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समाज

ये बाल सुधारगृह है, यहां सुधरने वाला फिर हत्‍या कर सकता है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 05 फरवरी, 2016 06:59 PM
  • 05 फरवरी, 2016 06:59 PM
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हाल ही में पारित किए गए जुवेनाइल कानून को अनुचित मानने वाले लोगों के सामने एक नहीं बल्कि दो-दो उदाहरण हैं, जो शायद उनकी सोच थोड़ी सी बदल पाएं. फरवरी के पहले ही हफ्ते में हुए ये दो मामले नये जुवेनाइल कानून की प्रमाणिकता को और भी मजबूती दे रहे हैं.

जो लोग इस बात की वकालत करते हैं कि नाबालिगों को सजा नहीं होनी चाहिए. या फिर बाल सुधार गृह भेजकर उन्हें उनके अपराधों से मुक्त कर देना उचित है, उन लोगों के सामने एक नहीं बल्कि दो-दो उदाहरण हैं. जो शायद उनकी सोच थोड़ी सी बदल पाएं. फरवरी के पहले ही हफ्ते में हुए ये दो मामले नये जुवेनाइल कानून की प्रमाणिकता को और भी मजबूती दे रहे हैं.

निर्भया कांड का एक आरोपी नाबालिग था, लिहाजा उसे सुधार गृह भेजा गया और वो कड़ी सजा पाने से बच गया था. पूरे देश में इस बात को लेकर आक्रोश था कि निर्भया कांड जैसे जघन्य अपराध को करने वाले शख्स को छोड़ा क्यों गया. न सिर्फ उसे छोड़ा गया बल्कि दिल्ली सरकार ने तो उसका भविष्य संवारने के लिए रोजगार भी मुहैया करा दिया. वजह सिर्फ ये कि कुछ लोग मानते हैं कि सुधार गृह में जाकर नाबालिक अपराधी सुधर जाते हैं, और दोबारा अपराध नहीं करते. तो उनके लिए यहां इन दो मामलों का जिक्र करना जरूरी हो जाता है.

ये भी पढ़ें- निर्भया के नाबालिग दुष्‍कर्मी को तो रिहा होना ही था

सुधार गृह से बाहर आए आरोपियों ने फिर की हत्या

दिल्ली में रहने वाले 17 वर्षीय किशोर और उसकी गर्लफ्रेंड चर्चित रियलिटी डांस शो में हिस्सा लेना चाहते थे, लेकिन पैसे नहीं होने की वजह से सितम्बर 2015 में उन्होंने अपने ही डांस ग्रुप के एक 13 साल के बच्चे का अपहरण किया और उत्तराखण्ड ले गए. परिजनों से 60 हजार रुपए फिरौती मांगी, जो नहीं मिली, तो दोनों ने मिलकर बच्चे की हत्या कर दी. उन्हें हत्या का दोषी पाया गया और नाबालिग होने की वजह से सुधरने के लिए सुधार गृह भेज दिया गया.

आश्चर्य की बात है कि 'अच्छे आचरण' के चलते महज दो महीने बाद ही इन्हें सुधार गृह से...

जो लोग इस बात की वकालत करते हैं कि नाबालिगों को सजा नहीं होनी चाहिए. या फिर बाल सुधार गृह भेजकर उन्हें उनके अपराधों से मुक्त कर देना उचित है, उन लोगों के सामने एक नहीं बल्कि दो-दो उदाहरण हैं. जो शायद उनकी सोच थोड़ी सी बदल पाएं. फरवरी के पहले ही हफ्ते में हुए ये दो मामले नये जुवेनाइल कानून की प्रमाणिकता को और भी मजबूती दे रहे हैं.

निर्भया कांड का एक आरोपी नाबालिग था, लिहाजा उसे सुधार गृह भेजा गया और वो कड़ी सजा पाने से बच गया था. पूरे देश में इस बात को लेकर आक्रोश था कि निर्भया कांड जैसे जघन्य अपराध को करने वाले शख्स को छोड़ा क्यों गया. न सिर्फ उसे छोड़ा गया बल्कि दिल्ली सरकार ने तो उसका भविष्य संवारने के लिए रोजगार भी मुहैया करा दिया. वजह सिर्फ ये कि कुछ लोग मानते हैं कि सुधार गृह में जाकर नाबालिक अपराधी सुधर जाते हैं, और दोबारा अपराध नहीं करते. तो उनके लिए यहां इन दो मामलों का जिक्र करना जरूरी हो जाता है.

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सुधार गृह से बाहर आए आरोपियों ने फिर की हत्या

दिल्ली में रहने वाले 17 वर्षीय किशोर और उसकी गर्लफ्रेंड चर्चित रियलिटी डांस शो में हिस्सा लेना चाहते थे, लेकिन पैसे नहीं होने की वजह से सितम्बर 2015 में उन्होंने अपने ही डांस ग्रुप के एक 13 साल के बच्चे का अपहरण किया और उत्तराखण्ड ले गए. परिजनों से 60 हजार रुपए फिरौती मांगी, जो नहीं मिली, तो दोनों ने मिलकर बच्चे की हत्या कर दी. उन्हें हत्या का दोषी पाया गया और नाबालिग होने की वजह से सुधरने के लिए सुधार गृह भेज दिया गया.

आश्चर्य की बात है कि 'अच्छे आचरण' के चलते महज दो महीने बाद ही इन्हें सुधार गृह से छोड़ दिया गया. बाहर आते ही दोनों ने फरीदाबाद रहने वाली 65 वर्षीय विधवा महिला की गला घोंट कर हत्या कर दी और घर से तमाम ज्वेलरी, नकद और दो मोबाइल चोरी कर लिए. मोबाइल फोन ऑन करने पर ये दोनों पकड़े गए.

यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि पुलिस वाले या फिर नाबालिग अपराधियों को सुधारने वाले ये लोग कितने भोले हैं..कितने नर्मदिल हैं कि वो दो ही महीने में हत्या के इन आरोपियों के आचरण से प्रभावित हो गए और उन्हें छोड़ दिया. आजकल के बच्चे इतने कलाकार हैं कि मां-बाप खुद अपने बच्चे पर शक किए बिना नहीं रहते, तो ये तो हत्या के आरोपी थे. फिर कैसे?

रेप के नाबालिग आरोपी ने फिर किया रेप

दो दिन पहले ही कृष्णागिरी, तमिलनाडू से एक और खबर आई कि रेप के आरोपी नाबालिग ने जूवेनाइल होम से छूटकर फिर से एक बच्ची का रेप किया. चार साल पहले इस नाबालिग ने 24 साल की एक महिला से दुष्‍कर्म किया था. उसे भी सजा नहीं हुई और दो साल के लिए उसे जुवेनाइल होम भेज दिया गया था. यहां से हाल ही में रिहा होने के बाद उसने अपने घर के पास खेल रही 8 साल की लड़की को सूनी जगह पर ले जाकर उसके साथ दुष्‍कर्म किया.

यहां खास बात ये है कि दोबारा रेप के आरोप में गिरफ्तार किए गए इस 17 साल के नाबालिग को एक बार फिर सुधार गृह भेज दिया गया. अब इस नाबालिग को एक साल बाद फिर रिहा कर दिया जाएगा. और वो फिर से रेप न करे इसकी कोई गारंटी नहीं है. 

ये भी पढ़ें- 18 साल से कम हैं? निडर होकर कीजिए रेप

ऐसे आपराधियों के हिमायती भी कम नहीं

हाल ही में पारित किए गए किशोर कानून के अनुसार 16 साल या उससे अधिक के नाबालिगों के दुष्कर्म और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में शामिल होने पर उनके खिलाफ वयस्क के समान मुकदमा चलाया जाएगा. लेकिन एक कांग्रेस नेता और सामाजिक कार्यकर्ता ताशीन पूनावाला ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगाई है. इनका मानना है कि नया कानून अनुचित, मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है.

तो सवाल अब इन्हीं हिमायतियों से, कि अगर सुधार गृह भेजने के बावजूद भी अपराधी नहीं सुधरा और बाहर आकर फिर से अपराधों में लिप्त होता है तो उसके अपराध की सजा उसे क्यों नहीं मिलनी चाहिए? कर्नाटक में 10 से 13 साल के चार नाबालिगों ने एक 9 साल की बच्ची के साथ गैंगरेप किया था. फिलहाल तो ये चारों सुधार गृह में सुधरने की प्रक्रीया में हैं, लेकिन जो बच्चे 13 साल की उम्र में ये जानते हैं कि रेप कैसे होता है और गैंग रेप का आनंद कैसे उठा सकते हैं, उन बच्चों से आप किस तरह सुधरने की उम्मीद करते हैं? जिन बच्चों के हाथ एक बार हत्या करने पर नहीं कांपे वो दोबारा कैसे कांपेंगे? अच्छा है कि बच्चे सुधर जाएं और ये उनके भविष्य के लिए अच्छा ही होगा. लेकिन इन दोनों मामलों को देखते हुए ये कहने में कोई गुरेज नहीं कि यहां सुधार गृह सिर्फ खानापूर्ति है, बच्चों के सुधरने की यहां कोई गारंटी नहीं.

ये भी पढ़ें- हमें आंख के बदले आंख नहीं, आंख के बदले रौशनी चाहिए

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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