• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

पुरुषों की ये तकलीफ सिर्फ वही समझ सकते हैं, इन 8 सवालों में 'मर्द का दर्द' छिपा है

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 19 अगस्त, 2022 05:35 PM
  • 19 अगस्त, 2022 05:35 PM
offline
सोचिए इस जमाने ने पुरुषों के साथ कितना बड़ा गुनाह किया है कि ये किसी के सामने रो भी नहीं सकते, वरना लोग इन्हें कमजोर समझेंगे...

कुदरत ने मर्द (Men) की संरचना करने में कोई गलती नहीं की. पुरुषों के पास भी महिलाओं की तरह दिल है, जहान है और जख्म है. इस जमाने ने ही उन्हें मजबूत की संज्ञा देकर कठोर बना दिया.

मगर जब कभी भी दुख की काली बदली तरह उमड़ती है तो बड़ी गर्जना के साथ बारिश होती है. इस बारिश को जमाने वाले कभी-कभी ही देख पाता है. अक्सर ये मजबूत कहलाने वाले पुरुष तब रो पड़ते हैं जब उनके बच्चे बीमार पड़ जाते हैं. वे भी मां की तरह बच्चे के सिर पर पट्टी करते हैं.

सोचिए, इस जमाने ने पुरुषों के साथ कितना बड़ा गुनाह किया है कि ये किसी के सामने रो भी नहीं सकते, वरना लोग इन्हें कमजोर समझेंगे...दुनिया की रीत में बेटा, भाई, पति और पिता कभी कमजोर नहीं हो सकते, क्योंकि वे अपने परिवार की ढाल होते हैं.

घर पर किसी मुसीबत को आने से पहले, उसे घर के पुरुषों के मजबूत कंधे से होकर गुजरना होगा. बेटों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि कैसे उसे बहन की रक्षा करनी है. उसे बताया जाता है कि बहन की शादी से पहले अगर वह शादी करता है तो यह जमाना उसे सेल्फिश कहेगा. शादी से पहले लड़कों को समझाया जाता है कि पत्नी की हर डिमांड पूरी करना ही उसका कर्तव्य है.

वहीं पिता बनने पर तो वह अपनी ख्वाहिशों को सात समुंदर पार फेक देता है. मैंने कई ऐसे मजबूत पुरुषों को अपनी बेटी की विदाई पर जोर-जोर से रोते देखा है.

देखा है कि, कैसे भाई बहन की जिद पूरी करने के लिए अपनी पॉकेट मनी जोड़ता है. कैसे लड़के अपनी प्रेमिका के लिए हर मुश्किल से लड़ जाते हैं. वह दोस्त जो किसी लड़की की मदद के लिए देर रात उसे स्टेशन पर छोड़कर आता है.

वह बेटा जो आज भी मां की गोद में छोटा बच्चा बन जाता है. वह पिता जो खुद बस के धक्के खाता है मगर बेटे के लिए बाइक खरीदने की चाह रखता है. इन पुरुषों के बारे में बात करके मुझे तो नहीं लगता कि इनके पास दिल नहीं है.

वहीं कुछ सवाल ऐसे हैं जो सिर्फ पुरुषों से ही पूछे जाते हैं. ऐसे बेतुका सवालों का उन्हें...

कुदरत ने मर्द (Men) की संरचना करने में कोई गलती नहीं की. पुरुषों के पास भी महिलाओं की तरह दिल है, जहान है और जख्म है. इस जमाने ने ही उन्हें मजबूत की संज्ञा देकर कठोर बना दिया.

मगर जब कभी भी दुख की काली बदली तरह उमड़ती है तो बड़ी गर्जना के साथ बारिश होती है. इस बारिश को जमाने वाले कभी-कभी ही देख पाता है. अक्सर ये मजबूत कहलाने वाले पुरुष तब रो पड़ते हैं जब उनके बच्चे बीमार पड़ जाते हैं. वे भी मां की तरह बच्चे के सिर पर पट्टी करते हैं.

सोचिए, इस जमाने ने पुरुषों के साथ कितना बड़ा गुनाह किया है कि ये किसी के सामने रो भी नहीं सकते, वरना लोग इन्हें कमजोर समझेंगे...दुनिया की रीत में बेटा, भाई, पति और पिता कभी कमजोर नहीं हो सकते, क्योंकि वे अपने परिवार की ढाल होते हैं.

घर पर किसी मुसीबत को आने से पहले, उसे घर के पुरुषों के मजबूत कंधे से होकर गुजरना होगा. बेटों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि कैसे उसे बहन की रक्षा करनी है. उसे बताया जाता है कि बहन की शादी से पहले अगर वह शादी करता है तो यह जमाना उसे सेल्फिश कहेगा. शादी से पहले लड़कों को समझाया जाता है कि पत्नी की हर डिमांड पूरी करना ही उसका कर्तव्य है.

वहीं पिता बनने पर तो वह अपनी ख्वाहिशों को सात समुंदर पार फेक देता है. मैंने कई ऐसे मजबूत पुरुषों को अपनी बेटी की विदाई पर जोर-जोर से रोते देखा है.

देखा है कि, कैसे भाई बहन की जिद पूरी करने के लिए अपनी पॉकेट मनी जोड़ता है. कैसे लड़के अपनी प्रेमिका के लिए हर मुश्किल से लड़ जाते हैं. वह दोस्त जो किसी लड़की की मदद के लिए देर रात उसे स्टेशन पर छोड़कर आता है.

वह बेटा जो आज भी मां की गोद में छोटा बच्चा बन जाता है. वह पिता जो खुद बस के धक्के खाता है मगर बेटे के लिए बाइक खरीदने की चाह रखता है. इन पुरुषों के बारे में बात करके मुझे तो नहीं लगता कि इनके पास दिल नहीं है.

वहीं कुछ सवाल ऐसे हैं जो सिर्फ पुरुषों से ही पूछे जाते हैं. ऐसे बेतुका सवालों का उन्हें जिंदगी के हर मोड़ पर सामना करना पड़ता है. दुनिया ने अपने आंखों पर पुरुषों के लिए ऐसी चादर ओढ़ी कि किसी को मर्द के दर्द का एहसास नहीं होता है.

इस जमाने ने ही मर्दों की मजबूत की संज्ञा देकर कठोर कर दिया

पुरुषों का जब मजाक उड़ाया जाता है तो किसी को बुरा नहीं लगता, सब साथ में और मजे लेते हैं. उन्हें कोई समझने की कोशिश नहीं करता, क्योंकि मर्द जाति ऐसी ही होती है औऱ यही बात उनके दिमाग में बैठ गई है.

ये कुछ सवाल सिर्फ लड़कों से ही पूछे जाते हैं जिनका जवाब देकर वे गलती करते हैं-

लड़का होकर रो रहा है?

सबसे पहली बात तो यही है कि लड़कों को रोना शोभा नहीं देता. अरे जब उनके पास आंख है, आंसू है और दर्द है तो रोना कैसे नहीं आएगा.

लड़का होकर इतना कमजोर है?

अरे लड़के हो थोड़ा मजबूत बनो, मर्द बनो मर्द. अरे भाई किसने कहा कि हमेशा मजबूत होना ही अच्छा है.

लड़का होकर गाड़ी धीरे चलाते हो?

लड़के हो थोड़ा गाड़ी तो भगाओ, क्या डरकर तबसे रेंग रहे हो. किसने कहा कि लड़कों को गाड़ी धीरे नहीं चलानी चाहिए.

लड़का होकर दिनभर घर में घुसे रहते हो?

लड़कों का दिन भर घर में रहना उनके डरपोक होने की निशानी है. वहीं उनका बाहर आवारागर्दी करना मर्द की निशानी मानी जाती है.

लड़का होकर बस इतना ही कमाते हो?

शादी से पहले सबसे पहले यही देखा जाता है कि लड़के की सैलरी कितनी है, तब तय होता है कि वह घर चला पाएगा या नहीं?

लड़का होकर घर का काम करता है ?

घर का काम करना तो लड़कों के लिए सबसे बड़ी बइज्जती मानी जाती है. उसे जोरू का गुलाम तक कहा जाता है.

लड़का होकर नौकरी नहीं करोगे?

अगर लड़के को घर संभालना पसंद है और उसकी पत्नी घर खर्च चला सकती है फिर भी उसे नौकरी तो करनी ही पड़ेगी.

लड़का होकर लड़कियों की तरह रहता है?

लड़कों को किस तरह बिहैव करना चाहिए, कैसे रंग पहनने चाहिए, कैसे गेम खेलने चाहिए, कैसा डांस करना चाहिए यह सब जमाने ने तय कर रखा है.

मुझे एक कहानी याद आ रही है, एक बार एक आदमी सड़क पर लेट रहा था. उसे जिसने भी देखा कहा कि मारो साले को शराब पीकर तमाशा कर रहा है, जबकि असल में वह भूख के मारे तड़प रहा था.

कहानी का सार यह है कि पुरुषों को देखकर ही उन्हें जज कर लिया जाता है और उनके बारे में राय बना ली जाती है. यह तो पियक्कड़ होगा, ये तो नशे में है, ये तो लड़कीबाज है, यह तो प्लेबॉय है, ये तो बदतमीज है, ये तो आवारा है, ब्ला-ब्ला...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲