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ट्रेन लेट होने पर मुआवजे का ऑफर नियम और शर्तों से भरा है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 27 अगस्त, 2019 04:26 PM
  • 27 अगस्त, 2019 04:26 PM
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सारी बात सही हैं. ट्रेन लेट होने पर मुआवजा देने वाला ऑफर भी अच्छा है और बाकी सुविधाएं भी सुनने में अच्छी लग रही हैं. लेकिन सवाल ये उठता है कि जो काम IRCTC कर सकती है वो रेलवे क्यों नहीं कर सकी?

पिज्जा कंपनियां ये दावा करती हैं कि पिज्जा आधे घंटे में डिलिवर नहीं हुआ तो पिज्जा फ्री देंगे. कुछ ऐसा ही लोकलुभावन ऑफर रेलवे की तरफ से आया है. कह रहे हैं कि ट्रेन अगर एक घंटे से ज्यादा लेट होगी तो यात्रियों को मुआवजा दिया जाएगा. ये ऑफर सुनकर तो लोग फूले नहीं समा रहे हैं, उनकी आंखों में एक अलग ही तरह की चमक आ गई है, क्योंकि भारत में ट्रेन का लेट होना बिल्कुल वैसा है जैसे पिज्जा पर चीज़ का होना.

लेकिन ऑफर में conditions applied हैं. यानी ये ऑफर हर ट्रेन के लिए नहीं केवल भारत की पहली प्राइवेट ट्रेन के लिए दिया जा सकता है. भारतीय रेल के लेट होने का रिकॉर्ड देखकर तो इस बात पर भरोसा करने का मन नहीं कर रहा. और इसीलिए इस ऑफर ने कई सवालों को जन्म दे दिया है.

सबसे पहले तो ये बता दें कि प्राइवेट ट्रेन का क्या मतलब है. Indian Railway Catering and Tourism Corporation यानी IRCTC भारतीय रेल का उपविभाग है, जो रेलवे में खान-पान की व्यवस्था, पर्यटन और ऑनलाइन टिकट सम्बन्धी गतिविधियों का काम संभालता है. ये विभाग जो अब तक केवल खाना-पीना और ऑनलाइन टिकट का काम देखता था इस विभाग को अब दो तेजस एक्सप्रेस ट्रेन चलाने की पूरी जिम्मेदारी दी गई है. ये ट्रेन अक्टूबर से दिल्ली से लखनऊ मार्ग पर और दूसरी अहमदाबाद से मुंबई सेंट्रल के बीच चलेगी. यानी कहने को तो ये भारतीय रेल होगी लेकिन संचालन प्राइवेट तौर पर ही किया जाएगा.

IRCTC को दो तेजस एक्सप्रेस ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी गई है

अभी इस ट्रेन को चलाए जाने और इसमें दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में विचार किया जा रहा है जिसके तहत ये बात भी सामने आई है कि ट्रेन लेट होने पर यात्रियों को मुआवजा दिया जाए. ये मुआवजा कैशबैक या रिफंड तो नहीं होगा लेकिन भविष्य की यात्राओं पर छूट के तौर पर...

पिज्जा कंपनियां ये दावा करती हैं कि पिज्जा आधे घंटे में डिलिवर नहीं हुआ तो पिज्जा फ्री देंगे. कुछ ऐसा ही लोकलुभावन ऑफर रेलवे की तरफ से आया है. कह रहे हैं कि ट्रेन अगर एक घंटे से ज्यादा लेट होगी तो यात्रियों को मुआवजा दिया जाएगा. ये ऑफर सुनकर तो लोग फूले नहीं समा रहे हैं, उनकी आंखों में एक अलग ही तरह की चमक आ गई है, क्योंकि भारत में ट्रेन का लेट होना बिल्कुल वैसा है जैसे पिज्जा पर चीज़ का होना.

लेकिन ऑफर में conditions applied हैं. यानी ये ऑफर हर ट्रेन के लिए नहीं केवल भारत की पहली प्राइवेट ट्रेन के लिए दिया जा सकता है. भारतीय रेल के लेट होने का रिकॉर्ड देखकर तो इस बात पर भरोसा करने का मन नहीं कर रहा. और इसीलिए इस ऑफर ने कई सवालों को जन्म दे दिया है.

सबसे पहले तो ये बता दें कि प्राइवेट ट्रेन का क्या मतलब है. Indian Railway Catering and Tourism Corporation यानी IRCTC भारतीय रेल का उपविभाग है, जो रेलवे में खान-पान की व्यवस्था, पर्यटन और ऑनलाइन टिकट सम्बन्धी गतिविधियों का काम संभालता है. ये विभाग जो अब तक केवल खाना-पीना और ऑनलाइन टिकट का काम देखता था इस विभाग को अब दो तेजस एक्सप्रेस ट्रेन चलाने की पूरी जिम्मेदारी दी गई है. ये ट्रेन अक्टूबर से दिल्ली से लखनऊ मार्ग पर और दूसरी अहमदाबाद से मुंबई सेंट्रल के बीच चलेगी. यानी कहने को तो ये भारतीय रेल होगी लेकिन संचालन प्राइवेट तौर पर ही किया जाएगा.

IRCTC को दो तेजस एक्सप्रेस ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी गई है

अभी इस ट्रेन को चलाए जाने और इसमें दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में विचार किया जा रहा है जिसके तहत ये बात भी सामने आई है कि ट्रेन लेट होने पर यात्रियों को मुआवजा दिया जाए. ये मुआवजा कैशबैक या रिफंड तो नहीं होगा लेकिन भविष्य की यात्राओं पर छूट के तौर पर दिया जा सकता है. वैसे भी आया हुआ पैसा कौन वापस करता है !

इतना ही नहीं ये प्राइवेट ट्रेन और भी कई ऑफर यात्रियों के लिए दे रही है. जैसे दो बार खाना देना, फ्री चाय और खॉफी के लिए वेंडिग मशीन होना. खाने का सुव्यवस्थित करने के लिए नए तरह की पैंट्री का भी प्लान है. सीनियर सिटीजन के लिए 40% तक का डिस्काउंट देने पर भी विचार किया जा रहा है. इसके साथ साथ 50 लाख का फ्री ट्रेवल इंश्योरेंस भी दिया जा सकता है. बीमा कंपनियों की तरफ से और भी कई ऑफर हैं.

प्राइवेट ट्रेन कई सवाल खड़े कर रही है

सारी बात सही हैं. ये लेट होने पर मुआवजा देने वाला ऑफर भी अच्छा है और बाकी सुविधाएं भी सुनने में अच्छी लग रही हैं. लेकिन सवाल ये उठता है कि-

मुआवजा सिर्फ तेजस के यात्रियों के लिए क्यों?

लेट आने पर मुआवजा देने जैसी सुविधा उन्हीं के क्यों जो इस प्राइवेट ट्रेन में सफर कर रहें हैं. बाकी यात्री जो इतने सालों से भारतीय रेलवे पर भरोसा करके सफर कर रहे थे, वो इस सुविधा से वंचित क्यों रहें. अब तक भारतीय ट्रेनों के लेट होने की वजह से परेशान हुए और तमाम नुकसान उठा चुके लोगों का क्या कसूर था. जनरल क्लास में सफर करने वाले ही नहीं बल्कि AC फर्स्ट क्लास तक के लोगों ने ट्रेन पर भरोसा किया और उनका भरोसा कभी न कभी टूटा ही. उन लोगों का क्या कसूर था. इस तरह के मुआवजे के ये सभी लोग हकदार थे.

जो काम IRCTC कर सकती है वो रेलवे क्यों नहीं कर सकी?

सवाल ये भी उठता है कि ट्रेन को चलाने वाले ड्राइवर वही, ट्रेन का रूट वही, ट्रेन की पटरियां भी वही. तो फिर ऐसे किस फॉर्मुले पर IRCTC काम करने वाला है जो आज तक भारतीय रेलवे नहीं कर पाई. जिस तरह से IRCTC दावे कर रहा है उससे ये पता चल रहा है ट्रेन को समय पर पहुंचाया जा सकता है. यदि ऐसा है तो फिर ये प्रयास रेलवे ने अब तक क्यों नहीं किए? अच्छी सुविधाएं क्या प्राइवेट सेक्टर ही दे सकते हैं, सरकारी नहीं?

सुविधाएं आम आदमी को नहीं दी जा सकती?

गांधी जी कहते थे कि भारत की ट्रेनों में छोटा भारत बसता है, यानी ट्रेन से सफर करने वाले वही लोग हैं जो हवाई जहाज अफोर्ड नहीं कर सकते. यानी आम भारतीय. तेजस में सफर करने वाले राजधानी से थोड़ा ज्यादा किराया देकर सारी सुविधाओं के हकदार हो जाएंगे. जहां तक मुआवजे की बात है तो इसके सबसे ज्यादा हकदार तो वो लोग हैं जो जनरल या स्लीपर में सफर करते हैं. क्योंकि वो एसी या राजधानी जैसी ट्रेन से सफर करने में असमर्थ हैं. तो इस पैसे के सबसे ज्यादा हकदार वही लोग हैं. जो यात्री इतना किराया देकर सफर करेगा उसके लिए मुआवजे के चंद रुपयों की कोई कीमत असल में नहीं है.

तेजस प्रीमियम श्रेणी की ट्रेन है

लंबी दूरी की ट्रेनें तो 20-20 घंटा देरी से चलती हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अप्रैल 2018 में महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के 100 साल का जश्न मनाने के लिए शुरू की गई प्रमुख चंपारण हमसफर ट्रेन भी औसतन 12 घंटे की देरी से चल रही है. भारतीय ट्रेन की एक साल में औसतन देरी 2016 में 45 मिनट और 2017 में 53 मिनट रही है. ऐसे में अगर IRCTC दावे कर रहा है कि वो तेजस को समय पर पहुंचाएगा तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं होगा. लेकिन इस चमत्कार की उम्मीद हमें भारतीय रेल से थी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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