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वर्जिनिटी पर सवाल क्यों?

    • आईचौक
    • Updated: 05 अगस्त, 2017 07:04 PM
  • 05 अगस्त, 2017 07:04 PM
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पटना का इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस अपने कर्मचारियों के मेरिटल डिक्लेरेशन के साथ-साथ उनकी वर्जिनिटी पर सवाल कर रहा है. पर क्यों?

देश की सुर्खियों में अगर आज कई राज्य है तो वो बिहार है. बिहार में जो हो जाए वो कम है. इस बार खबर राजनीति से नहीं बल्कि ऐसी जगह से आई है जहां गलती से भी गलती की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए. पर बिहार के मामले में अक्सर गलतियां हो जाती हैं. इस बार गलती हुई है पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस से.

इस संस्‍थान ने कर्मचारियों को मेडिकल डिक्‍लेरेशन से संबंधित फॉर्म भरने के लिए दिया, जिसमें कर्मचारियों से उनकी वैवाहिक स्थिति यानी Marital Declaration का ब्‍योरा मांगा गया है. पर जो विकल्‍प फॉर्म में दिए गए हैं वो काफी हैरान करने वाले हैं.

वर्जिनिटी पर सवाल

सबसे पहले ही सवाल में पूछा जा रहा है कि आप वर्जिन हैं? अक्सर जब मेरिटल स्टेटस बताना होता है तो यही पूछा जाता है कि आप शादीशुदा हैं या फिर कंवारे, और जिसका जवाब एकदम सीधा सा ही होता है. ये शायद पहली बार होगा कि किसी फॉर्म में आपसे आपकी वर्जिनिटी पूछी जा रही है, कि कभी सेक्स किया है या नहीं?? पर वर्जिनिटी पर सवाल करने के पीछे कारण क्या होगा, ये भी समझ से परे है. आखिर ये मेडिकल इंस्टिट्यूट अपने कर्मचारियों से इतनी डीटेल लेकर साबित क्या करना चाहता है?

पत्नियों की संख्या पर सवाल

इतना ही नहीं और पत्नियों की संख्या भी जिस तरीके से पूछी गई है वो भी कम अजीब नहीं हैं.

पहले नंबर पर जो ऑप्शन दिए गए हैं उनमें लिखा है कि

आप कंवारे हैं/ विडोवर या विधुर है/ वर्जिन हैं.

दूसरे नंबर पर लिखा है कि

मैं शादीशुदा हूं और मेरे एक ही जीवित पत्नी है.

तीसरे नंबर पर तीन ऑप्शन्स हैं-

'मेरी शादी जिस शख्स से हुई है उसके दूसरी कोई जीवित पत्नी नहीं है'.

और दूसरा ये कि 'मैं शादीशुदा हूं और एक से...

देश की सुर्खियों में अगर आज कई राज्य है तो वो बिहार है. बिहार में जो हो जाए वो कम है. इस बार खबर राजनीति से नहीं बल्कि ऐसी जगह से आई है जहां गलती से भी गलती की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए. पर बिहार के मामले में अक्सर गलतियां हो जाती हैं. इस बार गलती हुई है पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस से.

इस संस्‍थान ने कर्मचारियों को मेडिकल डिक्‍लेरेशन से संबंधित फॉर्म भरने के लिए दिया, जिसमें कर्मचारियों से उनकी वैवाहिक स्थिति यानी Marital Declaration का ब्‍योरा मांगा गया है. पर जो विकल्‍प फॉर्म में दिए गए हैं वो काफी हैरान करने वाले हैं.

वर्जिनिटी पर सवाल

सबसे पहले ही सवाल में पूछा जा रहा है कि आप वर्जिन हैं? अक्सर जब मेरिटल स्टेटस बताना होता है तो यही पूछा जाता है कि आप शादीशुदा हैं या फिर कंवारे, और जिसका जवाब एकदम सीधा सा ही होता है. ये शायद पहली बार होगा कि किसी फॉर्म में आपसे आपकी वर्जिनिटी पूछी जा रही है, कि कभी सेक्स किया है या नहीं?? पर वर्जिनिटी पर सवाल करने के पीछे कारण क्या होगा, ये भी समझ से परे है. आखिर ये मेडिकल इंस्टिट्यूट अपने कर्मचारियों से इतनी डीटेल लेकर साबित क्या करना चाहता है?

पत्नियों की संख्या पर सवाल

इतना ही नहीं और पत्नियों की संख्या भी जिस तरीके से पूछी गई है वो भी कम अजीब नहीं हैं.

पहले नंबर पर जो ऑप्शन दिए गए हैं उनमें लिखा है कि

आप कंवारे हैं/ विडोवर या विधुर है/ वर्जिन हैं.

दूसरे नंबर पर लिखा है कि

मैं शादीशुदा हूं और मेरे एक ही जीवित पत्नी है.

तीसरे नंबर पर तीन ऑप्शन्स हैं-

'मेरी शादी जिस शख्स से हुई है उसके दूसरी कोई जीवित पत्नी नहीं है'.

और दूसरा ये कि 'मैं शादीशुदा हूं और एक से ज्यादा पत्नी हैं.'

और तीसरा ये कि 'मेरी शादी जिस शख्स से हुई है उसकी एक और जीवित पत्नी है'

चलिए समझ आता है कि कर्मचारियों की पत्नी या पत्नियों के बारे में जान लेने से व्यक्ति की जिम्मेदारियों का पता चलता है. पर आज के जमाने में कौन कितनी पत्नियां रखता है या रख सकता है? 

वहां के डिप्टी मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉक्टर मनीष मंडल का कहना है कि 'ये इंस्टिट्यूट 1984 से खुला है और तब से यही फॉर्म चला आ रहा है. सेंट्रल सर्विस रूल के आधार पर ही ये फॉर्म बनाया गया है और एम्स दिल्ली में भी ऐसा ही फॉर्म भरवाया जाता है. अगर वहां ये फॉर्म बदल दिया जाएगा तो हम भी इसे बदल देंगे.' पर वर्जिनिटी वाली बात पर वो भी कोई मुफीद कारण नहीं दे सके.

यानी तीन दशकों से ज्यादा हो चले हैं, और आज तक लोग इस संस्था को अपनी वर्जिनिटी के बारे में बताते भी आ रहे हैं और किसी को ये बात अजीब भी नहीं लगी. पत्नियां कितनी हैं ये पूछने का तात्पर्य समझ में आता है, लेकिन आप वर्जिन हैं या नहीं हैं इससे किसी को कोई भी लेना देना क्यों हो? वर्जिनिटी को लेकर समाज में किस तरह की सोच व्याप्त है, ये सब जानते हैं ऐसे में एक प्रतिष्ठित संस्थान से जब इस तरह के सवाल आते हैं तो सवाल खुद उस संस्थान में काम करने वाले लोगों की मानसिकता पर खड़े होते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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