• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

कलियुग के 'हरिश्चंद्र' प्रोफेसर, छात्रों को नहीं पढ़ाया इसलिए 23 लाख सैलरी लौटाई!

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 07 जुलाई, 2022 03:12 PM
  • 07 जुलाई, 2022 01:10 PM
offline
बिहार के प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार का कहना है कि, मैं बच्चों को पढ़ाना चाहता हूं लेकिन मेरे कॉलेज में छात्र पढ़ने ही नहीं आते. वहां छात्रों की उपस्थिति शून्य है. मेरा ज्ञान बेकार जा रहा है, क्योंकि वहां पढ़ाई का कोई माहौल नहीं है.

बिहार (Bihar) के प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार ने अपने वेतन के करीब 23 लाख 82 हजार रुपए लौटा दिए हैं. उनका कहना है कि "जब मैंने छात्रों को पढ़ाया ही नहीं तो सैलरी किस बात की लूं"? हम तो यही सोच रहे हैं कि, इस पापी दुनिया में भला ऐसे ईमानदार लोग अब कहां मिलते हैं? जो अपनी ही सैलरी के पैसे सिर्फ इसलिए लौटाना चाहें, क्योंकि वे अपने काम से संतुष्ट नहीं हैं.

प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार के इस खुलासे ने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं

आज की दुनिया में जहां अफसर घूस खा रहे हैं, नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, कंपनियां दो नंबर के पैसे से जेब भरने में लगी हैं...वहीं ये प्रोफेसर ईमानदारी की इबारत लिख रहे हैं. कई लोग यह सोच सकते हैं कि, यह कैसा आदमी है यार, जो अपना की वेतन लौटा रहा है? वह भी इसलिए क्योंकि उसे बच्चों को पढ़ाने का मौका नहीं मिला.

वहीं कुछ का कहना है कि धन्य हैं ये प्रोफेसर जिन्होंने हमें यह एहसास कराया कि आज भी इस दुनिया में ईमानदारी जिंदा है. ऐसा लग रहा है कि इस घोर कलियुग में हमें साक्षात राजा 'हरिश्चंद्र' के दर्शन हो गए.

इस जमाने में ऐसे कितने शिक्षक हैं जो स्कूल नहीं जाना चाहते, लेकिन सैलरी बराबर समय से लेते रहते हैं. उनके गाल पर आज प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार ने अपनी ईमानदारी दिखाकर एक जोरदार थप्पड़ जड़ा है. 

डॉ. ललन कुमार का कहना है कि, मैं बच्चों को पढ़ाना चाहता हूं लेकिन 'नीतीश्वर कॉलेज' में छात्र पढ़ने ही नहीं आते हैं. वहां पढ़ाई का कोई माहौल नहीं है. मेरा ज्ञान बेकार जा रहा है. मैं डीयू और जेएनयू का टॉपर रहा हूं. मेरी नियुक्ति बिहार लोकसेवा आयोग के माध्यम से असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हुई थी....

बिहार (Bihar) के प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार ने अपने वेतन के करीब 23 लाख 82 हजार रुपए लौटा दिए हैं. उनका कहना है कि "जब मैंने छात्रों को पढ़ाया ही नहीं तो सैलरी किस बात की लूं"? हम तो यही सोच रहे हैं कि, इस पापी दुनिया में भला ऐसे ईमानदार लोग अब कहां मिलते हैं? जो अपनी ही सैलरी के पैसे सिर्फ इसलिए लौटाना चाहें, क्योंकि वे अपने काम से संतुष्ट नहीं हैं.

प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार के इस खुलासे ने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं

आज की दुनिया में जहां अफसर घूस खा रहे हैं, नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, कंपनियां दो नंबर के पैसे से जेब भरने में लगी हैं...वहीं ये प्रोफेसर ईमानदारी की इबारत लिख रहे हैं. कई लोग यह सोच सकते हैं कि, यह कैसा आदमी है यार, जो अपना की वेतन लौटा रहा है? वह भी इसलिए क्योंकि उसे बच्चों को पढ़ाने का मौका नहीं मिला.

वहीं कुछ का कहना है कि धन्य हैं ये प्रोफेसर जिन्होंने हमें यह एहसास कराया कि आज भी इस दुनिया में ईमानदारी जिंदा है. ऐसा लग रहा है कि इस घोर कलियुग में हमें साक्षात राजा 'हरिश्चंद्र' के दर्शन हो गए.

इस जमाने में ऐसे कितने शिक्षक हैं जो स्कूल नहीं जाना चाहते, लेकिन सैलरी बराबर समय से लेते रहते हैं. उनके गाल पर आज प्रोफेसर डॉ. ललन कुमार ने अपनी ईमानदारी दिखाकर एक जोरदार थप्पड़ जड़ा है. 

डॉ. ललन कुमार का कहना है कि, मैं बच्चों को पढ़ाना चाहता हूं लेकिन 'नीतीश्वर कॉलेज' में छात्र पढ़ने ही नहीं आते हैं. वहां पढ़ाई का कोई माहौल नहीं है. मेरा ज्ञान बेकार जा रहा है. मैं डीयू और जेएनयू का टॉपर रहा हूं. मेरी नियुक्ति बिहार लोकसेवा आयोग के माध्यम से असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हुई थी.

मेरी अंतर आत्मा मुझे झकझोर रही है. मुझे पढ़ाने का मौका ही नहीं मिला, इसलिए मुझे बहुत दुख होता है. मेरे कॉलेज में करीब 1100 छात्र हर साल एडमिशन लेते हैं, लेकिन वे सिर्फ परीक्षा देने आते. कक्षा में एक भी छात्र नहीं दिखता है. मैं वह कर ही नहीं रहा हूं जो हमेशा से करना चाहता था. कोरोना काल में भी मैं ऑनलाइन क्लास में छात्रों का पढ़ाना चाहता था, लेकिन मुझसे कहा गया कि मैं सिर्फ सिलेबस अपलोड कर दूं.

डॉ. ललन कुमार का कहना है कि, मैं बच्चों को पढ़ाना चाहता हूं लेकिन मेरे कॉलेज में छात्र पढ़ने नहीं आते हैं

प्रोफेसर की बातों से लगता है कि उनका मन दुखी हो चुका है, क्योंकि वे किसी को शिक्षित नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए उन्हें घुटन हो रही है. उनका कहना है कि, कॉलेज में छात्रों की संख्या शून्य के बराबर है, इसलिए मैं यह वेतन नहीं ले सकता. मैंने विश्वविद्यालय को चार बार पत्र लिखा कि, मेरा ट्रांसफर किसी ऐसे कॉलेज में कर दिया जाए, जहां बच्चे पढ़ने आते हैं ताकि मैं उन्हें पढ़ा सकूं. इस दौरान छह बार ट्रांसफर-पोस्टिंग हुई लेकिन मेरा आग्रह स्वीकार नहीं किया गया.

अब मैं यह नौकरी छोड़ना चाहता हूं, क्योंकि मैं अपने काम के लिए खुद को कृतज्ञ महसूस नहीं कर रहा हूं. मुझे मुफ्त का पैसा नहीं चाहिए. जब मैंने कुछ किया ही नहीं है तो सैलरी किस बात की? मुझे ग्रेजुएशन में एकेडमिक एक्सीलेंस का राष्ट्रपति अवार्ड मिला है. मैंने एमफिल और पीएचडी दिल्ली यूनिवर्सिटी से इसलिए नहीं की थी.

प्रोफेसर के इस खुलासे ने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हमें उनकी ईमानदारी की खुशी है, लेकिन उनकी बातों की गहराई को समझने के बाद दुख भी हो रहा है. इसके साथ ही इस बात पर गुस्सा भी आ रहा है कि इस दुनिया में ईमानदार और सच्चे लोगों की कोई कीमत ही नहीं है. हमें तो उन छात्रों पर तरह भी आ रही है जो डिग्री तो हांसिल कर रहे हैं, लेकिन उनके पास जानकारी शून्य है.

कॉलेज में एडमिशन लेने वाले छात्रों की बुरी किस्मत है जो वे एक ईमानदार और होनहार प्रोफेसर से कुछ सीख नहीं पा रहे हैं. माना कि इंटरनेट के पास लगभग हर सवाल का जवाब है, लेकिन जो अनुभव और सीख किसी शिक्षक पास है वह किसी कंप्यूटर के पास नहीं है.

ऐसे शिक्षक को दिल से सैल्यूट करने का मन करता है, भाग्यशाली होंगे वे बच्चे जो इनसे कुछ सीख सकेंगे...क्या ज़माना है? बताओ भला...एक शिक्षक छात्रों को पढ़ाने के लिए परेशान हैं, लेकिन यह दुनिया उन्हें ऐसा करने नहीं दे रही है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲