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क्षमा बिंदु होने का मतलब है- 'वन वुमन शो', यहां पंडित जी की जरूरत थी भी नहीं

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 08 जून, 2022 02:38 PM
  • 08 जून, 2022 02:38 PM
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खुद से शादी करके क्षमा जताना चाहती हैं कि वे अपने अंदर के उस हर हिस्से को भी अपनाना चाहती हैं जो बदसूरत है. यह शादी, एक तरीका है, एक गहरा भाव है जिससे वे खुद को पूरी तरह अपना सकती हैं. वैसे भी बिना शादी के ही अकेले रहने वाली महिला तो सबसे बड़ी पापिन कहलाती हैं. उसके बारे कहा जाता है कि वह दूसरे के पतियों को लील लेने वाली डायन है.

क्षमा बिंदु (kshama bindu) होने का मतलब है- 'वन वुमन शो'. एक ऐसा शो, जिसमें क्षमा सिर्फ खुद से और खुद की खुशियों से प्रेम करना चाहती हैं. 'खुद' के साथ जीवन गुजारना चाहती हैं. तो ऐसी खुशी में जो शामिल हो, उसका स्‍वागत है. क्षमा अपनी पूरी जिंदगी अपने लिए अपने हिसाब से जीना चाहती हैं. एक इंसान के अंदर कुछ अच्छाइयां होती हैं तो कुछ बुराइयां भी होती हैं. सोलोगामी का रास्ता अपनाकर क्षमा ने खुद के हर रूप को दिल से स्वीकार करना चाहती हैं. 

वे अपनी शारीरिक-मानसिक कमियों को अपना चुकी हैं. वह खुद के साथ अपनी जिंदगी खुशी-खुशी जीना चाहती हैं. यह शादी, एक तरीका है, एक गहरा भाव है जिससे वे खुद को पूरी तरह अपना सकती हैं. खुद से शादी करके क्षमा जताना चाहती हैं कि वे अपने अंदर के उस हर हिस्से को भी अपनाना चाहती हैं जो बदसूरत है. क्षमा बिंदु की शादी की खबर का पता चलते ही कुछ लोगों को शायद उनसे नफरत हो गई होगी. इसके वबाजूद उनकी शादी का इंतजार ऐसे हो रहा है, क्योंकि यह मानव स्वभाव है.

इस शादी को आप इस तरह से लें कि यह क्षमा का खुश होने का एक बहाना है. एक एंजॉयमेंट है, जिसे वह अपने लिए जीना चाहती है. क्षमा बिंदु को शादी के लिए पंडित जी की जरूरत होनी भी नहीं थी. अब ऐसा भी नहीं है कि वे शादी नहीं करवाएंगे तो 11 जून को होने वाली यह शादी रूक जाएगी. जब क्षमा इस शादी में अकेले हैं तो फिर उन्हें किसी किसी की उम्मीद क्यों करनी? उन्हें पता था कि इस फैसले के बाद लोग बाहें फैलकर उनका इंतजार तो नहीं कर रहे होंगे.

वो अब दुनिया को बताना चाहती हैं कि वो अपने आप के लिए काफी हैं. वो इस बात में यकीन रखती हैं कि इंसान अकेला आया है और अकेला ही इस दुनिया से चला जाएगा.. वह जब गिरती हैं तो खुद को ही संभालती हैं. इसलिए वो शादी करके जिंदगी भर अपने साथ अकेले ही रहना चाहती हैं. वो खुद से लिए गए वचनों को हमेशा निभाना चाहती हैं.

क्षमा को किसी से शादी नहीं करनी थी लेकिन दुल्हन बनना था. वे किसी और के लिए नहीं बल्कि अपनी खुशी के लिए दुल्हन बनना चाहती...

क्षमा बिंदु (kshama bindu) होने का मतलब है- 'वन वुमन शो'. एक ऐसा शो, जिसमें क्षमा सिर्फ खुद से और खुद की खुशियों से प्रेम करना चाहती हैं. 'खुद' के साथ जीवन गुजारना चाहती हैं. तो ऐसी खुशी में जो शामिल हो, उसका स्‍वागत है. क्षमा अपनी पूरी जिंदगी अपने लिए अपने हिसाब से जीना चाहती हैं. एक इंसान के अंदर कुछ अच्छाइयां होती हैं तो कुछ बुराइयां भी होती हैं. सोलोगामी का रास्ता अपनाकर क्षमा ने खुद के हर रूप को दिल से स्वीकार करना चाहती हैं. 

वे अपनी शारीरिक-मानसिक कमियों को अपना चुकी हैं. वह खुद के साथ अपनी जिंदगी खुशी-खुशी जीना चाहती हैं. यह शादी, एक तरीका है, एक गहरा भाव है जिससे वे खुद को पूरी तरह अपना सकती हैं. खुद से शादी करके क्षमा जताना चाहती हैं कि वे अपने अंदर के उस हर हिस्से को भी अपनाना चाहती हैं जो बदसूरत है. क्षमा बिंदु की शादी की खबर का पता चलते ही कुछ लोगों को शायद उनसे नफरत हो गई होगी. इसके वबाजूद उनकी शादी का इंतजार ऐसे हो रहा है, क्योंकि यह मानव स्वभाव है.

इस शादी को आप इस तरह से लें कि यह क्षमा का खुश होने का एक बहाना है. एक एंजॉयमेंट है, जिसे वह अपने लिए जीना चाहती है. क्षमा बिंदु को शादी के लिए पंडित जी की जरूरत होनी भी नहीं थी. अब ऐसा भी नहीं है कि वे शादी नहीं करवाएंगे तो 11 जून को होने वाली यह शादी रूक जाएगी. जब क्षमा इस शादी में अकेले हैं तो फिर उन्हें किसी किसी की उम्मीद क्यों करनी? उन्हें पता था कि इस फैसले के बाद लोग बाहें फैलकर उनका इंतजार तो नहीं कर रहे होंगे.

वो अब दुनिया को बताना चाहती हैं कि वो अपने आप के लिए काफी हैं. वो इस बात में यकीन रखती हैं कि इंसान अकेला आया है और अकेला ही इस दुनिया से चला जाएगा.. वह जब गिरती हैं तो खुद को ही संभालती हैं. इसलिए वो शादी करके जिंदगी भर अपने साथ अकेले ही रहना चाहती हैं. वो खुद से लिए गए वचनों को हमेशा निभाना चाहती हैं.

क्षमा को किसी से शादी नहीं करनी थी लेकिन दुल्हन बनना था. वे किसी और के लिए नहीं बल्कि अपनी खुशी के लिए दुल्हन बनना चाहती हैं. खुद से शादी करके वह अकेले भी रहेंगी और दुल्हन भी बन जाएंगी. एक तरीके से वे सिर्फ खुश रहना चाहती हैं और अगर यह खुशी खुद से शादी करने से मिलती है तो क्यों नहीं?

क्षमा एक दुल्हन की तरह लाल जोड़ा पहनना चाहती हैं, हल्दी-मेहंदी की रस्म करना चाहती हैं. संगीत में नाचना चाहती हैं और खुद के मांग में सिंदूर भरकर, वचन लेकर यह साबित करना चाहती है कि वह खुद से कितना प्यार करती हैं. इस शादी में उनके माता-पिता साथ हैं और दोस्त भी शामिल होंगे. क्षमा का मानना है कि 'खुद से शादी करने का मतलब है कि आप खुद के प्रति कमिटेड हैं और खुद से प्यार करते हैं. यह खुद को पूरी तरह अपना लेने का एक तरीका है.

क्षमा दुनिया को बताना चाहती हैं कि वो अपने आप के लिए काफी हैं...

शादी ना करने वाली लड़कियों की आरती नहीं उतारी जाती

क्षमा खुद से शादी कर रही हैं तो लोग उन्हें जली-कटी सुना रहे हैं. जो लड़कियां शादी नहीं करतीं उन्हें भी दुनियावाले कहां चैन से जीने देते हैं. बिना शादी के ही अकेले रहने वाली महिला तो सबसे बड़ी पापिन कहलाती हैं. उसके बारे कहा जाता है कि वह दूसरे के पतियों को लील लेने वाली डायन है. इस तरह उसे दुनिया भर के तानों से नवाजा जाता है. घरवाले अपने घर की लड़कियों को सिंगल महिला के पास भेजने से भी डरते हैं, उन्हें लगता है कि वह बिगड़ जाएगी.

समाज अकेली रहने वाली लड़की के बारे में कहते हैं कि ज्यादा पढ़ लिख गई है तो इसका दिमाग खराब हो गया है, शादी नहीं करेगी तो बुढ़ापे में अकेले रहेगी, अपने आप को पता नहीं क्या समझती है...पहली बात तो यह है कि अगर कोई लड़की कहती है कि उसे शादी नहीं करनी तो घरवाले इसे सीरियस लेते ही नहीं है. जैसे-तैसे करके एक दिन उसकी शादी करा ही दी जाती है.

वहीं जिस लड़की की शादी नहीं होती है उसके बारे में 10 तरह की बातें कही जाती हैं. लड़की में ही कोई खोट है तभी तो शादी पक्की नहीं हो पा रही है. उम्र हो गई है कोई लड़का कैसे पसंद करेगा, लड़की बिगड़ गई है, मां-बाप की बात ही नहीं मानती. अरे लड़की अपशगुनी है, जहां जाती है मनहूसियत फैलाती है. माने अविवाहित लड़कियों को जितनी जलालत मिलती है उससे तो क्षमा बच ही जाएंगी. अब अगर कोई पूछेगा तो वह कह सकती हैं कि हां मैं शादीशुदा हूं बस...इसके बाद न कोई सवाल पूछेगा ना जवाब देना पड़ेगा.

जिनकी शादी हो गई है उन्होंने भी कौन से बड़ा तीर मार लिया है?

जिन महिलाओं की शादी हो गए है वे कौन सी अपने घरों में बहुत सुखी हैं. उनकी जिंदगी में भी तमाम मुश्किलें देखने को मलिती है. शादी के बाद महिलाओं के ऊपर इतनी जिम्मेदारी आ जाती है कि चाहते हुए भी वे खुद को समय नहीं दे पाती हैं. दिमाग में जिम्मेदारियों का बोझ लिए वह अपने सपनों के पीछे भागती हैं. अगर जीवनसाथी अच्छा मिल जाए तो तब तो ठीक है वरना जिंदगी बचती कहां है. घर, काम, ऑफिस में खुद से किगा गया वादा किसी तिलंजे में चला जाता है. खुद की परवाह परवाह करने वाली बातें सिर्फ खयालों तक सिमट जाती हैं. ऐसा लगता है हम सिर्फ दुनिया की कसौटी पर खरा उतरने के लिए भाग रहे हैं. कुछ महिलाएं घरेलू हिंसा औऱ दहेज प्रताड़ना में जीती रहती हैं.

ऐसे में जो शादी नहीं करते हैं उनके सामने शादीशुदा लोगों का इतराना फालतू हैं. अपनी हैपी मैरिड लाइफ का शोकेस बनाकर किसी सिंगल के सामने मत परोसिए. शादीशुदा लोगों के खाने में और सिंगल लोगों के खाने का स्वाद एक ही होता है, इसलिए नमक, मिर्च और मसाले खाने में डालिए किसी की निजी जिंदगी में तड़का लगाने की जरूरत नहीं है. शादी से पहले हम का मतलब सिर्फ मैं से होता है वहीं शादी के बाद हम का मतलब पति, बच्चे, माता-पिता, रिश्तेदार, पड़ोसी और दूर के रिश्तेदारों से भी होता है.

गुजरात की साक्षी 24 साल की हैं. वे समाजशास्त्र की स्टूडेंट हैं. इसके साथ ही वो एक ब्लॉगर भी हैं. फिलहाल वे एक प्राइवेट कंपनी में सीनियर रिक्रूटर का काम करती हैं. उनके माता-पिता इंजीनियर हैं. पिता साउथ अफ्रीका में रहते हैं जबकि माता अहमदाबाद में रहती हैं. साक्षी ने जब अपने माता-पिता को सेल्फ मैरिज की बात कही तो मां ने कहा कि 'तुम हमेशा कुछ नया करती हो'. पिता भी काफी खुले विचारों वाले हैं. उनका कहना था कि 'वही करो जिससे तुम्हें खुशी मिलती है'. इस तरह साक्षी भारत में स्व-विवाह करने वाली शायद पहली भारतीय हैं. इनका कहना है कि "बहुत से लोग मुझसे कहा करते हैं कि मैं एक अच्छा कैच हूं तो मैं उन लोगों से कहती हूं कि हां, और इसीलिए मैंने ख़ुद को चुन लिया है."

क्षमा खुद से शादी करके अपने आप से एक वादा है कि वे अपने लिए हमेशा मौजूद रहें. क्षमा अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीना चाहती हैं. वो आगे बढ़ना चहती हैं, कुछ करना चाहती हैं. वो संतुष्ट जीवन जीना चाहती हैं. खुद से शादी करके वैसे भी वो अकेले ही रहने वाली हैं. बस खुद को पैंपर करने का यह एक तरीका हो सकता है. जो उन्होंने खुद की खुशी के लिए चुना है.

हालांकि जो पंडित जी क्षमा की शादी करवाना चाहते थे उन्होंने यह शादी करवाने से मना कर दिया है. कुछ लोग इस शादी के खिलाफ हैं. बीजेपी भाजपा की नगर इकाई की उपप्रमुख सुनीता शुक्ला का कहना है कि, 'शादी मंदिर में हो रही है तो हम ऐसा नहीं होने देंगे. ऐसी शादियां हमारे धर्म के खिलाफ हैं. इससे हिंदू जनसंख्या कम होगी.' वहीं कई लोग क्षमा को सपोर्ट करते हुए कह रहे हैं कि सभी को अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीने का हक है.

क्षमा भी किसी भी धर्म का अपमान नहीं करना चाहती हैं. वे ऐसा सिर्फ अपनी खुशी के लिए करना चाह रही हैं, क्योंकि वे खुद से प्यार करती हैं. वह एक मनुष्य होने के नाते अपने अस्तित्व को सम्मान देना चाहती हैं. इसलिए वे अब मंदिर में शादी नहीं करेंगी. वे मंत्रों टेप में बजाकर शादी करेंगी. हालांकि शादी से पहले की सारी रस्में पूरे विधी-विधान से की जाएंगी. यह क्षमा का फैसला है कि वह किससे शादी करना चाहती हूं, चाहें वह लड़की हो या लड़का. वह खुद से शादी करके सिर्फ सोलेगैमी (स्व-विवाह) को सामान्य साबित करना चाहती हैं.

हालांकि हिंदू धर्म में स्व-विवाह जैसी शादी मान्य नहीं हैं. असल में यह प्रकृति के नियम के खिलाफ है. पेड़-पौधे, जानवर, मनुष्य सभी की संरचना प्रकृति के अनुसार है. अब पौधे या जानवर तो इस अलग तरीके से नहीं सोच सकते, लेकिन इंसान तो सबकुछ कर सकता है. सोचिए अगर सभी ने कहना शुरु कर दिया कि मैं सिंगल रहूंगा तो फिर इस दुनिया का क्या होगा? हालांकि अगर ऐसा कोई अपवाद सामने आता है तो उसे होने देना चाहिए. शायद इसमें उसकी खुशी शामिल हो. खुद से शादी करने का मतलब है अकेले रहना. साथ ही उस जलालत से खुद को बचा लेना जो दुनिया शादी न होने पर देती है...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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