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केरल में कोरोना की 'तीसरी लहर' आई, जानिये ये किसे दिखाई नहीं दे रही है

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 31 जुलाई, 2021 12:27 PM
  • 31 जुलाई, 2021 12:27 PM
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एक महीने पहले तक जिस कोरोना आपदा को लेकर देश में हाहाकार मचा हुआ था, वहां आज केरल में फटे कोरोना ज्वालामुखी को लेकर नीम खामोशी छाई हुई है. बकरीद के दौरान बाजार खुले रखने पर केरल सरकार की ओर से तुर्रा ये छोड़ा गया कि तीन महीने की पाबंदियों से लोग परेशान हैं और एक्सपर्ट्स की राय पर छूट दी गई है.

भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का कहर कुछ थमा जरूर है. लेकिन, अभी भी कोरोना संक्रमण के रोजाना सामने आने वाले मामले 40,000 से कुछ कम या ज्यादा बने हुए हैं. 29 जुलाई को सामने आए आंकड़ों के अनुसार, कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या 43,509 थी और 640 कोरोना मरीजों ने जान गंवाई. लेकिन, इन आंकड़ों में सबसे चौंकाने वाला तथ्य ये है कि केरल में सबसे ज्यादा 22,056 नए मामले सामने आए. केरल में लगातार दूसरे दिन सर्वाधिक मामले सामने आए हैं. ये वही केरल है, जिसके कोरोना मैनेजमेंट को लेकर तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे. भाजपा-विरोधी बुद्धिजीवी वर्ग का एक बड़ा तबका देश के भाजपा शासित राज्यों को केरल से सीख लेने की सलाह दे रहा था. लेकिन, अब केरल में कोरोना वायरस महामारी का विस्फोट हो गया है. आसान शब्दों में कहें, तो देश में कोरोना की तीसरी लहर फैलने की शुरुआत केरल से हो चुकी है.

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान केरल में कुछ पाबंदियों के साथ जनजीवन सामान्य रूप से चल रहा था. चलता भी क्यों नहीं, आखिर पहली लहर के दौरान केरल अपनी सूझबूझ से कोरोना को रोकने में कामयाब जो रहा था. वो तो गलती से बकरीद पर बाजार की रौनक ने कोरोना को खुश कर दिया. जिसके चलते आज ये स्थिति है कि देश के 51 फीसदी कोरोना संक्रमित अकेले केरल में हैं. तिस पर बकरीद के दौरान छूट देने के मामले पर केरल सरकार की ओर से तुर्रा ये छोड़ा गया कि तीन महीने की पाबंदियों से लोग परेशान हैं और एक्सपर्ट्स की राय पर छूट दी गई है. एक महीने पहले तक जिस आपदा को लेकर देश में हाहाकार मचा हुआ था, वहां आज केरल में फटे कोरोना ज्वालामुखी को लेकर नीम खामोशी छाई हुई है. कोरोना को लेकर संसद में आगबबूला हो रहा विपक्ष केरल के हालात पर मौन है. आइए, समझते हैं कि केरल में आई कोरोना की ताजा लहर किसे और क्यों दिखाई नहीं दे रही है:

भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का कहर कुछ थमा जरूर है. लेकिन, अभी भी कोरोना संक्रमण के रोजाना सामने आने वाले मामले 40,000 से कुछ कम या ज्यादा बने हुए हैं. 29 जुलाई को सामने आए आंकड़ों के अनुसार, कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या 43,509 थी और 640 कोरोना मरीजों ने जान गंवाई. लेकिन, इन आंकड़ों में सबसे चौंकाने वाला तथ्य ये है कि केरल में सबसे ज्यादा 22,056 नए मामले सामने आए. केरल में लगातार दूसरे दिन सर्वाधिक मामले सामने आए हैं. ये वही केरल है, जिसके कोरोना मैनेजमेंट को लेकर तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे. भाजपा-विरोधी बुद्धिजीवी वर्ग का एक बड़ा तबका देश के भाजपा शासित राज्यों को केरल से सीख लेने की सलाह दे रहा था. लेकिन, अब केरल में कोरोना वायरस महामारी का विस्फोट हो गया है. आसान शब्दों में कहें, तो देश में कोरोना की तीसरी लहर फैलने की शुरुआत केरल से हो चुकी है.

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान केरल में कुछ पाबंदियों के साथ जनजीवन सामान्य रूप से चल रहा था. चलता भी क्यों नहीं, आखिर पहली लहर के दौरान केरल अपनी सूझबूझ से कोरोना को रोकने में कामयाब जो रहा था. वो तो गलती से बकरीद पर बाजार की रौनक ने कोरोना को खुश कर दिया. जिसके चलते आज ये स्थिति है कि देश के 51 फीसदी कोरोना संक्रमित अकेले केरल में हैं. तिस पर बकरीद के दौरान छूट देने के मामले पर केरल सरकार की ओर से तुर्रा ये छोड़ा गया कि तीन महीने की पाबंदियों से लोग परेशान हैं और एक्सपर्ट्स की राय पर छूट दी गई है. एक महीने पहले तक जिस आपदा को लेकर देश में हाहाकार मचा हुआ था, वहां आज केरल में फटे कोरोना ज्वालामुखी को लेकर नीम खामोशी छाई हुई है. कोरोना को लेकर संसद में आगबबूला हो रहा विपक्ष केरल के हालात पर मौन है. आइए, समझते हैं कि केरल में आई कोरोना की ताजा लहर किसे और क्यों दिखाई नहीं दे रही है:

यूपी औऱ उत्तराखंड में कोरोना के मामले कम होने के बावजूद कांवड़ यात्रा रद्द की गई.

1. केरल में कोरोना विस्फोट उन इस्लामिस्ट लोगों को दिखाई नहीं दे रहा है, जिन्हें कुंभ कोरोना का सुपरस्प्रेडर लगता था. लेकिन, बकरीद के लिए खुला बाजार नहीं. बकरीद का त्योहार मनाने के लिए खरीददारी करने बाजारों में उमड़ी हजारों की भीड़ पर कोरोना का असर शायद केरल में नहीं होता होगा. यूपी औऱ उत्तराखंड में कोरोना के मामले कम होने के बावजूद कांवड़ यात्रा रद्द की गई. लेकिन, केरल की वामपंथी सरकार धर्मनिरपेक्ष है, तो कोरोना को भी ये बात अच्छे से मालूम ही होगी. वो कैसे एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में लोगों को अपना निशाना बना सकता है?

2. हमारे देश के उन वामपंथियों को भी केरल में बढ़ रहे कोरोना मामलों की संख्या नजर नहीं आ रही होगी, जिन्हें कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मोदी और योगी का मिस मैनेजमेंट दिखा होगा. उत्तर प्रदेश में तो कोरोना ने हाहाकार मचा दिया था. लाशें नदियों में बह रही थीं, श्मशान और कब्रिस्तान के बाहर लाइनें लगी हुई थीं लेकिन, केरल के महा-संक्रमण में इन वामपंथियों को कोई विकास मॉडल जरूर दिखाई दे रहा होगा. तभी तो ये वामपंथी शांत हैं.

3. कोरोना की तीसरी लहर का कारण बन सकने वाला केरल उस विपक्ष को भी दिखाई नहीं दे रहा है, जो संसद में कोरोना पर चर्चा कराने के लिए धरना दे रहा है. विपक्ष को पता है कि कोरोना को रोकने का सबसे बड़ा हथियार चर्चा ही हो सकती है. केरल के हालात पर बोलने से कोरोना का संक्रमण नहीं रुकने वाला है. लेकिन, इस पर चर्चा की मांग के साथ हंगामा काटने से कोरोना संक्रमण के कम होने की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाएगी.

4. केरल में कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों पर उन लिबरल की भी नजर नहीं पड़ रही है, जिन्हें लगता है कि केरल-महाराष्ट्र में फैलने वाले कोरोना संक्रमण का उत्तर भारत तक आने में कोई हाथ नहीं होता. इनकी समझ में कोरोना भी समझदार है. अब जैसे वो कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों की रैलियों में नहीं गया था. उसी तरह और जगहों पर भी नहीं जाएगा.

5. केरल में कोरोना संक्रमण के मामलों में आया उछाल उन अर्थशास्त्रियों की आंखों से भी ओझल हो गया होगा, जो उत्तर भारत में लॉकडाउन न लगाने पर भाजपा सरकारों की आलोचना करते हैं, जबकि केरल में ऐसा न होने की वजह बिजनेस के नुकसान को बताते हैं. केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में छूट देने के मामले पर दिए गए जवाब में जिन एक्सपर्ट्स की राय की बात कही थी, निश्चित तौर पर वो एक्सपर्ट ये ही रहे होंगे. लेकिन, शायद इन अर्थशास्त्रियों को ये नहीं पता होगा कि उत्तर प्रदेश में कोरोना के कुल मामलों की संख्या 787 है. लेकिन, राज्य में अभी भी वीकएंड लॉकडाउन जारी है. वहीं, केरल में काफी दिनों से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे थे. इसके बावजूद केरल सरकार ने संभावित खतरे को नजरअंदाज करते हुए बकरीद पर लोगों को छूट दे डाली, ताकि आर्थिक मंदी किसी को परेशान न करे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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