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पाकिस्‍तान की जीत पर पटाखे फोड़ने वाले भारतीय नहीं हो सकते, कोई कंफ्यूजन है बॉस!

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 25 अक्टूबर, 2021 11:08 PM
  • 25 अक्टूबर, 2021 10:58 PM
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टी20 वर्ल्ड कप-2021 (T20 World Cup) में पाकिस्तान से करारी हार मिलने के बाद भी भारतीय खिलाड़ी उनसे दोस्ती निभा रहे हैं. शर्म आनी चाहिए जहां जीतना था वहां हारकर भी कुछ लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं. ऐसे लोग रहते हैं भारत में हैं, खाते भारत में हैं और खुशी पाकिस्तान की जीत पर मनाते हैं.

टी20 वर्ल्ड कप-2021 (T20 World Cup) में पाकिस्तान से करारी हार मिलने के बाद भी भारतीय खिलाड़ी उनसे दोस्ती निभा रहे हैं. शर्म आनी चाहिए जहां जीतना था वहां हारकर भी कुछ लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं. ऐसे लोग रहते हैं भारत में हैं, खाते भारत हैं में और खुशी पाकिस्तान की जीत पर मनाते हैं. सोचने वाली बात यह है कि क्या पटाखे पहले से खरीद कर रखते हैं? इसे ही कहते हैं कि जिस थाली में खाना उसी में छेद करना…

हमारी क्रिकेट टीम को सारी सुविधाएं मिलती हैं. सबका इतना ध्यान रखा जाता है. ठीक है खेल में हार-जीत तो लगी रहती है, लेकिन पाकिस्तान से 10 विकेट से हारना थोड़ा महसूस होता है. हिंदुस्तानी लोग तो जज्बात की भाषा समझते हैं. बात यह है कि पाकिस्तानियों की सोच इस मामले में क्लीयर हैं कि उन्हें जीतना है, वो क्रिकेट को दोस्ती समझकर नहीं खेलेते. हमारे खिलाड़ियों को तारीफ की जा रही है क्योंकि वे हारकर पाकिस्तानी खिलाडियों के साथ दोस्ती निभा रहे हैं, उनसे गले मिल रहे हैं और मुस्कुरा रहे हैं. लोगों का कहना है कि किसी और देश से हार जाते किन पाकिस्तान से नहीं, उपर से 10 विकेट से तो बिल्कुल ही नहीं...

रहते हैं भारत में और खुशी पाकिस्तान की जीत पर मनाते हैं

दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में पाकिस्तानी टीम के एकतरफा जीत के बाद कुछ इलाकों में आतिशबाजी की गई. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई है. सहवाग ने ट्वीट कर कहा है कि ‘जब भारत में पटाखे बैन हैं तो ये आखिर आए कहां से? दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध हैं लेकिन पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने के लिए पटाखे थे. अच्छा वो पाकिस्तान की जीत का जश्न मना रहे होंगे, तो दीपावली पर पटाखों में क्या हर्ज है? पाखंड क्यों, सारा ज्ञान तब ही याद आता है’.

सोशल...

टी20 वर्ल्ड कप-2021 (T20 World Cup) में पाकिस्तान से करारी हार मिलने के बाद भी भारतीय खिलाड़ी उनसे दोस्ती निभा रहे हैं. शर्म आनी चाहिए जहां जीतना था वहां हारकर भी कुछ लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं. ऐसे लोग रहते हैं भारत में हैं, खाते भारत हैं में और खुशी पाकिस्तान की जीत पर मनाते हैं. सोचने वाली बात यह है कि क्या पटाखे पहले से खरीद कर रखते हैं? इसे ही कहते हैं कि जिस थाली में खाना उसी में छेद करना…

हमारी क्रिकेट टीम को सारी सुविधाएं मिलती हैं. सबका इतना ध्यान रखा जाता है. ठीक है खेल में हार-जीत तो लगी रहती है, लेकिन पाकिस्तान से 10 विकेट से हारना थोड़ा महसूस होता है. हिंदुस्तानी लोग तो जज्बात की भाषा समझते हैं. बात यह है कि पाकिस्तानियों की सोच इस मामले में क्लीयर हैं कि उन्हें जीतना है, वो क्रिकेट को दोस्ती समझकर नहीं खेलेते. हमारे खिलाड़ियों को तारीफ की जा रही है क्योंकि वे हारकर पाकिस्तानी खिलाडियों के साथ दोस्ती निभा रहे हैं, उनसे गले मिल रहे हैं और मुस्कुरा रहे हैं. लोगों का कहना है कि किसी और देश से हार जाते किन पाकिस्तान से नहीं, उपर से 10 विकेट से तो बिल्कुल ही नहीं...

रहते हैं भारत में और खुशी पाकिस्तान की जीत पर मनाते हैं

दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में पाकिस्तानी टीम के एकतरफा जीत के बाद कुछ इलाकों में आतिशबाजी की गई. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई है. सहवाग ने ट्वीट कर कहा है कि ‘जब भारत में पटाखे बैन हैं तो ये आखिर आए कहां से? दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध हैं लेकिन पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने के लिए पटाखे थे. अच्छा वो पाकिस्तान की जीत का जश्न मना रहे होंगे, तो दीपावली पर पटाखों में क्या हर्ज है? पाखंड क्यों, सारा ज्ञान तब ही याद आता है’.

सोशल मीडिया पर कुछ लोग हारने के बाद खिलाड़ियों के व्यहार की तारीफ कर रहे हैं तो कुछ खुशी से पटाखे जला रहे हैं. ये कौन से भारतीय लोग हैं, अरे ये भारतीय हो ही नहीं सकते...इसमें झोल है बॉस. ऐसे ही लोगों का भरोसा नहीं किया जा सकता. एक तो टीम इंडिया हार गई उपर से ये लोग जश्न मनाकर जले पर नमक छिड़क रहे हैं…

वैसे क्रिकेट की हार-जीत से किसी इंसान का कुछ जाता नहीं है लेकिन ये देश प्रेम है इसलिए भारत की हार पर दिल दुखता है...एक सच्चा देशभक्त ही इस बात को समझ सकता है. भारत में रहकर पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने वाला नहीं. खैर, ऐसे लोगों से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है? 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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