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प्रेमी जोड़ों के लिए खुल रही शादी की दुकानें, यहां पार्लर से लेकर वकील तक मिलता है

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 06 जुलाई, 2021 08:11 PM
  • 06 जुलाई, 2021 08:11 PM
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इन दुकानों में पंडित, वकील और मेकअप के लिए पार्लर जैसी वे सुविधाएं मौजूद हैं जिसकी जरूरत किसी भी आम शादी में होती है. इतना ही नहीं इन जोड़ों को शादी के बाद रहने के लिए जगह की भी व्यवस्था करवाई जाती है.

शादी की दुकान (Marriage Shops)... क्या कभी आपने सोचा था कि कभी कुछ ऐसा भी देखने को मिलेगा. भारतीय शादी की क्या परंपरा है, यह हम सभी जानते हैं. तभी तो पूरी दुनिया में इंडियन मैरिज की चर्चा होती है. हमारे देश में शादी मतलब सात जन्मों का बंधन. इससे जुड़ी छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बातों का भी ध्यान रखा जाता है. इसके लिए महीनोंं पहले ही घर में शादी की तैयारियां होने लगती हैं. ढेर सारे रीति-रिवाज, पकवान, नाच-गाना और धमाल के बिना शादी अधूरी सी लगती है.

शादी की दुकान चलाकर ये पुण्य कमा रहे या पाप, फैसला आप करें

इस बीच शादी की दुकानों की पनपने की खबर मिली है. इन दुकानों में उन जोड़ों की शादी करवाई जाती है जो घर से भाग जाते हैं. जिस तरह हम किसी दुकान पर जाकर रोजमर्रा की जरूरत के लिए जीचें खरीदते हैं और उसके बदले पैसे देते हैं, ठीक उसी तरह इन दुकानों पर जाकर जोड़े अपने हिसाब से शादी करवाने के लिए पैकेज लेते हैं और पैसा देते हैं.

इन दुकानों में पंडित, वकील और मेकअप के लिए पार्लर जैसी वे सभी सुविधाएं मौजूद हैं जिसकी जरूरत किसी भी आम शादी में होती है. इतना ही नहीं इन जोड़ों को शादी के बाद रहने के लिए उचित जगह की भी व्यवस्था करवाई जाती है.

दरअसल, घर से भागे प्रेमियों के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट एक सुरक्षित ठिकाने की तरह है. पंजाब और हरियाणा राज्यों से हर रोज लगभग 100 केस ऐसे आते हैं जिसमें भागे हुए प्रेमी जोड़े अपनों से बचने के लिए सुरक्षा की गुहार लगाते हैं.

इन्हीं जोड़ों को देखते हुए अब चंडीगढ़ के बाहरी इलाकों में ढेर सारी ऐसी दुकाने पनप रही हैं जिनमें शादी से जुड़े सारे सामान, पंडित, मैरिज सर्टिफिकेट, शादी की फोटो और हाइकोर्ट तक जाने की सुविधा तक मिलती हैं. इसके लिए कई सारे पैकेज चलाए जाते...

शादी की दुकान (Marriage Shops)... क्या कभी आपने सोचा था कि कभी कुछ ऐसा भी देखने को मिलेगा. भारतीय शादी की क्या परंपरा है, यह हम सभी जानते हैं. तभी तो पूरी दुनिया में इंडियन मैरिज की चर्चा होती है. हमारे देश में शादी मतलब सात जन्मों का बंधन. इससे जुड़ी छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बातों का भी ध्यान रखा जाता है. इसके लिए महीनोंं पहले ही घर में शादी की तैयारियां होने लगती हैं. ढेर सारे रीति-रिवाज, पकवान, नाच-गाना और धमाल के बिना शादी अधूरी सी लगती है.

शादी की दुकान चलाकर ये पुण्य कमा रहे या पाप, फैसला आप करें

इस बीच शादी की दुकानों की पनपने की खबर मिली है. इन दुकानों में उन जोड़ों की शादी करवाई जाती है जो घर से भाग जाते हैं. जिस तरह हम किसी दुकान पर जाकर रोजमर्रा की जरूरत के लिए जीचें खरीदते हैं और उसके बदले पैसे देते हैं, ठीक उसी तरह इन दुकानों पर जाकर जोड़े अपने हिसाब से शादी करवाने के लिए पैकेज लेते हैं और पैसा देते हैं.

इन दुकानों में पंडित, वकील और मेकअप के लिए पार्लर जैसी वे सभी सुविधाएं मौजूद हैं जिसकी जरूरत किसी भी आम शादी में होती है. इतना ही नहीं इन जोड़ों को शादी के बाद रहने के लिए उचित जगह की भी व्यवस्था करवाई जाती है.

दरअसल, घर से भागे प्रेमियों के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट एक सुरक्षित ठिकाने की तरह है. पंजाब और हरियाणा राज्यों से हर रोज लगभग 100 केस ऐसे आते हैं जिसमें भागे हुए प्रेमी जोड़े अपनों से बचने के लिए सुरक्षा की गुहार लगाते हैं.

इन्हीं जोड़ों को देखते हुए अब चंडीगढ़ के बाहरी इलाकों में ढेर सारी ऐसी दुकाने पनप रही हैं जिनमें शादी से जुड़े सारे सामान, पंडित, मैरिज सर्टिफिकेट, शादी की फोटो और हाइकोर्ट तक जाने की सुविधा तक मिलती हैं. इसके लिए कई सारे पैकेज चलाए जाते हैं. शादी करने वाले जोड़े अपनी हैसियत के हिसाब से पैकेज का चुनाव करते हैं.

जिस तरह मंदिर के बाहर दुकानें लगी रहती हैं. जहां अलग-अलग दामों में पूजा सामग्री मिलती हैं. 20 रूपए में सिर्फ अगरबत्ती और फूल, 30 रूपए में प्रसाद और 40 रूपए में नारियल के साथ चुनरी... इसके साथ ही चप्पल रखवाली करने की व्यवस्था मुफ्त. ठीक इसी तरह प्रेमियों की शादी कराने वालों नें भी अपनी दुकान खोल ली है.

जिसे कानून विशेषज्ञ अनैतिक मानते हैं, क्योंकि शादियों का व्यवसायीकरण करना गलत है. एक तरह से यह युवाओं को शोषण करने जैसा है. शादी कराने के नाम पर मनमानी वसूली. डरे-सहमें घर से भागे हुए जोड़ों को ये अच्छी तरह से ठगने का काम करते हैं. हमारे देश में शादी जैसे पवित्र रिश्ते को भी लोगों ने व्यवसाय बना दिया.

जिस तरह मंदिर के बाहर पांडा दर्शन और पूजा कराने के नाम की दुकान चलाते हैं ठीक उसी तरह ये लोग शादी कराने की दुकान धड़ल्ले से चला रहे हैं. घर से भागे हुए जोड़े गुरद्वारे और मंदिर में जाकर जल्द से जल्द शादी करना चाहते हैं. ताकि वे हाइ कोर्ट में अपनी शादी का सबूत दिखा सकें और अपने घरवालों से सुरक्षा पाने के लिए याचिका दाखिल कर सकें. ऑनर किलिंग जैसे मामलों से बचने का यह एक तरीका है.

ये दुकानें, माता मनसा देवी मंदिर जाने वाली सड़क के किनारे बसी हुईं हैं. ये शादी करने वाले जोड़ों को सारी सुविधा मुहैया कराती हैं और बदले में मोटी रकम वसूलती हैं. इस तरह इनकी दुकानदारी फलफूल रही है. असल में इन दुकानों में यह फर्क नहीं पड़ता कि प्रेमी जोड़े किस जाति, धर्म और गोत्र के हैं. अगर वे सात जन्म तक साथ रहना चाहते हैं उनकी शादी करा दी जाती है.

सिर्फ इतना ही नहीं, शादी के बाद कोर्ट से उनके पक्ष में फैसला आने तक प्रेमियों को शेल्टर होम और सब्सिडि वाले होटल में ठहरने की सुविधा भी दी जाती है. ताकि वे अपनी जान की सुरक्षा कर सकें. मनसा देवी मंदिर के आस-पास के क्षेत्र में ऐसी कई दुकाने हैं जहां सुरक्षित शादी कराए जाने और प्रमाणित मैरेज सर्टिफिकेट देने का दावा किया गया है.

इन दुकानों में दुल्हनों का खास ध्यान रखा जाता है. तभी तो शादी के लिए उनके कपड़े, जूलरी, मेकअप और फोटोशूट का व्यवस्था की जाती है. शादी के बाद आशीर्वाद लेने के लिए माता मनसा देवी के दर्शन भी करवाए जाते हैं. शादी के लिए इस पैकेज की शुरुआत 5,100 से शुरू होती है. वहीं मोटी रकम के पैकेज में वकील की फीस भी शामिल होती है.

मतलब जितनी ज्यादा रकम का पैकेज जोड़ों की चिंता उतनी ही कम. यानी इस बिजनेस को बढ़ाने के लिए शादी कराने वाले पंडित जी को कानून की भी पूरी जानकारी है. अब घर से भागे हुए जोड़ों को कोर्ट में शादी का कागज तो दिखाना ही पड़ेगा, तभी तो वे पति-पत्नी कहलाएंगे, इसलिए वे इन दुकानों की शरण में पहुंच जाते हैं.

इस तरह का शादी कराना भले अवैध ना हों लेकिन अनैतिक जरूर है. जिन लोगों को इन दुकानों के बारे में पता चला उनका यह भी कहना है कि कहीं यहां लव-जिहाद वाले मामले तो नहीं आते. अब आप बताइए, इन दुकानों के बारे में आपकी क्या रहा है? ये लोग शादी करवाकर पुण्य कमा रहे या पाप...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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