• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

बीएसफ जवान की शिकायत से बड़ा सवाल सुरक्षा रणनीति पर !

    • रमेश ठाकुर
    • Updated: 11 जनवरी, 2017 05:29 PM
  • 11 जनवरी, 2017 05:29 PM
offline
बीएसएफ जवान को पागल करार देकर उसके तर्क को आसानी से रफा-दफा करने की कोशिश हो रही है. लेकिन आर्मी डिजाइन ब्यूरो (एडीबी) द्वारा तैयार की गई असल रिपोर्ट को कैसे नकारा जाएगा. दोनों सवाल इस समय जवाब मांग रहे हैं.

सीमा पर दुश्मनों से लड़ने की योजनाओं पर सेना की आर्मी डिजाइन ब्यूरो (एडीबी) की जारी रिपोर्ट बहुत ही भयभीत कर रही है. रिपोर्ट ने पूरे रक्षातंत्र को हिलाकर रख दिया है. रिपोर्ट में बताया है कि आतंकियों से लोहा लेने की जो रणनीति बनाई जाती है उसमें खिलवाड़ किया जाता है. जिस कारण आतंकियों से ज्यादा से हमारे जवान मारे जाते हैं.

सेना की बदइंतजामियों को उजागर करते बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव के सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियो संदेशों के साथ-साथ सेना की एक गुप्त रिपोर्ट भी जारी हुई है जिसमें आतंकी हमलों में सैनिक हताहतों की संख्या ज्यादा होने पर नियंत्रण सीमा पर की जा रही प्रबंधन में गड़बड़ियां बताई गई हैं. रिपोर्ट कहती है कि जितने आतंकी मारे गए हैं उनसे तीन गुना ज्यादा हमारे सैनिक शहीद हुए हैं.

 जवान तेज बहादुर यादव के सोशल मीडिया पर वायरल है

सीधे तौर पर रिपोर्ट प्रंबधन की कलई खोल रही है. जो देश के लिए शर्म की बात है. वहीं बीएसएफ जवान को पागल करार देकर उसके तर्क को आसानी से रफा-दफा करने की कोशिश हो रही है. लेकिन आर्मी डिजाइन ब्यूरो (एडीबी) द्वारा तैयार की गई असल रिपोर्ट को कैसे नकारा जाएगा. दोनों सवाल इस समय जवाब मांग रहे हैं. लेकिन दोनों का उत्तर न प्रबंधन के पास है न ही सरकार के पास.

जवान के डाले गए वीडियो पर सरकार ने संज्ञान लेना शुरू कर दिया है. पर, वीडियों की रौशनी पर बीएसएफ किसी भी सूरत में काली चादर डालने की फिराक में है. जली हुई रोटियों का खंडन सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ की ओर से कुछ ही घंटों में आ चुका है. लेकिन संयोगवश उसी पल आई सेना की अपनी अंदरूनी रिपोर्ट ने बीएसएफ के मंसूबों पर पानी फेर दिया...

सीमा पर दुश्मनों से लड़ने की योजनाओं पर सेना की आर्मी डिजाइन ब्यूरो (एडीबी) की जारी रिपोर्ट बहुत ही भयभीत कर रही है. रिपोर्ट ने पूरे रक्षातंत्र को हिलाकर रख दिया है. रिपोर्ट में बताया है कि आतंकियों से लोहा लेने की जो रणनीति बनाई जाती है उसमें खिलवाड़ किया जाता है. जिस कारण आतंकियों से ज्यादा से हमारे जवान मारे जाते हैं.

सेना की बदइंतजामियों को उजागर करते बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव के सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियो संदेशों के साथ-साथ सेना की एक गुप्त रिपोर्ट भी जारी हुई है जिसमें आतंकी हमलों में सैनिक हताहतों की संख्या ज्यादा होने पर नियंत्रण सीमा पर की जा रही प्रबंधन में गड़बड़ियां बताई गई हैं. रिपोर्ट कहती है कि जितने आतंकी मारे गए हैं उनसे तीन गुना ज्यादा हमारे सैनिक शहीद हुए हैं.

 जवान तेज बहादुर यादव के सोशल मीडिया पर वायरल है

सीधे तौर पर रिपोर्ट प्रंबधन की कलई खोल रही है. जो देश के लिए शर्म की बात है. वहीं बीएसएफ जवान को पागल करार देकर उसके तर्क को आसानी से रफा-दफा करने की कोशिश हो रही है. लेकिन आर्मी डिजाइन ब्यूरो (एडीबी) द्वारा तैयार की गई असल रिपोर्ट को कैसे नकारा जाएगा. दोनों सवाल इस समय जवाब मांग रहे हैं. लेकिन दोनों का उत्तर न प्रबंधन के पास है न ही सरकार के पास.

जवान के डाले गए वीडियो पर सरकार ने संज्ञान लेना शुरू कर दिया है. पर, वीडियों की रौशनी पर बीएसएफ किसी भी सूरत में काली चादर डालने की फिराक में है. जली हुई रोटियों का खंडन सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ की ओर से कुछ ही घंटों में आ चुका है. लेकिन संयोगवश उसी पल आई सेना की अपनी अंदरूनी रिपोर्ट ने बीएसएफ के मंसूबों पर पानी फेर दिया है.

ये भी पढ़ें- बीएसएफ जवान झूठा हो सकता है लेकिन भ्रष्टाचार तो सच है न ?

रिपोर्ट में आतंकियों से लड़ने की रणनीति में खासी कमियां सामने आई हैं. खामियों की वजह से आतंकियों से लड़ते समय हमारे सैनिक उनसे ज्यादा मारे जाते हैं. यह रणनीति कौन बनाता है उस पर गहनता से जांच होने के आदेश दिए गए हैं. आर्मी डिजाइन ब्यूरो की इस रिपोर्ट में एक नहीं बल्कि 50 ऐसी कमियां बताई गई हैं, जिनकी वजह से सैनिकों की जान सस्ती हो जाती है जिसमें इनमें रक्षा कवच की खामियों से लेकर ईंधन रखने की ऐड हॉक व्यवस्था तक तमाम बातें शामिल हैं.

बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव के वीडियो ने पूरे देश में सनसनी मचा दी है. इसके साथ ही सरकार और सुरक्षा तंत्र में भी खलबली मच गई है. गृह मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय को जांच करके सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं. रक्षा मंत्रालय की तरफ से अब खाने की गुणवत्ता की जांच की जा रही है. सेना की टुकडियों में भेजी जाने वाले खाद सामानों की गहनता से जांच होनी शुरू हो गई है. सैनिक ने अपने वीडियो में तैनाती के दौरान खराब खाना परोसा जाना और इसके लिए उच्च अधिकारियों को भ्रष्ट बताना जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं. लेकिन आला अफसर जवान के आरोपों पर अपनी कमी को छुपाने के लिए तमाम बहाने गढ़ रहे हैं.

कहना तर्कसंगत नहीं होगी कि उस जवान पर अनुशासनहीनता का मामला दर्ज न हो. हो सकता है कि उसे देशद्रोही भी करार दिया जाए. लेकिन समय का तकाजा है, जवान की अपील को सतही व बदले की भावना से नहीं देखना चाहिए. उनकी अपील सुरक्षातंत्र की खामियों की बखिया उधेड रही है. स्वतंत्र जांच होनी चाहिए सच सामने आना चाहिए.  

बीएसएफ जवान द्वारा जारी सार्वजनिक संदेशों ने निश्चित रूप से सरकार, सेना व सुरक्षातंत्र की छवि को क्षति पहुंची है. लेकिन अगर सच्चाई किसी भी रूप में बाहर आती है तो उसे गुनाह नहीं समझना चाहिए. फेसबुक का शौक इधर सैन्य बलों में भी तेजी से फैला है. अच्छा है या खराब, इस बहस का विषय हो सकता है. पर इसके बाद सैन्य तंत्रों में फेसबुक आदि पर रोक लगनी तय समझी जाए. लेकिन सच्चाई को उजागर करने का यह अच्छा जरिया भी हो सकता है. दूसरा पहलू यह भी है कि इससे सेना के हालात सार्वजनिक किए जाने लगे तो राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील सूचनाएं भी बाहर आते देर नहीं लगेगी. रक्षा मंत्रालय के लिए इस समय परीक्षा की घड़ी है कि सेना के अंदर की बदइंतजामी दूर करके तत्काल प्रभाव से ठोस उपाय किए जाएं, साथ ही सैनिकों को अपनी फोर्स के भीतर ही ऐसे मंच भी उपलब्ध कराए जाएं, जहां वे अपनी शिकायतें पहुंचाने के बाद उनपर प्रभावी कार्रवाई को लेकर आश्वस्त हो सकें. इसके अलावा और भी कई कारगर उपायों पर विचार किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- पाकिस्तान का मुकाबला तो डटकर किया, लेकिन बीमारी मार रही जवानों को...

सैनिकों के साहस, कौशलता, हौसलों का गुणगान और अंत में शहादत पर तो बातें खुब होती हैं पर उनके वहां रहने के असल जीवन पर रौशनी कोई नहीं डालता. सीमा पर सैनिक किन हालातों में अपना जीनव गुजारते हैं इसकी खबरें बाहर न आती हैं और आने दी जाती हैं. जवानों के शहीद होने पर समाज व सरकार का श्रद्धासुमन अर्पित करने भर से क्या सभी जिम्मेवारी पूरी हो जाती हैं.

दरअसल एक जवान के शहीद होने के बाद उनके परिवार की कठिन परीक्षा उस दिन से ही शुरू हो जाती है. उसके बाद उनका हाल जानने कोई नहीं जाता है. पर, हां यदा-कदा उनके उपेक्षा की खबरे जरूर आती रहती हैं. जो देश के लिए कुर्बान होता हो उसका परिवार दर-दर की ठोकरें खाए, क्या इसके लिए ही उसने देशभक्ति की थी. जवानों के सवाल बहुत हैं लेकिन जबाव किसी के पास नहीं है. बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव के सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियो के बाद सभी जवानों पर बंदिशों का दौर शुरू होगा. जवानों के लिए फेसबुक आदि सोशल मीडिया के प्रयोग करने पर बैन लगना तय होगा. लेकिन यह सब करने से सच्चाई नहीं छिप सकती.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲