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ये भारतीय सेना ही है जो दुश्‍मन सैनिक की बहादुरी को भी सम्‍मान दिलवाती है

    • आईचौक
    • Updated: 11 जुलाई, 2018 07:01 PM
  • 11 जुलाई, 2018 06:58 PM
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कारगिल युद्ध में मारे गए कैप्टन शेर खान के भाई सिकंदर शेख कहते हैं, 'मैं अल्लाह का आभारी हूं कि हमारा दुश्मन बुज़दिल नहीं है. अगर लोग कहते हैं कि भारत एक बुज़दिल देश है, तो मैं कहूंगा कि यह सच नहीं है.'

19 साल पहले कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को रौंद दिया था. 1999 में जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में मई के महीने में युद्ध शुरू हुआ था और जुलाई में खत्म हुआ. 26 जुलाई, 1999 को भारतीय सेना ने कारगिल में पाकिस्तान द्वारा कब्जा कर लिए गए सभी भारतीय पोस्ट को दोबारा हासिल कर लिया था. भारतीय सेना अपनी बहादुरी और शक्ति के लिए जानी जाती है. लेकिन दुश्मन का सम्मान करना एक ध्यान देने योग्य बात है.

कोड ऑफ ऑनर-

7 जुलाई, 1999 को टाइगर हिल पर फिर से कब्जा करने के लिए दिन दहाड़े पाकिस्तान के उत्तरी लाइट इन्फैंट्री (एनएलआई) के एक सैनिकों ने हमला किया. पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व कैप्टन शेर खान ने किया था. '8 सिख' और '18 ग्रेनाडियर्स' दोनों ही बटालियन के सैनिक इस गतिविधि को आसानी से देख सकते थे. हमले की तीव्रता इतनी थी कि 18 ग्रेनेडियर के प्लाटून ने 8 सिखों को तैनात किया. कैप्टन खान और उनके 15 सैनिकों ने अपने देश के लिए शहादत दे दी. सीएनएन आईबीएन के एक वीडियो में पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मोहिंदर पुरी ने कहा, "अपने सैनिकों को हमला करने के लिए वो लाए. उन्होंने बहुत बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपनी जान गंवा दी."

टाइगर हिल को भारत ने पा लिया लेकिन दुश्मन सैनिक की बहादुरी का भी सम्मान किया

कैप्टन खान की बहादुरी के प्रति सम्मान दिखाने के लिए भारतीय सेना ने भी सीमा पार कर और कैप्टन खान की प्रशंसा में प्रशस्ति लिखी ताकि अपनी बहादुरी को पहचान मिले और उन्हें सम्मान भी मिले. लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा, "जिस तरह से हम अपने दुश्मनों से व्यवहार करते हैं वही हमें दूसरे देशों की सेनाओं से अलग करता है."

कैप्टन खान की शहादत को पहचान कैसे मिली-

कई सालों तक पाकिस्तान कारगिल युद्ध में...

19 साल पहले कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को रौंद दिया था. 1999 में जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में मई के महीने में युद्ध शुरू हुआ था और जुलाई में खत्म हुआ. 26 जुलाई, 1999 को भारतीय सेना ने कारगिल में पाकिस्तान द्वारा कब्जा कर लिए गए सभी भारतीय पोस्ट को दोबारा हासिल कर लिया था. भारतीय सेना अपनी बहादुरी और शक्ति के लिए जानी जाती है. लेकिन दुश्मन का सम्मान करना एक ध्यान देने योग्य बात है.

कोड ऑफ ऑनर-

7 जुलाई, 1999 को टाइगर हिल पर फिर से कब्जा करने के लिए दिन दहाड़े पाकिस्तान के उत्तरी लाइट इन्फैंट्री (एनएलआई) के एक सैनिकों ने हमला किया. पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व कैप्टन शेर खान ने किया था. '8 सिख' और '18 ग्रेनाडियर्स' दोनों ही बटालियन के सैनिक इस गतिविधि को आसानी से देख सकते थे. हमले की तीव्रता इतनी थी कि 18 ग्रेनेडियर के प्लाटून ने 8 सिखों को तैनात किया. कैप्टन खान और उनके 15 सैनिकों ने अपने देश के लिए शहादत दे दी. सीएनएन आईबीएन के एक वीडियो में पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मोहिंदर पुरी ने कहा, "अपने सैनिकों को हमला करने के लिए वो लाए. उन्होंने बहुत बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपनी जान गंवा दी."

टाइगर हिल को भारत ने पा लिया लेकिन दुश्मन सैनिक की बहादुरी का भी सम्मान किया

कैप्टन खान की बहादुरी के प्रति सम्मान दिखाने के लिए भारतीय सेना ने भी सीमा पार कर और कैप्टन खान की प्रशंसा में प्रशस्ति लिखी ताकि अपनी बहादुरी को पहचान मिले और उन्हें सम्मान भी मिले. लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा, "जिस तरह से हम अपने दुश्मनों से व्यवहार करते हैं वही हमें दूसरे देशों की सेनाओं से अलग करता है."

कैप्टन खान की शहादत को पहचान कैसे मिली-

कई सालों तक पाकिस्तान कारगिल युद्ध में अपनी सेना की भागीदारी होने से इंकार करता रहा. 2010 में भारतीय सेना की सिफारिशों पर पाकिस्तान सरकार ने कैप्टन खान को अपने सर्वोच्च बहादुरी पुरस्कार, निशान-ए-हैदर से सम्मानित किया. सीएनएन के वीडियो में, कैप्टन खान के भाई सिकंदर शेख कहते हैं, "मैं अल्लाह का आभारी हूं कि हमारा दुश्मन बुज़दिल नहीं है. अगर लोग कहते हैं कि भारत एक बुज़दिल देश है, तो मैं कहूंगा कि यह सच नहीं है."

पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का कबूलनामा-

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने पाकिस्तानी सेना की आधिकारिक वेबसाइट पर 350 पाकिस्तानी सैनिकों के नाम 'शूहाद (शहीद') कॉर्नर' में सार्वजनिक कर दिया. हालांकि इनकी शहादत कब, कहां और कैसे हुई, इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया. इनमें से अधिकतर नाम एनएलआई से थे.

पाकिस्तान ने आधिकारिक बयान तो जारी नहीं किया पर मुशर्रफ ने इस किताब में करगिल युद्ध में पाकिस्तान के होने की बात मान ली

पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने 2007 में अपनी किताब 'इन द लाइन ऑफ फायर' में ये माना कि युद्ध में 357 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे और 665 घायल हुए थे. हालांकि पाकिस्तानी सरकार की तरफ से कभी भी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया. भारत आधिकारिक अनुमान के मुताबिक, युद्ध में पाकिस्तान के 1,000-1,200 सैनिक हताहत हुए थे. इसमें से लगभग 200 सैनिकों को भारत में ही दफनाया गया था.

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