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केरल में भारत के आधे से ज्यादा कोरोना मरीज, देश के लिए इसके मायने क्या?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 27 अगस्त, 2021 06:45 PM
  • 27 अगस्त, 2021 06:14 PM
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केरल में ये हाल तब है, जब कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान उसके कोरोना मैनेजमेंट को लेकर तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे. लेकिन, बीते महीने केरल में कोरोना वायरस महामारी का विस्फोट हुआ, तो वो अब रुकने का नाम नहीं ले रहा है. आसान शब्दों में कहें, तो केरल सरकार के बकरीद पर ढील देने को लेकर किए गए एक फैसले ने राज्य को महामारी के मुंह में ढकेल दिया.

कोरोना महामारी से जूझ रहे देश में कोरोना संक्रमण के मामलों कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. बीते दो दिनों में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से 40 हजार को पार कर गए हैं, जो डराने के लिए काफी कहे जा सकते हैं. कोरोना की दूसरी लहर का पीक गुजरने के बाद भी संक्रमण के मामलों में कमी नहीं आना 'तीसरी लहर' का इशारा करने लगे हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि WHO की चीफ साइंटिस्ट ने कहा है कि भारत में लोगों को कोरोना के साथ जीना सीखना होगा. क्योंकि, भारत में कोरोना के मामले कई महीनों तक सामने आते रहेंगे. कहना गलत नहीं होगा कि एक्सपर्ट्स से लेकर केंद्र सरकार की ओर जारी की गई तमाम चेतावनियों पर लोगों की लापरवाहियां भारी पड़ रही हैं. कोरोना की तीसरी लहर के खौफ के बीच रोजाना सामने आ रहे संक्रमण के कुल मामलों में आधे से ज्यादा कोरोना मरीज केरल में पाए जा रहे हैं. चिंता की बात ये भी है कि केरल के कई जिलों में पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी से ज्यादा बना हुआ है. इस स्थिति में संभावना है कि आने वाले समय में केरल में कोरोना के मामलों में और अधिक वृद्धि हो सकती है.

केरल में ये हाल तब है, जब कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान उसके कोरोना मैनेजमेंट को लेकर तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे. लेकिन, बीते महीने केरल में कोरोना वायरस महामारी का विस्फोट हुआ, तो वो अब रुकने का नाम नहीं ले रहा है. आसान शब्दों में कहें, तो केरल सरकार के बकरीद पर ढील देने को लेकर किए गए एक फैसले ने राज्य को महामारी के मुंह में ढकेल दिया. हालांकि, केरल की पिनराई विजयन सरकार ने कोरोना संक्रमण के मामलों में हुई बढ़ोत्तरी के लिए अपने इस फैसले को वजह नहीं माना. लेकिन, दोबारा बढ़ रहे मामलों का ठीकरा जरूर मलयाली हिंदुओं के त्योहार 'ओणम' पर फोड़ दिया है. इस बीच देश एक बार फिर पूरी तरह से अनलॉक हो चुका है. शॉपिंग मॉल से लेकर सिनेमा हॉल तक सभी जगहों पर रौनक लौटती दिखाई दे रही है. एक साल से ज्यादा समय से बंद चल रहे देशभर के स्कूलों को दोबारा खोला जा रहा है. आइए जानते हैं कि देश के लिए इसके क्या मायने...

कोरोना महामारी से जूझ रहे देश में कोरोना संक्रमण के मामलों कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. बीते दो दिनों में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से 40 हजार को पार कर गए हैं, जो डराने के लिए काफी कहे जा सकते हैं. कोरोना की दूसरी लहर का पीक गुजरने के बाद भी संक्रमण के मामलों में कमी नहीं आना 'तीसरी लहर' का इशारा करने लगे हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि WHO की चीफ साइंटिस्ट ने कहा है कि भारत में लोगों को कोरोना के साथ जीना सीखना होगा. क्योंकि, भारत में कोरोना के मामले कई महीनों तक सामने आते रहेंगे. कहना गलत नहीं होगा कि एक्सपर्ट्स से लेकर केंद्र सरकार की ओर जारी की गई तमाम चेतावनियों पर लोगों की लापरवाहियां भारी पड़ रही हैं. कोरोना की तीसरी लहर के खौफ के बीच रोजाना सामने आ रहे संक्रमण के कुल मामलों में आधे से ज्यादा कोरोना मरीज केरल में पाए जा रहे हैं. चिंता की बात ये भी है कि केरल के कई जिलों में पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी से ज्यादा बना हुआ है. इस स्थिति में संभावना है कि आने वाले समय में केरल में कोरोना के मामलों में और अधिक वृद्धि हो सकती है.

केरल में ये हाल तब है, जब कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान उसके कोरोना मैनेजमेंट को लेकर तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे. लेकिन, बीते महीने केरल में कोरोना वायरस महामारी का विस्फोट हुआ, तो वो अब रुकने का नाम नहीं ले रहा है. आसान शब्दों में कहें, तो केरल सरकार के बकरीद पर ढील देने को लेकर किए गए एक फैसले ने राज्य को महामारी के मुंह में ढकेल दिया. हालांकि, केरल की पिनराई विजयन सरकार ने कोरोना संक्रमण के मामलों में हुई बढ़ोत्तरी के लिए अपने इस फैसले को वजह नहीं माना. लेकिन, दोबारा बढ़ रहे मामलों का ठीकरा जरूर मलयाली हिंदुओं के त्योहार 'ओणम' पर फोड़ दिया है. इस बीच देश एक बार फिर पूरी तरह से अनलॉक हो चुका है. शॉपिंग मॉल से लेकर सिनेमा हॉल तक सभी जगहों पर रौनक लौटती दिखाई दे रही है. एक साल से ज्यादा समय से बंद चल रहे देशभर के स्कूलों को दोबारा खोला जा रहा है. आइए जानते हैं कि देश के लिए इसके क्या मायने हैं?

केरल सरकार के बकरीद पर ढील देने को लेकर किए गए एक फैसले ने राज्य को महामारी के मुंह में ढकेल दिया.

गलती से भी केरल की 'गलती' न दोहराए कोई राज्य

15 दिन से ज्यादा समय नहीं हुआ है, जब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोरोना महामारी के चलते कई महीनों से चली आ रही शनिवार और रविवार की साप्ताहिक बंदी को खत्म किया है. इसमें भी योगी सरकार ने पहले शनिवार का लॉकडाउन खत्म किया था. नतीजे उम्मीद के हिसाब से आने पर कुछ दिनों बाद रविवार की बंदी भी खत्म कर दी गई. योगी सरकार ने बकरीद हो या कांवड़ यात्रा, शादी हो या निकाह इन जैसे तमाम कार्यक्रमों पर केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के हिसाब से चलते हुए बिना किसी लाग-लपेट के कड़े फैसले लिए. हाल ही में मोहर्रम पर भी योगी सरकार ने सख्ती बरतते हुए लोगों को बड़ी संख्या में एकत्रित न होने की सलाह जारी की. इन तमाम चीजों के लिए समाज के वरिष्ठ लोगों से बातचीत कर हल निकाला गया. केरल सरकार ने बकरीद मामले पर जो दो दिनों की छूट दी थी, इसकी वजह से वो ओणम और मोहर्रम पर भी सख्ती नहीं बरत सकती थी. अगर ऐसा करती, तो उसके वोटबैंक को खतरा हो सकता था. कहा जा सकता है कि सोशल डिस्‍टेंसिंग की बंदिशें हटीं तो, कोरोना संक्रमण ने भी तेजी से पांव पसारे.

सेकुलर दिखने के चक्कर में लिया गया एक गलत फैसला पिनराई विजयन सरकार के गले की फांस बन गया. महामारी के इस दौर में कहना गलत नहीं होगा कि सरकार को सेकुलर नहीं सख्त होना चाहिए. वैसे, चिंता की असली बात ये है कि तमाम एक्सपर्ट्स ने अक्टूबर और नवंबर में कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका जताई है. इसके पीछे वजह ये है कि अगले कुछ महीनों में दशहरा, दिवाली जैसे बड़े त्‍योहार का सीजन आने वाला है. अगर देश की अन्य प्रदेश सरकारों ने भी केरल सरकार की गलती को दोहरा दिया, तो तीसरी लहर के भायवह परिणाम सामने आने में समय नहीं लगेगा. कोरोना जैसे जानलेवा वायरस को लेकर लापरवाही बरतना देश को भारी पड़ सकता है. कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में बच्चों के आने की संभावना जताई जा रही है. कई राज्यों में स्कूल खोल दिए गए हैं, तो ऐसी गलती दोहराने से कोरोना वायरस को फैलने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा.

इलाज से बेहतर है एहतियात

करीब 3.6 करोड़ की आबादी वाले केरल में कोरोना संक्रमण के बढ़े हुए मामलों को लेकर कई लोग तर्क देते नजर आ रहे हैं कि राज्य में कोरोना टेस्टिंग ज्यादा की जा रही है. जिसकी वजह से संक्रमितों की बड़ी संख्या सामने आ रही है. हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि केरल में कोरोना टेस्टिंग को और ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है. जिससे संक्रमितों की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में मदद मिलेगी. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि केरल में ट्रेसिंग के मामले में पीछे है. यहां हर संक्रमित शख्स से ट्रेसिंग में दो से कम लोगों का पता लगाया जा रहा है. वहीं, अगर यहां करीब 24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश की बात की जाए, तो सामने आता है कि सूबे में केरल से ज्यादा कोरोना टेस्टिंग हो रही है और संक्रमितों की संख्या बीते दिन 21 ही रही थी. यूपी में संक्रमितों की संख्या कम होने के बावजूद कोरोना टेस्टिंग में कोई कमी नहीं की जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, केरल के 80 फीसदी कोविड-19 मरीज होम आइसोलेशन में हैं और उनकी निगरानी जरूरी है.

केरल से फैल सकती है 'तीसरी लहर'

केरल में जिस तेजी से कोविड-19 के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कोरोना की तीसरी लहर को देश में फैलाने के लिए ये राज्य कारण बन सकता है. देश के सबसे शिक्षित राज्य का दर्जा रखने वाले केरल से देश के अन्य राज्यों में कोरोना संक्रमण फैलने का अनुमान लगाना कोई बड़ी बात नहीं है. राज्यों के बीच व्यापारिक संबंध होते हैं. केरल से चाय, कॉफी, सीफूड जैसे ढेरों चीजें अन्य राज्यों में जाती हैं. काफी हद तक संभव है कि इन चीजों के सहारे कोरोना संक्रमण धीरे-धीरे अन्य राज्यों में भी फैल जाए. केरल घूमने जाने वाले पर्यटकों, राष्ट्रीय स्तर पर माल ढोने वाले लोगों के संक्रमित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. ये लोग अपने राज्यों में लौटेंगे, तो क्या कोरोना नहीं फैलाएंगे?

कोरोना वायरस को लेकर किसी तरह की भी लापरवाही सीधे तौर पर जान का खतरा बन सकती है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार चेतावनियां जारी कर रहा है, लेकिन भारत में लोगों के अंदर नियमों को लेकर हील-हवाली की आदत बहुत गहराई तक जड़ें जमाए बैठी है. केरल में कोरोना संक्रमण की रफ्तार से तीसरी लहर की आशंकाओं को मजबूती मिल गई है. कुल-मिलाकर इतना ही कहा जा सकता है कि कोविड उपयुक्त व्यवहार यानी कोविड एप्रोपिएट बिहेवियर को अपना कर ही कोरोना वायरस से बचा जा सकता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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