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अमित-रेणु की कहानी: अंतरजातीय शादी छोड़िए, दुल्हन का अस्तित्व ही खतरे में!

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 12 अक्टूबर, 2022 08:08 PM
  • 12 अक्टूबर, 2022 06:44 PM
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अमित भी कोई ऐसा वैसा लड़का नहीं है. वह पढ़ा-लिखा होनहार इंजीनियर है. अमित के पास सबकुछ है. वह रेणु के साथ घर बसाना चाहता था. रेणु भी उसके साथ अपनी बाकी की जिंदगी बिताना चाहती थी. वह घर से भागना नहीं चाहती थी मगर उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था.

अमित और रेणु एक-दूसरे से बहुत प्रेम करते हैं. वे दोनों एक दूसरे को क्लास 9 से ही जानते हैं. दोनों ने एक-दूसरे को इतना मान लिया किसी और को अपनी जिंदगी में शामिल करने की कल्पना नहीं कर सकते. वे साथ में जीना तो चाहते हैं मगर उनके घरवालों को यह रिश्ता मंजरू नहीं. मंजूर होता भी कैसे, क्योंकि अमित दलित है और रेणु ब्राह्मण जाति की.

काश साथ में जीने के लिए सिर्फ प्रेम काफी होता मगर यहां तो ऊंच-नीच जात-पात की दीवार खड़ी थी. लड़की चाहती थी कि उसकी भी डोली दूसरी लड़कियों की तरह घर से उठे. वह भी दुल्हन बने और घर में खुशी और नाच गाना हो. पिता अपनी लाडली पर प्यार बरसाएं, मां नजर उतारे और भाई उसे जयमाला के स्टेज पर साथ लेकर जाएं और उसकी विदाई की गाड़ी को धक्का दें. मगर उसे पता था कि उसके घरवाले कभी अमित को नहीं अपनाएंगे.

अमित भी कोई ऐसा वैसा लड़का नहीं है. वह पढ़ा-लिखा इंजीनियर है. अमित के पास सबकुछ है. वह रेणु के साथ घर बसाना चाहता था. रेणु भी उसके साथ अपनी बाकी की जिंदगी बिताना चाहती थी. वह घर से भागना नहीं चाहती थी मगर उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था. जिस दिन वह घर से भागी उसे लगा अब उसे अमित से कोई जुदा नहीं कर पाएगा. एकबार शादी हो जाएगी तो शायद उसके घरवाले उसे अपना लें. मगर उन दोनों की जिंदगी में अभी और इम्तहान बाकी थे.

 अमित को डर है कि उसकी पत्नी अब इस दुनिया में नहीं है

दोनों भागकर देहरादून पहुंते और वहां के एक मंदिर में शादी की और शादी का पंजीकरण कराया. आखिरकार दोनों का सपना पूरा हुई अब वे एक पति-पत्नी थे. वे हिमांचल प्रदेश के पांवटा साहिब में रहने वाले थे मगर तभी पुलिस पहुंच गई औऱ रेणु को यह कह कर अपने साथ ले गए कि उसका अपहरण हुआ है. उस 13 अगस्त, 2021 की काली रात के बाद दोनों ने एक-दूसरे को ना देखा है ना बात...

अमित और रेणु एक-दूसरे से बहुत प्रेम करते हैं. वे दोनों एक दूसरे को क्लास 9 से ही जानते हैं. दोनों ने एक-दूसरे को इतना मान लिया किसी और को अपनी जिंदगी में शामिल करने की कल्पना नहीं कर सकते. वे साथ में जीना तो चाहते हैं मगर उनके घरवालों को यह रिश्ता मंजरू नहीं. मंजूर होता भी कैसे, क्योंकि अमित दलित है और रेणु ब्राह्मण जाति की.

काश साथ में जीने के लिए सिर्फ प्रेम काफी होता मगर यहां तो ऊंच-नीच जात-पात की दीवार खड़ी थी. लड़की चाहती थी कि उसकी भी डोली दूसरी लड़कियों की तरह घर से उठे. वह भी दुल्हन बने और घर में खुशी और नाच गाना हो. पिता अपनी लाडली पर प्यार बरसाएं, मां नजर उतारे और भाई उसे जयमाला के स्टेज पर साथ लेकर जाएं और उसकी विदाई की गाड़ी को धक्का दें. मगर उसे पता था कि उसके घरवाले कभी अमित को नहीं अपनाएंगे.

अमित भी कोई ऐसा वैसा लड़का नहीं है. वह पढ़ा-लिखा इंजीनियर है. अमित के पास सबकुछ है. वह रेणु के साथ घर बसाना चाहता था. रेणु भी उसके साथ अपनी बाकी की जिंदगी बिताना चाहती थी. वह घर से भागना नहीं चाहती थी मगर उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था. जिस दिन वह घर से भागी उसे लगा अब उसे अमित से कोई जुदा नहीं कर पाएगा. एकबार शादी हो जाएगी तो शायद उसके घरवाले उसे अपना लें. मगर उन दोनों की जिंदगी में अभी और इम्तहान बाकी थे.

 अमित को डर है कि उसकी पत्नी अब इस दुनिया में नहीं है

दोनों भागकर देहरादून पहुंते और वहां के एक मंदिर में शादी की और शादी का पंजीकरण कराया. आखिरकार दोनों का सपना पूरा हुई अब वे एक पति-पत्नी थे. वे हिमांचल प्रदेश के पांवटा साहिब में रहने वाले थे मगर तभी पुलिस पहुंच गई औऱ रेणु को यह कह कर अपने साथ ले गए कि उसका अपहरण हुआ है. उस 13 अगस्त, 2021 की काली रात के बाद दोनों ने एक-दूसरे को ना देखा है ना बात की है. अमित हो पता नहीं है कि रेण कहां है? कैसी है? वह अपनी पत्नी को पाने की कानूनी लड़ रहा है मगर उसकी याचिका खारिज कर दी गई. अमित ने द हिंदू से कहा है कि "मुझे डर है कि मेरी पत्नी अब नहीं है". मामला झारखंड के गढ़वा जिले का है.

सोचिए एक-दूसरे को बचपन से जानने वाले दो प्रेमी अब एक साथ नहीं है. जो एक-दूसरे को देखे बिना एक दिन नहीं बिता सकते थे उन्हें मिले हुए एक साल से अधिक हो चुका है. अमित आज भी अपनी रेणु का पता लगाने के लिए भटक रहा है. उसे डर है कि उसकी पत्नी को मार दिया गया है. कितनी दर्दनाक बात है.

आखिर क्यों मां-बाप बालिग बच्चों के फैसले पर भरोसा नहीं कर पाते हैं? ऐसा भी नहीं था कि अमित नकारा औऱ आवारा था. ऐसा भी नहीं था कि रेणु बच्ची थी औऱ उसे दुनिया की समझ नहीं थी. रेणु तो अपने अमित को सालों से जानती थी अगर वह धोखेबाज होता तो उसे कबका पता चल चुका होता. मगर रेणु को पता था कि अमित चालबाज नहीं है. उसके घरवालों को ही अमित पर भरोसा नहीं था.

एक बार को मन में ख्याल आता है कि काश ऐसे जोड़ों के लिए कोई सुरक्षित जगह होती. जहां उनकी जान को खतरा नहीं होता. मगर फिर ख्याल आता है कि भले ही वे सेफ हाउस में रहते मगर क्या वह जगह उनके लिए जेल नहीं बन जाती. जब तक उनके अपने उन्हें अपना नहीं लेते उनकी जान को तो खतरा बना ही रहता. वे डर के मारे सेफ हाउस से कहीं जा नहीं सकते. सेफ हाउस में सिर्फ उनकी जान ही बची रहती मगर उनकी जिंदगी तो खत्म ही हो जाती. जब तक समाज के लोग नहीं समझेंगे तब तक ऑनर किलिंग जैसी घटनाएं होती ही रहेंगी.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की माने तो साल 2019, 2020 और 2021 में देश में "ऑनर किलिंग" की संख्या 24, 25 और 33 थी. जिसमें साल 2020 और 2021 में पंजाब, मध्य प्रदेश और झारखंड सूची में सबसे ऊपर हैं. वहीं साल 2019 में मणिपुर में सबसे अधिक ऑनर किलिंह हुईं. सरकार ने 2021 में संसद को सूचित किया कि 2017 और 2019 के बीच देश में 145 "ऑनर किलिंग" की घटनाएं हुईं.

ये कैसे लोग हैं जो प्रेम करने पर अपने ही बच्चों की जान ले लेते हैं. ये कैसी झूठी शान है जो दो प्रेमियों को एक साथ रहने नहीं देती. जिसे पसंद करो उससे शादी करना इतना बड़ा गुनाह है जिसकी कीमत जान देकर ही चुकाई जा सकती है? क्या अपनों को मारते वक्त हांथ नहीं कापते? क्या केलेजे से आवाज नहीं आती कि जिसे मार रहे हो वह तुम्हारा बेटा या बेटी है???

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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