• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

शिवरात्रि पर वैलेन्टाइन डे मनाने वालों को पीटना अहिंदू होगा

    • गिरिजेश वशिष्ठ
    • Updated: 13 फरवरी, 2018 02:58 PM
  • 13 फरवरी, 2018 02:58 PM
offline
आज भले ही हम वैलेंटाइन डे को भारतीय संस्कृति का हिस्सा न मानें मगर जब हम प्रेम को धर्म में देखते हैं तो मिलता है कि धर्म में ऐसी गाथाओं की भरमार है जो प्रेम से जुड़ी थीं.

वैलेन्टाइन डे पर भवें उचकाती एक लड़की का वीडियो वायरल हो रहा है. इस लड़की की इशारों इशारों में एक लड़की से प्रेम की अभिव्यक्ति होती है. वैलेन्टाइन डे पर वायरल हो रहे इस वीडियो को देखकर आपको भगवान राम के धनुष यज्ञ से पहले सीता से अचानक मिलने और एक दूसरे को देखते ही रह जाने का प्रसंग याद आ रहा होगा. लेकिन आज शिव रात्रि के साथ वैलेन्टाइन डे पड़ रहा है इसलिए हम आपको राम की नहीं शिव की प्रेमकथा सुनाएंगे. मैं आपको कहूंगा कि आप हिंदू नहीं है अगर आपने शिवरात्रि पर वैलेन्टाइन डे नहीं मनाया. ये सब मैं आपसे कह रहा हूं तो आपको अजीब ज़रूर लग रहा होगा. वैलेन्टाइन डे को तो हिंदूवादी धुरंधर, डंडामार त्यौहार के तौर पर मनाते हैं. इस बार भी लखनऊ विश्वविद्यालय से लेकर कई जगहों पर बाकायदा कर्फ्यू जैसे हालात हैं. प्रेमी जोडों को पीटा जाता है, उन्हें अपमानित किया जाता है. लेकिन मैं कहूंगा ये अहिंदू हरकत है. जब ये कहूंगा तो आप तो मानेंगे नहीं इसलिए आपको ये सारी धार्मिक बातें बताता हूं...

हर साल ही ऐसा होता है जब हमारे सामने वैलेन्टाइन डे के विरोध की खबरे आती हैं

इससे पहले कृष्ण और कामदेव की कहानियां बताऊं, पहले शिव से शुरू करते हैं. शिव की बात इसलिए क्योंकि ये शिव के विवाह का दिन है और शिव का विवाह बाकी कई देवताओं की तरह प्रेम विवाह था. प्रेम भी जनम जनम का. ये प्रेम शादी के बाद वाला प्रेम नहीं था, जैसा कि हुड़दंगी लोग चाहते हैं.

सब जानते है कि शिव बेहद अव्यवस्थित रहने वाले देवता हैं. इसलिए उनकी छवि विष्‍णु से उलट है. उनकी पहली पत्नी सती के पिता दक्ष प्रजापति को उनके क्रियाकलाप बिलकुल पसंद नहीं थे. दक्ष प्रजापति ने घर में एक यज्ञ का आयोजन किया. लेकिन समाज में अपनी इमेज का खयाल कहे या शिव के प्रति नफरत, दक्ष प्रजापति ने उन्हें और पत्नी सती को...

वैलेन्टाइन डे पर भवें उचकाती एक लड़की का वीडियो वायरल हो रहा है. इस लड़की की इशारों इशारों में एक लड़की से प्रेम की अभिव्यक्ति होती है. वैलेन्टाइन डे पर वायरल हो रहे इस वीडियो को देखकर आपको भगवान राम के धनुष यज्ञ से पहले सीता से अचानक मिलने और एक दूसरे को देखते ही रह जाने का प्रसंग याद आ रहा होगा. लेकिन आज शिव रात्रि के साथ वैलेन्टाइन डे पड़ रहा है इसलिए हम आपको राम की नहीं शिव की प्रेमकथा सुनाएंगे. मैं आपको कहूंगा कि आप हिंदू नहीं है अगर आपने शिवरात्रि पर वैलेन्टाइन डे नहीं मनाया. ये सब मैं आपसे कह रहा हूं तो आपको अजीब ज़रूर लग रहा होगा. वैलेन्टाइन डे को तो हिंदूवादी धुरंधर, डंडामार त्यौहार के तौर पर मनाते हैं. इस बार भी लखनऊ विश्वविद्यालय से लेकर कई जगहों पर बाकायदा कर्फ्यू जैसे हालात हैं. प्रेमी जोडों को पीटा जाता है, उन्हें अपमानित किया जाता है. लेकिन मैं कहूंगा ये अहिंदू हरकत है. जब ये कहूंगा तो आप तो मानेंगे नहीं इसलिए आपको ये सारी धार्मिक बातें बताता हूं...

हर साल ही ऐसा होता है जब हमारे सामने वैलेन्टाइन डे के विरोध की खबरे आती हैं

इससे पहले कृष्ण और कामदेव की कहानियां बताऊं, पहले शिव से शुरू करते हैं. शिव की बात इसलिए क्योंकि ये शिव के विवाह का दिन है और शिव का विवाह बाकी कई देवताओं की तरह प्रेम विवाह था. प्रेम भी जनम जनम का. ये प्रेम शादी के बाद वाला प्रेम नहीं था, जैसा कि हुड़दंगी लोग चाहते हैं.

सब जानते है कि शिव बेहद अव्यवस्थित रहने वाले देवता हैं. इसलिए उनकी छवि विष्‍णु से उलट है. उनकी पहली पत्नी सती के पिता दक्ष प्रजापति को उनके क्रियाकलाप बिलकुल पसंद नहीं थे. दक्ष प्रजापति ने घर में एक यज्ञ का आयोजन किया. लेकिन समाज में अपनी इमेज का खयाल कहे या शिव के प्रति नफरत, दक्ष प्रजापति ने उन्हें और पत्नी सती को यज्ञ में आमंत्रित ही नहीं किया. इसके बावजूद सती अपने पिता के घर यज्ञ में जबरदस्ती चली गईं.

वहां दोनों का बहुत अपमान हुआ. सती शिव के अपमान को सह नहीं सकीं. उन्होंने अग्निकुंड में कूदकर जान दे दी. पत्नी का अपमान तक न पाने वाले शिव के प्रेम की पराकाष्ठा देखिए, उन्होंने अपने ससुर का सिर धड़ से अलग कर दिया. दक्ष प्रजापति कोई मामूली आदमी नहीं थे उनके पिता ब्रह्मा थे लेकिन शिव ने इसे बर्दाश्त नही किया. लेकिन ये प्रेम यहीं खत्म नहीं होता है.

सती ने पार्वती के रूप में फिर से जन्म लिया. इस बार उन्होंने हिमनरेश हिमावन के घर पार्वती बन कर जन्म लिया. दूसरे जन्म में भी पार्वती की एक ही जिद थी. शिव से शादी करना. पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिये वन में तपस्या करने चली गईं. पुराणों में लिखा है कि उन्होंने कई सालों तक कुछ खाया पिया नहीं. और तपस्या करती रहीं. शिव को आखिर उनसे शादी करनी ही पड़ी. भगवान शिव का प्यार देखिए. उन्हें लगा कि वो पार्वती के लायक नहीं है. उन्होंने सप्तऋषियों को भेजा कि वे पार्वती को समझाएं ताकि वो उनसे शादी की जिद छोड़ दें.

समाज के एक बड़े तबके का मानना है कि वैलेन्टाइन डे भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है

उन्होंने पार्वती के पास जाकर यह समझाने के अनेक प्रयत्न किये कि शिव जी औघड़, अमंगल वेषधारी और जटाधारी हैं और वे तुम्हारे लिये उपयुक्त वर नहीं हैं. उनके साथ विवाह करके तुम्हें सुख की प्राप्ति नहीं होगी. तुम उनका ध्यान छोड़ दो. किन्तु पार्वती अपने विचारों में दृढ़ रहीं. नतीजा ये हुआ कि सप्तऋषि भी शादी के समर्थन में आ गए. सप्तऋषियों ने शिव जी और पार्वती के विवाह का लग्न मुहूर्त आदि निश्चित कर दिया.

प्यार के इस धर्म में वैलेन्टाइन डे के मौसम में शिव के विवाह के उसी पवित्र दिन अगर आप प्रेम का विरोध करें तो ये अधार्मिक अहिंदू हरकत नहीं है क्या ? हो सकता है कि कोई कहे शादी करना अलग बात है. आजकल का प्रेम अलग तो ये कहानी सुनिए. अगली कहानी पर जाने से पहले इतना बता दें कि पार्वती और शिव के प्रेम में न तो जाति थी, न ऊंच नीच. अमीर गरीब का भेद भी नहीं था. एक फक्कड़ से एक कोमल राजकुमारी का प्रेम विवाह था वो.

अब भगवान कृष्ण की बात...

राधा, रुकमिणी और 16,108 रानियों की बात तो पुरानी है ही. सब जानते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान कृष्ण ने प्यार की खातिर अपने सबसे अजीज भाई बलदाऊ से भी चीटिंग की. अर्जुन कृष्ण की बहन सुभद्रा से प्रेम करते थे. सुभद्रा भी उन्हें चाहती थीं. अर्जुन पहले ही तीन शादियां कर चुके थे लेकिन फिर भी जब कृष्ण को सुभद्रा के प्रेम का पता चला तो उन्होंने अर्जुन को सलाह दी कि वो सुभद्रा को लेकर भाग जाएं, कृष्ण को पता था कि बलराम अर्जुन से साथ शादी नहीं होने देंगे. उन्होंने सुभद्रा को भगा दिया. पुराणों में ये कहानी मिलती है. खास तौर पर श्रीमद् भागवत पुराण में. थोड़ा विस्तार से पढ़िए ये कहानी...

कृष्ण को एक ऐसे देवता के रूप में देखा जाता है जिन्होंने प्रेम पर बल दिया

जब अर्जुन द्रोणाचार्य से दीक्षा ले रहे थे, उसी दौरान अर्जुन की मुलाकात गदा से हुई. गदा अक्स सुभद्रा के बारे में बात किया करता था. वह अपनी चचेरी बहन सुभद्रा के रूप और सुंदरता की तारीफ किया करता था. सुभद्रा के रूप और बुद्धि की तारीफ सुनकर अर्जुन को सुभद्रा से प्रेम हो गया. अर्जुन ने सुभद्रा के सामने विवाह का प्रस्ताव रखने की सोची.

अर्जुन एक बरगद के पेड़ के नीचे ध्यानमग्न बैठे थे तभी अर्जुन ने अपने दोस्त और गुरू श्रीकृष्ण को अपनी तरफ आते देखा. इससे पहले कि श्रीकृष्ण कुछ कह पाते, अर्जन ने कहा, आप जानते हैं कि मेरे मन में क्या चल रहा है क्या आप मेरी उससे विवाह कराने में मदद नहीं करेंगे जिससे मैं प्यार करता हूं? श्रीकृष्ण को पता था कि अर्जुन और सुभद्रा के विवाह में सबसे बड़ी बाधा सौतेले भाई बलराम बनेंगे. कौरवों के साथ अपनी दोस्ती को देखते हुए बलराम चाहते थे कि सुभद्रा का विवाह दुर्योधन के साथ हो.

श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा, मैं तुम्हारी मुलाकात सुभद्रा से करवाता हूं. अगर सुभद्रा भी तुमसे प्यार करती होगी तो मैं तुम दोनों के भागकर विवाह करने में मदद करवाऊंगा. अर्जुन ने कहा कि क्या यह नीच कृत्य नहीं होगा. तो कृष्ण ने जवाब दिया कि अगर सुभद्रा अपनी रजामंदी देती है तो अपनी दुल्हन का अपहरण करना स्वीकार्य है. योजना बनाई गई कि अर्जुन यति के रूप में ही रहेंगे और कृष्ण बलराम को उनसे मिलाने लाएंगे.

आज ऐसे तमाम ग्रन्थ मौजूद हैं जिनमें कृष्ण के प्रेम से जुड़ी गाथाएं हैं

अर्जुन वर्षों से ये शब्द सुनना चाहते थे. अर्जुन ने तुरंत अपनी पहचान सुभद्रा को बता दी. इसी बीच श्रीकृष्ण पहुंच गए. वह यह देखकर खुश तो हो गए लेकिन उन्होंने फिर से याद दिलाया कि वे दोनों केवल भागकर ही शादी कर सकते हैं. कृष्ण ने कहा, मैं तुम्हें अपना रथ दे दूंगा, सुभद्रा रोज रूद्र मंदिर में दर्शन करने जाती है, वहीं से तुम उसे अपने साथ इंद्रप्रस्थ लेते जाना. इसके बाद सबुकछ प्लान के मुताबिक हुआ. बलराम को जब पता चला तो वो क्रेधित हुए लेकिन कृष्ण ने उन्हें भी समझा दिया.

इस बजरंगियों के दौर में अगर कोई प्रेम के लिए लड़की लेकर भाग जाए तो से कूट कर रख दिया जाएगा. खैर लेख लंबा न हो इसलिए शॉर्ट में प्रेम के कुछ और देवताओं की कहानियां शिवरात्रि के मौके पर नीचे आपके नज़र..कामदेव : काम का अर्थ इंद्रियों का प्रेम, आकांक्षा, यौन आकर्षण, ललक और देव का अर्थ ईरीय है. शास्त्रों में इन्हें प्रेम और काम का देवता माना गया है. रति उनकी पत्नी हैं. वे इतने शक्तिशाली हैं कि उनके लिए किसी प्रकार के कवच की कल्पना नहीं की गई है. उन्हें हिन्दू देवी श्री के पुत्र और कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का अवतार माना गया है. कामदेव की अक्सर यूनानी देवता इरोस और पश्चिम के क्यूपिड से तुलना की जाती है. कामदेव के संबंध में यह भी माना जाता है कि ये ईश्वरीय ग्रहों के गौण देवता हैं जो कामुक इच्छा की प्रेरणा देते हैं.

श्रीकृष्ण : सुंदर और प्रेम से भरे श्रीकृष्ण को भी समर्पित प्रेम की प्राप्ति के लिए पूजा जाता है. लोग राधा और कृष्ण की पूजा इस कामना से करते हैं कि उनके जीवन में भी राधा-कृष्ण जैसा अगाध प्रेम का समागम हो.

रति : रति को प्रेम, दैहिक अभिलाषा और सौंदर्य की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. प्रजापति दक्ष की बेटी के रूप में जानी जाने वाली रति को कामदेव की पत्नी माना जाता है. रति को प्रेम और शारीरिक अनुकूलता के लिए पूजा जाता है.

भगवान शिव : देवों के देव हैं भगवान शिव. शांत और करुणामय शिव को विभिन्न संस्कृतियों में योग्य और प्रेम करने वाले वर की प्राप्ति की चाह में पूजा जाता है. भगवान शिव को समर्पित शिवरात्रि पर महिलाएं व्रत और प्रार्थना कर उनको प्रसन्न करती हैं. माना जाता है कि सोमवार को भगवान शिव का व्रत रखने से जल्द ही विवाह तय हो जाता है और शिव के समान ही प्यार और सम्मान करने वाला पति मिलता है.

चंद्र देव : चमकते चंद्रमा की पूजा सुंदर और निश्छल प्रेम की प्राप्ति के लिए की जाती है. खासतौर से, अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए सुहागिनें चंद्रमा की पूजा करती हैं. चंद्र देव को हिन्दुओं में प्रेम और शुद्धता प्रदान करने वाले देवता के रूप में पूजते हैं.

ये भी पढ़ें -

भगवान शिव के जन्म से जुड़ी कहानियां.. कितनी सच्ची-कितनी झूठी..

तो क्या विनाशकारी हथियार बनाने की प्रेरणा पुराणों से ली जा रही है !

दो नहीं 6 बच्चों के पिता थे भगवान शिव, जानें उनसे जुड़ी अनकही कहानियां..

  


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲