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Train 18: देश की सबसे तेज ट्रेन के टिकट, रूट और सुविधाओं को लेकर दिलचस्‍पी भी तेज हो गई है

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 20 दिसम्बर, 2018 07:57 PM
  • 20 दिसम्बर, 2018 07:57 PM
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हिंदुस्तान की सबसे आधुनिक ट्रेन 'Train 18' के बारे में नई जानकारी सामने आई है. 29 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी दिल्‍ली से वाराणसी के बीच चलने वाली इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे. शताब्दी ट्रेन की जगह लेने वाली इस ट्रेन ने 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार का ट्रायल रन पूरा कर लिया है.

नरेंद्र मोदी अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी को एक और तोहफा देने वाले हैं. सूत्रों के मुताबिक 29 दिसंबर को Train 18 को हरी झंडी दिखाई जाएगी. ये वही ट्रेन है जिसे शताब्दी से बेहतर माना जा रहा है और आधुनिकता की निशानी माना जा रहा है. इस ट्रेन में जीपीएस आधारित पैसेंजर इन्फॉर्मेशन सिस्टम, वाई-फाई आदि कि सुविधाएं होंगी. ट्रेन 18 की टिकट बुकिंग के बारे में अभी तक कोई खास जानकारी नहीं दी गई है, पर इसके रूट के बारे में पता चल गया है. हालांकि, अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन ट्रेन 18 का शेड्यूल शताब्दी की तरह ही होगा ऐसी उम्मीद की जा रही है.

Train 18 की सुविधाएं:

ये ट्रेन एकदम हाईटेक है. इसके एग्जिक्युटिव कोच में लगी कुर्सियां 360 डिग्री घूम सकेंगी. इस ट्रेन में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, दो एग्जिक्युटिव कंपार्टमेंट होंगे, जिसमें 52-52 सीटें होंगी. जबकि अन्य कोचों में 78 लोगों के बैठने की सुविधा है. वहीं अगर ड्राइवर केबिन वाले कोच में सिर्फ 44 सीटें होंगी. ट्रेन में वैक्यूम बायो डिस्चार्ज शौचालय हैं यानी जैसे प्लेन में होते हैं. जैसे ही ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकेगी, वैसे ही स्लाइड होने वाली सीढ़ियों की वजह से कोच के दरवाजे पर लगी सीढ़ियां बाहर की ओर स्लाइड हो जाएंगी, ताकि यात्री सुरक्षित तरीके से और आराम से ट्रेन से उतर सकें. इससे ट्रेन और प्लेटफॉर्म का फ्लोर ऊपर-नीचे होने की स्थिति में भी यात्री को ट्रेन से उतरने में कोई दिक्कत नहीं होगी. इस ट्रेन में जीपीएस, वाईफाई और यात्रियों के लिए मनोरंजन की सुविधाएं भी होंगी जैसी तेजस एक्सप्रेस में थीं.

ट्रेन 18 के कोच कुछ इस तरह दिखेंगे.

Train 19 की कीमत:

आईसीएफ यानी इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 18 महीनों में बनी ये ट्रेन पूरी तरह से एयर कंडिशन है, जिसे कुछ इस तरह से डिजाइन...

नरेंद्र मोदी अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी को एक और तोहफा देने वाले हैं. सूत्रों के मुताबिक 29 दिसंबर को Train 18 को हरी झंडी दिखाई जाएगी. ये वही ट्रेन है जिसे शताब्दी से बेहतर माना जा रहा है और आधुनिकता की निशानी माना जा रहा है. इस ट्रेन में जीपीएस आधारित पैसेंजर इन्फॉर्मेशन सिस्टम, वाई-फाई आदि कि सुविधाएं होंगी. ट्रेन 18 की टिकट बुकिंग के बारे में अभी तक कोई खास जानकारी नहीं दी गई है, पर इसके रूट के बारे में पता चल गया है. हालांकि, अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन ट्रेन 18 का शेड्यूल शताब्दी की तरह ही होगा ऐसी उम्मीद की जा रही है.

Train 18 की सुविधाएं:

ये ट्रेन एकदम हाईटेक है. इसके एग्जिक्युटिव कोच में लगी कुर्सियां 360 डिग्री घूम सकेंगी. इस ट्रेन में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, दो एग्जिक्युटिव कंपार्टमेंट होंगे, जिसमें 52-52 सीटें होंगी. जबकि अन्य कोचों में 78 लोगों के बैठने की सुविधा है. वहीं अगर ड्राइवर केबिन वाले कोच में सिर्फ 44 सीटें होंगी. ट्रेन में वैक्यूम बायो डिस्चार्ज शौचालय हैं यानी जैसे प्लेन में होते हैं. जैसे ही ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकेगी, वैसे ही स्लाइड होने वाली सीढ़ियों की वजह से कोच के दरवाजे पर लगी सीढ़ियां बाहर की ओर स्लाइड हो जाएंगी, ताकि यात्री सुरक्षित तरीके से और आराम से ट्रेन से उतर सकें. इससे ट्रेन और प्लेटफॉर्म का फ्लोर ऊपर-नीचे होने की स्थिति में भी यात्री को ट्रेन से उतरने में कोई दिक्कत नहीं होगी. इस ट्रेन में जीपीएस, वाईफाई और यात्रियों के लिए मनोरंजन की सुविधाएं भी होंगी जैसी तेजस एक्सप्रेस में थीं.

ट्रेन 18 के कोच कुछ इस तरह दिखेंगे.

Train 19 की कीमत:

आईसीएफ यानी इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 18 महीनों में बनी ये ट्रेन पूरी तरह से एयर कंडिशन है, जिसे कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यात्री सीधे ड्राइवर के केबिन में देख सकेंगे. इस ट्रेन की कीमत 100 करोड़ रुपए है. चेन्नई में बनी इस ट्रेन की सफलता को देखते हुए ICF को और 4 ट्रेनें बनाने का कांट्रैक्ट दे दिया गया है. हालांकि, 100 करोड़ का खर्च इसका प्रोटोटाइप बनाने में लगा था और आने वाले समय में इसका खर्च कम होने की संभावनाएं हैं.

ट्रेन 18 में बायो वैक्यूम टॉयलेट और स्लाइडिंग सीढ़ियां भी होंगी.

Train 18 की शताब्दी से तुलना:

शताब्दी 1988 में आई थी और अभी 20 रूट्स पर चलती है. इस ट्रेन को भी इन्हीं रूट्स पर चलाया जाएगा. हालांकि, रफ्तार, डिजाइन और सुविधाओं के मामले में ट्रेन-18 शताब्दी एक्सप्रेस को भी पछाड़ने के लिए काफी है. आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बनाई गई ये ट्रेन दुनिया भर की लग्जरी ट्रेनों को टक्कर देगी. खास बात तो ये है कि यह ट्रेन मेट्रो ट्रेन की तरह है, जिसमें इंजन नहीं है और यह तेजी से रफ्तार पकड़ सकती है. बिना इंजन वाली यह 16 कोच की ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस की तुलना में 15 फीसदी कम समय में यात्रा पूरी कर लेगी. आपको बता दें कि शताब्दी की अधिकतम रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटा है. जब्कि ट्रायल रन में ही ट्रेन 18 ने 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ ली थी.

एग्जिक्युटिव कोच की कुर्सियां 360 डिग्री घूम सकती हैं.

Train 18 का लॉन्च:

खबरों के मुताबिक इसकी आधिकारिक लॉन्चिंग 29 दिसंबर को होगी. इस ट्रेन का ट्रायल रन पूरा हो चुका है और ये लॉन्चिंग के लिए पूरी तरह से तैयार है.

Train 18 का रूट:

इसके ट्रायल रन से पहले ये बातें सामने आ रही थीं कि इसे पहले दिल्ली-भोपाल रूट पर दौड़ाया जाएगा क्योंकि उस रूट पर कम कर्व हैं और वहां ट्रेन आसानी से 160 किलोमीटर की रफ्तार पकड़ सकती है, लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि इसे सबसे पहले हरी झंडी दिल्ली-बनारस रूट पर दिखाई जाएगी. दिल्ली-बनारस रूट पर पहले ही बहुत सी ट्रेनें चलती हैं और ये रूट ट्रेन 18 की स्पीड के लिए शायद पूरी तरह से सही न हो, लेकिन खबरें तो यही आ रही हैं. हालांकि, अभी तक आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं हुई है और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ये भी दावा कर रही हैं कि ये सबसे पहले दिल्ली-भोपाल रूट पर दौड़ेगी. दिल्ली भोपाल रूट पर दौड़ने वाली शताब्दी पहले ही 155 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर दौड़ती है जो देश की दूसरी सबसे तेज़ ट्रेन है. इसी रूट पर आगरा तक जाने वाली देश की सबसे तेज़ ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस भी 160 किलोमीटर की रफ्तार पर दौड़ती है. इसी के साथ, ट्रेन 18 को भी इसी रूट पर टेस्ट किया गया है तो उम्मीद ये भी लगाई जा सकती है कि सबसे पहले ये दिल्ली-भोपाल रूट पर चले. पर जानकारी तो आधिकारिक घोषणा के बाद ही मिलेगी.

ट्रेन 18 में इंजन नहीं है, इसे मेट्रो की तर्ज पर बनाया गया है.

Train 18 का समय:

इस ट्रेन का समय भी शताब्दी की तरह ही होगा. ये दिल्ली से 6 बजे सुबह निकलेगी और दोपहर 2 बजे तक वाराणसी पहुंच जाएगी. इसके बाद ये ट्रेन एक बार फिर से 2.30 बजे वाराणसी से सफर करना शुरू करेगी और रात 10 बजे तक वापस दिल्ली पहुंच जाएगा. सभी शताब्दी एक्सप्रेस का यही हाल रहता है.

ट्रेन के शुरुआती और अंतिम स्टेशन के बीच केवल 5-6 स्टॉप रहेंगे. ऐसा इसलिए ताकि समय बचाया जा सके.

Train 18 का किराया:

ट्रेन 18 के किराए के बारे में अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई घोषणा नहीं की गई है. हालांकि, जी बिजनेस की रिपोर्ट कहती है कि इसका किराया तेजस ट्रेन से ज्यादा होगा. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक इस ट्रेन में फ्लेक्सि फेयर सिस्टम नहीं होगा जो तेजस में था. IRCTC की वेबसाइट पर भी आधिकारिक तौर पर अभी इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है कि ये ट्रेन कब से और किस किराए के साथ चलेगी.

ट्रेन 18 के किराए को लेकर अभी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है

हां इतना पता है कि इसका किराया शताब्दी से 20-25% तक ज्यादा होगा. साथ ही यात्रियों को दो तरह के विकल्प दिए जाएंगे. एक में खाने की कीमत टिकट में जुड़ी होगी और दूसरी में नहीं.

फिलहाल दिल्ली से वाराणसी रूट पर जो ट्रेन चलती हैं उनमें से लोकप्रिय है सद्भावना एक्सप्रेस (14016) इस ट्रेन के लिए थर्ड एसी का किराया 1,085 रुपए है. शताब्दी का किराया भी अलग-अलग रूट्स पर कुछ ऐसा ही होता है. ऐसे में इस किराए का 20-25% ज्यादा अनुमान लगाया जा सकता है. यानी कि 1215-1500 के बीच इस ट्रेन का किराया हो सकता है. हालांकि, अभी ये सिर्फ अनुमान ही है.

ट्रायल रन में ही तोड़ दी गई ट्रेन:

ट्रेन 18 बेहद खास ट्रेन है और भारत के लिए ये किसी नई उपलब्धि से कम नहीं है, लेकिन क्या हम इसके लायक हैं? तेजस एक्सप्रेस के साथ क्या हुआ ये सभी जानते हैं. सभी जानते हैं कि तेजस एक्सप्रेस के एंटरटेनमेंट सिस्टम से लेकर उसके बाथरूम, खिड़कियों यहां तक कि फ्लोर को भी नुकसान पहुंचाया था. अभी ट्रेन 18 शुरू भी नहीं हुई है कि उसके ट्रायल रन पर ही लोग उसपर पत्थर मारकर जा रहे हैं.

अब सोचने वाली बात है कि अगर कुछ अच्छा हो रहा है देश में तो उसके साथ ऐसा करना कहां तक सही है? अभी तो ये ट्रेन 18 के साथ हुआ है आने वाले समय में ये बुलेट ट्रेन के साथ भी हो सकता है. फिर क्या होगा?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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