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Lockdown vs Curfew में क्या फर्क है, जिसे भ्रम हो वो समझ ले

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 26 मार्च, 2020 01:25 PM
  • 26 मार्च, 2020 01:25 PM
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Lockdownm vs Curfew: प्रधानमंत्री (PM Narendra Modi) के राष्ट्र के सम्बोधन के बाद कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते देश में लॉक डाउन हैं. तो वहीं महाराष्ट्र (Maharashtra) जैसे राज्य भी हैं जहां कर्फ्यू (Curfew) है. तो आइये समझते हैं कि कैसे लॉक डाउन और कर्फ्यू एक दूसरे से बहुत जुदा हैं.

पीएम मोदी (PM Narendra Modi) के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद देश की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के जरिये इस बात का आभास देश की जनता को करा दिया है कि यदि अब भी हम कोरोना वायरस (Coronavirus outbreak in India) के प्रति सचेत नहीं हुए तो भविष्य में हमारे पास संभालने के लिए कुछ बचेगा नहीं. बीमारी न फैले इसलिए सरकार ने 21 दिन के लॉक डाउन (Lockdown) की घोषणा की है. सरकार का दावा है कि इस लॉक डाउन का सख्ती से पालन किया जाएगा. बता दें कि फिलहाल कोरोना वायरस को कोई दवा मौजूद नहीं है इसलिए 21 दिन का लॉक डाउन ही बीमारी से बचने का एकमात्र माध्यम माना जा रहा है.

ध्यान रहे कि बीमारी का सबसे विकराल रूप हमें महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों में देखने को मिल रहा है जहां महाराष्ट्र ने पूरे राज्य में कर्फ्यू की घोषणा की है तो वहीं केरल ने अपने को लॉक डाउन तक सीमित रखा है.

इन तमाम बातों के बाद इतना तो तय है कि कर्फ्यू और लॉक डाउन में बहुत फर्क है तो आइए जानें कि वो कौन कौन से बिंदु हैं जो लॉक डाउन और कर्फ्यू को एक दूसरे से अलग बनाते हैं.

कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में कहीं कर्फ्यू लगा है तो कहीं बीमरी की रोकथाम के लिए लॉक डाउन को अंजाम दिया गया है

क्या है कर्फ्यू

कर्फ्यू में व्यक्ति अपने घरों में रहने के लिए बाध्य होता है. इस दौरान इस बात के सख्त निर्देश होते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपने घरों से बाहर न निकले अन्यथा उसके खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लिया जाएगा. बता दें कि कर्फ्य, सीआरपीसी की धारा 144 से अलग होता है जिसमें किसी भी स्थान पर 5 से ज्यादा लोग एकसाथ समूह में खड़े नहीं हो सकते.

कर्फ्यू को किसी भी इमरजेंसी सिचुएशन जैसे दंगे से निपटने के एक कारगर हथियार के रूप में देखा जाता...

पीएम मोदी (PM Narendra Modi) के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद देश की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के जरिये इस बात का आभास देश की जनता को करा दिया है कि यदि अब भी हम कोरोना वायरस (Coronavirus outbreak in India) के प्रति सचेत नहीं हुए तो भविष्य में हमारे पास संभालने के लिए कुछ बचेगा नहीं. बीमारी न फैले इसलिए सरकार ने 21 दिन के लॉक डाउन (Lockdown) की घोषणा की है. सरकार का दावा है कि इस लॉक डाउन का सख्ती से पालन किया जाएगा. बता दें कि फिलहाल कोरोना वायरस को कोई दवा मौजूद नहीं है इसलिए 21 दिन का लॉक डाउन ही बीमारी से बचने का एकमात्र माध्यम माना जा रहा है.

ध्यान रहे कि बीमारी का सबसे विकराल रूप हमें महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों में देखने को मिल रहा है जहां महाराष्ट्र ने पूरे राज्य में कर्फ्यू की घोषणा की है तो वहीं केरल ने अपने को लॉक डाउन तक सीमित रखा है.

इन तमाम बातों के बाद इतना तो तय है कि कर्फ्यू और लॉक डाउन में बहुत फर्क है तो आइए जानें कि वो कौन कौन से बिंदु हैं जो लॉक डाउन और कर्फ्यू को एक दूसरे से अलग बनाते हैं.

कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में कहीं कर्फ्यू लगा है तो कहीं बीमरी की रोकथाम के लिए लॉक डाउन को अंजाम दिया गया है

क्या है कर्फ्यू

कर्फ्यू में व्यक्ति अपने घरों में रहने के लिए बाध्य होता है. इस दौरान इस बात के सख्त निर्देश होते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपने घरों से बाहर न निकले अन्यथा उसके खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लिया जाएगा. बता दें कि कर्फ्य, सीआरपीसी की धारा 144 से अलग होता है जिसमें किसी भी स्थान पर 5 से ज्यादा लोग एकसाथ समूह में खड़े नहीं हो सकते.

कर्फ्यू को किसी भी इमरजेंसी सिचुएशन जैसे दंगे से निपटने के एक कारगर हथियार के रूप में देखा जाता है. कर्फ्यू, राज्य सरकारों के निर्देश से होता है और इसमें एक निश्चित समय तक के लिए लोग अपने अपने घरों में रहते हैं.

बता दें कि कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में है इसलिए बीमारी के संभावित खतरों से निपटने और लोगों को सुरक्षित रखने के लिए महाराष्ट्र सरकार कर्फ्यू की घोषणा कर चुकी है. मगर राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की तरफ से लोगों को इस बात का विश्वास दिलाया गया है कि उन्हें किसी भी तरह की कोई तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ेगा.सारा जरूरत का सामान उन्हें हर सूरत में मुहैया कराया जाएगा.

ध्यान रहे कि बीमारी और तेजी से न फैले इसलिए राज्य सरकार ने अपने सभी बॉर्डर सील कर दिए हैं और महाराष्ट्र के बाकी शहरों का हाल भी कुछ ऐसा ही है कि वहां सन्नाटा पसरा हुआ है.

बात कर्फ्यू की चल रही है तो ये बताना जरूरी है कि जनता कर्फ्यू और राज्य सरकार द्वारा लगवाए गए इस कर्फ्यू में बहुत अंतर है. कर्फ्यू, प्रशासनिक और सरकार के आदेश पर होता है जबकि जनता कर्फ्यू लोगों को उनके घरों में रखने के उद्देश्य से था. ऐसा इसलिए किया गया ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण को कुछ घंटों को आगे बढ़ने से रोका जा सके.

क्या है लॉक डाउन

लॉक डाउन कर्फ्यू से बहुत अलग चीज है. लॉकडाउन में लोगों को आदेश दिया जाता है वो जितना हो सके अपने अपने घरों में रहें. इसमें लोगों को इस बात की भी छूट दी जाती है कि वो ज़रूरी सामानों की खरीदारी या फिर किसी मेडिकल इमरजेंसी में अपने अपने घरों से बाहर निकल सकते हैं.

अगर लॉकडाउन के नियमों पर गौर करें तो मिलता है कि इस दौरान बाहर निकले लोगों के लिए ये ज़रूरी होता है कि वो एक दूसरे से उचित दूरी बनाए रहें. ये दूरी तीन फ़ीट या 1 मीटर होता है. इसमें लोगों को इस चीज की भी हिदायत दी जाती है कि वो उन लोगों से जरूर दूर रहें जिन्हें जुक़ाम, बुखार या सर्दी हो.

रिपोर्ट्स की मानें तो लॉक डाउन में पुलिस व्यक्ति को वैसे गिरफ्तार नहीं कर सकती जैसा कर्फ्यू के दौरान किया जाता है. अब चूंकि कोरोना वायरस के मद्देनजर कई स्थानों पर धारा 144 लागू की गई है इसलिए 5 से ज्यादा लोग एकसाथ एक स्थान पर नहीं खड़े हो सकते.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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