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यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए लड़कियों के इर्द-गिर्द लक्ष्मण रेखा खींचना फरेब है!

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 29 दिसम्बर, 2021 04:36 PM
  • 29 दिसम्बर, 2021 04:36 PM
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यौन उत्पीड़न (sexual harassment) से बचने के लिए सिर्फ लड़कियों को ही कोशिश करनी चाहिए, सही है! इन पढ़े-लिखे दिमाग वाले लोगों से बेचारी बेवकूफ लड़कियां उम्मीद ही क्या कर सकती हैं?

यौन उत्पीड़न (exual harassment) से बचने के लिए सिर्फ लड़कियों को ही कोशिश करनी चाहिए, सही है! इन पढ़े-लिखे दिमाग वाले लोगों से बेचारी बेवकूफ लड़कियां उम्मीद ही क्या कर सकती हैं?

लड़कियों को अपने पुरुष दोस्तों से कुछ दूरी बनाकर रखनी चाहिए ताकि वे यौन उत्पीड़न से बची रहें. यह हमारा कहना नहीं है बल्कि यह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JN) का कथन है.

सही बात है वजह जो भी गलती को हमेशा से लड़कियों की ही रहती है. किसी ने लड़की का रेप कर दिया तो लोग कहते हैं कि उसने छोटे कपड़े पहने होंगे, रात में अकेली घूम रही होगी.

जेनयू की आंतरिक शिकायत समिति ने दिसंबर में एक सर्कुलर जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि लड़कियों को अपने दोस्तों से दूरी बनाने के बारे में पता होना चाहिए, उनके बीच एक स्पष्ट रेखा होनी चाहिए.

आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के अनुसार, कई ऐसे मामले आते हैं जहां करीबी दोस्तों के बीच यौन उत्पीड़न होता है. लड़के आमतौर पर दोस्ती में मजाक और उत्पीड़न के बीच पतली रेखा को पार कर जाते हैं. इसलिए लड़कियों को अपनी सुरक्षा करने के लिए खुद एक लक्ष्मण रेखा खींचनी चाहिए.

मतलब लड़कों का रेखा पार कर जाना बहुत ही सामान्य बात है इसलिए लड़कियों को ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके साथ कुछ गलत हरकत ना हो. इतना ही नहीं आईसीसी ने ऑफिशियल नोटिस में इसके फायदे बताते हुए कहा है कि ऐसा करने से यौन उत्पीड़न के मामलों में कमी आ जाएगी.

लड़के आमतौर पर दोस्ती में मजाक और उत्पीड़न के बीच पतली रेखा को पार कर जाते हैं

इस आदेश से तो साफ यही झलक रहा है कि अगर लड़की के साथ कुछ गलत हुआ है तो इसकी दोषी वह लड़की खुद है. मतलब अगर किसी लड़की के दोस्त ने उसके साथ गंदी हरकत कर दी तो गलती लड़की की होगी. माने गंदी हरकत करने...

यौन उत्पीड़न (exual harassment) से बचने के लिए सिर्फ लड़कियों को ही कोशिश करनी चाहिए, सही है! इन पढ़े-लिखे दिमाग वाले लोगों से बेचारी बेवकूफ लड़कियां उम्मीद ही क्या कर सकती हैं?

लड़कियों को अपने पुरुष दोस्तों से कुछ दूरी बनाकर रखनी चाहिए ताकि वे यौन उत्पीड़न से बची रहें. यह हमारा कहना नहीं है बल्कि यह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JN) का कथन है.

सही बात है वजह जो भी गलती को हमेशा से लड़कियों की ही रहती है. किसी ने लड़की का रेप कर दिया तो लोग कहते हैं कि उसने छोटे कपड़े पहने होंगे, रात में अकेली घूम रही होगी.

जेनयू की आंतरिक शिकायत समिति ने दिसंबर में एक सर्कुलर जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि लड़कियों को अपने दोस्तों से दूरी बनाने के बारे में पता होना चाहिए, उनके बीच एक स्पष्ट रेखा होनी चाहिए.

आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के अनुसार, कई ऐसे मामले आते हैं जहां करीबी दोस्तों के बीच यौन उत्पीड़न होता है. लड़के आमतौर पर दोस्ती में मजाक और उत्पीड़न के बीच पतली रेखा को पार कर जाते हैं. इसलिए लड़कियों को अपनी सुरक्षा करने के लिए खुद एक लक्ष्मण रेखा खींचनी चाहिए.

मतलब लड़कों का रेखा पार कर जाना बहुत ही सामान्य बात है इसलिए लड़कियों को ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके साथ कुछ गलत हरकत ना हो. इतना ही नहीं आईसीसी ने ऑफिशियल नोटिस में इसके फायदे बताते हुए कहा है कि ऐसा करने से यौन उत्पीड़न के मामलों में कमी आ जाएगी.

लड़के आमतौर पर दोस्ती में मजाक और उत्पीड़न के बीच पतली रेखा को पार कर जाते हैं

इस आदेश से तो साफ यही झलक रहा है कि अगर लड़की के साथ कुछ गलत हुआ है तो इसकी दोषी वह लड़की खुद है. मतलब अगर किसी लड़की के दोस्त ने उसके साथ गंदी हरकत कर दी तो गलती लड़की की होगी. माने गंदी हरकत करने वाला तो कर ही देता है, आपने उसे गंदी हरकत करने के लिए मजबूर किया होगा. 

इस फैसले में सही क्या है जो इसकी सराहना की जाए. इसके बदले अगर लड़कियों को सेफ्टी स्किल की ट्रेनिंग दी जाए तो बात कुछ और होती लेकिन यहां तो सारा दोष लड़कियों के सिर ही मढ़ दिया गया. जेनयू जैसे संस्थान से ऐसी बातें निकलना बेहद शर्मनाक है. ऐसी कौन सी लड़की है जो यह चाहेगी कि उसका यौन उत्पीड़न किया जाए. लड़कियां खुद को सुरक्षित रखने के लिए लाख जतन करती हैं. ऐसे में शिक्षण संस्थान कौन सी लक्ष्मण रेखा खींचने की बात कर रहे हैं? काश जेनयू ने अपनी सीमा पार करने वालों लड़कों के लिए कड़े नियम बनाए होते...

काश महिला अपराध के इन आंकड़ों पर नजर डाल लेते

एनसीआरबी के आंकड़ों का आंकड़ा कहता है कि भारत में हर 16 मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार हो रहा होता है. वहीं हर चार घंटे में एक महिला की तस्करी होती है. हर चार मिनट में एक महिला अपने ससुराल वालों के हाथों क्रूरता का शिकार हो रही होती है. साल 2019 में दर्ज मामलों के अनुसार, देश में रोजाना करीब 87 रेप के मामले सामने आते हैं. क्या इन महिलाओं ने अपनी लक्ष्मण रेखा पार कर ली थी?

पुरुषों के लिए कोई नियम क्यों नहीं बनाया जाता

सारे नियम-कानून लड़कियों के लिए ही क्यों बनाए जाते हैं? सारे आदेश लड़िकियों के लिए क्यों जारी किए जाते हैं? लड़के गलती कर दें तो उनकी आदत और लड़कियों के साथ गलत हो जाए तो वे दोषी? क्या उत्पीड़न करने वाला कभी बताकर शोषण करता है कि कल मैं तुम्हारा रेप करूंगा तो तुम हमारे बीच में लक्ष्मण रेखा खींच लो. काश जेनूय में लड़कों के लिए भी कोई कड़ा कानून बनाया गया होता.

लड़कों को लड़कियों की इज्जत करना सिखाएं

जिस तरह घरवाले बचपन से ही लड़कियों को रोकना-टोकना शुरू कर देते हैं काश वैसे ही घर के बेटों को भी टोककर यह सीखाना शुरु कर दें कि लड़कियों की इज्जत करनी चाहिए. काश लड़कों भी हर कदम पर टोककर उनकी गलती का एहसास करवाया जाता तो किसी कॉलेज, किसी सड़क और किसी घर की बेटी के साथ कुछ गलत न होता.

लड़कियां ना बेवकूफ हैं ना अंतर्यामी

लड़कियां को जितना लोग बेवकूफ समझते हैं असल में वे होती नहीं हैं. उन्हें समझ आता है कि सामने वाला किस तरह का इंसान है लेकिन आजकल लोगों के चेहरे पर नकाब इतने हैं कि पहचान पाना मुश्किल है औऱ कौन सा असली है और कौन सा नकली. अब लड़कियां अंतर्यामी तो है नहीं, कि फट से जान जाएं कि सामना वाले इंसान का स्वभाव कैसा है? सामने से प्यार दिखाकर, विश्वास जीतकर कोई गलत कर दे तो चाहें स्त्री हो या पुरुष...कोई क्या करे? कई बार लड़कियों को समझ आ जाता है कि समाने वाला उनके बारे में किस तरह का व्यवहार चाहता है, और उसके इरादे नेक है या नहीं. ऐसे लोगों से लड़कियां दोस्ती नहीं करतीं और कदम पीछे खींच लेती हैं. अब गलत तो किसी के साथ भी हो सकता है...

वैसे ऐसी कौन सी जगह है जहां महिलाओं के साथ अपराध नहीं होता. कभी घर के अपने रिश्तेदार बच्चियों का रेप करते हैं तो कभी किसी सड़क पर कोई अजनबी उनके साथ सरेआम छेड़खानी करता है. काश सच में ऐसी कोई रेखा होती जिसे पार कर कोई दरिंदा किसी भी लड़की की इज्जत को तार-तार नहीं करता, लेकिन अफसोस दुनिया में ऐसी कोई रेखा है ही नहीं, यह तो सिर्फ गलती छिपाने का एक बहाना है. जेनयू के इस कथन पर आपकी क्या राय है?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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