इस्लामिक कट्टरपंथ से प्रेरित कश्मीर घाटी के आतंकवाद ने अमरीन भट्ट (Amreen bhatt) को भी नहीं बख्शा. बावजूद इसके कि वह कश्मीरी हैं और मुस्लिम भी. अमरीन को मार दिए जाने की वजह 'आजादी' की मांग करने वाले आतंकियों का राक्षसी मंसूबा जाहिर करती है. अमरीन मुस्लिम थीं और कश्मीरी भी. हमेशा हिजाब पहनती रहीं. तो फिर उसे आतंकियों ने क्यों भून दिया? यहां तक कि उसके 10 वर्षीय भतीजे को भी नहीं छोड़ा. बच्चे तो फरिश्ते का रूप होते हैं, तो फिर?
असल में आतंकियों का कहना है कि, कश्मीरी महिलाओं की इतनी मजाल जो वे सोशल मीडिया सेंसेशन बने. वो टिकटॉक पर एक्टिंग करें, गाना गाएं और लिप्सिंग करें. वो भी बॉलीवुड के गानों और डायलॉग पर. वे भला इस तरह खुलेआम प्यार की बातें कैसे कर सकती हैं? महिलाओं को अपनी औकात याद रखनी चाहिए.
ऐसी महिलाओं को देखकर ही तो लड़कियां बिगड़ती हैं. भले ही अमरीन भट्ट एक कश्मीरी टीवी एक्ट्रेस थीं लेकिन वे अपनी हद कैसे भूल गईं. वे भले वीडियो में सादे लिबास में रहती थीं, अपने सिर को ढके हुए रहती थीं लेकिन वे ऐसे साहसी गीत कैसे गा सकती थीं?
लोग उनकी वीडियो को काफी पसंद करते थे. दिन-प्रतिदिन उनके फॉलोअर्स बढ़ रहे थे, इसलिए आतंकियों ने उनकी आवाज को हमेशा के लिए खामोश कर दिया. ताकि ना रहेगी बास ना बजेगी बासुरी...
ऐसे राक्षसों की सोच है कि, एक मुस्लिम महिला को नाच, गाना शोभा नहीं देता है? एक मुस्लिम महिला को हमेशा पर्दे में रहना चाहिए. उसे अपने शरीर को लबादे में ढक लेना चाहिए, उसकी पहचान सिर्फ उसके पिता और पति तक ही होनी चाहिए. उसका काम शौहर की सेवा और बच्चे पालना है, घर में खाना बनाना और घर की दहलीज...
इस्लामिक कट्टरपंथ से प्रेरित कश्मीर घाटी के आतंकवाद ने अमरीन भट्ट (Amreen bhatt) को भी नहीं बख्शा. बावजूद इसके कि वह कश्मीरी हैं और मुस्लिम भी. अमरीन को मार दिए जाने की वजह 'आजादी' की मांग करने वाले आतंकियों का राक्षसी मंसूबा जाहिर करती है. अमरीन मुस्लिम थीं और कश्मीरी भी. हमेशा हिजाब पहनती रहीं. तो फिर उसे आतंकियों ने क्यों भून दिया? यहां तक कि उसके 10 वर्षीय भतीजे को भी नहीं छोड़ा. बच्चे तो फरिश्ते का रूप होते हैं, तो फिर?
असल में आतंकियों का कहना है कि, कश्मीरी महिलाओं की इतनी मजाल जो वे सोशल मीडिया सेंसेशन बने. वो टिकटॉक पर एक्टिंग करें, गाना गाएं और लिप्सिंग करें. वो भी बॉलीवुड के गानों और डायलॉग पर. वे भला इस तरह खुलेआम प्यार की बातें कैसे कर सकती हैं? महिलाओं को अपनी औकात याद रखनी चाहिए.
ऐसी महिलाओं को देखकर ही तो लड़कियां बिगड़ती हैं. भले ही अमरीन भट्ट एक कश्मीरी टीवी एक्ट्रेस थीं लेकिन वे अपनी हद कैसे भूल गईं. वे भले वीडियो में सादे लिबास में रहती थीं, अपने सिर को ढके हुए रहती थीं लेकिन वे ऐसे साहसी गीत कैसे गा सकती थीं?
लोग उनकी वीडियो को काफी पसंद करते थे. दिन-प्रतिदिन उनके फॉलोअर्स बढ़ रहे थे, इसलिए आतंकियों ने उनकी आवाज को हमेशा के लिए खामोश कर दिया. ताकि ना रहेगी बास ना बजेगी बासुरी...
ऐसे राक्षसों की सोच है कि, एक मुस्लिम महिला को नाच, गाना शोभा नहीं देता है? एक मुस्लिम महिला को हमेशा पर्दे में रहना चाहिए. उसे अपने शरीर को लबादे में ढक लेना चाहिए, उसकी पहचान सिर्फ उसके पिता और पति तक ही होनी चाहिए. उसका काम शौहर की सेवा और बच्चे पालना है, घर में खाना बनाना और घर की दहलीज के अंदर ही है. अब सोचिए मुस्लिम पुरुषों के मुकाबलने कितनी कश्मीरी महिलाएं आज के जमाने मे सिंगर हैं? कश्मीर में रहकर अपनी पहचान बनाने वाली हर अमरीन का कब तक ये हाल होगा.
देखिए जाहिलों में अमरीन पर कितना जहर उगला है-
अमरीन की अपलोड की गई वीडियो पर कुछ जाहिलों ने तो ऐसे ही कमेंट्स किए हैं 'एक मुस्लिम महिला होने का मतलब होता है शर्म, हया, पर्दा, परहेजगिरी और ईमानदारी. अरे शर्म किया करो पागल औरत. क्या तुम्हें खुदा का खौफ नहीं है. बेशर्म, बद्तमीज...
'जंगल में मंगल कर रही हो, तुम जैसी लड़कियों ने कश्मीर का नाम खराब कर दिया, शर्म नहीं आती तुम्हें मुजरा कर पैसे कमाने वाली. लानत है तुम पर, बैगरत बाप की औलाद...'
कुछ तो इतने नीच हैं कि अमरीन के जाने के बाद उनकी वीडियो पर कमेंट करके बोल रहे हैं कि 'जो जैसा करता है उसके साथ वैसे ही होता है. हम उस गुमनाम शख्स पर गर्व करते हैं जिसने तुम जैसी टिकटॉक गर्ल को मार दिया. सुनकर अच्छा लग रहा है कि तुम मर गई.' अमरीन ने जो किया है वो बर्दाश्त से बाहर है वेल डन ब्यॉज...
दरअसल, ये आतंकी रूपी राक्षक उस परिंदे को भी टारगेट कर सकते हैं जो दिल्ली की बात करता है. इसलिए अपने मन से यह वहम निकाल दीजिए कि वे मुस्लिम बच्चों और महिलाओं को बक्श देंगे. वो ऐसे किसी भी इंसान पर रहम नहीं खाने वाले जो अपने देश और देशभक्ति की बात करेगा.
जम्मू-कश्मीर का कोई भी शख्स अगर उनके तय किए पैमाने से जरा भी इधर-उधर हुआ तो वो उनके निशाने पर आ सकता है. ऐसा नहीं है कि कश्मीर में सिर्फ सुरक्षा बल, सरकारी कर्मचारी, आर्मी जवान और हिंदू ही निशाने पर हैं बल्कि वहां हर वो शख्स निशाने पर है जो अपने अधिकार की बात करता है, जो देशहित की बात करता है, जो आतंक के खिलाफ आवाज उठाता है, जो बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता है. अमरीन भी कश्मीरी लोगों की आवाज बनने की कोशिश कर रही थीं. इसलिए उनकी जान ले ली गई.
अमरीन भट्ट को मारने से पहले आतंकियों ने पुलिस कांस्टेबल रियाज अहमद की पुलवामा में उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना में उनकी बेटी भी घायल हो गई थी. जबकि वे तो इस्लाम को मानते थे फिर? असल में उनकी गलती यह थी कि वे मुस्लिम होकर पुलिस की वर्दी पहनकर देश की सेवा कर रहे थे.
अमरीन भट्ट के फैंस सोशल मीडिया पर जमकर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं. कई लोगों का कहना है कि अमरीन ने अपने गानों से आतंकवादियों की रीढ़ को झकझोर दिया था, इसलिए इन्हें उसकी हत्या करनी पड़ी थी! इन कायरों ने अपने डर की वजह से एक औऱ युवा की जान ले ली.
कश्मीर में आतंकवादियों ने अमरीन को इसलिए मारा क्योंकि वह टीवी कलाकार थीं. वह अपने दम पर कुछ करने की हिम्मत कर रही थीं. उसने अपनी पहचान बनाने की हिम्मत दिखाई. वह जम्मू-कश्मीर की अन्य महिलाओं को प्रेरित करना चाहती थीं. वे अपने वीडियो के जरिए बदलाव लाने की कोशिश कर रही थीं. जो तमाम कश्मीरी नागरिकों पर लगे दाग को धो रही थी. जो महिला सशक्तिकरण के लिए अपना योगदान दे रही थी. वह लोगों के सामने आकर आतंकियों के बुर्का बिग्रेड विचारधारा में बदलाव ला रही थी. आतंकियों को पाक-साफ महिला से डर लगने लगा और इसलिए उसे मार दिया, ताकि कल को कोई और अमरीन हिम्मत ना कर सके. ये आतंकी कश्मीर के बेगुनाह नागरिकों में भय पैदा करना चाहते हैं.
इन्हें यह नहीं पता कि एक अमरीन को मारकर इन्होंने कई अमरीन को फलने-फूलने का मौका दे दिया है. अजीब है जब जायरा वसीम आध्यात्म के लिए एक्टिंग छोड़ देती हैं लोग कहते हैं कि उसकी च्वाइस है. वहीं जब अमरीन को एक्टिंग की खातिर मार दिया जाता है? तो इन कट्टरपंथियों की आवाज ना जाने कहां चुप हो जाती है. एक निर्दोषी महिला को गोलियों से भून दिया गया और किसी के मुंह से आवाज तक नहीं निकल रही है.
आखिर क्या गलती थी अमरीन की, जो उसे उसके ही घर के सामने बेरहमी से मार दिया गया? वह तो नेक दिल थी, इस्लामिक कट्टरपंथियों ने साबित कर दिया कि नेक दिल होना, इंसानियत के भलाई की बात करना, अपने धर्म का पालन करना भी इनेक लिए गुनाहे वजीम है...तो फिर ये अमरीन जैसे भले इंसान को कैसे हजम करते?
आज अमरीन की रूह आजाद हो गई है. अमरीन अब दूसरे दुनिया में खुश होगीं, वह अपने पंख फैलाकर में उड़ रही होगीं. अमरीन जिस जहां में है कोई उनका ये आतंकी कुछ नहीं बिगाड़ सकते. वह अब खुलकर नाच सकती हैं. वह चिल्ला सकती हैं, हंस सकती हैं, गा सकती हैं...क्योंकि वह अब हमेशा के लिए सुकून की नींद में सो गई हैं...
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