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Raksha Bandhan 2021: एक बहन रक्षाबंधन पर अपने भाई से क्या चाहती है?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 22 अगस्त, 2021 07:28 PM
  • 22 अगस्त, 2021 07:28 PM
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रक्षाबंधन यानी भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक का त्योहार...बचपन से लड़ते-झगड़ते ये रिश्ते समय के साथ और गहरे होते चले जाते हैं. रक्षा तो भाई-बहन दोनों एक-दूसरे की कर लेते हैं, लेकिन कुछ उम्मीदें ऐसी होती हैं जो एक बहन अपने भाई से करती है.

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) यानी भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक का त्योहार...बचपन से लड़ते-झगड़ते ये रिश्ते समय के साथ और गहरे होते चले जाते हैं. रक्षा तो भाई-बहन दोनों एक-दूसरे की कर लेते हैं, लेकिन कुछ उम्मीदें ऐसी होती हैं जो एक बहने अपने भाई से करती है. आप बहनों को उपहार देते हैं, शगुन के नाम पर पैसे देते हैं ठीक है, हर कोई अपने हिसाब से रक्षाबंधन मनाता है. जो भी हो यह दिन खुशियों और फैमिली गेट टुगेदर का होता तो धमाचौकड़ी तो होनी है, उपर से तरह-तरह पकवान का स्वाद भी भाई-बहन के रिश्ते जैसा ही चटपटा होता है.   

पैसे से भाई-बहन के प्यार को नहीं तौला जा सकता. वैसे भी बहनें कुछ समय बाद भाई की दूसरी मां का रूप ले लेती हैं. वे भले बड़ी हों या छोटी, वे अपने भाई का ख्याल रखती हैं. उसकी जिम्मेदारा संभालती है. बहनें, बचपन से ही भाई के लिए पानी लाती हैं और पता नहीं चलता कि कब वे उसके लिए खाना भी बनाने लगती हैं. भाई भी ख्याल रखते हैं लेकिन वे जता नहीं पाते. क्या आपको पता है कि एक बहन अपने भाई से क्या चाहती है? चलिए आपको बताते हैं…

रक्षाबंधन यानी भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक का त्योहार..

लड़कियां अपने लिए एक ऐसी दुनियां चाहती हैं जहां उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित न होना पड़े. वे बिना डर बिना झिझक कहीं भी आराम से घूम-फिर सकें. लोग उनका सम्मान करें. देखने में आता है कि लोग अपनी बहन के खिलाफ तो एक लब्ज नहीं सुन सकते लेकिन बाहर जो लड़कियों को छेड़ते हैं वो भी तो किसी के भाई ही होते हैं. कहने का मतलब यह है कि बहनें बस यह चाहती हैं कि भाई सभी लड़कियों का सम्मान करें, इसका मतलब सबसे राखी बधवाने से नहीं है. 

बहनें चाहती हैं कि भाई घर के...

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2021) यानी भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक का त्योहार...बचपन से लड़ते-झगड़ते ये रिश्ते समय के साथ और गहरे होते चले जाते हैं. रक्षा तो भाई-बहन दोनों एक-दूसरे की कर लेते हैं, लेकिन कुछ उम्मीदें ऐसी होती हैं जो एक बहने अपने भाई से करती है. आप बहनों को उपहार देते हैं, शगुन के नाम पर पैसे देते हैं ठीक है, हर कोई अपने हिसाब से रक्षाबंधन मनाता है. जो भी हो यह दिन खुशियों और फैमिली गेट टुगेदर का होता तो धमाचौकड़ी तो होनी है, उपर से तरह-तरह पकवान का स्वाद भी भाई-बहन के रिश्ते जैसा ही चटपटा होता है.   

पैसे से भाई-बहन के प्यार को नहीं तौला जा सकता. वैसे भी बहनें कुछ समय बाद भाई की दूसरी मां का रूप ले लेती हैं. वे भले बड़ी हों या छोटी, वे अपने भाई का ख्याल रखती हैं. उसकी जिम्मेदारा संभालती है. बहनें, बचपन से ही भाई के लिए पानी लाती हैं और पता नहीं चलता कि कब वे उसके लिए खाना भी बनाने लगती हैं. भाई भी ख्याल रखते हैं लेकिन वे जता नहीं पाते. क्या आपको पता है कि एक बहन अपने भाई से क्या चाहती है? चलिए आपको बताते हैं…

रक्षाबंधन यानी भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक का त्योहार..

लड़कियां अपने लिए एक ऐसी दुनियां चाहती हैं जहां उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित न होना पड़े. वे बिना डर बिना झिझक कहीं भी आराम से घूम-फिर सकें. लोग उनका सम्मान करें. देखने में आता है कि लोग अपनी बहन के खिलाफ तो एक लब्ज नहीं सुन सकते लेकिन बाहर जो लड़कियों को छेड़ते हैं वो भी तो किसी के भाई ही होते हैं. कहने का मतलब यह है कि बहनें बस यह चाहती हैं कि भाई सभी लड़कियों का सम्मान करें, इसका मतलब सबसे राखी बधवाने से नहीं है. 

बहनें चाहती हैं कि भाई घर के कामों में पूरा ना सही थोड़ी तो मदद करवाएं. वे बहनों को बराबरी की नजरों से देखें. बहनों को सबसे ज्यादा डर यह लगा रहता है कि कहीं भाई शादी के बाद बदल न जाएं. असल में शादी के बाद बहनें ससुराल तो चली जाती हैं लेकिन उनका दिन अपने घर में ही बसा रह जाता है. वहीं भाई के उपर भी शादी के बाद जिम्मेदारी बढ़ जाती है. वे बहन को भूलते तो नहीं लेकिन अपनी ही दुनियां में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें समय नहीं दे पाते. ऐसे में कभी-कभी भाई को अपनी बहन के लिए भी समय निकालना चाहिए. वरना उनके दिल दुखता है क्योंकि वे बचपन से ही भाई से बहुत जुड़ी ही रहती हैं. 

वैसे तो भाई-बहन की लड़ाई का कोई तोड़ नहीं है. वे जितना आपस में लड़ते हैं उतना ही दोनों में प्यार भी होती है लेकिन कई बार भाई गुस्से में किसी के भी सामने बहन पर चिल्ला देते हैं, यह बात उन्हें बहुत कटोचती है. जितना हक भाई का बहन पर है उतना ही हक बहन का भाई पर भी है. अगर कोई बात है तो अकेले में सुलझाने की कोशिश करें. किसी की बातों में आकर सीधा बहन को गलत समझने की गलती ना करें.  

आप भाई तो हैं ही, लेकिन एक बहन अपने भाई में एक दोस्त खोजती है. हो सके तो अपनी बहन का दोस्त बनने की कोशिश कीजिए. जिससे वो अपनी बातें शेयर कर सके, अक्सर लड़कियां बड़े भाई से डरती हैं और अपने मन की बात बता नहीं पातीं. बहनें चाहती हैं कि उन्हें भी थोड़ा खुलापन मिले.

बहनें चाहती हैं कि भाई बाकी रिश्तों को भी निभाए. मां-बाप का ख्याल रखे. भाई अपनी बहनों को थोड़ा कंफर्ट तो दें और अपना हर फैसला उनपर ना थोपें, उनकी भी बातों को समझने की कोशिश करें. जब बहन की शादी हो जाए तो भाई उनसे मिलने जरूर जाएं, मिलने के लिए रक्षाबंधन का इंतजार ना करें, ताकि रिश्ते में ताजगी बनी रहे. 

वैसे तो हर भाई को अपनी बहन बंदरिया ही लगती है, वो कितनी भी तैयार हो जाए वे चिढ़ाने से बाज नहीं आते लेकिन कभी-कभी लोगों के सामने बहन को महत्व देना चाहिए. वहीं जिन बहनों के पिता जिंदा नहीं होते वो अपने बड़े भाई में पिता की झलक खोजती हैं, इसलिए बहन को बेटी जैसा दुलार भी दें.

बहनें ये भी चाहती हैं कि उन्हें शादी के बाद पराया धन का एहसास ना करवाया जाए, आप उन्हें अपनी प्रॉपर्टी मत दीजिए लेकिन उन्हें यह मत बोलिए कि शादी के बाद तो तुम पराई हो…

आप बहन को इस काबिल बनाइए कि वो कोई भी फैसला आसानी से ले सके, क्योंकि आज भी घरों के फैसलों में लड़कियों को शामिल नहीं किया जाता. लड़कियां अकेले घर से बाहर निकलने में घबराती हैं. 

आप अपनी बहन में आत्मविश्वास पैदा कीजिए ताकि वह बिना डरे कहां भी आ-जा सके. लोगों का सामना कर सके और जब उसे कोई परेशान करे तो उसका मुंहतोड़ जवाब दे सके. बस यही छोटी-छोटी बातें हैं जो एक बहन अपने भाई से चाहती है. ये बातें उनके चेहरे पर मुस्कान लेकर आती हैं.

नोट: अगर आपका कोई भाई नहीं है या आपकी कोई बहन नहीं है तो आपको दुखी होने की जरूरत नहीं है. भाई-भाई और बहन-बहन भी रक्षाबंधन मनाते हैं.  आपको ऐसे ही एक-दूसरे का साथ देते रहना चाहिए. अगर खून का रिश्ता नहीं है और आप किसी को दिल से भाई या बहन मानते हैं तो भी आपको रिश्ता बनाए रखने के लिए एक-दूसरे को समझना होगा और साथ देना होगा...  

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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