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Johnny Depp की जीत, घरेलू हिंसा के शिकार हुए सभी 'पुरुषों' की जीत है...

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 02 जून, 2022 04:27 PM
  • 02 जून, 2022 04:09 PM
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शराब और ड्रग्स के नशे में अपनी पत्नी को बुरी तरह से पीटने वाला पति. औरतों को पैर की जूती समझने वाला शख्स. फिल्मों में बेहतरीन दिखने वाले चेहरे के पीछे छिपा दानव. घरेलू हिंसा के शिकार जॉनी डेप (Johnny Depp) ने मानहानि केस (defamation case) जीत कर उस सोच को हराया है. जो ये कहती है कि पुरुष घरेलू हिंसा (Domestic Violence) का शिकार नहीं हो सकता.

सोने ही जा रहा था कि अचानक मोबाइल पर एक खबर फ्लैश हुई कि जॉनी डेप ने अपनी पूर्व पत्नी एंबर हर्ड के खिलाफ मानहानि का मुकदमा जीत लिया है. और, अलसाई आंखों से नींद अपने आप ही गायब हो गई. दरअसल, जॉनी डेप के नाम के साथ एक ऐसा 'टैग' जबरन चिपका दिया गया था. जिसने उनकी पूरी जिंदगी ही बदल दी थी. और, वो टैग था एक शोषक का. शराब और ड्रग्स के नशे में अपनी पत्नी को बुरी तरह से पीटने वाले एक पति का. औरतों को पैर की जूती समझने वाले एक आदमी का. फिल्मों में बेहतरीन दिखने वाले चेहरे के पीछे छिपे दानव का.

ये सारी चीजें वो थीं, जो जॉनी डेप ने एंबर हर्ड से तलाक होने के बावजूद झेलीं. क्योंकि, एंबर हर्ड को पता था कि इस दुनिया में खुद को शोषित बताकर भी जॉनी की राहें आसान नहीं होने वाली हैं. क्योंकि, दुनिया की लगभग आधी आबादी पर हमेशा पुरुष ही हावी रहा है. यही वजह रही होगी कि एंबर को पूरा यकीन था कि जॉनी डेप अपनी पूरी ताकत लगाकर भी चीखेंगे. तो, दुनिया इस बात का भरोसा नहीं करेगी कि घरेलू हिंसा के असल शिकार वो हैं. एंबर हर्ड को यकीन था कि जॉनी के पाले में खड़ा होने की हिम्मत किसी में नहीं होगी. क्योंकि, एक स्त्री जब रोते-बिलखते हुए अपने साथ हुए 'अत्याचारों' की कहानी कहती है. तो, पूरी दुनिया उसके लिए कंधा आगे कर देती है. लेकिन, जब एक पुरुष बिना आंखों में आंसू लाए अपनी कठोर आवाज के साथ खुद के घरेलू हिंसा का शिकार होने की बात कहता है. तो, लोगों को उसका भरोसा नहीं होता. खैर, इसकी क्या वजहें हैं, ये पूरी तरह से अलग मामला है. इस पर फिर कभी चर्चा होगी.

जॉनी डेप को ये पता था कि जो उनके साथ हो चुका है और हो रहा है. इसके साथ उन्हें अपनी पूरी जिंदगी बितानी है.

लेकिन, एक शख्स जो घरेलू हिंसा जैसा आरोप लगते ही इज्जत, शोहरत, हैसियत जैसी चीजें एक झटके...

सोने ही जा रहा था कि अचानक मोबाइल पर एक खबर फ्लैश हुई कि जॉनी डेप ने अपनी पूर्व पत्नी एंबर हर्ड के खिलाफ मानहानि का मुकदमा जीत लिया है. और, अलसाई आंखों से नींद अपने आप ही गायब हो गई. दरअसल, जॉनी डेप के नाम के साथ एक ऐसा 'टैग' जबरन चिपका दिया गया था. जिसने उनकी पूरी जिंदगी ही बदल दी थी. और, वो टैग था एक शोषक का. शराब और ड्रग्स के नशे में अपनी पत्नी को बुरी तरह से पीटने वाले एक पति का. औरतों को पैर की जूती समझने वाले एक आदमी का. फिल्मों में बेहतरीन दिखने वाले चेहरे के पीछे छिपे दानव का.

ये सारी चीजें वो थीं, जो जॉनी डेप ने एंबर हर्ड से तलाक होने के बावजूद झेलीं. क्योंकि, एंबर हर्ड को पता था कि इस दुनिया में खुद को शोषित बताकर भी जॉनी की राहें आसान नहीं होने वाली हैं. क्योंकि, दुनिया की लगभग आधी आबादी पर हमेशा पुरुष ही हावी रहा है. यही वजह रही होगी कि एंबर को पूरा यकीन था कि जॉनी डेप अपनी पूरी ताकत लगाकर भी चीखेंगे. तो, दुनिया इस बात का भरोसा नहीं करेगी कि घरेलू हिंसा के असल शिकार वो हैं. एंबर हर्ड को यकीन था कि जॉनी के पाले में खड़ा होने की हिम्मत किसी में नहीं होगी. क्योंकि, एक स्त्री जब रोते-बिलखते हुए अपने साथ हुए 'अत्याचारों' की कहानी कहती है. तो, पूरी दुनिया उसके लिए कंधा आगे कर देती है. लेकिन, जब एक पुरुष बिना आंखों में आंसू लाए अपनी कठोर आवाज के साथ खुद के घरेलू हिंसा का शिकार होने की बात कहता है. तो, लोगों को उसका भरोसा नहीं होता. खैर, इसकी क्या वजहें हैं, ये पूरी तरह से अलग मामला है. इस पर फिर कभी चर्चा होगी.

जॉनी डेप को ये पता था कि जो उनके साथ हो चुका है और हो रहा है. इसके साथ उन्हें अपनी पूरी जिंदगी बितानी है.

लेकिन, एक शख्स जो घरेलू हिंसा जैसा आरोप लगते ही इज्जत, शोहरत, हैसियत जैसी चीजें एक झटके में गवां देता हो. क्या उसे एक केस जीतने से वो सब वापस मिल सकेगा? तो, जवाब बहुत सीधा सा है जनाब...नहीं. कोर्ट में ज्यूरी का फैसला देख लीजिए. एक मामले में एंबर हर्ड भी 2 मिलियन डॉलर जीती हैं. जिसका सीधा सा मतलब है कि ज्यूरी में शामिल लोगों में से भी कुछ ऐसे होंगे, जो मानने को तैयार नहीं होंगे कि एंबर हर्ड गलत हो सकती हैं. या पुरुष कैसे घरेलू हिंसा का शिकार हो सकता है, यह नामुमकिन है. वैसे, ज्यूरी के इस फैसले पर दुनियाभर की फेमनिस्ट भी भरोसा नहीं करेंगी. क्योंकि, ज्यूरी में महिलाओं से ज्यादा पुरुष शामिल थे. 5 पुरुषों और 2 महिलाओं वाली इस ज्यूरी को किसी भी फेमनिस्ट की नजर में गलत ही माना जाएगा.

चाहे, घरेलू हिंसा के पीड़ित जॉनी डेप को फंसाने के लिए एंबर हर्ड ने अपनी तस्वीरों को 'Photos 3.0' नाम के एक सॉफ्टवेयर से एडिट किया था. और, ये जानकारी इस मानहानि केस में अपना पक्ष रखने के लिए सामने आए एक एक्सपर्ट की दी हुई है. इस एक्सपर्ट ने तस्वीरों को लेकर कहा था कि चोटों के निशान तस्वीरों को मॉर्फ कर बनाए गए हैं. और, ये सब एंबर हर्ड ने क्यों किया, ये जानना बहुत मुश्किल नहीं हैं. खैर, एंबर को इससे क्या मिलता, क्या नहीं, ये अलग विषय है. वैसे, कहने को तो ये कहा जा रहा है कि जॉनी डेप ने कोर्ट के अंदर और बाहरी दुनिया में भी केस जीत लिया है. लेकिन, एंबर हर्ड के केस हारने के बाद सामने आए बयान पर नजर डालिए. सबकुछ शीशे की तरह साफ हो जाएगा.

एंबर हर्ड कह रही हैं कि 'जो निराशा वह आज महसूस कर रही हैं, वो शब्दों से परे हैं. मेरे पूर्व पति की ताकत, प्रभाव और रसूख के आगे सबूतों का पहाड़ छोटा पड़ गया. मैं कोर्ट के इस फैसले से और ज्यादा निराश हूं कि इसका अन्य महिलाओं पर क्या असर होगा?' कोर्ट के सामने फर्जी तस्वीरें पेश करने के मामले में जेल भेजे जाने की चेतावनी मिलने के बावजूद एंबर हर्ड पूरी हिम्मत के साथ अपनी बात कह रही हैं. क्योंकि, उन्हें पता है कि औरतों का एक बड़ा वर्ग अभी भी इस मामले में उनके ही समर्थन में खड़ा होगा. क्योंकि, एंबर के आरोप संगीन थे. तभी वह कह पा रही हैं कि 'ये एक धक्का है. यह उस विचार को पीछे करता है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को गंभीरता से लेना चाहिए.'

खैर, जॉनी डेप को नहीं पता था कि इस केस का क्या नतीजा निकलने वाला है? लेकिन, जॉनी को ये पता था कि जो उनके साथ हो चुका है और हो रहा है. इसके साथ उन्हें अपनी पूरी जिंदगी बितानी है. क्योंकि, दुनिया की किसी भी अदालत का कोई केस जॉनी डेप को उनकी खोई हुई इज्जत से लेकर शोहरत तक नहीं लौटा सकता है. कोई उनके उम्र के वो साल नहीं लौटा सकते है, जो उन्होंने लोगों से नजरें चुराते हुए बिताए होंगे. जॉनी डेप की जीत केवल अकेले उनकी नही है. ये इस दुनिया के हर उस पुरुष की जीत है, जो घरेलू हिंसा का शिकार हुआ है या हो रहा है. बीते दिनों राजस्थान के एक प्रिसिंपल साहब भी अपनी पत्नी से मार खाते हुए नजर आए थे. मैंने बहुतों को उस वीडियो पर 'हाहा' रिएक्शन बनाते देखा है. पुरुष की पीड़ा यही है कि वो पुरुष है. और, जो पुरुष है...वो इस समाज में हमेशा से ही शोषक रहा है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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