• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

स्त्री-पुरुष का हर संबंध जिसके टारगेट पर है, तो समझिए उसके भीतर एक दैत्य है

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 20 जुलाई, 2021 11:00 PM
  • 20 जुलाई, 2021 11:00 PM
offline
ये लोग इंसान नहीं दैत्य हैं जिनका दिमाग सड़कर मवाद बन चुका है. वे ज्योतिरादित्य और इमरती देवी की तस्वीर लगाकर बोली बोल रहे हैं. भावना में रोती हुई महिला को संबल देती हुई इस तस्वीर में भी इन्होंने गंदगी निकाल ली.

अक्सर देखने में आता है कि अगर एक स्त्री और पुरुष में दोस्ती है या कोई भी सहज संबंध (Jyotiraditya scindia hug Imarti Devi) है तो लोग उसमें रिश्ता तलाशने लगते हैं. जब एक आदमी और औरत सड़क पर चलते हैं तो लोग बिना सोचे समझे उन्हें पति-पत्नी बता देते हैं. अगर वे पति-पत्नी नहीं हैं तो लोग उन्हें एक अलग नजर से देखने लगते हैं.

दुनियां भले मंगल पर पानी और जीवन तलाश रही हो लेकिन स्त्री पुरुष के रिश्ते को लोग आज भी गलत नजरों से देखते हैं. चाहें वे किसी बड़े पद पर हों या एक सामान्य कर्मचारी. समाज को लोगों पर उंगली उठाने की इतनी गंदी बीमारी है कि महिलाएं डर के चलते दूसरे पुरुषों को भाई का नाम देना ही सही समझती हैं.

महिला समर्थक को गले लगाते ज्योतिरादित्य सिंधिया और राहुल गांधी

क्यों ऐसा जरूरी है क्या कि एक पुरुष और महिला सिर्फ पति-पत्नी, गलर्फेंड-बॉयफ्रेंड या भाई-बहन ही हो सकते हैं. वे सहकर्मी या दोस्त या गुरू-शिष्य नहीं हो सकते क्या? यह तो उनके उपर निर्भर करता है कि उनके बीच क्या है, कोई तीसरा नहीं समझ सकता. लोगों को दूसरों में कमी निकालने की पुरानी आदत है, जब यह कमी किसी महिला में निकालनी हो तो उसके चरित्र पर ही सवाल खड़े कर देते हैं.

वे यही लोग हैं जो कभी पीएम नरेंद्र मोदी और स्मृति इरानी पर फब्तियां कसते हैं तो कभी मनमोहन और सोनिया गांधी की फोटो जोड़कर पोस्ट वायरल करते हैं. इन्होंने तो रोती हुई आह्लादित बच्ची को गले लगाने पर राहुल गांधी को भी नहीं छोड़ा था तो फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया और इमरती देवी को कैसे छोड़ते.

कोई स्त्री किसी पुरुष को पिता समान मानती है तो किसी को अपना गुरु. किसी को अपना गर्जियन मानती है, किसी को मार्गदर्शक, किसी को मुखिया तो किसी को बेटा लेकिन उसे ट्रोल किया जाता है. उसे गंदी...

अक्सर देखने में आता है कि अगर एक स्त्री और पुरुष में दोस्ती है या कोई भी सहज संबंध (Jyotiraditya scindia hug Imarti Devi) है तो लोग उसमें रिश्ता तलाशने लगते हैं. जब एक आदमी और औरत सड़क पर चलते हैं तो लोग बिना सोचे समझे उन्हें पति-पत्नी बता देते हैं. अगर वे पति-पत्नी नहीं हैं तो लोग उन्हें एक अलग नजर से देखने लगते हैं.

दुनियां भले मंगल पर पानी और जीवन तलाश रही हो लेकिन स्त्री पुरुष के रिश्ते को लोग आज भी गलत नजरों से देखते हैं. चाहें वे किसी बड़े पद पर हों या एक सामान्य कर्मचारी. समाज को लोगों पर उंगली उठाने की इतनी गंदी बीमारी है कि महिलाएं डर के चलते दूसरे पुरुषों को भाई का नाम देना ही सही समझती हैं.

महिला समर्थक को गले लगाते ज्योतिरादित्य सिंधिया और राहुल गांधी

क्यों ऐसा जरूरी है क्या कि एक पुरुष और महिला सिर्फ पति-पत्नी, गलर्फेंड-बॉयफ्रेंड या भाई-बहन ही हो सकते हैं. वे सहकर्मी या दोस्त या गुरू-शिष्य नहीं हो सकते क्या? यह तो उनके उपर निर्भर करता है कि उनके बीच क्या है, कोई तीसरा नहीं समझ सकता. लोगों को दूसरों में कमी निकालने की पुरानी आदत है, जब यह कमी किसी महिला में निकालनी हो तो उसके चरित्र पर ही सवाल खड़े कर देते हैं.

वे यही लोग हैं जो कभी पीएम नरेंद्र मोदी और स्मृति इरानी पर फब्तियां कसते हैं तो कभी मनमोहन और सोनिया गांधी की फोटो जोड़कर पोस्ट वायरल करते हैं. इन्होंने तो रोती हुई आह्लादित बच्ची को गले लगाने पर राहुल गांधी को भी नहीं छोड़ा था तो फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया और इमरती देवी को कैसे छोड़ते.

कोई स्त्री किसी पुरुष को पिता समान मानती है तो किसी को अपना गुरु. किसी को अपना गर्जियन मानती है, किसी को मार्गदर्शक, किसी को मुखिया तो किसी को बेटा लेकिन उसे ट्रोल किया जाता है. उसे गंदी बातें सुनाई जाती हैं. इन ट्रोलर्स को किसी महिला की हिम्मत तोड़ने का यह सबसे आसान रास्ता नजर आता है. ये इंसान नहीं दैत्य हैं जिनका दिमाग सड़कर मवाद बन चुका है. वे ज्योतिरादित्य और इमरती देवी की तस्वीर लगाकर बोली बोल रहे हैं. भावना में रोती हुई महिला को संबल देती हुई इस तस्वीर में भी इन्होंने गंदगी निकाल ली.

इन लोगों के लिए किसी भी स्त्री-पुरुष के रिश्ते को टारगेट करना सबसे आसान काम है. किसी महिला नेता की आलोचना करनी है तो उनके काम से कीजिए, कोई महिला अगर मंत्री है या विधायक है और काम करने में सक्षम नहीं है तो बेशक उससे सवाल पूछिए, लेकिन वह सिर्फ एक महिला है इसलिए उसते चरित्र पर अपनी सोच मत थोपिए. उसके नीजि जीवन को जज करने का हक आपका नहीं है.

इस तस्वीर में कितनी सहजता है, कितना सम्मान है यह इन लोगों को नजर नहीं आता, अब जैसा इनका दिमाग होगा वैसी ही सोच तो इनकी जुबान से बाहर आएगी. लोगों को इस तरह की चीजों से बचना चाहिए, यह याद रखिए कि आपके घर में भी बेटी-बहू हैं. ये लोग न तो आप स्मृति ईरानी के बारे में कुछ जानते हैं न इमरती देवी के बारे में न ही देश की किसी भी स्त्री के बारे में लेकिन फिर भी अगर ठेका ले रखा है तो याद रखिए आपका किया आपके घर तक ना पहुंच जाए.

दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के केन्द्रीय मंत्री बनाए जाने पर मध्यप्रदेश की पूर्व मंत्री इमरती देवी के बधाई देने के अंदाज कुछ लोगों को पसंद नहीं आया. लोग सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप लिखने लगे. लोग तंज के रूप में सिंधिया को बधाई दे रहे थे. एक ने कहा कि कम से कम इमरती देवी से ही सीख लेते कि वफा क्या होती है. उनकी आंखों में आंसू तो आना ही था. मतलब ये कि यो लोग बधाई कम ताना ज्यादा मार रहे थे.

दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंत्रिमंडल में जगह मिलने पर उनकी समर्थक इमरती देवी उन्हें बधाई दे थीं. इस मौके पर दोनों भावुक हो गए. बधाई देते हुए इमरती देवी की आंखों में आंसू देखकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आगे बढ़कर उन्हें गले लगा लिया. इस दौरान उन्होंने हाथ जोड़कर कहा मंत्री बनने की बधाई महाराज साहब. इस पर सिंधिया ने मुस्कुराकर इमरती देवी का अभिवादन स्वीकार किया. इसके बाद इमरती देवी भावुक हो गईं जो कि स्वाभाविक है. बस यही सहजता लोगों को गले से नीच नहीं उतरी.

प्रशासनिक अक्षमता पर कटाक्ष करने वाले तो समझ आते हैं, लेकिन किसी महिला पर किचड़ उतारने को आतुर रहने वाले को क्या ही कहा जाए. सभी को पता है कि इमरती देवी बहुत ही भावुक और सरल महिला हैं. सिंधिया परिवार ने ज़मीन पर रहने वाली महिला को उठाकर नेता बनाया है. तो क्या वे नेता बनने का बाद उन्हें ही भूल जाएं, फिर उसे आप क्या कहेंगे. वे इसके लिए हमेशा से ही सिंधिया परिवार की कृतज्ञ रहती हैं.

उनका एक भी वाक्य "बड़े महाराज या छोटे महाराज" के बिना पूरा नहीं होता. जब कोई व्यक्ति किसा का आदर करता है, सम्मान करता है तो उसे पूजने लगता है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, कि कोई किसी नेता के लिए पागल हुआ हो या भक्त हुआ है. कई लोग हैं जो पुरुष नेता को पूजते हैं, उन्हें आपना आदर्श मानते हैं, उनका पैर छूते हैं तो जब उनके बारे में कोई गलत बात नहीं करता तो फिर किसी महिला नेता तो लेकर इतनी गिरी सोच क्यों. किसी महिला के रोने पर अगर कोई पुरुष नेता संबल देता है तो यह तंज, मजाक, उपहास और चटकारे का विषय तो बिल्कुल नहीं है.

तस्वीरें खुद बोलती हैं, आपको इस फोटो को मन की आखों से देखिए. इस तस्वीर में प्रेम, आदर, स्नेह और संवेदना को महसूस करिए... किसी को पूजने के लिए इतना होना काफी है. कोई किसी इंसान को क्यों पूजता है वही जानता है. किसी के पूजे जाने की वजह कुछ भी हो सकती है. क्यों कोई किसी को भगवान मानता है, यह वही जान सकता है. हम इतना कह सकते हैं कि दो लोगों के बीच में आपको कूदने की जरूरत नहीं है. अपने घोड़े से तेज चलते दिमाग को शांति कीजिए और किसी अच्छे विचार में लगाइए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲