध्या में होने वाले भूमि पूजन में अपनी भूमिका को लेकर सारे सवालों के जवाब उमा भारती ने दे दिए हैं

बताते चलें कि भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमा भारती को पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के लिए हो रहे भूमि पूजन में शामिल होने का इन्विटेशन मिल गया है. मगर उमा भारती ने फैसला किया है कि वो भूमि पूजन में शामिल नहीं होंगी. दिलचस्प बात ये है कि जिस वक्त भव्य राममंदिर के लिए भूमि पूजन चल रहा होगा 61 साल की उमा अयोध्या में सरयू नदी के तट पर रहेंगी.

ऐसा क्यों हो रहा है? भूमि पूजन को लेकर उमा भारती की क्या प्लानिंग है? इन सभी सवालों के जवाब उमा भारती ने अपने ट्विटर पर दिए हैं. उमा ने कहा है कि जिस वक्त भूमि पूजन चल रहा होगा वो सरयू के तट पर मौजूद रहेंगी लेकिन प्रोग्राम में हिस्सा नहीं लेंगी.

उमा भारती ने कहा है कि उन्होंने इसकी सूचना अयोध्या में रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ अधिकारी और पीएमओ को दे दी है कि नरेंद्र मोदी के शिलान्यास कार्यक्रम के समय उपस्थित समूह के सूची में से मेरा नाम अलग कर दें.जिस समय अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन कर रहे होंगे ठीक उस वक़्त उमा भारती सरयू तट पर पूजा अर्चना और प्रार्थना करेंगी. राम मंदिर आंदोलन की पुरोधा रहीं उमा प्रोग्राम में क्यों नहीं अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं इसकी एक बहुत बड़ी वजह कोरोना वायरस का संक्रमण है. उमा भारती को डर है कि कहीं कोरोना उन्हें अपनी चपेट में न ले ले.

ध्यान रहे कि प्रशासन और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के तमाम लुभावने दावों के बावजूद उत्तर प्रदेश में कोरोना की स्थिति बहुत ज्यादा ही घातक है.प्रदेश में कोरोना के 92,921 सक्रिय मामले हैं और साथ ही 1730 लोग इस खौफनाक बीमारी की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं. बात अयोध्या की हो तो अभी बीते दिनों ही एक पुजारी समेत ऑन ड्यूटी तैनात16 पुलिस वाले इस खौफनाक बीमारी की चपेट में आए थे. मामला प्रकाश में आने के बाद स्वयं अयोध्या के लोगों में डर व्याप्त है.

चूंकि बात उमा भारती की चल रही है तो बता दें कि जैसे ही उन्हें इस बात की खबर मिली कि कोरोना के कारण केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री स्वतंत्र देव सिंह जैसे लोग कोरोना की चपेट में आ गए हैं उमा का डर बढ़कर सातवें आसमान पर पहुंच गया है.

अपने ट्वीट में उमा भारती ने कहा है कि,'कल जब से मैंने श्री अमित शाह जी तथा यूपी भाजपा के नेताओं के कोरोना पॉजिटिव होने के बारे में सुना तभी से मैं अयोध्या में मंदिर के शिलान्यास में उपस्थित लोगों के लिए खासकर पीएम नरेंद्र मोदी जी के लिए चिंतित हूं, इसलिए मैंने रामजन्मभूमि न्यास के अधिकारियों को सूचना दी है की शिलान्यास के कार्यक्रम के मुहूर्त पर मै अयोध्या में सरयू के किनारे पर रहूंगी.

उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी व अन्य लोगों के जाने के बाद रामलला के दर्शन करेंगी. गौरतलब है कि अभी बीते दिनों ही उमा भारती ने ट्वीट किया था कि शनिवार को मुझे 4 अगस्त को अयोध्या पहुंचकर 6 अगस्त तक वहां रहने का निर्देश राम जन्मभूमि न्यास की ओर से मिला है.

बहरहाल अब जबकि उमा भारती मेन इवेंट से नदारद रहेंगी. तो देखा जाए तो जो फैसला उन्होंने लिया है वो वाक़ई उनके लेवल के नेता, जिसने अपना पूरा जीवन ही राम मंदिर आंदोलन को समर्पित कर दिया उसके द्वारा लिया गया एक ऐतिहासिक फैसला है. बात सीधी और साफ है सावधानी ही बीमारी से बचाव है और जैसे हालात हैं सावधानी का एक मात्र जरिया सोशल डिस्टेंसिंग और भीड़ से दूरी है.

उमा ने जो फैसला लिया है, इसमें कोई शक नहीं है कि इसके लिए उन्हें इतिहास लम्बे वक़्त तक न सिर्फ याद रखेगा बल्कि देखा जाए तो उन्होंने एक नजीर भी स्थापित कर दी है और अपनी तरफ से ये प्रयास किया है कि एक भव्य आयोजन में उनके जरिये किसी को कोई हानि न हो.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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