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Omicron variant से बचाव में भारत गलती तो नहीं कर रहा है?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 28 नवम्बर, 2021 09:12 PM
  • 28 नवम्बर, 2021 09:12 PM
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24 नवंबर को कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) के केस सामने आने के बाद 28 नवंबर तक इसके केस करीब 10 देशों में मिल चुके हैं. जिसके बाद वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि आने वाले समय में ओमिक्रॉन वेरिएंट का कहर और देशों में भी सामने आ सकता है.

कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए वेरिएंट 'ओमिक्रॉन' को एक्सपर्ट्स ने डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) से भी खतरनाक करार दिया है. क्योंकि, डेल्टा वेरिएंट में केवल दो ही म्यूटेशन पाए गए थे. लेकिन, ओमिक्रॉन वेरिएंट में 30 से ज्यादा म्यूटेशन दर्ज किए गए हैं. दक्षिण अफ्रीका के ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) का पहला केस घोषित करने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे कोरोना का चिंताजनक स्वरूप यानी वेरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित कर दिया है. ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर दुनियाभर में डर लगातार बढ़ता जा रहा है.

दरअसल, 24 नवंबर को ओमिक्रॉन वेरिएंट के केस सामने आने के बाद 28 नवंबर तक इसके केस करीब 10 देशों में मिल चुके हैं. जिसके बाद वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि आने वाले समय में ओमिक्रॉन वेरिएंट का कहर और देशों में भी सामने आ सकता है. भारत में इस वेरिएंट को लेकर अलर्ट जारी करने के साथ कोविड टेस्ट और टीकाकरण की रफ्तार को बढ़ाने का आदेश दे दिया गया है. लेकिन, जिन देशों में ओमिक्रॉन वेरिएंट मिला है, वहां से आने वाले यात्रियों पर केवल विशेष नजर रखी जा रही है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या Omicron variant से बचाव में भारत गलती तो नहीं कर रहा है?

आने वाले समय में ओमिक्रॉन वेरिएंट का कहर और देशों में भी सामने आ सकता है.

किन देशों में मिल चुका है ओमिक्रॉन वेरिएंट?

कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन यानी B.1.1.529 वेरिएंट का पहला केस दक्षिण अफ्रीका में सामने आया था. लेकिन, इसकी उत्पत्ति बोत्सवाना में मानी जा रही है. 24 नवंबर को ओमिक्रॉन वेरिएंट के केस की पुष्टि के दो दिन के बाद इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' घोषित किया था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो इस वेरिएंट के केस सामने आने के बाद भी करीब दो दिनों तक तमाम देशों के बीच बिना...

कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए वेरिएंट 'ओमिक्रॉन' को एक्सपर्ट्स ने डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) से भी खतरनाक करार दिया है. क्योंकि, डेल्टा वेरिएंट में केवल दो ही म्यूटेशन पाए गए थे. लेकिन, ओमिक्रॉन वेरिएंट में 30 से ज्यादा म्यूटेशन दर्ज किए गए हैं. दक्षिण अफ्रीका के ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) का पहला केस घोषित करने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे कोरोना का चिंताजनक स्वरूप यानी वेरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित कर दिया है. ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर दुनियाभर में डर लगातार बढ़ता जा रहा है.

दरअसल, 24 नवंबर को ओमिक्रॉन वेरिएंट के केस सामने आने के बाद 28 नवंबर तक इसके केस करीब 10 देशों में मिल चुके हैं. जिसके बाद वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि आने वाले समय में ओमिक्रॉन वेरिएंट का कहर और देशों में भी सामने आ सकता है. भारत में इस वेरिएंट को लेकर अलर्ट जारी करने के साथ कोविड टेस्ट और टीकाकरण की रफ्तार को बढ़ाने का आदेश दे दिया गया है. लेकिन, जिन देशों में ओमिक्रॉन वेरिएंट मिला है, वहां से आने वाले यात्रियों पर केवल विशेष नजर रखी जा रही है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या Omicron variant से बचाव में भारत गलती तो नहीं कर रहा है?

आने वाले समय में ओमिक्रॉन वेरिएंट का कहर और देशों में भी सामने आ सकता है.

किन देशों में मिल चुका है ओमिक्रॉन वेरिएंट?

कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन यानी B.1.1.529 वेरिएंट का पहला केस दक्षिण अफ्रीका में सामने आया था. लेकिन, इसकी उत्पत्ति बोत्सवाना में मानी जा रही है. 24 नवंबर को ओमिक्रॉन वेरिएंट के केस की पुष्टि के दो दिन के बाद इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' घोषित किया था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो इस वेरिएंट के केस सामने आने के बाद भी करीब दो दिनों तक तमाम देशों के बीच बिना किसी रोक-टोक या चेतावनी के हवाई यात्राएं जारी रहीं. वहीं, वेरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित होने के बाद ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, ब्रिटेन, बेल्जियम, जर्मनी, इजरायल, चेक गणराज्य, इटली, हॉन्गकॉन्ग और ऑस्ट्रेलिया में सामने आए हैं. नीदरलैंड्स में भी इश वेरिएंट के पाए जाने की संभावना है, लेकिन अभी तक इसके मामलों की पुष्टि नहीं हो पाई है.

इन देशों ने किया ट्रैवल बैन से लेकर गाइडलाइंस में बदलाव

इजरायल ने लगाया यात्रा प्रतिबंध: ओमिक्रॉन (Omicron) की वजह से इजरायल ने पहले ही दक्षिण अफ्रीकी देशों में से 50 को लाल सूची में रख दिया था. वहीं, अब खबर सामने आई है कि इजरायल ने सभी विदेशी यात्रियों के लिए अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं. ओमिक्रॉन वेरिएंट को देखते हुए ब्रिटेन में संदिग्ध मामलों के संपर्क में आए सभी लोगों (वैक्सीनेटेड भी) को 10 दिनों तक सेल्फ आइसोलेट करने की गाइडलाइंस जारी की गई हैं. वहीं, इंग्लैंड आने वाले सभी विदेशी यात्रियों को दो कोरोना टेस्ट करवाने होंगे और रिपोर्ट निगेटिव नहीं आने तक सेल्फ आइसोलेट करना होगा. मास्क लगाने को अनिवार्य करने के साथ ब्रिटेन ने दक्षिण अफ्रीका और 6 अन्य देशों पर ट्रैवल बैन लगाया है. अमेरिका ने कई दक्षिण अफ्रीकी देशों से आने वाले गैर-अमेरिकी नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. अमेरिकी नागरिकों को कोरोना टेस्ट और सेल्फ आइसोलेशन से गुजरना होगा.

यूरोपियन यूनियन के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने दक्षिण अफ्रीकी देशों पर ट्रैवल बैन के साथ इन देशों से लौटने वाले यात्रियों को कड़े क्वारंटीन नियमों के पालन की गाइंडलाइंस जारी की हैं. कनाडा ने दक्षिणी अफ्रीकी देशों की यात्रा करने वाले सभी विदेशी नागरिकों पर बैन लगा दिया है. रूस ने भी दक्षिण अफ्रीकी देशों पर ट्रैवल बैन लगा दिया है. जापान ने इन देशों से आने वाले जापानी नागरिकों के लिए कड़े क्वारंटीन नियम बनाए हैं. जापान में विदेशी नागरिकों के प्रवेश पर अभी तक रोक लगी हुई है. बांग्लादेश ने दक्षिण अफ्रीका से यात्रा पर बैन लगा दिया है. जर्मनी ने भी दक्षिण अफ्रीकी देशों से ट्रैवल पर बैन घोषित कर दिया है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो दुनियाभर के देशों ने कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के डर से ट्रैवल बैन से लेकर गाइडलाइंस में बदलाव किया है. फ्रांस, सिंगापुर, ताइवान ने भी दक्षिण अफ्रीकी देशों की उड़ानों पर रोक लगा दी है. 

भारत का रवैया ढिलाई वाला

भारत में पिछले साल मार्च महीने से ही कोरोना महामारी के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय उड़ान सेवाओं पर प्रतिबंध लगा हुआ है. इस दौरान विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों वापस लाने के लिए हवाई सेवाओं का इस्तेमाल किया गया था. फिलहाल भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों को विदेश भेजने और वापस भारत लाने के लिए 31 देशों के साथ 'एयर बबल' समझौता किया है. जिसके तहत पूरे एहतियात के साथ फ्लाइट्स का संचालन किया जा रहा है. इन 31 देशों से विदेशी यात्री भी भारत की यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं. भारत का जिन 31 देशों से 'एयर बबल' समझौता है, उनमें से तीन देशों ब्रिटेन, जर्मनी, और नीदरलैंड्स में कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट पाया गया है. भारत की ओर से इन देशों से आने वाली फ्लाइट्स पर बैन नहीं लगाया गया है. हाल ही में दक्षिण अफ्रीका से लौटे दो यात्रियों के कोरोना संक्रमित निकलने पर हड़कंप मच गया था. इन भारतीय यात्रियों के डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी. जो राहत भरी खबर कही जा सकती है.

एयर बबल समझौते की वजह से ब्रिटेन, जर्मनी, और नीदरलैंड्स से आने वाली फ्लाइट्स पर अभी तक रोक नहीं लगाई गई है. हालांकि, भारत सरकार की ओर से एहतियात के तौर पर ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, मॉरिशस, बांग्लादेश, बोत्सवाना, जिम्बाब्वे, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, हांगकांग और इजरायल को जोखिम वाले देशों की सूची में डाल दिया गया है. लेकिन, इन तमाम देशों से ट्रैवल पर बैन न लगने आने वाले समय में खतरनाक फैसला साबित हो सकता है. इन देशों से आने वाली फ्लाइट्स और यात्रियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. लेकिन, जो वेरिएंट 4 दिनों के अंदर 10 देशों में सामने आ चुका हो और माना जा रहा हो कि वैक्सीन को भी चकमा देने में सक्षम है. उसे लेकर भारत सरकार का केवल फ्लाइट्स पर कड़ी नजर रख कर निश्चिंत हो जाना किसी भी हाल में सही फैसला नहीं कहा जा सकता है. भारत में कोरोना महामारी को प्रवेश विदेशों से देश लौटने वाले लोगों के जरिये ही हुआ था. और, डेल्टा वेरिएंट का मामला भी तभी सामने आया था, जब विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों को लाने का काम तेजी से किया जा रहा था.

जब दुनियाभर के देश अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर पूरी तरह से बैन के साथ कड़े गाइडलाइंस को लेकर सख्ती बरत रहे हैं. तो, इन सबसे इतर भारत में एयरपोर्ट्स पर सख्ती बढ़ाने के अतिरिक्त अभी तक ऐसा कोई भी कड़ा फैसला नहीं लिया गया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी भारत सरकार से मांग कर चुके हैं कि ओमिक्रॉन वेरिएंट से प्रभावित देशों से आने वाली फ्लाइट्स पर बैन लगाया जाए. आखिर, कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वेरिएंट के कहर को भारत सरकार कैसे नजरअंदाज कर सकती है? ओमिक्रॉन वेरिएंट में पहले से ही 30 से ज्यादा म्यूटेशन हो चुके हैं. अगर भारत में आने के बाद इसका कोई घातक म्यूटेटेड रूप सामने आता है, तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? ये बात सही है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर अभी सारी जानकारियां सामने नहीं आई हैं. लेकिन, पहले से ही बचाव के तरीकों पर अमल करने की ओर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा है? भारत में कोरोना की तीसरी लहर की संभावना बनी हुई है. इस स्थिति में भारत सरकार की ओर से कड़े फैसले लेने में दिखाई जा रही ढिलाई देश के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. 



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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