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House wife को इन पांच कामों को जल्द से जल्द छोड़ देना चाहिए

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 04 मार्च, 2021 09:01 PM
  • 04 मार्च, 2021 08:54 PM
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हाउस वाइफ (Housewife work) की पहचान रिंकू की मम्मी, बिट्टू की पत्नी और सरला की बहू तक की सीमित रह जाती है. सबको लगता है हाउसवाइफ बनना कौन सा पहाड़ तोड़ने वाला काम है.

घर के हर सदस्य को लगता है कि उनका काम सबसे ज्यादा कठिन है. बच्चों को लगता है कि उनकी पढ़ाई सबसे टफ है तो पति को लगता है कि उसकी 9 से 5 की जॉब सबसे हार्ड वर्किंग काम है. किसी का ध्यान घर की उस महिला (Housewife work) पर शायद जाता ही नहीं. अगर जाता भी है तो लगता है इनका सही है, ना कहीं आना ना कहीं जाना. बस घर पर आराम से खाना, सोना और टीवी देखना. जबकि घर संभालने वाली महिला सबसे ज्यादा मेहनत करती है. वह बच्चों, पति और सास-ससुर का ध्यान रखती है. खाना भी बनाती है, साफ-सफाई भी करती है और पूरे महीने का हिसाब-किताब भी. घर के पड़ोसियों से लेकर घर आने वाले हर मेहमान की खातिरदारी भी वही करती है. बच्चे को पढ़ाना, पौधों को पानी देना ब्ला-ब्ला. यानी कुल मिलाकर अगर हम किसी हाउसवाइफ का काम गिनाने लगे तो गिनते ही रह जाएंगे.

हाउस वाइफ की पहचान रिंकू की मम्मी, बिट्टू की पत्नी और सरला की बहू तक की सीमित रह जाती है. कई लोगों को तो हाउस वाइफ का नाम भी नहीं पता होता, क्योंकि इतनी जिम्मेदारी लेने के बाद उनकी अलग से कोई पहचान बनी ही नहीं होती. सबको लगता है हाउसवाइफ बनना कौन सा पहाड़ तोड़ने वाला काम है जो इतना हल्ला मचाए रहते हो. वही हाउसवाइफ जब एक दिन बीमार पड़ जाए तो मानो लगता है घर में पहाड़ टूट गया हो. अब खाना कौन बनाएगा क्योंकि पतिदेव तो अपने हाथ से एक कप चाय भी नहीं बनाकर पीते. उनको तो बस रोज नई-नई डिश खाने का शौक है.

महिलाएं घर में इतना रम जाती हैं कि खुद को भूल जाती हैं

ऐसे मामले में होता यह है कि हाउस वाइफ अपनी सेहत को लेकर लापरवाह हो जाती है. इसलिए उनको अपनी कुछ आदतों को छोड़ने की जरूरत है. अक्सर हम सभी ने हाउसवाइफ को ऐसा करते देखा हुआ है. क्योंकि सारी हाउसवाइफ एक जैसी होती हैं और उनकी आदतें भी.

1- सबसे आखिरी में...

घर के हर सदस्य को लगता है कि उनका काम सबसे ज्यादा कठिन है. बच्चों को लगता है कि उनकी पढ़ाई सबसे टफ है तो पति को लगता है कि उसकी 9 से 5 की जॉब सबसे हार्ड वर्किंग काम है. किसी का ध्यान घर की उस महिला (Housewife work) पर शायद जाता ही नहीं. अगर जाता भी है तो लगता है इनका सही है, ना कहीं आना ना कहीं जाना. बस घर पर आराम से खाना, सोना और टीवी देखना. जबकि घर संभालने वाली महिला सबसे ज्यादा मेहनत करती है. वह बच्चों, पति और सास-ससुर का ध्यान रखती है. खाना भी बनाती है, साफ-सफाई भी करती है और पूरे महीने का हिसाब-किताब भी. घर के पड़ोसियों से लेकर घर आने वाले हर मेहमान की खातिरदारी भी वही करती है. बच्चे को पढ़ाना, पौधों को पानी देना ब्ला-ब्ला. यानी कुल मिलाकर अगर हम किसी हाउसवाइफ का काम गिनाने लगे तो गिनते ही रह जाएंगे.

हाउस वाइफ की पहचान रिंकू की मम्मी, बिट्टू की पत्नी और सरला की बहू तक की सीमित रह जाती है. कई लोगों को तो हाउस वाइफ का नाम भी नहीं पता होता, क्योंकि इतनी जिम्मेदारी लेने के बाद उनकी अलग से कोई पहचान बनी ही नहीं होती. सबको लगता है हाउसवाइफ बनना कौन सा पहाड़ तोड़ने वाला काम है जो इतना हल्ला मचाए रहते हो. वही हाउसवाइफ जब एक दिन बीमार पड़ जाए तो मानो लगता है घर में पहाड़ टूट गया हो. अब खाना कौन बनाएगा क्योंकि पतिदेव तो अपने हाथ से एक कप चाय भी नहीं बनाकर पीते. उनको तो बस रोज नई-नई डिश खाने का शौक है.

महिलाएं घर में इतना रम जाती हैं कि खुद को भूल जाती हैं

ऐसे मामले में होता यह है कि हाउस वाइफ अपनी सेहत को लेकर लापरवाह हो जाती है. इसलिए उनको अपनी कुछ आदतों को छोड़ने की जरूरत है. अक्सर हम सभी ने हाउसवाइफ को ऐसा करते देखा हुआ है. क्योंकि सारी हाउसवाइफ एक जैसी होती हैं और उनकी आदतें भी.

1- सबसे आखिरी में खाना

घर की मम्मियों की आदत होता है कि वो सबको पहले खिला देंगी फिर खुद खाएंगी. सुबह सबके जान के बाद नाश्ता करेंगी, वो भी टुकड़ों में. वैसे तो पूरे खानदान के लिए खाना बना देंगी लेकिन अगर खाना कम है तो एक रोटी कम ही खा कर काम चला लेंगी. हाउस वाइफ कभी पति का तो कभी बच्चों का इंतजार ही करती रहती हैं कि कब सब खा लें तो मैं खाऊं. आपके जल्दी खाना खाने से कोई नाराज तो नहीं हो जाएगा और अगर होता भी है तो उन्हें समझा दें कि ये आपकी सेहत का मामला है. आप दूसरों को तो गर्म रोटी बना कर खिलाती हैं और खुद ठंडा खाना वो भी टाइम पर नहीं.

2- बासी भोजन खाने की आदत

क्या आपने कभी नोटिस किया है कि अगर खाना बच गया है तो भी हाउसवाइफ आपको ताजा खाना खिलाती हैं और खुद बचा हुआ बासी खाना खाती हैं. उन्हें लगता है कि मेरे बच्चे अच्छा खाएं भले मैं बासी खा लूं. अगर आप भी ऐसा करती हैं तो प्लीज इस आदत को छोड़ दीजिए. इससे आपकी सेहत पर असर पड़ता है. आप धीरे-धीरे बीमार पड़ जाती हैं और आपको पता भी नहीं चलता. हम खाना फेंकने को नहीं कह रहे. खाना सबके हिसाब से कम बनाएं फिर भी अगर बच जाता है तो सब मिलकर थोड़ा-थोड़ा खा लें. आपको समझना होगा कि इस उम्र में भरपूर विटामिन की आपको कितनी जरूरत होती है.

3- घर की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेना

आप अगर घर के कामों में किसी की मदद ले लेंगी तो क्या आपकी इज्जत कम हो जाएगी? तो क्या जरूरत है खुद को सुपर वुमन बनाने की. किचन से लेकर मार्केटिंग, बच्चों की परवरिश से लेकर सास-ससुर का ख्याल रखने तक. ऊपर से कोई फंक्शन पड़ जाए तब तो पूछो ही मत. घर की जिम्मेदारी जितनी आपकी है उतनी है पति का भी. इसलिए उनसे मदद करने के लिए बोलें. हर इंसान की क्षमता होती है, ज्यादा बोझ कोई नहीं उठा नहीं पाता. जरूरत से ज्यादा बोझ उठाने से दिमाग और शरीर दोनों जवाब दे देता है.

4- घर में ही खोए रहना और कुछ नया काम ना सीखना

घर की भले सारी जिम्मेदारियां हाउस वाइफ संभालती है, लेकिन मोबाइल रिचार्ज के लिए आज भी वह पति या बच्चे पर डिपेंड होती है. क्योंकि वह घर की दुनियां में ही खोई रहती है. लैपटॉप या स्मार्टफोन चलाना आज भी काई हाउसवाइफ को नहीं आता. कोई फॉर्म भरना हो तो भी उन्हें किसी की मदद लेनी पड़ती है. कुछ काम ऐसे होते हैं जो आपको आने चाहिए जैसे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन, बैंक से जुड़े काम आने ही चाहिए. इसके अलावा बाहर जाकर कुछ नया सीखने की कोशिश करनी चाहिए.

5- देर तक जागना और सुबह जल्दी जग जाना

हाउस वाइफ सबको खाना खिलाने के बाद घर के बचे हुए सारे काम करने की आदत होती है. लगभग सभी घरों में सबसे पहले महिलाएं ही जगती हैं और सबसे आखिरी में सोती हैं. महिलाएं खाने में लापरवाही तो करती ही हैं साथ ही नींद में भी कमी करती हैं. रात में 12 बजे के बाद सोना और सुबह जल्दी जागना, कुछ मिलाकर 4 से 5 घंटे ही सो पाती हैं.

इसका सीधा असर महिलाओं की सेहत पर पड़ता है. सेहत खराब होने पर हाउस वाइफ डॉक्टर के पास जल्दी नहीं जातीं बल्कि घरेलू उपचार ही करती हैं. ये कुछ आदतें अगर हाउसवाइफ बदल लें तो इनका भला हो जाए. इसके लिए इन्हें खुद ही आगे आना होगा, वरना जो चल रहा है वो तो चलता ही जाएगा, वैसे भी किसी को क्या फर्क पड़ता है?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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