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क्‍यों एक कानून के छात्र से गौहत्‍या पर पूछा गया सवाल आपत्‍त‍िजनक नहीं है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 12 दिसम्बर, 2018 04:55 PM
  • 12 दिसम्बर, 2018 03:55 PM
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कुछ सवाल जब लॉ के पेपर से निकल कर पब्लिक के बीच में आते हैं तो लोगों को थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन इस पर उत्‍तेजित होने से पहले मामले को समझ लेना जरूरी होता है.

पिछले दिनों बुलंदशहर में गौहत्‍या को लेकर हुए बवाल में एक इंस्‍पेक्‍टर सहित दो लोगों की जान चली गई. और उसी के तुरंत बाद दिल्‍ली एनसीआर की एक युनिवर्सिटी के लॉ के पेपर में गौहत्‍या से संबंधित पूछे गए सवाल पर बवाल हो गया. दोनों मामले यूं तो अलग-अलग हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर बेरहमी से जोड़ दिए गए.

आइए, पहले उस सवाल पर नजर डालते हैं, जो कानून के छात्रों से पूछा गया :

'मुस्लिम युवक अहमद अगर बाजार में रोहित, तुषार, मानव और राहुल (जो कि हिंदू हैं) के सामने गाय की हत्या कर देता है, तो क्या अहमद ने कोई अपराध किया है?'

गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई कर रहे छात्रों से पूछा गया ये सवाल अब सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गया है. कहा जा रहा है कि आखिर यूनिवर्सिटी ऐसा सवाल कैसे पूछ सकती है? यूनिवर्सिटी की आलोचना शुरू हो गई. मामला इतना बढ़ गया कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जांच के आदेश तक दे डाले. और तो और, यूनिवर्सिटी ने इस सवाल पर माफी मांगी और तुरंत हटाने का फैसला कर लिया. जिस सवाल को लेकर इतना बड़ा विवाद पैदा हो गया, क्या वाकई वो सवाल गलत था? नाजायज था? असंवेदनशील था? बस एक नजर देखने से तो बेशक ये सवाल आ‍पत्तिजनक लगे. लेकिन अगर इस पर थोड़ा गहराई से देखेंगे तो समझ आएगा कि कई सवाल ऐसे होते हैं जो आम आदमी को कड़वे लगते हैं, कानून की पढ़ाई करने वाले छात्र को उसके सवाल देने होते हैं. जब ऐसे सवाल पेपर से निकल कर पब्लिक के बीच में आते हैं तो लोगों को थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यहां समझने की जरूरत है कि ये कोर्ट और कानूनी प्रक्रिया का एक हिस्सा है.

गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में छात्रों से ऐसा सवाल पूछा गया, जो विवादों में घिर गया...

पिछले दिनों बुलंदशहर में गौहत्‍या को लेकर हुए बवाल में एक इंस्‍पेक्‍टर सहित दो लोगों की जान चली गई. और उसी के तुरंत बाद दिल्‍ली एनसीआर की एक युनिवर्सिटी के लॉ के पेपर में गौहत्‍या से संबंधित पूछे गए सवाल पर बवाल हो गया. दोनों मामले यूं तो अलग-अलग हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर बेरहमी से जोड़ दिए गए.

आइए, पहले उस सवाल पर नजर डालते हैं, जो कानून के छात्रों से पूछा गया :

'मुस्लिम युवक अहमद अगर बाजार में रोहित, तुषार, मानव और राहुल (जो कि हिंदू हैं) के सामने गाय की हत्या कर देता है, तो क्या अहमद ने कोई अपराध किया है?'

गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई कर रहे छात्रों से पूछा गया ये सवाल अब सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गया है. कहा जा रहा है कि आखिर यूनिवर्सिटी ऐसा सवाल कैसे पूछ सकती है? यूनिवर्सिटी की आलोचना शुरू हो गई. मामला इतना बढ़ गया कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जांच के आदेश तक दे डाले. और तो और, यूनिवर्सिटी ने इस सवाल पर माफी मांगी और तुरंत हटाने का फैसला कर लिया. जिस सवाल को लेकर इतना बड़ा विवाद पैदा हो गया, क्या वाकई वो सवाल गलत था? नाजायज था? असंवेदनशील था? बस एक नजर देखने से तो बेशक ये सवाल आ‍पत्तिजनक लगे. लेकिन अगर इस पर थोड़ा गहराई से देखेंगे तो समझ आएगा कि कई सवाल ऐसे होते हैं जो आम आदमी को कड़वे लगते हैं, कानून की पढ़ाई करने वाले छात्र को उसके सवाल देने होते हैं. जब ऐसे सवाल पेपर से निकल कर पब्लिक के बीच में आते हैं तो लोगों को थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन यहां समझने की जरूरत है कि ये कोर्ट और कानूनी प्रक्रिया का एक हिस्सा है.

गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में छात्रों से ऐसा सवाल पूछा गया, जो विवादों में घिर गया है.

आईपीसी की धारा 295(A) से जुड़ा है ये सवाल

दिल्ली हाईकोर्ट के क्रिमिनल लॉयर सुमित नागपाल के अनुसार अगर कानून की पढ़ाई के हवाले से देखें तो आपको समझ आएगा कि कानून के विद्यार्थी को कई विषम परिस्थितियों को समझाने के लिए कड़वे उदाहरण दिए जाते हैं. फिर वही उदाहरण, सवाल की शक्‍ल में पेपर में पूछे जाते हैं. नागपाल कहते हैं कि कानून के छात्र के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा हिंदू के सामने मुस्लिम द्वारा गोहत्‍या करने का सवाल पूछना बिलकुल जायज है. भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 295(A) से जुड़ा है ये सवाल. आपको बता दें कि इस धारा के तहत उन लोगों को सजा दी जाती है, जो किसी धर्म के लोगों की भावनाओं को आहत करते हैं. इसके तहत 3 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है. इसी को समझाने के लिए अहमद के उदाहरण को गाय काटने से जोड़ा गया. इस धारा से जुड़ा एक सवाल हिंदू को आरोपी बनाते हुए भी पूछा जा सकता है, जैसे कि कोई हिंदू शख्स किसी मुस्लिम के सामने पैगंबर मोहम्‍मद का कार्टून बनाए या उनका अपमान करे तो वह कौन सी धारा के तहत अपराध माना जाएगा. यहां एक बात समझने की है कि यह मामला सिर्फ हिंदू-मुस्लिम या गाय से जुड़ा नहीं है, बल्कि हर धर्म की भावना और उसे आहत करने से जुड़ा है. जहां भी कोई शख्स किसी दूसरे शख्स की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, वहां आईपीसी की धारा 295(A) लागू होती है.

क्या है पूरा मामला?

7 दिसंबर को लॉ ऑफ क्राइम पेपर-1 का आयोजन हुआ था, जिसमें गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय ने कानून की पढ़ाई कर रहे तीसरे सेमेस्टर के छात्रों से ये सवाल पूछा था. सुप्रीम कोर्ट के वकील बिलाल अनवर खान ने रविवार (9 दिसंबर) की रात ट्विटर पर इस सवाल को पोस्ट किया और लिखा कि ये एक सामान्य सा सवाल एक पूरे समुदाय को अमानवीय बना रहा है. यह सवाल चंद्र प्रभु जैन कॉलेज ऑफ हायर स्टडीज में पूछा गया था जो यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड है. बिलाल ने आरोप लगाया कि यह सवाल एक समुदाय को अपमानित करता है, जिस पर उन्होंने जिम्मेदार शख्स पर कार्रवाई भी करने की अपील की.

वहीं दूसरी ओर, जब चंद्र प्रभु जैन कॉलेज की प्रिंसिपल नीता बेरी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह छुट्टी पर थीं और पेपर से आए सवालों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. लेकिन उन्होंने यह जरूर स्पष्ट कर दिया कि सवाल में कुछ भी गलत नहीं है और इसके खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत भी नहीं है. नीता बेरी का मानना है कि यह कानून का एक सवाल है और कानून में कोई भी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. वहीं गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के परीक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि जो कुछ समाज में हो रहा है उसी के आधार पर सवाल पूछा गया. समाज के तथ्यों के साथ कानूनी प्रावधान को छात्रों को समझाने के लिए इस तरह के सवाल पूछना अच्छी बात है और इसे सिर्फ शैक्षणिक नजरिए से ही देखना चाहिए.

इस सवाल पर राजनीति भी शुरू

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को जैसे ही ये पता चला कि इस तरह के एक सवाल पर बवाल मच रहा है तो उन्होंने तुरंत मामले की जांच के आदेश दे दिए. साथ ही, उन्होंने सवाल पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ये अजीब है... इस तरह के सवाल पूछने से तो ऐसा लग रहा है जैसे समाज को परेशान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जांच के आदेश दे दिए गए हैं और जैसे ही कोई सच सामने आता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

जो लोग कानून के छात्रों से धार्मिक भावना को आहत करने से जुड़ा सवाल पूछने को गलत मान रहे हैं उन्हें इस बात का जवाब देना चाहिए कि क्या देश की रक्षा में लगे जवान को गोली मारने की ट्रेनिंग देना भी गलत है? आखिर वह भी तो किसी हत्‍या ही करेगा. इस मामले में सबसे हैरानी की बात ये है कि इस सवाल से जुड़ी शिकायत की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट के एक वकील बिलाल अनवर ने की है, जबकि एक वकील होने के नाते उन्हें इस प्रश्न में धर्म को देखने से पहले कानून की जरूरत को देखना चाहिए था. इसी तरह कानून के छात्र को परिस्थिति समझाने के लिए उस परिस्थिति का वर्णन करना और प्रतिक्रिया पूछना बिल्कुल गलत नहीं है. यही हकीकत है, भले ही आपको ये बात कड़वी क्यों ना लगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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