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करणी सेना की हालत, आगरा के पंछी पेठे जैसी होती नजर आ रही है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 05 फरवरी, 2018 06:07 PM
  • 05 फरवरी, 2018 06:07 PM
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पद्मावत को महाराष्ट्र वाली करणी सेना का समर्थन और अपनी सेना को असली कहने वाले कलवी के विरोध से न सिर्फ भंसाली बल्कि पूरे देश के लोग खासे परेशान हैं और फैसला नहीं कर पा रहे कि असली कौन है, नकली कौन.

बात बीते हुए, कुछ ही दिन हुए हैं और प्रतिक्रिया भी आ गयी. बात थी "महाराष्ट्र" वाली करणी सेना का संजय लीला भंसाली की पद्मावत को हरी झंडी देना. प्रतिक्रिया थी इधर उत्तर वाली "करणी सेना" के चीफ लोकेंद्र सिंह कलवी का उसे फर्जी कहना और बताना कि वो फिल्म का विरोध बदस्तूर जारी रखेंगे. इस "नकली" वाली करणी सेना के अपने को असली कहने पर कलवी का तर्क है कि यह 'फेक न्यूज' है जिसे एक 'फेक' यानी फर्जी करणी सेना ने हवा दी है.

अब करणी सेना के लिए बड़ी चुनौती अपने को असली साबित करना है

कलवी ने इस बात को भी स्वीकार है कि देश में, सबसे पहले पद्मावत की रिलीज का विरोध इनके द्वारा ही किया गया था. कलवी ये भी मानते हैं कि देश में एक ही राजपूत करणी सेना है और उन्हें गर्व है कि उनके द्वारा इस संगठन की स्थापना हुई है. इसके अलावा 'मामले को बड़ी ही "गंभीरता" से लेते हुए' कलवी ने लोगों से अनुरोध किया है कि वो मिलते-जुलते नाम वाली करणी सेनाओं से सावधान रहें.

खैर, आपने ताज नगरी आगरा का नाम ज़रूर सुना होगा. यदि आप ताज नगरी आगरा कभी गए होंगे या फिर कभी आपको वहां जाने का मौका मिले तो आप पाएंगे कि अभी आपकी ट्रेन या बस ढंग से आगरा पहुंची भी नहीं कि आपको वेंडर्स ने घेर लिया. ऐसे वेंडर्स जिनके हाथ में पेठे का डिब्बा है. रंग बिरंगे पेठे. अलग-अलग आकर के पेठे, मन मोह लेने वाली डिजाइनदार पेठे. शीरे वाले पेठे, ऐसे जो गुलाम जामुन और रसगुल्ले को फेल कर दें. सूखे पेठे जिनके आगे बर्फी और पेड़े भी बौने नजर आएं.

पेठे के डिब्बे पकड़े इन वेंडर्स को जब आप ध्यान से देखेंगे तो मिलेगा कि भले ही इनके पेठे अलग हों मगर डिब्बे पर सबके "पंछी पेठा" लिखा होगा. जो जानते हैं अच्छी बात है. जो नहीं जानते वो जान लें "ताज" के बाद ये पंछी पेठे ही हैं जिनके चलते आगरा खासा लोकप्रिय...

बात बीते हुए, कुछ ही दिन हुए हैं और प्रतिक्रिया भी आ गयी. बात थी "महाराष्ट्र" वाली करणी सेना का संजय लीला भंसाली की पद्मावत को हरी झंडी देना. प्रतिक्रिया थी इधर उत्तर वाली "करणी सेना" के चीफ लोकेंद्र सिंह कलवी का उसे फर्जी कहना और बताना कि वो फिल्म का विरोध बदस्तूर जारी रखेंगे. इस "नकली" वाली करणी सेना के अपने को असली कहने पर कलवी का तर्क है कि यह 'फेक न्यूज' है जिसे एक 'फेक' यानी फर्जी करणी सेना ने हवा दी है.

अब करणी सेना के लिए बड़ी चुनौती अपने को असली साबित करना है

कलवी ने इस बात को भी स्वीकार है कि देश में, सबसे पहले पद्मावत की रिलीज का विरोध इनके द्वारा ही किया गया था. कलवी ये भी मानते हैं कि देश में एक ही राजपूत करणी सेना है और उन्हें गर्व है कि उनके द्वारा इस संगठन की स्थापना हुई है. इसके अलावा 'मामले को बड़ी ही "गंभीरता" से लेते हुए' कलवी ने लोगों से अनुरोध किया है कि वो मिलते-जुलते नाम वाली करणी सेनाओं से सावधान रहें.

खैर, आपने ताज नगरी आगरा का नाम ज़रूर सुना होगा. यदि आप ताज नगरी आगरा कभी गए होंगे या फिर कभी आपको वहां जाने का मौका मिले तो आप पाएंगे कि अभी आपकी ट्रेन या बस ढंग से आगरा पहुंची भी नहीं कि आपको वेंडर्स ने घेर लिया. ऐसे वेंडर्स जिनके हाथ में पेठे का डिब्बा है. रंग बिरंगे पेठे. अलग-अलग आकर के पेठे, मन मोह लेने वाली डिजाइनदार पेठे. शीरे वाले पेठे, ऐसे जो गुलाम जामुन और रसगुल्ले को फेल कर दें. सूखे पेठे जिनके आगे बर्फी और पेड़े भी बौने नजर आएं.

पेठे के डिब्बे पकड़े इन वेंडर्स को जब आप ध्यान से देखेंगे तो मिलेगा कि भले ही इनके पेठे अलग हों मगर डिब्बे पर सबके "पंछी पेठा" लिखा होगा. जो जानते हैं अच्छी बात है. जो नहीं जानते वो जान लें "ताज" के बाद ये पंछी पेठे ही हैं जिनके चलते आगरा खासा लोकप्रिय है.

कहा जा सकता है कि पंछी पेठा और करणी सेना की हालात बिल्कुल एक सी है

अब हो सकता है हमारे द्वारा कही गयी दो अलग तरह की बातें आपको विचलित करें और शायद आप ये सोचने पर विवश हो जाएं कि आखिर हम एक ही जगह पर पहले भंसाली की फिल्म पद्मावत, करणी सेना और लोकेंद्र सिंह कलवी दूसरे स्थान पर आगरा और पंछी पेठे की बात क्यों कर रहे हैं? तो बात बहुत सिंपल और इस सिंपल सी बात का सार दोनों ही बेहद आसान हैं.

मौजूदा वक़्त में आगरा का पंछी पेठा भी अपने को असली और दूसरे को नकली बता रहा है और करणी सेना के सुप्रीमो भी अपने को असली क्लेम कर दूसरे को नकली बता रहे हैं और उनसे सावधान रहने की बात कर रहे हैं. गौरतलब है कि फिल्म पद्मावत को लेकर श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के मुंबई इकाई के नेता योगेन्द्र सिंह कतार ने कहा था कि, फिल्म पर चल रहे घमासान के बाद, संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगमदी के निर्देश पर संगठन के कुछ सदस्यों ने फिल्म देखी और पाया कि इस फिल्म के अन्दर राजपूतों की बहादुरी और उनकी कुर्बानी को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया है.

पद्मावत को लेकर अभी भी करणी सेना का विरोध चल रहा है और प्रदर्शन जारी है

कतार यहीं पर रुक जाते तब भी ठीक था. फिल्म से कतार इतना प्रभावित हुए कि फिल्म को लेकर उन्होंने अपने बयान में यहां तक कह दिया कि अब भविष्य में, भंसाली के कारण सभी राजपूत अपने को गौरवान्वित महसूस करेंगे. ज्ञात हो कि योगेन्द्र सिंह कतार, डायरेक्टर संजय लीला भंसाली से इतना खुश हैं कि उन्होंने एक पत्र जारी करते हुए अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि फिल्म में दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी और मेवाड़ की रानी पद्मावती के बीच ऐसा कोई दृश्य नहीं फिल्माया गया है जिससे राजपूतों की भावनाओं पर असर पड़े. इसलिए करणी सेना अपना विरोध वापस लेती है.

साथ ही पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि भविष्य में करणी सेना राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात समेत बाक़ी हिस्सों में इस फिल्म को रिलीज कराने में प्रशासन का साथ देगी. महाराष्ट्र करणी सेना के इस बड़े यू टर्न से न सिर्फ राजपूत बल्कि सम्पूर्ण देश आश्चर्य में था.

अंत में हम ये कहते हुए अपनी बता खत्म करेंगे कि, बेहतर होगा कि इस तरफ अपने को असली कहने वाले करणी सेना के चीफ "कलवी" और उस तरफ अपने को बिल्कुल ओरिजिनल बताने वाले "योगेन्द्र सिंह कतार" मिल बैठ कर बात करें और इस बवाल को खत्म करें. ऐसा इसलिए क्योंकि फिलहाल फिल्म 200 करोड़ वाले क्लब में शामिल हो गयी है. कहीं ऐसा न हो कि आगरे के पंछी पेठे जैसे इन लोगों के बीच जब असली नकली का फैसला हो फिल्म कई अहम पड़ाव पार कर ले और इन लोगों के हाथ खाली पेठे का डिब्बा लगे जिसका "पंछी" इनका मजाक उडाए और ये लोग लोगों के बीच हंसी का पात्र बनें.

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भंसाली को करणी सेना का शुक्रगुजार होना चाहिए क्योंकि....


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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