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मैगी विवाद: क्या एक बार फिर खतरे में है नेस्ले की साख?

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 04 जनवरी, 2019 04:04 PM
  • 04 जनवरी, 2019 04:04 PM
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मैगी नूडल्स पर विवाद एक बार फिर गहरा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने नेस्ले के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं. साथ ही 640 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

मैगी नूडल्स पर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने नेस्ले पर झूठा प्रचार करने और खाने के सामान की गलत लेबलिंग, और भ्रमिक करने वाले तथ्य देने के लिए 640 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. साथ ही, सरकार को ये अनुमति भी दी है कि वो इस मामले में आगे जांच कर सकती है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान मैगी बनाने वाली नेस्ले (Nestle) कंपनी के वकीलों ने ये स्वीकार किया है कि मैगी में साल 2015 में लेड (सीसा) की मात्रा तय सीमा से ज्यादा थी. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तीन साल बाद मामले में कार्रवाई की इजाज़त भी सरकार को दे दी है.

मैगी का अभी वाला विवाद पुराने विवाद से जुड़ा हुआ है. मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट ने उसी समय की कार्रवाई को आगे बढ़ाया है. अब एक बार फिर से मैगी के सैम्पल की जांच भी होगी और नेस्ले पर कार्रवाई भी होगी.

4 साल पहले की कांट्रोवर्सी-

12 मार्च 2014 होली के दौरान उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में ईजी-डे के एक स्टोर से मैगी नूडल्स के नमूने जांच के लिए गए. गोरखपुर की सरकारी लैब में जांच हुई तो इसमें लेड की मात्रा 2.5 पीपीएम के स्वीकार्य स्तर से ज्यादा मिली. नमूने को जांच के लिए दोबारा कोलकाता की केंद्र सरकार की लैब में भेजा गया जहां इसमें लेड 17.2 पीपीएम पाया गया.

मैगी विवाद की वजह से नेस्ले को 500 करोड़ से भी ज्यादा का नुकसान हुआ था.

30 अप्रैल 2015 तक उत्तर प्रदेश के फूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने नेस्ले से मैगी नूडल्स के फरवरी 2014 के बैच को वापस लेने को कहा. ये खबरें आनी शुरू हुई की मैगी नूडल्स में नहीं दरअसल, मैगी टेस्टमेकर में खतरनाक कैमिकल्स हैं.

29 मई 2015 को सरकार ने FSSAI से मामले की जांच करने को कहा. FSSAI ने अलग-अलग राज्यों से जांच के लिए और...

मैगी नूडल्स पर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने नेस्ले पर झूठा प्रचार करने और खाने के सामान की गलत लेबलिंग, और भ्रमिक करने वाले तथ्य देने के लिए 640 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. साथ ही, सरकार को ये अनुमति भी दी है कि वो इस मामले में आगे जांच कर सकती है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान मैगी बनाने वाली नेस्ले (Nestle) कंपनी के वकीलों ने ये स्वीकार किया है कि मैगी में साल 2015 में लेड (सीसा) की मात्रा तय सीमा से ज्यादा थी. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तीन साल बाद मामले में कार्रवाई की इजाज़त भी सरकार को दे दी है.

मैगी का अभी वाला विवाद पुराने विवाद से जुड़ा हुआ है. मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट ने उसी समय की कार्रवाई को आगे बढ़ाया है. अब एक बार फिर से मैगी के सैम्पल की जांच भी होगी और नेस्ले पर कार्रवाई भी होगी.

4 साल पहले की कांट्रोवर्सी-

12 मार्च 2014 होली के दौरान उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में ईजी-डे के एक स्टोर से मैगी नूडल्स के नमूने जांच के लिए गए. गोरखपुर की सरकारी लैब में जांच हुई तो इसमें लेड की मात्रा 2.5 पीपीएम के स्वीकार्य स्तर से ज्यादा मिली. नमूने को जांच के लिए दोबारा कोलकाता की केंद्र सरकार की लैब में भेजा गया जहां इसमें लेड 17.2 पीपीएम पाया गया.

मैगी विवाद की वजह से नेस्ले को 500 करोड़ से भी ज्यादा का नुकसान हुआ था.

30 अप्रैल 2015 तक उत्तर प्रदेश के फूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने नेस्ले से मैगी नूडल्स के फरवरी 2014 के बैच को वापस लेने को कहा. ये खबरें आनी शुरू हुई की मैगी नूडल्स में नहीं दरअसल, मैगी टेस्टमेकर में खतरनाक कैमिकल्स हैं.

29 मई 2015 को सरकार ने FSSAI से मामले की जांच करने को कहा. FSSAI ने अलग-अलग राज्यों से जांच के लिए और नमूने लिए.

इसी बीच मैगी का प्रचार करने वाले अभिनेताओं पर भी कार्रवाई की खबरें आईं.

02 जून 2015 नेस्ले के लिए बेहद खराब खबर लेकर आया. केरल ने मैगी की बिक्री पर रोक लगाई. एक दिन बाद दिल्ली सरकार और उत्तराखंड ने प्रदेश में मैगी को बैन कर दिया. बिग बाजार रिटेल चैन चलाने वाले फ्यूचर ग्रुप, सेना की कैंटीन और केंद्रीय भंडार ने भी अपने स्टोरों से मैगी हटाई. 4 जून तक जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, असम, गुजरात और नेपाल ने भी मैगी बैन कर दी. 5 जून तक नेस्ले ने मैगी नूडल्स वापस लेने की घोषणा की. इसी दिन मध्य प्रदेश और बिहार में भी मैगी बैन कर दी गई और इसी दिन FSSAI ने पूरे देश में मैगी नूडल्स पर बैन लगा दिया. इसी बीच हज़ारों पैकेट मैगी बर्बाद की गई और लोगों ने नेस्ले के खिलाफ जुलूस भी निकाला.

पर मैगी में लेड आया कहां से? और क्यों ये इतना खतरनाक है?

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार लेड का जहर हर साल 1.5 लाख लोगों को मारता है. पर सबसे बड़ी बात ये है कि आखिर ये लेड नूडल्स में कैसे पहुंचा. मैगी का विवाद दोबारा गहरा गया है, लेकिन अभी ये साबित नहीं हुआ कि मौजूदा सैम्पल्स में भी लेड की मात्रा है या नहीं.

लेड बहुत ही खतरनाक जहरीला मटेरियल होता है और अगर उसे सांस के जरिए ले लिया जाए तो शरीर में काफी नुकसान पहुंचा सकता है. प्रदूषण, पेंट, पानी के पाइप में लगी जंग किसी के जरिए भी लेड शरीर में पहुंच सकता है पर ये आखिर मैगी में कैसे आया. मैगी तो उगाई नहीं जाती है, ये फैक्ट्री में बनती है तो न ही पानी न ही मिट्टी के जरिए ये आ सकती है. IIT बॉम्बे के प्रोफेसर डॉक्टर गोपाल राव ने मैगी विवाद पर एक बात कही थी. उन्के अनुसार मैगी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पानी हो सकता है लेड के संपर्क में हो और एक बार लेड फूड चेन में आ जाता है तो उसे निकालना लगभग नामुमकिन हो जाता है, इसलिए उबालने और पकाने के बाद भी लेड मैगी पैकेट में रहता है. साथ ही, एक थ्योरी ये भी है कि जो मैगी मसाला इस्तेमाल होता है उसमें कच्चे प्याज, लहसुन, टमाटर आदी का इस्तेमाल होता है और उसमें से कोई प्रोडक्ट लेड के संपर्क में होगा.

तो क्या मैगी बनाने के लिए लेड होना जरूरी है?

इसका जवाब खुद मैगी की वेबसाइट पर मिल जाएगा.

मैगी की वेबसाइट पर लिखा है कि क्यों मैगी नूडल्स में लेड होता है.

वेबसाइट के मुताबिक क्योंकि लेड प्राकृतिक तौर पर मिट्टी, पानी, हवा में मौजूद रहता है इसलिए मैगी में भी थोड़ी मात्रा में लेड होता है और ये बिलकुल सुरक्षित है खाने के लिए.

मैगी को इस विवाद से कितना नुकसान हो सकता है?

पिछली बार जब मैगी विवाद गहराया था तब मैगी नूडल्स का 80 प्रतिशत मार्केट शेयर एकदम से गिर गया था. आज जब सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर मैगी नूडल्स पर सवाल खड़े कर दिए हैं तो नेस्ले के शेयर के दाम 1.50% गिर गए. खबर लिखने तक मैगी का शेयर NSE 11038.00 (-1.51%) पर चल रहा था. अब अगर नेस्ले पर कार्रवाई बढ़ती है तो शेयर के दाम और गिर सकते हैं.

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक नेस्ले इंडिया का 30% रेवेन्यू मैगी से ही आता है और पिछली बार मैगी नूडल्स का ही 80% मार्केट शेयर गिर गया था यानी अगर एक बार फिर मैगी विवाद गहराता है तो नेस्ले इंडिया की ग्रोथ को असर पड़ेगा. इसका अंदाजा पिछली बार से ही लगाया जा सकता है. नेस्ले इंडिया जनवरी-दिसंबर का फाइनेंशियल इयर फॉलो करती है और 2015 में नेस्ले का प्रॉफिट घटकर 563 करोड़ रह गया था जो उसके पहले साल 1,185 करोड़ था. ये पूरा का पूरा लॉस मैगी के कारण था.

आगे क्या होगा?

इस बात का अंदाजा लगाना कि आगे क्या होगा थोड़ा मुश्किल है. सबसे अहम बात ये है कि क्या मैगी में फिर लेड की मात्रा है या नहीं. अगर जांच में गलती पाई जाती है तो यकीनन नेस्ले इंडिया बड़ी मुश्किल में पड़ सकती है. अगर विवाद थोड़े दिन चलता है तो यकीनन मैगी की बिक्री पर असर पड़ेगा. साथ ही, कंपनी पर 640 करोड़ रुपए का जुर्माना तो लग ही गया है. नेस्ले के रेवेन्यू पर उसी तरह का असर ये विवाद भी डाल सकता है जैसा पहले पड़ा था.

साथ ही, सबसे बड़ी चिंता नेस्ले को कंज्यूमर के भरोसे की करनी चाहिए. एक बार मैगी विवाद के बाद पतंजलि नूडल्स से लेकर कई नए नूडल्स बाजार में आ गए थे. अगर दोबारा ऐसा होता है तो न सिर्फ कंपनी को आर्थिक तौर पर नुकसान होगा बल्कि कंज्यूमर का भरोसा भी टूटेगा. हो सकता है कि तीसरी बार मैगी पर भरोसा न किया जा सके.

साथ ही, अगर आगे मामला बिगड़ता है तो नेस्ले के शेयर्स के दाम और कम हो सकते हैं. निवेशक नेस्ले पर भरोसा नहीं करेंगे और इसका असर ग्रोथ पर तो होगा ही.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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