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वह पायलट जो प्लेन में आग देख घबराई नहीं और यात्रियों के लिए मसीहा बन गई, नाम है मोनिका खन्ना

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 22 जून, 2022 05:19 PM
  • 21 जून, 2022 09:02 PM
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ये मसीहा कोई और नहीं इन कमांड कैप्टन मोनिका खन्ना की थी. जिन्होंने पैनिक सिचुएशन में अपनी बुद्धिमानी से प्लेन को सुरक्षित लैंड कर लिया.

विमान (flight) में सवार यात्रियों की सांसे तब अटक गई होंगी, जब उन्हें पता चला होगा कि इंजन में आग लग गई है. मौत को सामने देखने के बाद किसी भी इंसान की सिट्टी-पिट्टी गुम हो सकती है. चेहरे की हवाइयां उड़ जाती हैं. कभी घबराहट तो कभी इंसान सहम जाता है.

ऐसे में जब कोई आपसे यह कहे कि 'संयम रखिए हालात हमारे काबू में हैं. हम पटना की तरफ सुरक्षित लौट रहे हैं.' आह... मुसीबत में ऐसी बात सुनकर किसकी आंखों से आंसू न आ जाए.

जब हमें ऐसा लगे कि हम मरने वाले हैं, हमारे अपने लोग, यह दुनिया हमसे हमेशा के लिए छूटने वाली है तभी कोई हमें यह उम्मीद दे कि आपकी जान बच जाएगी. आपको कुछ नहीं होगा, आत्मविश्वास से लबरेज ऐसी आवाज सुनकर किसे न हिम्म्त मिल जाए.

ढांढस बधाने वाले में हमें अपना मसीहा नजर आने लगता है, उसे देखकर चेहरे पर चिंता की लकीरें थोड़ी ही सही लेकिन कम हो जाती हैं. ऐसी ही एक आवाज ने विमान में सवार 191 यात्रियों का तब साथ दिया जब वे 2000 फीट से अधिक ऊंचाई पर अपनी जिंदगी की दुआ मांग रहे थे.

ये मसीहा कोई और नहीं इन कमांड कैप्टन मोनिका खन्ना की थी. जिन्होंने पैनिक सिचुएशन में अपनी बुद्धिमानी से प्लेन को सुरक्षित लैंड कर लिया, इतनी खतरनाक हालात का सामाना बिना घबराए शांति से किया. वरना कुछ सेकेण्ड में लोगों की जान सा सकती थी.

इस स्थिति में पायलट मोनिका खन्ना ने बड़े धैर्य और चतुराई से काम लिया

असल में पटना एयरपोर्ट से दिल्ली जा रहा स्पाइजेट का प्लेन एसजी 723 टेकऑफ करने के बाद ही बहुत तेज से 'धड़ाम...' की आवाज आई. इस आवाज को पायलट मोनिका खन्ना और को पायलट बलप्रीत सिंह भाटिया ने सुन लिया था. पायलट समझ चुकी थी कि विमान बर्ड हिटिंग (पक्षी से टकरा) का शिकार हो चुकी है...

विमान (flight) में सवार यात्रियों की सांसे तब अटक गई होंगी, जब उन्हें पता चला होगा कि इंजन में आग लग गई है. मौत को सामने देखने के बाद किसी भी इंसान की सिट्टी-पिट्टी गुम हो सकती है. चेहरे की हवाइयां उड़ जाती हैं. कभी घबराहट तो कभी इंसान सहम जाता है.

ऐसे में जब कोई आपसे यह कहे कि 'संयम रखिए हालात हमारे काबू में हैं. हम पटना की तरफ सुरक्षित लौट रहे हैं.' आह... मुसीबत में ऐसी बात सुनकर किसकी आंखों से आंसू न आ जाए.

जब हमें ऐसा लगे कि हम मरने वाले हैं, हमारे अपने लोग, यह दुनिया हमसे हमेशा के लिए छूटने वाली है तभी कोई हमें यह उम्मीद दे कि आपकी जान बच जाएगी. आपको कुछ नहीं होगा, आत्मविश्वास से लबरेज ऐसी आवाज सुनकर किसे न हिम्म्त मिल जाए.

ढांढस बधाने वाले में हमें अपना मसीहा नजर आने लगता है, उसे देखकर चेहरे पर चिंता की लकीरें थोड़ी ही सही लेकिन कम हो जाती हैं. ऐसी ही एक आवाज ने विमान में सवार 191 यात्रियों का तब साथ दिया जब वे 2000 फीट से अधिक ऊंचाई पर अपनी जिंदगी की दुआ मांग रहे थे.

ये मसीहा कोई और नहीं इन कमांड कैप्टन मोनिका खन्ना की थी. जिन्होंने पैनिक सिचुएशन में अपनी बुद्धिमानी से प्लेन को सुरक्षित लैंड कर लिया, इतनी खतरनाक हालात का सामाना बिना घबराए शांति से किया. वरना कुछ सेकेण्ड में लोगों की जान सा सकती थी.

इस स्थिति में पायलट मोनिका खन्ना ने बड़े धैर्य और चतुराई से काम लिया

असल में पटना एयरपोर्ट से दिल्ली जा रहा स्पाइजेट का प्लेन एसजी 723 टेकऑफ करने के बाद ही बहुत तेज से 'धड़ाम...' की आवाज आई. इस आवाज को पायलट मोनिका खन्ना और को पायलट बलप्रीत सिंह भाटिया ने सुन लिया था. पायलट समझ चुकी थी कि विमान बर्ड हिटिंग (पक्षी से टकरा) का शिकार हो चुकी है और अब विमान में सवार सभी लोगों की जान खतरे में है.

विमान में बैठे एक यात्री ने वीडियो बनाते समय देख लिया कि प्लेन आग लगी है. उसने तुरंत यह जानकारी क्रू मेंबर को दी. इसके बाद सभी को पता चल गया कि कि इंजन नंबर एक में आग लग चुकी है, फिर क्या आग की बात सुन यात्रियों के होश उड़ गए. लगा हो हल्ला होने. यात्री हड़बड़ाने लगे.

वहीं एटीसी ने भी अप्रोच कंट्रोल से पायलट्स को यह मैसेज दिया कि लेफ्ट इंजन से धुआं निकल रहा है और आग की लपटें निकल रही हैं. इस स्थिति में मोनिका खन्ना ने बड़े धैर्य और चतुराई से काम लिया. उनके तेज दिमाग की जितनी तारीफ की जाए कम होगी, क्योंकि जब कोई बड़ी घटना होती है तो लोग डर जाते हैं. उनका दिमाग काम करना बंद हो जाता है. वे इतना प्रेशर में आ जाते हैं कि हड़बड़ी में कुछ गलती कर जाते हैं. हालांकि मोनिका डरने की जगह लोगों को बचाने में जुट गईं.

यह वह समय था जब उनकी जिंदगी खुद खतरे में थी. उन्होंने फौरन शांति के साथ अपना दिमाग लगाना शुरु किया. उन्होंने फौरन क्विक रिसर्च हैंड बुक देखी और उस इंजन को बंद कर दिया जिसमें आग लगी थी.

इसके बाद उन्होंने प्लेन को गंगा नदी की तरफ मोड़ लिया. विमान हवा में बेकाबू होने लगा, कभी ऊपर कभी दाएं-बाएं...हालांकि कैप्टन मोनिका समझदारी की वजह से क्रैश लैंडिंग की जरूरत नहीं पड़ी.

अब कैप्टन मोनिका की सबसे बड़ी चुनौती प्लाइट को सुरक्षित जगह पर लैंड करने की थी. इधर एयरपोर्ट प्रशासन को जब इस घटना का पता चला तो अफरा-तफरा मच गई. हर तरफ मोबाइल बजने लगे, लोगों की धड़कने तेज हो गईं कि अब क्या होगा?

इधर पायलट मोनिका का दिमाग बुलेट ट्रेन से भी तेज गति से चल रहा था. उन्होंने प्लेन को मोड़कर पटना एयरपोर्ट की तरफ कर लिया. उन्होंने आगे बढ़ने की जगह लौटना का सोचा, क्योंकि प्लेन को लैंड करने के लिए रनवे की जरूरत पड़ती है.

खतरा इसलिए अधिक था क्योंकि पटना एयरपोर्ट के रास्ते में बड़े-बड़े पेड़ हैं. एक तरफ रेलवे स्टेशन है तो दूसरी तरफ सचिवालय और चिड़ियाघर भी है. वापसी में विमान कई ऊंचे भवन, पेड़ से टकराते-टकराते बचा. पायलट मोनिका ने बड़ी ही समझदारी और सूझबूझ से प्लेन को रनवे पर सुरक्षित इमरजेंसी लैंड किया. खतरे को इस बात से समझिए कि जब विमान को लैंड किया गया तो भी उसमें आग की लपटें उठ रही थीं.

 यात्री कैप्टन को शाबाशी देते हुए "वेल डन मैम आपने जान बचा ली," बोल रहे थे

इस तरह पायलट मोनिका ने 192 लोगों की जिंदगी बचा ली. यात्री जब विमान से नीचे उतर रहे थे तो मानो उनकी जान में जान आ गई थी. यात्री कैप्टन को शाबाशी देते हुए "वेल डन मैम आपने जान बचा ली," बोल रहे थे. कैप्टन मोनिका को यात्रियों ने तो मसीहा ही मान लिया. नाजुक हालात को देखते हुए पर इमरजेंसी घोषित कर दी गई थी.

एयरपोर्ट पर एंबुलेंस और फायर टेंडर को तैनात कर लिया गया था. हालांकि पायलट मोनिका ने इसकी नौबत नहीं आने दी. लैंडिग के बाद कुछ लोग इतना डरे थे कि वे यात्रा करने की जगह घर लौट गए.

विमान में सवार यात्रियों की सांसे तब अटक गई होंगी, जब उन्हें पता चला होगा कि इंजन में आग लग गई है

जो लोग कहते हैं कि महिलाएं कुछ कर नहीं सकतीं. ठीक से गाड़ी नहीं चला सकतीं. खूबसूरत महिलाओं के पास दिमाग नहीं होता और बुद्धिमान महिलाएं खूबसूरत नहीं होतीं. महिलाएं डरपोक होती हैं, महिलाएं जल्दी घबरा जाती हैं...उन्हें एक बार कैप्टन मोनिका खन्ना के बारे में जान लेना चाहिए.

जिसने महज कुछ सेकेण्ड में अपने तेज दिमाग की वजह से लोगों की जिंदगी को मौत के मुंह से बाहर खींच लाईं और इतिहास दर्ज कर दिया. ऐसी महिला को सैल्यूट करने का भला किसका मन नहीं करेगा?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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