• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

Marital Rape का मुद्दा 'पिंक मूवी' जैसा ब्‍लैक एंड व्‍हाइट नहीं है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 12 मई, 2022 08:49 PM
  • 12 मई, 2022 08:46 PM
offline
अमिताभ बच्‍चन और तापसी पन्नू की फिल्म पिंक में कसेंट (सहमति) के बिना सेक्स करने का मुद्दा बखूबी उभारा गया है. साबित भी हुआ कि ऐसा करना अपराध है. लेकिन, जब पति-पत्नी के बीच बिना सहमति के सेक्स (marital rape) का मामला आता है, तो जज करना उतना आसान नहीं होता है.

मैरिटल रेप, वैवाहिक बलात्कार पर बहस तेज है. क्योंकि, इस मामले को सुप्रीम कोर्ट रैफर करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट  दो जजों की राय भी इस पर बंटी हुई है. मैरिटल रेप पर जस्टिस राजीव शकधर ने कहा है कि पति द्वारा पत्नी के साथ उसकी मर्जी के बगैर यौन संबंध बनाना, गुलाम प्रथा की ओर लौटने जैसा है. इसे अपराध घोषित किया जाना चाहिए. वहीं इसके अलग राय रखने वाले जस्टिस सी हरि शंकर का मानना था कि, यह अपवाद असंवैधानिक नहीं है और एक समझदार अंतर पर आधारित है.  आखिर एक पति ये साबित कैसे करेगा कि उसने सहमति लेकर पत्‍नी से यौन संबंध बनाए थे. मैरिटल रेप को अपराध घोषित किए जाने की मांग को लेकर आरटीआई फाउंडेशन ने याचिका दायर की थी. 

दिल्ली हाई कोर्ट में मैरिटल रेप पर तमाम बातें हुईं हैं. मामले के बाद समाज दो वर्गों में बंटा है. पक्ष हो या विपक्ष अपनी सुविधा के हिसाब से दलीलें दी जा रही हैं. तर्क कंसेंट का दिया गया. अब हमें ये समझना होगा कि ये पूरा मामला अमिताभ बच्चन की पिंक सरीखा सीधा-सपाट नहीं है. इसे सीधा-सपाट बनाने में कई रुकावटें और व्‍यावहारिक कठिनाइयां हैं.

जनता विशेषकर नारीवादियों को ये समझना होगा कि मैरिटल रेप में मुद्दा कंसेंट है ही नहीं

फिल्म पिंक में वकील बने अमिताभ ने कोर्ट रूम को यही बताया था कि 'No' सिर्फ एक शब्द नहीं बल्कि वाक्य है. जिसके बाद कुछ और कहने को बचता ही नहीं है. वहीं तापसी ने फिल्म में कंसेंट यानी मर्जी की बात की थी. और बताया था कि अगर लड़की की मर्जी नहीं है, तो फिर उसे कोई हाथ भी नहीं लगा सकता. हम भी मानते हैं कि यह बात सौ फीसदी सच है. बिल्‍कुल ऐसा ही होना चाहिए. नो मने नो. लेकिन, यह भी सच है कि जिंदगी फिल्‍म नहीं होती. वैवाहि‍क जिंदगी तो और भी नहीं. 

भले कहा जाए कि...

मैरिटल रेप, वैवाहिक बलात्कार पर बहस तेज है. क्योंकि, इस मामले को सुप्रीम कोर्ट रैफर करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट  दो जजों की राय भी इस पर बंटी हुई है. मैरिटल रेप पर जस्टिस राजीव शकधर ने कहा है कि पति द्वारा पत्नी के साथ उसकी मर्जी के बगैर यौन संबंध बनाना, गुलाम प्रथा की ओर लौटने जैसा है. इसे अपराध घोषित किया जाना चाहिए. वहीं इसके अलग राय रखने वाले जस्टिस सी हरि शंकर का मानना था कि, यह अपवाद असंवैधानिक नहीं है और एक समझदार अंतर पर आधारित है.  आखिर एक पति ये साबित कैसे करेगा कि उसने सहमति लेकर पत्‍नी से यौन संबंध बनाए थे. मैरिटल रेप को अपराध घोषित किए जाने की मांग को लेकर आरटीआई फाउंडेशन ने याचिका दायर की थी. 

दिल्ली हाई कोर्ट में मैरिटल रेप पर तमाम बातें हुईं हैं. मामले के बाद समाज दो वर्गों में बंटा है. पक्ष हो या विपक्ष अपनी सुविधा के हिसाब से दलीलें दी जा रही हैं. तर्क कंसेंट का दिया गया. अब हमें ये समझना होगा कि ये पूरा मामला अमिताभ बच्चन की पिंक सरीखा सीधा-सपाट नहीं है. इसे सीधा-सपाट बनाने में कई रुकावटें और व्‍यावहारिक कठिनाइयां हैं.

जनता विशेषकर नारीवादियों को ये समझना होगा कि मैरिटल रेप में मुद्दा कंसेंट है ही नहीं

फिल्म पिंक में वकील बने अमिताभ ने कोर्ट रूम को यही बताया था कि 'No' सिर्फ एक शब्द नहीं बल्कि वाक्य है. जिसके बाद कुछ और कहने को बचता ही नहीं है. वहीं तापसी ने फिल्म में कंसेंट यानी मर्जी की बात की थी. और बताया था कि अगर लड़की की मर्जी नहीं है, तो फिर उसे कोई हाथ भी नहीं लगा सकता. हम भी मानते हैं कि यह बात सौ फीसदी सच है. बिल्‍कुल ऐसा ही होना चाहिए. नो मने नो. लेकिन, यह भी सच है कि जिंदगी फिल्‍म नहीं होती. वैवाहि‍क जिंदगी तो और भी नहीं. 

भले कहा जाए कि फ़िल्में समाज का आईना हैं. लेकिन जिंदगी में कई रियलिटी ऐसी होती है, जिसे रील पर नहीं उतारा जा सकता. बात चूंकि मैरिटल रेप की हुई है. पति-पत्नी के बीच का रिश्‍ता लिखा-पढ़ी करते हुए नहीं चलता. उसमें हर तरह के पल आते हैं. खट्टे-मीठे. कड़वे और बहुत कड़वे भी. जीवन अनिश्चितता से भरा हुआ है. कौन सी कड़वाहट किस बात से मिठास में बदल जाए, और कब ये कड़वाहट में बदल जाए, पता नहीं चलता.

एक सहज उदाहरण से समझते हैं- पति-पत्नी ने बेडरूम में निजी पल बिताए. बाद में किसी बात को लेकर विवाद हो जाए. सुबह उठकर पत्नी अपने पति पर बलात्कार का आरोप लगा दिया. अब पति अपनी बेगुनाही साबित कैसे करेगा?

मैरिटल रेप के मद्देनजर यूं तो कहने को तमाम बातें हैं. लेकिन आइये पहले एक और कंडीशन पर चर्चा की जाए- मान लीजिये किसी दिन पति-पत्नी में झगड़ा हुआ हो और पति ये सोचकर बेडरूम में आया हो कि करीब आने से मूड बदल जाए. पत्नी ने उस समय तो विरोध नहीं किया, लेकिन अगले दिन फिर बात फिर खटक जाए. और कह दे कि वह बीती रात फिर छली गई. पति-पत्‍नी के बीच होने वाले ये सहज क्रियाकलाप अचानक क्या अपराध के दायरे में आ जाएंगे?

बात पति पत्नी और उनके शारीरिक संबंधों की चल रही है तो ऐसा बिल्कुल नहीं है कि अमूमन घरों में कमरे के बाहर कोई लॉग बुक रखी है जहां ये एंट्री की जाती है कि आज संबंध बनेंगे. कुछ शर्तों को ध्यान में रखकर बनेंगे. न ही ऐसा होता है कि इंसान अपने घर में और घर में भी बेडरूम में अपने को सही या गलत साबित करने के लिए सीसीटीवी लगवाता है.

हम फिर इस बात को कहना चाहेंगे कि आम ज़िन्दगी अमिताभ बच्चन और तापसी की चर्चित फिल्म पिंक नहीं है. वो तमाम लोग जो तिल का ताड़ बना रहे हैं. उन्हें इस बात को समझ लेना चाहिए कि पति हो या फिर पत्नी दोनों दो अलग लोग हैं. दो अलग बर्तनों की तरह हैं और इतिहास गवाह है कि जहां दो बर्तन होंगे वहां टकराव होगा. यदि उस टकराव को आधार बनाकर विषय को मैरिटल रेप की तरफ मोड़ दिया जाए तो इससे समस्या का समाधान हरगिज नहीं होगा और पति पत्नी के बीच का तनाव और अधिक काम्प्लेक्स हो जाएगा.

इसके अलावा हमें उस कंडीशन को भी नहीं भूलना चाहिए जिसमें पति भले ही न चाह रहा हो लेकिन पति के मुकाबले किसी घर में पत्नी सेक्स के लिए आतुर है. बताइये क्या ऐसी अवस्था में पत्नी के कृत्य को वैवाहिक बलात्कार की संज्ञा दी जाएगी? सवाल अटपटा लग सकता है लेकिन लाजिम इसलिए भी है क्योंकि अब मैरिटल रेप को लेकर बात हद से ज्यादा आगे बढ़ गयी है. 

ये भी पढ़ें -

अनुपमा की शादी की रस्में देख नाखुश क्यों हैं लोग, दादी की शादी में ये तो होना ही था!

Amber Heard शोषित हैं या शोषक? गवाही और ऑडियो टेप में जमीन-आसमान का फर्क है

Nordic countries: जहां 5 देशों में से 4 की राष्ट्र प्रमुख महिलाएं हैं! 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲