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समाज

अलग-अलग रंगों वाली एक दुनिया सफर करती है मुंबई लोकल में

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 10 अक्टूबर, 2022 01:01 PM
  • 09 अक्टूबर, 2022 08:55 PM
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मैं मुंबई लोकल ट्रेन (Mumbai Local Train) की जिंदगी हूं. पढ़िए मेरी रंग-बिरंगी कहानी...

मैं मुंबई लोकल ट्रेन (Mumbai Local Train) की जिंदगी हूं. मेरी कहानियां तो आप सबके सामने समय-समय पर आती ही रहती होंगी. आज की ताजा खबर तक तो आप तक पहुंच ही गई होगी कि सीट पाने के लिए महिलाएं आपस में भिड़ गईं. अरे इस खबर से मेरे बारे में निगेटिव मत होइए, क्योंकि मेरी कहानी काफी रंग-बिरंगी है. ऐसे ही थोड़ी ना मुझे मुंबई की लाइफ-लाइन कहा जाता है.

मंबई लोकल में सीट पाने के लिए महिलाएं आपस में भिड़ गईं

जब त्योहार आता है तो मेरी जिंदगी सुहानी हो जाती है, लोग उत्सव में नाचते-गाते गरबा करते हैं. कहने को तो मैं मुंबई की लोकल ट्रेन हूं मगर मेरा यात्रियों से जिंदगी जुड़ गई है. मेरी जिंदगी में सुख-दुख, इंतजार-प्यार सब है.

मुंबई लोकल में गरबा करती महिलाएं

अब देखिए ना हर रोज मैं ही तो लोगों तक उनका डब्बा पहुंचाती हूं ताकि वे समय से खाना खा सके.

मुंबई लोकल में डब्बे वाले

देर रात होने पर कोई लड़की मेरे ही आसरे में ऑफिस का बचा हुआ अपना काम निबटा कर समय से घर पहुंच जाती है.

देर रात मुंबई लोकल में काम करती...

मैं मुंबई लोकल ट्रेन (Mumbai Local Train) की जिंदगी हूं. मेरी कहानियां तो आप सबके सामने समय-समय पर आती ही रहती होंगी. आज की ताजा खबर तक तो आप तक पहुंच ही गई होगी कि सीट पाने के लिए महिलाएं आपस में भिड़ गईं. अरे इस खबर से मेरे बारे में निगेटिव मत होइए, क्योंकि मेरी कहानी काफी रंग-बिरंगी है. ऐसे ही थोड़ी ना मुझे मुंबई की लाइफ-लाइन कहा जाता है.

मंबई लोकल में सीट पाने के लिए महिलाएं आपस में भिड़ गईं

जब त्योहार आता है तो मेरी जिंदगी सुहानी हो जाती है, लोग उत्सव में नाचते-गाते गरबा करते हैं. कहने को तो मैं मुंबई की लोकल ट्रेन हूं मगर मेरा यात्रियों से जिंदगी जुड़ गई है. मेरी जिंदगी में सुख-दुख, इंतजार-प्यार सब है.

मुंबई लोकल में गरबा करती महिलाएं

अब देखिए ना हर रोज मैं ही तो लोगों तक उनका डब्बा पहुंचाती हूं ताकि वे समय से खाना खा सके.

मुंबई लोकल में डब्बे वाले

देर रात होने पर कोई लड़की मेरे ही आसरे में ऑफिस का बचा हुआ अपना काम निबटा कर समय से घर पहुंच जाती है.

देर रात मुंबई लोकल में काम करती लड़की

मेरे ही फर्श पर बैठकर एक अम्मा एक आंटी के साथ सब्जी काट लेती हैं ताकि घर जाकर उसे सिर्फ पकाना रहे...

मुंबई लोकल में सब्जी काटतीं महिलाएं

मेरी ही आखों के सामने पुष्पा और प्रिया की दोस्ती हुई थी. दोनों साथ में सफर करते-करते इतनी पक्की सहेलियां बन जाएंगी...ये किसने सोचा था...

मुंबई लोकल में दो सहेलियां

 मेरी जिंदगी में प्यार की कमी नहीं है. मैंने ना जाने कितने प्रेमियों को मिलाने का काम किया है.

 मुंबई लोकल में एक-दूसरे को गले लगाता हुआ जोड़ा

मैं हर रोज तरह-तरह को लोगों को उनके मंजिल तक पहुंचाती हूं. मैं हर रोज नए-नए लोगों से मिलती हूं मगर मैं किसी के साथ भेदभाव नहीं करती. मेरे लिए अमीर-गरीब सब एक सामान हैं. मेरे साथ सफर करने वाले मुसाफिर अपनी मंजिल तक पहुंचने से पहले कुछ वक्त अपने साथ गुजार लेते हैं. कोई बड़ा सीधा-सादा मासूम होता है तो कोई झगलैड़.

मुंबई लोकल में आराम करता एक शख्स

मैं सभी को शांत औऱ आराम देने की कोशिश करती हूं. मैं अधजगे आंखों की नींद को पूरा करती हूं. थके हुए मुसाफिर मेरी आगोश में आ कर सो जाते हैं.

मेरी जिंदगी में पूजा-पाठ के लिए विशेष स्थान है. तभी को वह अम्मा हर रोज मेरे सामने मंत्रों का जाप करती है. नए साल के अवसर पर तो मेरे तेवर ही बदल जाते हैं.

मुंबई लोकल में अपनी सहेली का मेकअप करती एक लड़की

मुझे, लड़कियों को सजते संवरते उन्हें मेकअप करते देखना बहुत अच्छा लगता है. ऊपर से जब वे पाउट बनाकर सेल्फी लेती हैं तब तो पूछो ही मत. ऐसा लगता है मेरी जिंदगी कितनी हसीन है. मेरी जिंदगी में किन्नरों का खास महत्व है. उनसे ही तो मेरी रौनक बनी रहती है. वे कभी आशीर्वाद देती हैं तो कभी पोज देती हैं. मैंने ही किन्नर पूजा को लोकल ट्रेन की रेखा बनाया.

मुंबई लोकल में डांस करती किन्नर पूजा

मुझसे मिलने फिल्मी सितारों से लेकर राजनेता तक आते हैं. मैंने ही उनके करियर को नई उड़ान दी है. मैं एक लड़की से लेकर एक्ट्रेस तक की जिंदगी का हिस्सा हूं. मैं लोगों को अखबार पढ़ते देखती हूं मैं लोगों को मोबाइल पर बात करते सुनती हूं. मैं लोगों को अंताक्षरी करते देखती हूं.

मुंबई लोकल में पोज देती एक किन्नर

मैं उन्हें भी देखती हूं जो ट्रेन की दीवारों पर सुमन संग समीर लिखते हैं. ये सिर्फ नाम नहीं शायद उन प्रेमियों को नाम हैं जो जो कभी एक नहीं हो पाए.

मुंबई लोकल की दीवारों पर लिखे लड़के-लड़कियों के नाम

मेरी जिंदगी में वे खास महिलाएं शामिल हैं जो फेरी लगाकर पर लाल-बिरंगी चूड़ियां और झुमके कम दामों में बेचती हैं. ट्रेन में सफर करने वाली एक लड़की को मैंने कहते सुना था कि यही काम के झुमके बाहरी दुनियां में महंगे बिकते हैं.

मुंबई लोकल में फेरी पर जूलरी बेचती महिला

मेरी तकलीफ तब बढ़ जाती है जब स्ट्रगल करने वाले के आंसू मेरे ऊपर थप-थप गिरते हैं. मुझे उनके पैर के छालों को देखकर दुख होता है. ऑफिस पहुंचने की जल्दी में भागता हुआ वह लड़का अक्सर अपनी सीट किसी बुजुर्ग को दे देता है. वह चून्नू खुद को मुंबई का भाई कहता है औऱ लोगों से हफ्ता वसूली करता है. मुझे उन लोगों से नफरत है तो मेरी बहनों को छेड़ते हैं.

मुंबई लोकल में अखबार पढ़ता एक शख्स

अरे मेरी जिंदगी तो उन लोगों जुड़ी है जिनकी रोटी ट्रेन में भीख मांगकर कटती है. मैं हर किसी को अपने जिंदगी में शामिल करके बस चलती रहती हूं...मैं मुंबई की जान तो नहीं मगर जिंदगी जरूर हूं तो फिर आप कब आ रहे हैं मुझसे मिलने, मुझे आपका इंतजार रहेगा...

मुंबई लोकल को पेंट करती एक महिला

 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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