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मुस्लिम लड़की का मेहर में किताबें मांगना दकियानूसी परंपराओं के मुंह पर थप्पड़ है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 06 मार्च, 2021 02:38 PM
  • 06 मार्च, 2021 02:36 PM
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मेहर की रकम में पति से किताबें मांगकर बंगाल की लड़की ने न केवल रूढ़िवादी और कट्टरपंथी मुल्ला मौलवियों के मुंह पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ा है बल्कि मुस्लिम समाज की महिलाओं को एक बड़ा संदेश दिया है.

चाहे सोशल मीडिया देख लीजिए या फिर टीवी डिबेट अक्सर ही ऐसे मौके आते हैं जब हम ये सुनते / देखते हैं कि भारत में इस्लाम धर्म शिक्षा की कमी की मार झेल रहा है. वहीं बात कौम के रहनुमाओं या बहुत सीधे कहें तो धर्मगुरुओं की हो तो जैसा भारतीय मुसलमानों के प्रति धर्मगुरुओं का रवैया है इन्होंने अपनी बातों से कौम की आंखों में कुछ इस तरह पट्टी बांध दी है कि कौम विशेषकर युवा कट्टरपंथ और रूढ़िवादिता के नजदीक हैं. यदि कोई मुसलमान अपने बच्चों को ज्यादा पढ़ा ले या फिर पढ़ने लिखने के लिए कहीं बाहर भेज दे तो जैसा रवैया उसके आस पास के लोगों का रहता है वो ये बताने के लिए काफी है कि शिक्षा के मद्देनजर भारत के मुसलमानों को विकासशील से विकसित होने में अभी ठीक ठाक वक़्त लगेगा. ऐसा बिल्कुल नहीं है कि समुदाय के बच्चे शिक्षा से दूर हैं.

समुदाय भले ही शिक्षा के मद्देनजर आलोचकों की आलोचना के पात्र बन रहा हो मगर इसी समुदाय में मोयना खातून जैसे लोगों की भी ठीक ठाक संख्या है जो मुस्लिमों के प्रति समाज की छवि बदलने में निर्णायक भूमिका अदा कर रहे हैं. 24 साल की मोयना खातून ने जो अपनी शादी में किया है वो न केवल एक मिसाल है बल्कि उसके कृत्य ने उन मौलाना मौलवियों के मुंह पर तेज थप्पड़ जड़ा है जिन्होंने अपने कट्टरपंथ के चलते समुदाय को शिक्षा से दूर किया है. मोयना खातून ने अपनी शादी में मेहर की रकम की जगह किताबों का चुनाव किया है. मोयना के इस कदम की जमकर तारीफ हो रही है और उनका ये प्रयास अंधेरे में उजाले की किरण नजर आ रहा है.

बंगाल में कुछ इस तरह मिली दुल्हन को दहेज में किताबें

बताते चलें कि, मुर्शिदाबाद की रहने वाली 24 साल की मोयना खातून की शादी घरवालों की मर्जी से मिजानुर रहमान नाम के व्यक्ति से हुई है. दोनों अभी पढ़ाई कर रहे हैं. मोयना जहां एक तरफ ग्रेजुएट हैं....

चाहे सोशल मीडिया देख लीजिए या फिर टीवी डिबेट अक्सर ही ऐसे मौके आते हैं जब हम ये सुनते / देखते हैं कि भारत में इस्लाम धर्म शिक्षा की कमी की मार झेल रहा है. वहीं बात कौम के रहनुमाओं या बहुत सीधे कहें तो धर्मगुरुओं की हो तो जैसा भारतीय मुसलमानों के प्रति धर्मगुरुओं का रवैया है इन्होंने अपनी बातों से कौम की आंखों में कुछ इस तरह पट्टी बांध दी है कि कौम विशेषकर युवा कट्टरपंथ और रूढ़िवादिता के नजदीक हैं. यदि कोई मुसलमान अपने बच्चों को ज्यादा पढ़ा ले या फिर पढ़ने लिखने के लिए कहीं बाहर भेज दे तो जैसा रवैया उसके आस पास के लोगों का रहता है वो ये बताने के लिए काफी है कि शिक्षा के मद्देनजर भारत के मुसलमानों को विकासशील से विकसित होने में अभी ठीक ठाक वक़्त लगेगा. ऐसा बिल्कुल नहीं है कि समुदाय के बच्चे शिक्षा से दूर हैं.

समुदाय भले ही शिक्षा के मद्देनजर आलोचकों की आलोचना के पात्र बन रहा हो मगर इसी समुदाय में मोयना खातून जैसे लोगों की भी ठीक ठाक संख्या है जो मुस्लिमों के प्रति समाज की छवि बदलने में निर्णायक भूमिका अदा कर रहे हैं. 24 साल की मोयना खातून ने जो अपनी शादी में किया है वो न केवल एक मिसाल है बल्कि उसके कृत्य ने उन मौलाना मौलवियों के मुंह पर तेज थप्पड़ जड़ा है जिन्होंने अपने कट्टरपंथ के चलते समुदाय को शिक्षा से दूर किया है. मोयना खातून ने अपनी शादी में मेहर की रकम की जगह किताबों का चुनाव किया है. मोयना के इस कदम की जमकर तारीफ हो रही है और उनका ये प्रयास अंधेरे में उजाले की किरण नजर आ रहा है.

बंगाल में कुछ इस तरह मिली दुल्हन को दहेज में किताबें

बताते चलें कि, मुर्शिदाबाद की रहने वाली 24 साल की मोयना खातून की शादी घरवालों की मर्जी से मिजानुर रहमान नाम के व्यक्ति से हुई है. दोनों अभी पढ़ाई कर रहे हैं. मोयना जहां एक तरफ ग्रेजुएट हैं. तो वहीं मिजानुर रहमान भागलपुर विश्वविद्यालय से भूगोल में स्नातक हैं. दोनों की शादी के दौरान आए हुए सभी मेहमान उस वक़्त हैरत में पड़ गए जब मोहना ने मेहर की रकम की जगह किताबों की डिमांड अपने पिता और ससुराल वालों के समक्ष रखी. मोयना ने अपने माता-पिता से साफ कहा कि वह ‘मेहर’ के रूप में पैसे नहीं बल्कि किताबें मांगेगी.

इस तरह के मेहर पर मोयना का कहना है कि इसका ट्रेडिशनल मेहर में कोई इंटरेस्ट नहीं है जिसकी रकम वर्तमान में 50 हज़ार रुपए के आस पास है. मेहर में किताबें शुरुआत में जब मोयना ने इस बात को अपने पिता के समक्ष रखा तो उन्होंने भी इसे मजाक में लिया. मगर मोयना के हौसले बुलंद और इरादे एकदम पक्के थे. आखिरकार ससुराल पक्ष को झुकना पड़ा और दूल्हे रहमान ने मोयना को किताबें देकर उसकी इच्छा पूरी की.

किताबों के रूप में मिले मेहर से सुमदाय के लोग और साथ ही धर्मगुरु सकते में आ गए हैं. वहीं एक वर्ग वो भी है जो खुलकर मोयना के समर्थन में आया है और जीने उसके इस अंदाज की जमकर तारीफ की है. लोगों का मत है कि अपनी शादी के दौरान जो मोयना ने किया वो कई मायनों में बड़ी हिम्मत का काम है.

गौरतलब है की बतौर मेहर की रकम मोयना ने तकरीबन 60 किताबों की मांग की थी. लेकिन, लड़के वालों ने उसके अलावा भी उसे कुछ और किताबें दी. मोयना का कदम सराहनीय है और उसका ये अंदाज और शिक्षा के प्रति लगाव उसके ससुराल वालों को भी भा गया है. मोयना का ससुराल पक्ष अपनी नई नवेली पुत्रवधु की इस डिमांड को लेकर बहुत ख़ुश और खासा उत्साहित है.

अपने इस अनोखे फैसले के बाद मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक मोयना खूब सराही जा रही हैं. इस फैसले के मद्देनजर मोयना ने कह है कि उसे बचपन से ही किताबों का कीड़ा है और वह आगे भी पढ़ाई करना चाहती है.

मोयना को ये प्रेरणा कहां से मिली? इसका जवाब भी खासा दिलचस्प था. मोयना ने केरल की एक दुल्हन का जिक्र करते हुए बताया कि अभी ऐसा ही कुछ केरल में भी देखने को मिला था जहां लड़के ने लड़की की भावना का सम्मान किया और उसे किताबें दी. मोयना ने तब उस क्षण ये ठान लिया था कि वो भविष्य में कुछ ऐसा करेगी.

मोयना की शादी हो गयी है और मेहर की रकम के नाम पर किताबें भी उस तक पहुंच गयी हैं. यानि एक टिपिकल मुस्लिम परिवार में पली बढ़ीमोयना ऐसा बहुत कुछ कर गईं हैं जो कई मायनों में आपकी और हमारी कल्पना से परे है. कह सकते हैं कि मोयना का ये प्रयास उन मुल्ला मौलवियों के मुंह पर जोरदार तमाचा है जो समुदाय को शिक्षा और उस शिक्षा के जरिये हासिल होने वाले विकास से कोसों दूर रखना चाहते हैं. साथ ही उन्होंने अपनी पहल से मुस्लिम समाज विशेषकर मुस्लिम समाज की महिलाओं को भी भविष्य के लिए एक बड़ा संदेश दे दिया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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