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उस माता-पिता की कहानी, जिन्होंने बेटे के मुंडन के लिए अपना सिर भी मुंडवा लिया

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 18 मार्च, 2023 07:14 PM
  • 18 मार्च, 2023 07:14 PM
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सिर मुंडवाने वाली मां लिखती हैं कि, मैंने अपना सिर 2021 में मुंडवाया था जब मेरा बेटा रुद्रांश 11 महीने का था. मेरे पति, संतोष और मैं रुद्र के मुंडन के लिए तिरुपति मंदिर में थे. संतोष और मैंने गंजा होने का फैसला किया ताकि हमारे बेटे को अजीब न लगे. पढ़िए पूरी कहानी...

जिसे अपने खूबसूरत लंबे बालों से प्यार था उसने अपने बेटे किए गंजा होने का फैसला किया. सच में मां अपने बच्चे के लिए वह सब कर जाती है जो करना उसके वश में नहीं होता. माता-पिता बच्चे के लिए हर कष्ट उठाते हैं, और इस माता-पिता ने भी यही किया. यह कहानी ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे के फेसबुक पेज पर छपी है. जिसमें मां ने अपने एहसास के बारे में बयां किया है.

मां ने बताया है कि वे और उनके पति ने ऐसा इसलिए किया ताकि उनके बेटे को अजीब ना लगे. उसे अकेला महसूस ना हो. वो लिखती हैं कि, मैंने अपना सिर 2021 में मुंडवाया था जब मेरा बेटा रुद्रांश 11 महीने का था. मेरे पति, संतोष और मैं रुद्र के मुंडन के लिए तिरुपति मंदिर में थे. संतोष ने गंजा होने का फैसला किया ताकि हमारे बेटे को अजीब न लगे. जब हम अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, पता नहीं क्यों, लेकिन मेरे अंदर कुछ टूट सा गया. मैंने कहा मुझे भी गंजा होना है.' मुझे उम्मीद थी कि संतोष जवाब देंगे, लेकिन उन्होंने सिर्फ इतना कहा, 'जैसा तुम चाहो!

पुरुष का गंजा होना समाज को सामान्य लगता है मगर महिला अगर गंजी हो जाए तो उसे भद्दा करार दिया जाता है

मेरे पास सुंदर लंबे बाल थे. मेरे मन में इस तरह के विचार आए, 'क्या होगा अगर मुझे बाद में इसका पछतावा हुआ?' संतोष ने मेरी घबराहट देखी और कहा, 'ठीक है अगर तुम तैयार नहीं हो. कोई बात नहीं' लेकिन जब हमारी बारी आई, मैंने अपने फैसले के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया और मंदिर में अपने खूबसूरत बालों का त्याग कर दिया. इसके बाद जब मैंने खुद को आईने में देखा, तो मुझे अपना नया रूप पसंद आया. मुझे अपने सिर को दुपट्टे से ढकने की जरूरत महसूस नहीं हुई. संतोष ने भी मुझे ऐसे देखा जैसे कुछ बदला ही न हो. मैं कभी भी अचानक इस तरह का फैसला करने वालों में नहीं हूं, लेकिन मैं इस बात से खुश...

जिसे अपने खूबसूरत लंबे बालों से प्यार था उसने अपने बेटे किए गंजा होने का फैसला किया. सच में मां अपने बच्चे के लिए वह सब कर जाती है जो करना उसके वश में नहीं होता. माता-पिता बच्चे के लिए हर कष्ट उठाते हैं, और इस माता-पिता ने भी यही किया. यह कहानी ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे के फेसबुक पेज पर छपी है. जिसमें मां ने अपने एहसास के बारे में बयां किया है.

मां ने बताया है कि वे और उनके पति ने ऐसा इसलिए किया ताकि उनके बेटे को अजीब ना लगे. उसे अकेला महसूस ना हो. वो लिखती हैं कि, मैंने अपना सिर 2021 में मुंडवाया था जब मेरा बेटा रुद्रांश 11 महीने का था. मेरे पति, संतोष और मैं रुद्र के मुंडन के लिए तिरुपति मंदिर में थे. संतोष ने गंजा होने का फैसला किया ताकि हमारे बेटे को अजीब न लगे. जब हम अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, पता नहीं क्यों, लेकिन मेरे अंदर कुछ टूट सा गया. मैंने कहा मुझे भी गंजा होना है.' मुझे उम्मीद थी कि संतोष जवाब देंगे, लेकिन उन्होंने सिर्फ इतना कहा, 'जैसा तुम चाहो!

पुरुष का गंजा होना समाज को सामान्य लगता है मगर महिला अगर गंजी हो जाए तो उसे भद्दा करार दिया जाता है

मेरे पास सुंदर लंबे बाल थे. मेरे मन में इस तरह के विचार आए, 'क्या होगा अगर मुझे बाद में इसका पछतावा हुआ?' संतोष ने मेरी घबराहट देखी और कहा, 'ठीक है अगर तुम तैयार नहीं हो. कोई बात नहीं' लेकिन जब हमारी बारी आई, मैंने अपने फैसले के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया और मंदिर में अपने खूबसूरत बालों का त्याग कर दिया. इसके बाद जब मैंने खुद को आईने में देखा, तो मुझे अपना नया रूप पसंद आया. मुझे अपने सिर को दुपट्टे से ढकने की जरूरत महसूस नहीं हुई. संतोष ने भी मुझे ऐसे देखा जैसे कुछ बदला ही न हो. मैं कभी भी अचानक इस तरह का फैसला करने वालों में नहीं हूं, लेकिन मैं इस बात से खुश थी.

लेकिन मेरे इस फैसले पर कई लोगों ने अपनी-अपनी राय रखी. एक दोस्त ने मुझसे कहा, 'तुम गंदी दिख रही हो...' ऐसा कहने वाले सिर्फ मेरा दोस्त नहीं था. इस तरह के पीड़ादाई ताने मेरे परिवार और अजनबियों की ओर से भी आए, लेकिन मैंने अपने आसपास मौजूद सकारात्मकता पर ध्यान देने का फैसला किया. मैं एक चाइल्ड डेंटिस्ट हूं और एक दिन, मेरे एक मरीज ने कहा, 'आप युवा दिखती हैं.' इस बात ने मेरे चेहरे पर मुस्कान ला दी. कभी-कभी, इस तरह के साधारण शब्द भी गहराई तक असर करते हैं.

इस वाकये को पूरे 2 साल हो चुके हैं और मेरे बाल अब वापस बढ़ गए हैं. मुझे पता है कि मैं फिर कभी अपना सिर नहीं मुंडवा सकती, लेकिन यह मेरा फैसला होगा. क्या जिंदगी में खुद के फैसलों पर भरोसा नहीं होना चाहिए? आखिर लोगों के क्या और क्यों से हमारे उपर फर्क क्यों पड़े? जिंदगी में वह करो जिससे खुशी मिलती है.

सच में इस मां की कहानी हमें हर डर से लड़ने का प्रेरणा देती है क्योंकि पुरुष का गंजा होना समाज को सामान्य लगता है मगर महिला अगर गंजी हो जाए तो उसे भद्दा करार दिया जाता है. ऐसे में इस तरह का फैसला लेने के लिए हिम्मत चाहिए. वैसे इस बारे में आपकी क्या राय है?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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