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लश्कर का भारत में मस्जिद बनवाना हाफिज सईद का Plan A है, और फिर Plan B...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 15 अक्टूबर, 2018 09:09 PM
  • 15 अक्टूबर, 2018 09:09 PM
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हरियाणा के पलवल में लश्कर के पैसों से मस्जिद का बनना बताता है कि हाफिज सईद की नजर उन शहरों पर है जहां तंगहाली में जीवन यापन कर रहे मुसलमानों की ठीक ठाक संख्या है.

लम्बे समय से सरकार और तमाम खुफिया एजेंसियों की आंखों की किरकिरी हाफिज सईद और कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा एक बार फिर चर्चा में है. लश्कर को लेकर एनआईए ने एक बड़ा खुलासा किया है. खबर अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से है. हरियाणा के पलवल में एक मस्जिद का निर्माण हुआ है. सुरक्षा के लिहाज से जब मस्जिद की जांच की गई तो एनआईए ने पाया कि इस मस्जिद के निर्माण के लिए हाफिज सईद के संगठन लश्कर-ए- तैयबा से पैसे लिए गए हैं. मामला देश की रक्षा से जुड़ा है, इस कारण मस्जिद एनआईए की नजर में आ गई है और इसे लेकर जांच तेज हो गई है.

हरियाणा की मस्जिद का एनआईए की जांच के घेरों में आना नजरंदाज नहीं किया जा सकता

पलवल के उत्तावर जिले में बनी खुलाफा-ए-रशीदीन नाम की ये मस्जिद उस वक़्त चर्चा में आई जब एनआईए ने बीते दिनों ही इसकी तलाशी ली थी. ध्यान रहे कि मस्जिद की तलाशी से पहले टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने दिल्ली से मस्जिद के इमाम मोहम्मद सलमान समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. बताया जा रहा है कि गिरफ्तार लोगों की निशानदेही पर ही मस्जिद की तलाशी ली गई और कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. गिरफ्तार किये गए तीनों आरोपियों पर आरोप है कि इन्होंने बीते 26 सितंबर को लाहौर स्थित फलाह-ए-इंसानियत (एफआईएफ) फाउंडेशन से आतंकी गतिविधियों के लिए पैसे लिए थे. ज्ञात हो कि एफआईएफ फाउंडेशन, हाफिज सईद के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा का ही एक पार्ट है.

एनआईए के मुताबिक संगठन की तरफ से उत्तावर में मस्जिद निर्माण के लिए इमाम मोहम्मद सलमान को 70 लाख रुपए दिए थे. इसके अलावा मुख्य आरोपी और मस्जिद के इमाम सलमान ने अपनी बेटी की शादी करने के लिए भी आतंकी संगठन से मदद ली थी. फिलहाल इस बात को लेकर जांच तेज हो गई है कि मस्जिद को और कहां-कहां से पैसे मिल रहे हैं और इन पैसों का...

लम्बे समय से सरकार और तमाम खुफिया एजेंसियों की आंखों की किरकिरी हाफिज सईद और कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा एक बार फिर चर्चा में है. लश्कर को लेकर एनआईए ने एक बड़ा खुलासा किया है. खबर अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से है. हरियाणा के पलवल में एक मस्जिद का निर्माण हुआ है. सुरक्षा के लिहाज से जब मस्जिद की जांच की गई तो एनआईए ने पाया कि इस मस्जिद के निर्माण के लिए हाफिज सईद के संगठन लश्कर-ए- तैयबा से पैसे लिए गए हैं. मामला देश की रक्षा से जुड़ा है, इस कारण मस्जिद एनआईए की नजर में आ गई है और इसे लेकर जांच तेज हो गई है.

हरियाणा की मस्जिद का एनआईए की जांच के घेरों में आना नजरंदाज नहीं किया जा सकता

पलवल के उत्तावर जिले में बनी खुलाफा-ए-रशीदीन नाम की ये मस्जिद उस वक़्त चर्चा में आई जब एनआईए ने बीते दिनों ही इसकी तलाशी ली थी. ध्यान रहे कि मस्जिद की तलाशी से पहले टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने दिल्ली से मस्जिद के इमाम मोहम्मद सलमान समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. बताया जा रहा है कि गिरफ्तार लोगों की निशानदेही पर ही मस्जिद की तलाशी ली गई और कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. गिरफ्तार किये गए तीनों आरोपियों पर आरोप है कि इन्होंने बीते 26 सितंबर को लाहौर स्थित फलाह-ए-इंसानियत (एफआईएफ) फाउंडेशन से आतंकी गतिविधियों के लिए पैसे लिए थे. ज्ञात हो कि एफआईएफ फाउंडेशन, हाफिज सईद के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा का ही एक पार्ट है.

एनआईए के मुताबिक संगठन की तरफ से उत्तावर में मस्जिद निर्माण के लिए इमाम मोहम्मद सलमान को 70 लाख रुपए दिए थे. इसके अलावा मुख्य आरोपी और मस्जिद के इमाम सलमान ने अपनी बेटी की शादी करने के लिए भी आतंकी संगठन से मदद ली थी. फिलहाल इस बात को लेकर जांच तेज हो गई है कि मस्जिद को और कहां-कहां से पैसे मिल रहे हैं और इन पैसों का इस्तेमाल उसके द्वारा किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जा रहा है.

हाफिज सईद का मस्जिदों को चंदा देना ये बताता है कि वो आतंकवाद को लेकर बड़ी प्लानिंग कर रहा है

कश्मीर को बर्बाद करने के बाद कहीं ये हाफिज सईद का 'प्लान ए' तो नहीं

ये हाफिज और हाफिज जैसे ही लोग हैं जिन्होंने आम कश्मीरियों को आजादी के फर्जी ख्वाब दिखाए और उन्हें पूरा करने के लिए हथियार, पैसे मुहैया किये और आतंकवाद का प्रचार प्रसार किया. ऐसा करके हाफिज जैसे लोगों ने न केवल कश्मीर की जड़ों में मट्ठा डाला बल्कि आज उसे लगभग बर्बाद कर दिया है. जिस तरह हाफिज के संगठन से हरियाणा की इस मस्जिद को पैसा मिला वो अपने आप में सारी दास्तान कह रहा है. हाफिज की इस मोडस ऑपरेंडी को देखकर ये कहना गलत नहीं है कि उसकी नजर भारत के उन हिस्सों पर है जहां मुसलमानों की ठीक ठाक आबादी वास करती है. ऐसे स्थानों पर हाफिज अपने को अच्छा और मुसलमानों का मसीहा दिखाने का प्रयास कर रहा है.

हरियाणा से क्यों हुई शुरुआत

इस घटना के बाद हमारे सामने सवाल खड़ा हो जाता है कि आखिर हाफिज ने अपनी मुहीम की शुरुआत हरियाणा से क्यों की? इस प्रश्न के जवाब के लिए हमें अतीत में जाना होगा. चाहे वो लिंचिंग के मामले हों या फिर खुले में नमाज पढ़ने के हरियाणा में मुसलमानों की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है. ऐसे में यदि वो हरियाणा के उस मुसलमान वर्ग को आकर्षित कर लेता है जो तंगहाली में रहकर जीवन जी रहा है तो काफी हद तक उसे अपने मकसद में कामयाबी मिल सकती है. हरियाणा के मद्देनजर की गई हाफिज की ये प्लानिंग साफ बता रही है कि उसके दिमाग में कुछ ऐसा चल रहा है जिससे देश की रक्षा और अखंडता हो एक बड़ा खतरा है.

ऐसी मुहीम केवल आतंकियों का एक नेक्सस तैयार करेगी

चाहे वो जमात-उद-दावा हो या फिर लश्कर यदि उनके काम करने के रवैये पर गौर किया जाए तो मिलता है कि ये लोग बड़े ही दिलचस्प अंदाज में अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं. चूंकि इनका सॉफ्ट टारगेट आम गरीब मुसलमान होता है तो पहले ये लोग उन्हें ढेरों पैसे देते हैं और जब उन लोगों को एक बार इन पैसों की आदत लग जाती है तो ये लोग बड़ी ही चालाकी से उन्हें जिहाद के नाम पर आतंकवाद के प्रचार प्रसार के लिए आगे कर देते हैं.

बहरहाल, एनआईए इस गंभीर मामले की जांच में जुटी है. जहां एक तरफ मस्जिद के कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ मस्जिद के एकाउंट्स भी क्रॉस चेक किये जा रहे हैं. नतीजा क्या निकालता है ये हमें आने वाला वक़्त बताएगा. लेकिन जिस तरफ भारत की एक मस्जिद के निर्माण के लिए पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से चंदा लिए जाने की बात सामने आई वो ये साफ बता रही है कि समस्या कितनी जटिल है. यदि इसे वक्त रहते नहीं रोका गया तो इसका  खामियाजा पूरे देश को उठाना पड़ेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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