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विश्व संगीत दिवस: जितना योग जरुरी, उतना ही यह भी

    • प्रीति अज्ञात
    • Updated: 21 जून, 2018 08:38 PM
  • 21 जून, 2018 08:38 PM
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यूं तो सृष्टि के कण-कण में संगीत है. बहती हुई हवा और उस पर झूमते-लहराते पत्ते भी ह्रदय के इसी तरंगित साज को अभिव्यक्ति देते प्रतीत होते हैं. संगीत हमारी आत्मा में इस तरह रच-बस चुका है कि इसके बिना जीवन की कल्पना ही व्यर्थ है.

संगीत, ध्वनि का ऐसा लयबद्ध व्यवहार है जो हमें अपने आपसे जोड़ने में सहायक सिद्ध होता है. भारतीय संस्कृति में भी विभिन्न वाद्य-यंत्रों एवं उनसे उत्पन्न ध्वनि, राग-रागिनियों का विशिष्ट महत्त्व है. यूं तो सृष्टि के कण-कण में संगीत है फिर चाहे यह बहती हुई नदिया की धारा हो या किनारे से टकराकर लौटती समंदर की प्रचंड लहरें. बहती हुई हवा और उस पर झूमते-लहराते पत्ते भी ह्रदय के इसी तरंगित साज को अभिव्यक्ति देते प्रतीत होते हैं. कुल मिलाकर संगीत हमारी आत्मा में इस तरह रच-बस चुका है कि इसके बिना जीवन की कल्पना ही व्यर्थ है.

जीवन के लिए संगीत भी उतनी ही जरूरी है जितनी सांसें

विद्या की देवी मां सरस्वती के कर-कमलों में वीणा की उपस्थिति संगीत की महानता की कहानी स्वयं ही कह जाती है. संगीत, दिलों को जोड़ता है तो अवसाद के भारी पलों में एक कुशल चिकित्सक की तरह उचित मरहम भी लगाता है. दोस्तों के साथ शोर-शराबे वाले संगीत के साथ मस्ती का मज़ा कुछ और ही है तथा अकेलेपन में धीमे-धीमे बजते संगीत की स्वर लहरियां भी उतनी ही सुमधुर, कर्णप्रिय लगती हैं. हमारे सुख-दुःख का साथी है संगीत, जो स्नेहसिक्त क्षणों में हमें अपनी बाहों में भर लेता है और पीड़ा के समय किसी अच्छे-सच्चे मित्र की तरह हाथ थामे साथ चलता है.

ये संगीत का जादुई प्रभाव ही है कि नवजात शिशु भी झुनझुने की आवाज़ सुन किलकारी भरने लगता है. कृष्ण की बांसुरी की मीठी ध्वनि और गोपियों का आकर्षित हो खिंचे चले आना; ये सारे किस्से संगीत की ही महिमा का बखान करते हैं. शादी में ढोलक-शहनाई, भजन-मंडली में ढोल-मंजीरा, शास्त्रीय संगीत में तानपूरा, तबला, सरोद, सारंगी का हम सब भरपूर आनंद उठाते हैं. बचपन में संपेरों द्वारा बीन बजाते ही लहराते हुए सांप का खेल भी हमने खूब देखा है.

अपरिचित इंसानों से भरे कमरे में यदि संगीत की...

संगीत, ध्वनि का ऐसा लयबद्ध व्यवहार है जो हमें अपने आपसे जोड़ने में सहायक सिद्ध होता है. भारतीय संस्कृति में भी विभिन्न वाद्य-यंत्रों एवं उनसे उत्पन्न ध्वनि, राग-रागिनियों का विशिष्ट महत्त्व है. यूं तो सृष्टि के कण-कण में संगीत है फिर चाहे यह बहती हुई नदिया की धारा हो या किनारे से टकराकर लौटती समंदर की प्रचंड लहरें. बहती हुई हवा और उस पर झूमते-लहराते पत्ते भी ह्रदय के इसी तरंगित साज को अभिव्यक्ति देते प्रतीत होते हैं. कुल मिलाकर संगीत हमारी आत्मा में इस तरह रच-बस चुका है कि इसके बिना जीवन की कल्पना ही व्यर्थ है.

जीवन के लिए संगीत भी उतनी ही जरूरी है जितनी सांसें

विद्या की देवी मां सरस्वती के कर-कमलों में वीणा की उपस्थिति संगीत की महानता की कहानी स्वयं ही कह जाती है. संगीत, दिलों को जोड़ता है तो अवसाद के भारी पलों में एक कुशल चिकित्सक की तरह उचित मरहम भी लगाता है. दोस्तों के साथ शोर-शराबे वाले संगीत के साथ मस्ती का मज़ा कुछ और ही है तथा अकेलेपन में धीमे-धीमे बजते संगीत की स्वर लहरियां भी उतनी ही सुमधुर, कर्णप्रिय लगती हैं. हमारे सुख-दुःख का साथी है संगीत, जो स्नेहसिक्त क्षणों में हमें अपनी बाहों में भर लेता है और पीड़ा के समय किसी अच्छे-सच्चे मित्र की तरह हाथ थामे साथ चलता है.

ये संगीत का जादुई प्रभाव ही है कि नवजात शिशु भी झुनझुने की आवाज़ सुन किलकारी भरने लगता है. कृष्ण की बांसुरी की मीठी ध्वनि और गोपियों का आकर्षित हो खिंचे चले आना; ये सारे किस्से संगीत की ही महिमा का बखान करते हैं. शादी में ढोलक-शहनाई, भजन-मंडली में ढोल-मंजीरा, शास्त्रीय संगीत में तानपूरा, तबला, सरोद, सारंगी का हम सब भरपूर आनंद उठाते हैं. बचपन में संपेरों द्वारा बीन बजाते ही लहराते हुए सांप का खेल भी हमने खूब देखा है.

अपरिचित इंसानों से भरे कमरे में यदि संगीत की धुन छेड़ दी जाए तो सबके पैर स्वयं ही थिरकने पर विवश हो जाते हैं क्योंकि संगीत की भी अपनी अनूठी भाषा, अभिव्यक्ति है जो बिना शब्दों के भी दूसरे के मन तक आसानी से पहुंच जाती है.

संगीत की भी अपनी अनूठी भाषा और अभिव्यक्ति है

आपका सबसे प्रिय गीत आपके एक खराब दिन और मूड को सामान्य कर देने की क्षमता रखता है और आपको विश्वास होने लगता है कि दुनिया उतनी भी बुरी नहीं जितना कि कुछ पल पहले आप महसूस कर रहे थे. स्मृतियों के सुनहरे पृष्ठ भी संगीत की धुन पर अपनी थाप देने लगते हैं. आपकी कोमल भावनाओं की सहज, सुन्दर अभिव्यक्ति है, संगीत. इन्हीं पलों को उल्लास के साथ जीने के लिए विश्व-भर के संगीत प्रेमियों ने 21 जून को 'विश्व संगीत दिवस' मनाने का निर्णय लिया था. कहते हैं 1982 में इसी दिन फ़्रांस के एक संगीत-उत्सव के दौरान यह तय किया गया था. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह आईडिया एक अमेरिकन संगीतकार ने 1976 में दिया था. बहरहाल श्रेय कोई भी ले, हम और आप तो इस संगीत का भरपूर मज़ा लें और जीवन की दुरूहता को मुस्कान के साथ स्वीकारें.

आज 'विश्व योग दिवस' है और सबसे बड़ा दिन भी! उस पर संगीत का साथ! तो स्वस्थ रहें, सूफ़ी सुनें, शास्त्रीय संगीत का आनंद उठाएं, अपना मनपसंद वाद्य-यंत्र बजाएं या फिर फिल्मी गीतों में खो जाएं....अजी, आपका दिन है भई, अपने हिसाब से आनंद उठायें.

जितना योग करना आवश्यक है, संगीत का साथ भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि योग शरीर को स्वस्थ रखता है तो संगीत ह्रदय और आत्मा को संतृप्त करता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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