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लिव-इन में रही महिला को पता होने चाहिए ये अधिकार

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 15 मार्च, 2021 01:01 PM
  • 15 मार्च, 2021 01:01 PM
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कानून ने भले ही लिव-इन (live-in couples) को मान्यता दे दी हो, लेकिन हमारे समाज के लिए आज भी यह रिश्ता सबसे लूज माना जाता है.

कानून ने भले ही लिव-इन (live-in couples) को मान्यता दे दी हो, लेकिन हमारे समाज के लिए आज भी यह रिश्ता सबसे लूज माना जाता है. एक तो लिव-इन में रहने वाली महिलाओं को लोग गंदी नजरों से देखते हैं. वहीं आए दिन उनके साथ धोखाधड़ी की खबरें भी सामने आती रहती हैं. अगर एक महिला शादीशुदा होती है तो उसे पति की संपत्ति में अधिकार मिला होता है, लेकिन अगर कोई कपल बिना शादी किए पति-पत्नी की तरह लिव-इन में रहते हैं तो फीमेल पार्टनर को आज भी वे पूरे कानूनी अधिकार नहीं मिले हैं जो एक पत्नी को मिलते हैं.

हमारे समाज में शादीशुदा महिलाओं को भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार शादी में दरार पड़ जाती है और तलाक लेने की नौबत आ जाती है. ज्यादातर महिलाओं को अपने हक के बारे में पता ही नहीं होता कि पति से अलग होने के बाद भी उनके कई अधिकार हैं. इस वजह से वे अपना हक ले ही नहीं पाती और बच्चों के साथ परेशान रहती हैं. सोचिए लिव-इन में रह रही महिला अगर अपने पार्टनर से अलग होती है तो उसकी हालत क्या होती होगी?

ऐसी कंडीशन में आप नहीं कहलाएंगे live in Couples

लिव-इन का एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जिसमें दो साल तक live-in relationship में रहने वाली महिला ने पुरुष पर रेप का आरोप लगाया है. जिसके बाद पुरुष इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चला गया. वहीं कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान यह सवाल भी पूछा कि क्या लिव-इन में रहते हुए कपल के बीच सेक्सुअल इंटिमेसी को रेप कहा जा सकता है?

चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन की बेंच ने कहा कि साथ रहने वाला कपल अगर पति-पत्नी की तरह रहता है तो पति क्रूर हो सकता है लेकिन क्या इस जोड़े के बीच फिजिकल रिलेशनशिप को रेप करार दिया जाएगा?

इस महिला ने पुरुष पर तब रेप का आरोप लगाया...

कानून ने भले ही लिव-इन (live-in couples) को मान्यता दे दी हो, लेकिन हमारे समाज के लिए आज भी यह रिश्ता सबसे लूज माना जाता है. एक तो लिव-इन में रहने वाली महिलाओं को लोग गंदी नजरों से देखते हैं. वहीं आए दिन उनके साथ धोखाधड़ी की खबरें भी सामने आती रहती हैं. अगर एक महिला शादीशुदा होती है तो उसे पति की संपत्ति में अधिकार मिला होता है, लेकिन अगर कोई कपल बिना शादी किए पति-पत्नी की तरह लिव-इन में रहते हैं तो फीमेल पार्टनर को आज भी वे पूरे कानूनी अधिकार नहीं मिले हैं जो एक पत्नी को मिलते हैं.

हमारे समाज में शादीशुदा महिलाओं को भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार शादी में दरार पड़ जाती है और तलाक लेने की नौबत आ जाती है. ज्यादातर महिलाओं को अपने हक के बारे में पता ही नहीं होता कि पति से अलग होने के बाद भी उनके कई अधिकार हैं. इस वजह से वे अपना हक ले ही नहीं पाती और बच्चों के साथ परेशान रहती हैं. सोचिए लिव-इन में रह रही महिला अगर अपने पार्टनर से अलग होती है तो उसकी हालत क्या होती होगी?

ऐसी कंडीशन में आप नहीं कहलाएंगे live in Couples

लिव-इन का एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जिसमें दो साल तक live-in relationship में रहने वाली महिला ने पुरुष पर रेप का आरोप लगाया है. जिसके बाद पुरुष इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चला गया. वहीं कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान यह सवाल भी पूछा कि क्या लिव-इन में रहते हुए कपल के बीच सेक्सुअल इंटिमेसी को रेप कहा जा सकता है?

चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन की बेंच ने कहा कि साथ रहने वाला कपल अगर पति-पत्नी की तरह रहता है तो पति क्रूर हो सकता है लेकिन क्या इस जोड़े के बीच फिजिकल रिलेशनशिप को रेप करार दिया जाएगा?

इस महिला ने पुरुष पर तब रेप का आरोप लगाया जब उसने किसी और से शादी कर ली. इस मामले में सीनियर एडवोकेट विभा जत्ता मखीजा का कहना है कि दोनों दो साल से लिव-इन रिलेशनशिप में थे. वे दोनों साथ में काम करते थे. शिकायत करने वाली महिला ने पहले भी दो लोगों के साथ ऐसा किया था. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस शख्स की गिरफ्तारी पर रोक लगा दिया है.

कुछ सालों में लिव-इन का चलन काफी तेजी से बढ़ा है. वहीं कोर्ट ने ऐसी महिलाओं और उनके बच्चों को कुछ अधिकार दिए हैं. आइए जानते हैं वे कौन से अधिकार हैं जो लिव-इन में रही महिला (international women's day 2021) को पता होने चाहिए.

भरण पोषण का अधिकार

अगर लिव-इन में साथ रह रही महिला अपने भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं हैं तो उनके पार्टनर को उसकी वित्तीय जरूरतें पूरी करनी पड़ेगी. रिश्ते में खटास आने पर भी पार्टनर को उसके फाइनेंस का ख्लाय रखना होगा. घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम-2005 के मुताबिक लिव-इन में रहने वाली महिला शादीशुदा पत्नी की तरह गुजारा भत्ता मांग सकती है.

दरअसल लिव-इन भरण पोषण का अधिकार, मलिमथ समिति 2003 में मिली सिफारिशों की वजह से सेक्शन 125 को सीआरपीसी में शामिल कर लिया गया था. जिस वजह से पत्नी का अर्थ बदल गया था, यानी उसमें लिव-इन में रही महिलाओं को भी जोड़ा गया था.

लिव-इन में बच्चों को मिलते हैं पूरे अधिकार

बिना शादी किए पति-पत्नी की तरह लिव-इन में रह रही महिला को भले ही पार्टनर के संपत्ति में कोई हक ना मिले लेकिन उनके बच्चे को पूरे अधिकार मिलता है. शर्त यह है कि बच्चा बायोलॉजिकल होना चाहिए ना की गोद लिया. हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार लिव-इन कपल के बच्चे को वे सारे कानूनी अधिकार मिलते हैं जो एक शादी-शुदा दंपति के बच्चे के होते हैं. सीआरपीसी के सेक्शन 125 में लिव-इन बच्चों के हितो को सुरक्षा दी गई है. ऐसे बच्चों को प्रॉपर्टी राइट्स मिले हैं. यानी पुश्तैनी और पेरेंट्स की खरीदी प्रॉपर्टी के वे कानूनी रूप से उत्तारिधारिकारी होते हैं.

शिकायत और समाधान का अधिकार

अगर लिव-इन में रहने वाली महिला को किसी भी तरह से प्रताड़ित किया जाता है या घरेलू हिंसा की गई है तो वह अपने साथी के खिलाफ शिकायत कर सकती है. इस रिश्ते के कायम रहते हुए यानी राइट टु शेल्टर के तहत उसे जबरदस्ती घर से नहीं निकाला जा सकता. हां संबंध खत्म होने के बाद यह अधिकार खत्म हो जाता है.

विदेशों में लिव-इन में रहने वाली महिलाओं को वहां के नियम के अनुसार अधिकार मिलते हैं. वहां रहने वाली महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर जागरूक भी होती है, लेकिन हमारे देश में जानकारी के अभाव में महिलाएं परेशान होती रहती हैं.

कब कपल के साथ रहते हुए भी लिव इन मान्य नहीं अगर दोनों पहले से शादीशुदा हैं या फिर दोनों में से किसी एक की भी शादी हुई है, तब साथ में रहते हुए भी इसे लिव-इन नहीं कहा जा सकता. हां अगर दोनों तलाकशुदा हैं या कुंवारे हैं और नाबालिग हैं तो इसे लिव-इन माना जाएगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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