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नॉर्मल vs सिजेरियन डिलीवरी को लेकर ऐश्वर्या राय ने जो भी कहा, साइंस ये कहता है

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 04 मार्च, 2021 04:50 PM
  • 04 मार्च, 2021 04:45 PM
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ज्यादातर महिलाएं इस बात को लेकर असमंजस में रहती हैं कि नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी (सी-सेक्शन) में से कौन सा ऑप्शन (Normal delivery vs cesarean) बेहतर होगा.

मां बनना किसी भी महिला के लिए जिंदगी का सबसे खास पल होता है. जबसे महिला प्रेगनेंसी कंसीव करती है उसी पल से बच्चे के जन्म के बारे में सोचती रहती है. ज्यादातर महिलाएं इस बात को लेकर असमंजस में रहती हैं कि नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी (सी-सेक्शन) में से कौन सा ऑप्शन (Normal delivery vs cesarean) बेहतर होगा. हालांकि दोनों के अलग-अलग फायदे और नुकसान हैं. दोनों ही तरीकों में मां और बच्चे पर असर पड़ता है.

बॉलीवुड की खूबसूरत एक्ट्रेस और बच्चन परिवार की बहू ऐश्वर्या राय का एक प्यारा परिवार है. क्या आपको पता है आराध्या के जन्म के समय ऐश्वर्या को काफी दर्द सहना पड़ा था फिर भी वे सी-सेक्शन के लिए तैयार नहीं हुईं. डॉक्टर ने उन्हें सी-सेक्शन के लिए सलाह भी दी थी लेकिन ऐश्वर्या नॉर्मल डिलीवरी चाहती थीं. जबकि आज के समय में ज्यादातर महिलाएं सी-सेक्शन के जरिए बच्चे को जन्म देना चाहती हैं.

ऐश्वर्या राय ने दर्द सहन कर नॉर्मल डिलीवरी करवाई थी

ज्यादातर महिलाओं को लगता है कि 35 साल के बाद नार्मल डिलीवरी नहीं हो सकती जबकि ऐसा नहीं है. ऐश्वर्या खुद 37 साल के उम्र में मां बनी थीं. ज्यादातर डॉक्टर उम्रदराज महिलाओं को सी-सेक्शन की सलाह देते हैं. वहीं ऐश्वर्या ने नॉर्मल डिलीवरी के जरिए महिलाओं को प्रेरणा दी है कि 35 के उम्र में भी आप चाहें तो नॉर्मल डिलीवरी करवा सकती हैं. ऐश्वर्या ने यह फैसला नॉर्मल डिलीवरी के फायदे देखते हुए लिया. आखिर क्यों ऐश्वर्या सी-सेक्शन के लिए तैयार नहीं हुई, चलिए दोनों ही तरीकों के बारे में बात करते हैं.

सिजेरियन और नॉर्मल डिलीवरी में अंतर: नॉर्मल डिलीवरी में बच्चे का जन्म महिला के योनि मार्ग के जरिए होता है. वहीं सिजेरियन में गर्भवती महिला के पेट का ऑपरेशन करके गर्भाशय से बच्चे को निकाला...

मां बनना किसी भी महिला के लिए जिंदगी का सबसे खास पल होता है. जबसे महिला प्रेगनेंसी कंसीव करती है उसी पल से बच्चे के जन्म के बारे में सोचती रहती है. ज्यादातर महिलाएं इस बात को लेकर असमंजस में रहती हैं कि नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी (सी-सेक्शन) में से कौन सा ऑप्शन (Normal delivery vs cesarean) बेहतर होगा. हालांकि दोनों के अलग-अलग फायदे और नुकसान हैं. दोनों ही तरीकों में मां और बच्चे पर असर पड़ता है.

बॉलीवुड की खूबसूरत एक्ट्रेस और बच्चन परिवार की बहू ऐश्वर्या राय का एक प्यारा परिवार है. क्या आपको पता है आराध्या के जन्म के समय ऐश्वर्या को काफी दर्द सहना पड़ा था फिर भी वे सी-सेक्शन के लिए तैयार नहीं हुईं. डॉक्टर ने उन्हें सी-सेक्शन के लिए सलाह भी दी थी लेकिन ऐश्वर्या नॉर्मल डिलीवरी चाहती थीं. जबकि आज के समय में ज्यादातर महिलाएं सी-सेक्शन के जरिए बच्चे को जन्म देना चाहती हैं.

ऐश्वर्या राय ने दर्द सहन कर नॉर्मल डिलीवरी करवाई थी

ज्यादातर महिलाओं को लगता है कि 35 साल के बाद नार्मल डिलीवरी नहीं हो सकती जबकि ऐसा नहीं है. ऐश्वर्या खुद 37 साल के उम्र में मां बनी थीं. ज्यादातर डॉक्टर उम्रदराज महिलाओं को सी-सेक्शन की सलाह देते हैं. वहीं ऐश्वर्या ने नॉर्मल डिलीवरी के जरिए महिलाओं को प्रेरणा दी है कि 35 के उम्र में भी आप चाहें तो नॉर्मल डिलीवरी करवा सकती हैं. ऐश्वर्या ने यह फैसला नॉर्मल डिलीवरी के फायदे देखते हुए लिया. आखिर क्यों ऐश्वर्या सी-सेक्शन के लिए तैयार नहीं हुई, चलिए दोनों ही तरीकों के बारे में बात करते हैं.

सिजेरियन और नॉर्मल डिलीवरी में अंतर: नॉर्मल डिलीवरी में बच्चे का जन्म महिला के योनि मार्ग के जरिए होता है. वहीं सिजेरियन में गर्भवती महिला के पेट का ऑपरेशन करके गर्भाशय से बच्चे को निकाला जाता है.

नॉर्मल डिलीवरी के होते हैं ये फायदे

1- सबसे बड़ा फायदा यह है कि जिन महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी होती है वे जल्द ही रिकवर कर जाती हैं. बच्चे के जन्म के कुछ घंटे बाद ही वे अपने पैरों पर चल फिर सकती हैं और उन्हें किसी की हेल्प की जरूरत नहीं पड़ती.

2- बच्चे के जन्म के समय महिला के शरीर में एंडोर्फिन नाम का हार्मोन रिलीज होता है जिससे शरीर का दर्द कम होता है.

3- नॉर्मल डिलीवरी के समय छोटा सा ही कट लगता है और कोई अंदरूनी जख्म नहीं होता. इसलिए महिलाएं लंबे समय तक होने वाले दर्द से बच जाती हैं.

4- नॉर्मल डिलीवरी में इंफेक्शन का खतरा भी कम रहता है. जिससे महिलाओं को परेशानी नहीं होती.

5- नॉर्मल डिलीवरी में एनेस्थीसिया की जरूरत नहीं पड़ती. अगर पड़ती भी है तो लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है. एनेस्थीसिया की वजह से बीपी लो हो जाता है. इसके अवाला सिरदर्द और नर्व को भी नुकसान पहुंच सकता है.

6- नॉर्मल डिलीवरी में स्पाइनल से किसी तरह का संपर्क नहीं होता.

7- नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिलाएं बहुत जल्दी सामान्य हो जाती हैं. उनकी पोस्ट रिकवरी जल्दी हो जाती है. वे अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव कर जल्दी फिट हो सकती हैं. साथ ही मालिश करने से उनकी ताकत भी बढ़ती है.

सिजेरियन डिलीवरी के फायदे

आज के समय में ज्यादातर महिलाएं बढ़ती उम्र में मां बनती हैं. ऐसे में डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी की सलाह देते हैं. वहीं कई माता-पिता तय तारीख और मुहूर्त के हिसाब से बच्चे का जन्म चाहते हैं. ऐसे में वे पहले से ही सिजेरियन डिलीवरी की प्लानिंग कर लेते हैं. अगर आप इसके फायदे के बारे में नहीं जानते तो चलिए बताते हैं.

1- PLOS मेडिसिन की स्टडी में यह बात सामने आई है कि सिजेरियन डिलीवरी से बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं में पेशाब न रोक पाने और पेल्विक प्रोलेप्स का खतरा कम होता है.

2- न्यूयॉर्क की गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. नील एस सेलिनमैन के अनुसार, ज्यादातर सिजेरियन डिलीवरी प्रेगनेंसी के 39वें सप्ताह में होती है. इसलिए डॉक्टर को डिलीवरी के कुछ समय बाद ही पता चल जाता है कि बच्चे को जन्मजात हृदय रोग संबंधी सर्जरी तो नहीं करनी.

3- पहले से प्लान की हुई सिजेरियन डिलीवरी में जन्म के समय लगने वाली चोटों का खतरा कम हो जाता है. जैसे- ऑक्सीजन की कमी और फ्रैक्चर की कमी आदि.

4- सिजेरियन डिलीवरी में पहले से समय का पता होता है इसलिए मां शिशु के जन्म से संबंधित तैयारियों को पहले से पूरा कर लेती है.

नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान

1- नॉर्मल डिलीवरी में महिला को असहनीय दर्द से गुजरना पड़ता है.

2- सिजेरियन डिलीवरी में पेट का ऑपरेशन होता है. जिसके जख्मों को भरने में समय लगता है.

3- सिजेरियन डिलीवरी में मां अपने बच्चे को तुरंत स्तनपान नहीं करा सकती.

4- सिजेरियन में मां को ऑपरेशन वाली जगह पर कई महीने या साल तक दर्द हो सकता है.

5- सिजेरियन में महिला को खून की कमी भी हो सकती है.

6- अगर पहला बच्चा सिजेरियन से होता है तो दूसरे बच्चे के लिए भी सिजेरियन डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है.

7- अगर महिला देरी से अस्पताल पहुंचती है तो सुरक्षा की दृष्टि से सिजेरियन ऑप्शन सेफ माना जाता है, क्योंकि अब हालात पहले की तरह अनुकूल नहीं रहे. ऐसा इंडियन मेडिकल साइंस एसोसिएशन (IMA) के पूर्व अध्यक्ष के. के. अग्रवाल का मानना है.

8- नॉर्मल डिलीवरी के मुकाबले सिजेरियन में खर्च ज्यादा आता है.

सिजेरियन और नॉर्मल डिलीवरी में बच्चों पर प्रभाव

1- नार्मल डिलीवरी में बच्चे को अपनी मां का संपर्क सिजेरियन की तुलना में पहले मिल जाता है.

2- नार्मल डिलीवरी में बच्चे के जन्म के समय यौनीमार्ग के चारों तरफ की मांसपेशियां नवजात के फेफड़ों में पाए जाने वाले द्रव को निचोड़ने का काम करती हैं.

3- नार्मल डिलीवरी में जन्म के समय नवजात को सांस लेने की समस्या बहुत कम होती है.

4- कई लोगों का मानना है कि ऑपरेशन से हुए बच्चों का दिमाग बहुत तेज होता है.

5- जिन बच्चों का जन्म सिजेरियन से होता है उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है.

6- वेलकम सैंगर इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंगम की एक रिसर्च के अनुसार, योनी मार्ग के जरिए नॉर्मल डिलीवरी वाले बच्चों में सिजेरियन से जन्मे बच्चों की तुलना में गुड बैक्टीरिया ज्यादा पाए जाते हैं. जो अच्छी सेहत के लिए जिम्मेदार होते हैं.

7- सिजेरियन वाले बच्चों में अस्थमा, एलर्जी और डायबिटीज का खतरा कई गुना ज्यादा होता है.

8- नेचर नाम की एक जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी वाले बच्चों में काफी अंतर पाए जाते हैं, जो एक साल के बाद पूरी खत्म हो जाते हैं.

इन दोनों तरीकों में से ज्यादातर डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी की सलाह देते हैं. जो बच्चे और मां दोनों की सेहत के लिए सही होता है. वहीं जिन महिलाओं के जुड़वा बच्चे होते हैं या जो महिलाएं डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम या हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रही हों, उनके लिए सिजेरियन की सलाह दी जाती है.

नॉर्मल डिलीवरी, बच्चे के जन्म के लिए एक प्राकृतिक तरीका है. इसलिए लेबर पेन से ना डरें, क्योंकि इसके लिए दवाइयां मौजूद हैं. वहीं सिजेरियन में जान का खतरा बना रहता है. खैर, लोग अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से विकल्प चुनते हैं. इस मामले में आपकी क्या राय है?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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