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क्या Coronavirus XE varient बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 17 अप्रिल, 2022 12:56 PM
  • 17 अप्रिल, 2022 12:40 PM
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भारत में कोरोना वायरस के XE वेरिएंट (Corona Virus XE Variant) की एंट्री से लोगों में दहशत फैलने लगी है. क्योंकि, कोरोना (Corona) की पिछली तीन लहरों में कोविड-19 वायरस का असर बच्चों (Children) पर कुछ खास नहीं पड़ा था. वहीं, हाल ही में दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम में कोरोना के एक्टिव मामलों में काफी उछाल आया है.

देश में कोरोना संबंधी सभी पाबंदियों में ढील दी जा चुकी है. और, अब केवल सामाजिक दूरी बनाए रखने और मास्क लगाने संबंधी नियम ही लागू हैं. अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर लगी रोक भी खत्म कर दी गई है. इन सबके बीच देश में कोरोना वायरस के एक्सई वेरिएंट (Corona Virus XE Variant) ने दस्तक दे दी है. हालांकि, मुंबई और गुजरात में कोरोना वायरस के नए XE वेरिएंट के मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार भी अलर्ट हो गई है. क्योंकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी XE वेरिएंट के ओमिक्रॉन वेरिएंट से 10 गुना संक्रामक होने की चेतावनी जारी कर दी है. वहीं, भारत में XE वेरिएंट की एंट्री से लोगों में दहशत फैलने लगी है. क्योंकि, कोरोना की पिछली तीन लहरों में कोविड-19 वायरस का असर बच्चों पर कुछ खास नहीं पड़ा था. वहीं, हाल ही में दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम में कोरोना के एक्टिव मामलों में काफी उछाल आया है. इतना ही नहीं, दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों में 27 फीसदी बच्चे हैं. अभी तक भारत में बच्चों का टीकाकरण पूरा नहीं हो पाया है. तो, इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कोरोना का XE वेरिएंट बच्चों के लिए खतरा बन रहा है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी XE वेरिएंट के ओमिक्रॉन वेरिएंट से 10 गुना संक्रामक होने की चेतावनी जारी कर दी है.

भारत में बच्चों के टीकाकरण की स्थिति क्या है?

देश में इसी साल की शुरुआत से बच्चों के कोरोना टीकाकरण की शुरुआत हुई थी. 3 जनवरी को शुरू हुए पहले चरण में 15 से 18 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन का हो रहा है. वहीं, बीते महीने 16 मार्च से 12 से 14 साल के बच्चों का भी वैक्सीनेशन शुरू किया जा चुका है. लेकिन, 12 साल से कम उम्र के बच्चों के वैक्सीनेशन की प्रक्रिया अभी भी पाइपलाइन में है. आसान...

देश में कोरोना संबंधी सभी पाबंदियों में ढील दी जा चुकी है. और, अब केवल सामाजिक दूरी बनाए रखने और मास्क लगाने संबंधी नियम ही लागू हैं. अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर लगी रोक भी खत्म कर दी गई है. इन सबके बीच देश में कोरोना वायरस के एक्सई वेरिएंट (Corona Virus XE Variant) ने दस्तक दे दी है. हालांकि, मुंबई और गुजरात में कोरोना वायरस के नए XE वेरिएंट के मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार भी अलर्ट हो गई है. क्योंकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी XE वेरिएंट के ओमिक्रॉन वेरिएंट से 10 गुना संक्रामक होने की चेतावनी जारी कर दी है. वहीं, भारत में XE वेरिएंट की एंट्री से लोगों में दहशत फैलने लगी है. क्योंकि, कोरोना की पिछली तीन लहरों में कोविड-19 वायरस का असर बच्चों पर कुछ खास नहीं पड़ा था. वहीं, हाल ही में दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम में कोरोना के एक्टिव मामलों में काफी उछाल आया है. इतना ही नहीं, दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों में 27 फीसदी बच्चे हैं. अभी तक भारत में बच्चों का टीकाकरण पूरा नहीं हो पाया है. तो, इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कोरोना का XE वेरिएंट बच्चों के लिए खतरा बन रहा है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी XE वेरिएंट के ओमिक्रॉन वेरिएंट से 10 गुना संक्रामक होने की चेतावनी जारी कर दी है.

भारत में बच्चों के टीकाकरण की स्थिति क्या है?

देश में इसी साल की शुरुआत से बच्चों के कोरोना टीकाकरण की शुरुआत हुई थी. 3 जनवरी को शुरू हुए पहले चरण में 15 से 18 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन का हो रहा है. वहीं, बीते महीने 16 मार्च से 12 से 14 साल के बच्चों का भी वैक्सीनेशन शुरू किया जा चुका है. लेकिन, 12 साल से कम उम्र के बच्चों के वैक्सीनेशन की प्रक्रिया अभी भी पाइपलाइन में है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो 12 साल से कम उम्र के बच्चों पर कोरोना वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल अभी चल रहे हैं. जिसने संभावना बना दी है कि कोरोना की चौथी लहर में सबसे ज्यादा खतरा 12 साल से कम उम्र के बच्चों में हो सकता है.

कोरोना संक्रमण में बच्चों के मामले चिंताजनक!

कोरोना वायरस के नए XE वेरिएंट के सामने आने के बाद देश के कई हिस्सों में अचानक से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ गए हैं. हालांकि, कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या इतनी नहीं है कि इन्हें चिंताजनक कहा जाए. लेकिन, अचानक बढ़ने वाले कोरोना संक्रमण के मामलों में बच्चों की संख्या चौंकाने वाली कही जा सकती है. क्योंकि, गौतमबुद्ध नगर में एक हफ्ते में संक्रमित होने वाले बच्चों की संख्या 44 है. गाजियाबाद में 26 बच्चे संक्रमित पाए गए हैं. हालांकि, स्थानीय स्तर पर प्रशासन कोरोना संक्रमण के मामलों पर नजर बनाए हुए है. वहीं, कोरोना संक्रमण को देखते हुए दिल्ली, गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद के कुछ स्कूलों में फिर से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी गई है.

बच्चों में कोरोना को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीकांत बसु का कहना है कि 'कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले बच्चों में पहले से ही अन्य बीमारियों से ग्रस्त हैं.' वैसे, अब तक आई कोरोना महामारी की तीन लहरों में बच्चों पर कोई भी व्यापक असर नजर नहीं आया है. डॉ. बसु का कहना है कि 'आमतौर पर बच्चों में कोरोना किसी गंभीर बीमारी के तौर पर सामने नहीं आया है. और, इससे संक्रमित बच्चे घर पर ही रिकवर हो जाते हैं.' बच्चों के कोरोना संक्रमित होने के बारे में डॉ. अनामिका दुबे कहती हैं कि 'छोटे बच्चों में कोरोना संक्रमण के शुरुआती लक्षण उल्टी, तेज बुखार और डायरिया हैं. बड़े बच्चों में सिरदर्द जैसी शिकायतें सामने आ रही हैं. बच्चों में फेफड़े का संक्रमण दुर्लभ है.'

कोरोना सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग के नतीजे क्या कहते हैं?

कोरोना वायरस के वेरिएंट को ट्रेस करने के लिए जीनोम सीक्वेसिंग एक कारगर हथियार माना जाता है. दिल्ली की बात की जाए, तो यहां XE वेरिएंट का कोई मामला अब तक सामने नहीं आया है. जीनोम सीक्वेंसिंग के नतीजों में जितने भी मामले मिले हैं, सभी ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित मिले हैं. एलएनजेपी अस्पताल में हुई जीनोम सिक्वेंसिंग में किसी नए वेरिएंट के सबूत नहीं मिले हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो बच्चों में कोरोना के XE वेरिएंट से जुड़ा कोई मामला फिलहाल सामने नहीं आया है. लेकिन, कोरोना वायरस उन बच्चों को ज्यादा तेजी से संक्रमित कर रहा है, जो पहले से ही किसी बीमारी से ग्रस्त हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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