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लव-जिहाद में फंसी लड़कियों का विश्वास टूटना, इसमें बड़ी बात क्या है?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 22 जनवरी, 2021 01:16 AM
  • 21 जनवरी, 2021 10:34 PM
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असद का आशू बनकर एक लड़की के साथ प्यार के नाम पर किया गया विश्वासघात अपनी जगह है. लेकिन, अब जबकि यह मामला सार्वजनिक हो गया है तो उस लड़की का साथ दीजिए, जिसने इस धोखे को अपनी शर्मिंदगी में दफन नहीं हो जाने दिया. वह पुलिस के पास गई, और आरोपी को सलाखों के पीछे पहुंचाया.

आपने भी कहीं सुना होगा, कोई प्यार करे तो तुमसे करे, तुम जैसे हो वैसे करे. अगर कोई तुम्हें बदलकर प्यार करे तो वह प्यार नहीं सौदा है. और साहिबा, प्यार में सौदा नहीं. जब हमने ये लाइनें सुनी थी तब उसमें एक समझाइश थी कि किसी का प्यार पाने के लिए खुद के शारीरिक ढांचे या नेचर को बदलने की जरूरत नहीं है. ऐसा कहीं से भी नहीं लगा था प्रेम में कभी लव-जिहाद या धर्म परिवर्तन की भी बातें होंगी. 

हाल ही में मध्यप्रदेश के भोपाल में लव-जिहाद का एक मामला सामने आया है. जहां एक इंजीनियरिंग छात्रा की मुलाकात एक आशू नाम के लड़के से होती है. जो खुद को मैकेनिकल इंजीनियर बताता है. धीरे-धीरे उनकी दोस्ती हो जाती है. एक लड़की शायद हमेशा से ऐसा जीवन साथी चाहती है जो अपनी जिंदगी में सेटल हो. जो पढ़ा-लिखा होने साथ-साथ समझदार हो. धीरे-धीरे आशू उस लड़की से गहरी दोस्ती कर लेता है.

आज कुछ लोगों को मैंने बातें करते सुना कि गलती लड़कियों की होती है. किसी से कहीं भी दोस्ती कर लेती हैं. घरवाले बाहर पढ़ने-लिखने के लिए भेजते हैं और ये प्यार के चक्कर में पड़कर उनकी नाक कटा देती हैं. आशू से दोस्ती कब प्यार में बदल गई ये बात उसे पता भी न चली. एक आम लड़की की तरह वह भी अपनी शादी के सपने देखने लगी. आशू ने उससे शादी का वादा भी कर लिया. इस तरह दो साल बीत गए. एक दिन लड़की को पता चला कि आशू मस्जिद में नमाज पढ़ने गया है. जब उसने इस बारे में पूछा तो आशू ने बताया कि उसका असली नाम असद है और वह सिर्फ एक साधारण मैकेनिक है.

आप बोलने को कुछ भी बोल सकते हैं कि पढी-लिखी लड़की बेवकूफ कैसे बन गई. दो सालों में उसे कुछ पता क्यों नहीं चला. उसने क्यों किसी अनजान से दोस्ती की. उसके बारे में पता क्यों नहीं लगाया. इसमें भी दोष लड़की का है. वो कहते हैं ना प्यार अंधा होता है या प्यार का खुमार ही समझ लीजिए.

फिल्मों में किशोरावस्था का प्यार दिखाते हैं, खुमार दिखाते हैं. एक ऐसी काल्पनिक दुनिया दिखाते हैं जिसमें सब कुछ हकीकत से काफी परे होता है. जबकि खुद...

आपने भी कहीं सुना होगा, कोई प्यार करे तो तुमसे करे, तुम जैसे हो वैसे करे. अगर कोई तुम्हें बदलकर प्यार करे तो वह प्यार नहीं सौदा है. और साहिबा, प्यार में सौदा नहीं. जब हमने ये लाइनें सुनी थी तब उसमें एक समझाइश थी कि किसी का प्यार पाने के लिए खुद के शारीरिक ढांचे या नेचर को बदलने की जरूरत नहीं है. ऐसा कहीं से भी नहीं लगा था प्रेम में कभी लव-जिहाद या धर्म परिवर्तन की भी बातें होंगी. 

हाल ही में मध्यप्रदेश के भोपाल में लव-जिहाद का एक मामला सामने आया है. जहां एक इंजीनियरिंग छात्रा की मुलाकात एक आशू नाम के लड़के से होती है. जो खुद को मैकेनिकल इंजीनियर बताता है. धीरे-धीरे उनकी दोस्ती हो जाती है. एक लड़की शायद हमेशा से ऐसा जीवन साथी चाहती है जो अपनी जिंदगी में सेटल हो. जो पढ़ा-लिखा होने साथ-साथ समझदार हो. धीरे-धीरे आशू उस लड़की से गहरी दोस्ती कर लेता है.

आज कुछ लोगों को मैंने बातें करते सुना कि गलती लड़कियों की होती है. किसी से कहीं भी दोस्ती कर लेती हैं. घरवाले बाहर पढ़ने-लिखने के लिए भेजते हैं और ये प्यार के चक्कर में पड़कर उनकी नाक कटा देती हैं. आशू से दोस्ती कब प्यार में बदल गई ये बात उसे पता भी न चली. एक आम लड़की की तरह वह भी अपनी शादी के सपने देखने लगी. आशू ने उससे शादी का वादा भी कर लिया. इस तरह दो साल बीत गए. एक दिन लड़की को पता चला कि आशू मस्जिद में नमाज पढ़ने गया है. जब उसने इस बारे में पूछा तो आशू ने बताया कि उसका असली नाम असद है और वह सिर्फ एक साधारण मैकेनिक है.

आप बोलने को कुछ भी बोल सकते हैं कि पढी-लिखी लड़की बेवकूफ कैसे बन गई. दो सालों में उसे कुछ पता क्यों नहीं चला. उसने क्यों किसी अनजान से दोस्ती की. उसके बारे में पता क्यों नहीं लगाया. इसमें भी दोष लड़की का है. वो कहते हैं ना प्यार अंधा होता है या प्यार का खुमार ही समझ लीजिए.

फिल्मों में किशोरावस्था का प्यार दिखाते हैं, खुमार दिखाते हैं. एक ऐसी काल्पनिक दुनिया दिखाते हैं जिसमें सब कुछ हकीकत से काफी परे होता है. जबकि खुद फिल्मों में काम करने वाले एक्टर-एक्ट्रेस का रियल लाइफ का प्यार मैच्योर होता है. जिसमें वे एक-दूसरे को कई साल का टाइम देते हैं, करियर गोल सेट करते हैं, समझते हैं फिर कोई निर्णय लेते हैं. यहां तो लड़कियों के नाकामयाब प्यार का ठीकरा भी उनके सिर ही फोड़ा जाता है. 

सच्चाई पता चलने के बाद लड़की ने जब दूरी बनानी शुरू की तो असद ने वही पुराना हथियार अपनाया. यानी लड़की को ब्लैकमेल करना, उसकी फोटो सोशल मीडिया पर डालकर भद्दे कमेंट करना. उसने धर्म परिवर्तन कर निकाह के लिए भी लड़की पर दबाव बनाना शुरु कर दिया. जब वह नहीं मानी तो जान से मारने की धमकी भी दे दी. 

असद जैसे लड़कों के साथ अक्सर यही होता है. अगर एक लड़की किसी लड़के को छोड़ती है तो वह उसे बदनाम करने की कोशिश करता है. शायद उसके अहम को ठेस पहुंचती है कि एक लड़की होकर कैसे ऐसा कर सकती है फिर वह उससे बदला लेने की फिराक में खुद नीचे गिर जाता है. शायद उसे समाज के ढोंग का पता होता है कि ऐसा करने से बदनामी लड़की की होगी उसकी नहीं, क्योंकि लड़कों के लिए तो सब जायज है. 

आखिरकार लड़की ने हिम्मत दिखाई और असद के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई. जिसके बाद पुलिस ने असद को गिरफ्तार कर लिया. सबको लगा चलो लड़की बच गई. अच्छा हुआ समय पर सच्चाई का पता चल गया लेकिन उस लड़की का क्या जिसे जिसने प्रेम में ना जाने क्या-क्या सपने देखे होंगे. लोगों के ताने सुने होंगे. 

यहां बात बस दो अलग-अलग समुदाय का नहीं है. मामला एक लड़की के ठगे जाने का है, उसके विश्वास की हत्या का है. अब दोबारा किसी रिश्ते में पड़ने से पहले उसके मन में 10 सवाल होंगे. अगर असद ने शुरू से सब सच बताया होता कि मैं इस मुस्लिम हूं, और एक साधारण मैकेनिक हूं तो हो सकता था कि वह लड़की उसकी उसी पहचान के साथ उससे प्यार कर लेती. 

असद जैसे लड़के से लड़कियां बच भी जाएं तो उनकी आगे की जिंदगी का क्या. उनकी मानसिक हालत का क्या. पढ़ाई-लिखाई से लेकर शादी तक में होने वाली दिक्कतों का क्या. अगर आपको किसी से प्यार है तो उसे अपने बारे में सच बताइए चाहें आप किसी भी समुदाय से हों. लड़कियां हिम्मत करके आगे बढ़ जाएंगी लेकिन ऐसे धोखे को शायद ही भुला सकें. 

वैसे भी अगर कोई लड़की किसी दूसरे धर्म या जाति में शादी कर लेती है तो भी समाज के लोग नहीं पचा पाते और अनाप-सनाप बोलना शुरू कर देते हैं. चाहें वह लड़की कोई प्लेयर हो, नेता हो या फिर एक्ट्रेस. जिस बेटी पर समाज को गर्व होता है वह दूसरे धर्म में शादी करते ही बुरी बन जाती है. उसकी पर्सनल लाइफ को समाज के लोग पब्लिकी कर देते हैं, जिसका उन्हें कितना पछतावा होता है खुद से पूछिए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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