• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

प्रशासन सोया रहेगा तो तबलीगी हों या दक्षिण अफ्रीकी कोविड संदिग्ध, लापता होते रहेंगे!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 04 दिसम्बर, 2021 02:58 PM
  • 04 दिसम्बर, 2021 02:58 PM
offline
बेंगलुरु में दक्षिण अफ्रीकी देशों से आए 10 विदेशी नागरिकों की गुमशुदगी के मामले को देखकर हमें मार्च 2020 की वो घटना की याद आ गयी जब दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात भारत में कोविड 19 के लिए सुपर स्प्रेडर बनी. यानी जब तक प्रशासन सुध न लेगा तब तक चाहे वो तबलीगी हों या दक्षिण अफ्रीकी ओमिक्रॉन संदिग्ध, सब ऐसे ही लापता होते रहेंगे.

एक ऐसे समय में जब कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन तक को सकते में डाल दिया हो और उसने भी इसे जानलेवा बता दिया हो भारत का सकते में आना लाजमी है. नए वेरिएंट को लेकर सरकार चिंतित है और प्रयास यही हो रहा है कि कुछ भी करके वायरस को फैलने से रोका जाए. सरकारी प्रयास अभी चल ही रहे थे ऐसे में जो खबर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से आई है वो न केवल डराने वाली है बल्कि जिसने कहीं न कहीं सरकारी व्यवस्थाओं की पोल भी खोली है.

ध्यान रहे कि बेंगलुरु में दक्षिण अफ्रीकी देशों से आए 10 विदेशी नागरिक लापता हो गए हैं. मामले में दिलचस्प ये कि बेंगलुरु महानगरपालिका और स्वास्थ्य अधिकारियों का उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है. खबर चिंतित करने वाली क्यों है? इसकी वजह बस इतनी है कि कर्नाटक के बेंगलुरु में ही ओमिक्रॉन का भारत का पहला केस मिला था. वह शख्स भी दक्षिण अफ्रीका से लौटा था. क्योंकि अथॉरिटीज का इन 10 विदेशी नागरिकों से किसी तरह का कोई संपर्क नहीं हो पाया है प्रशासन के हाथ पैर फूल गए हैं.

ओमिक्रॉन के इस दौर में 10 दक्षिण अफ़्रीकी नागरिकों का बेंगलुरु से लापता होना सरकारी व्यवस्थाओं की पोल खोलता है

बेंगलुरु में दक्षिण अफ्रीकी देशों से आए 10 विदेशी नागरिकों की गुमशुदगी के इस मामले को देखकर हमें मार्च 2020 की वो घटना की याद आ गयी जब दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात भारत में कोविड 19 के लिए सुपर स्प्रेडर बनी. कहना गलत न होगा कि जबतक प्रशासन सोया रहेगा तब तक चाहे वो तबलीगी हों या दक्षिण अफ्रीकी कोविड संदिग्ध, सब ऐसे ही लापता होते रहेंगे.

बात अभी तब्लीगी जमात की न होकर दक्षिण अफ्रीकी देशों से आए दस लोगों और उनके लापता होने की है तो बताना बहुत जरूरी है कि इन सभी विदेशी नागरिकों की...

एक ऐसे समय में जब कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन तक को सकते में डाल दिया हो और उसने भी इसे जानलेवा बता दिया हो भारत का सकते में आना लाजमी है. नए वेरिएंट को लेकर सरकार चिंतित है और प्रयास यही हो रहा है कि कुछ भी करके वायरस को फैलने से रोका जाए. सरकारी प्रयास अभी चल ही रहे थे ऐसे में जो खबर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से आई है वो न केवल डराने वाली है बल्कि जिसने कहीं न कहीं सरकारी व्यवस्थाओं की पोल भी खोली है.

ध्यान रहे कि बेंगलुरु में दक्षिण अफ्रीकी देशों से आए 10 विदेशी नागरिक लापता हो गए हैं. मामले में दिलचस्प ये कि बेंगलुरु महानगरपालिका और स्वास्थ्य अधिकारियों का उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है. खबर चिंतित करने वाली क्यों है? इसकी वजह बस इतनी है कि कर्नाटक के बेंगलुरु में ही ओमिक्रॉन का भारत का पहला केस मिला था. वह शख्स भी दक्षिण अफ्रीका से लौटा था. क्योंकि अथॉरिटीज का इन 10 विदेशी नागरिकों से किसी तरह का कोई संपर्क नहीं हो पाया है प्रशासन के हाथ पैर फूल गए हैं.

ओमिक्रॉन के इस दौर में 10 दक्षिण अफ़्रीकी नागरिकों का बेंगलुरु से लापता होना सरकारी व्यवस्थाओं की पोल खोलता है

बेंगलुरु में दक्षिण अफ्रीकी देशों से आए 10 विदेशी नागरिकों की गुमशुदगी के इस मामले को देखकर हमें मार्च 2020 की वो घटना की याद आ गयी जब दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात भारत में कोविड 19 के लिए सुपर स्प्रेडर बनी. कहना गलत न होगा कि जबतक प्रशासन सोया रहेगा तब तक चाहे वो तबलीगी हों या दक्षिण अफ्रीकी कोविड संदिग्ध, सब ऐसे ही लापता होते रहेंगे.

बात अभी तब्लीगी जमात की न होकर दक्षिण अफ्रीकी देशों से आए दस लोगों और उनके लापता होने की है तो बताना बहुत जरूरी है कि इन सभी विदेशी नागरिकों की दक्षिण अफ्रीकी देशों से ट्रेवल हिस्ट्री मिली है और अधिकारी क्यों चिंतित है इसकी एक बड़ी वजह इन सभी 10 लोगों के मोबाइल फोन का ऑफ होना है.

क्योंकि अधिकारी कोई कांटेक्ट न होने के कारण इन 10 लोगों को ट्रेस करने में असमर्थ है. इसलिए बड़ा सवाल यही है कि यदि इन 10 अफ्रीकी लोगों के चलते कोई बड़ी अनहोनी हो गई तो फिर उसका जिम्मेदार कौन होगा? मामले ने बेंगलुरु महानगरपालिका के अधिकारियों की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा दिया है.

स्थिति कितनी और किस हद तक गंभीर है इसे बेंगलुरु महानगरपालिका के कमिश्नर गौरव गुप्ता की बातों से आसानी से समझा जा सकता है. कमिश्नर के अनुसार सभी विदेशी नागरिक दक्षिण अफ्रीकी देशों से आए हैं. इनके फोन भी बंद जा रहे हैं. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग इनकी तलाश में जुटा है.

गौरतलब है कि दुनिया में ओमिक्रॉन की एंट्री के बाद दक्षिण अफ्रीका से बेंगलुरु 57 यात्री आए हैं. प्रशासन इनमें से 10 का पता लगाने में नाकाम है. इनके फोन भी ऑफ हैं. इन यात्रियों ने एयरपोर्ट पर जो पता दर्ज किया था, जब अधिकारी वहां जांच के लिए गए तो वहां भी उन्हें इनका कोई सुराग नहीं मिला और इन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा.

बताते चलें कि दुनिया के 29 देशों में अब तक ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित मरीजों की पहचान हो चुकी है. खुद WHO भी इसे लेकर बहुत चिंतित है जिसने इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेगरी में रखा है. भारत में भी इस वेरिएंट की दस्तक हो चुकी है. बेंगलुरु में ही ओमिक्रॉन के दो मामले सामने आए थे. दोनों मरीज 66 और 46 साल के हैं. दोनों में हल्के लक्षण मिले हैं.

बात दक्षिण अफ्रीकी नागरिकों के गायब होने और ओमिक्रॉन वैरिएंट के खतरनाक होने की हुई है तो हम फिर दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज वाली घटना का जिक्र करना चाहेंगे. इस बात में कोई शक नहीं है कि यदि भारत में कोविड ने अपने पैर पसारे तो इसकी एक बड़ी वजह दिल्ली का निजामुद्दीन मरकज था जहां तब्लीगी जमात से जुड़े करीब 4000 लोग कोरोना पॉजिटिव थे. वहीं 27 लोग ऐसे भी थे जिनकी मौत देश के अलग अलग हिस्सों में हुई.

आज भी कहा यही जाता है कि यदि समय रहते प्रशासन को तब्लीग से जुड़े लोगों की जानकारी मिली होती तो स्थिति बद से बदतर न होती. खैर जो प्रशासन तब नहीं चेता था. उसे अब चेत जाना चाहिए था. लेकिन जिस तरह एक बार फिर लापरवाही हुई. पूरी सम्भावना है कि यदि भविष्य में ओमिक्रॉन वेरिएंट के मद्देनजर कोई अनहोनी हुई तो इसका जिम्मेदार बेंगलुरु का जिला प्रशासन और उससे जुड़े अधिकारी ही होंगे.

ये भी पढ़ें -

Omicron alert: देश न थमे, इसलिए एयरपोर्ट पर जितनी सख्‍ती हो जाए, जायज है

Omicron variant से बचाव में भारत गलती तो नहीं कर रहा है?

खतरा कर्नाटक में मिले Omicron के दो केस से ज्यादा बड़ा है

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲