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बीफ खाने की ये मांग दहेज से कम नहीं !

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 20 जून, 2017 02:21 PM
  • 20 जून, 2017 02:21 PM
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उत्तर प्रदेश के रामपुर में लड़की वाले ने सिर्फ इसलिए घर आई बारात को वापस भेज दिया क्योंकि लड़के वालों ने बीफ के बने आइटम खाने और दूल्हे को कार देने की मांग रखी थी. लड़की वाले बारातियों को न बीफ खिला सकते थे और न ही दूल्हे को कार ही दे सकते थे.

हम एक अजीब दौर से गुजर रहे हैं, एक ऐसा दौर जब हमारे लिए हमारा अहम और शान ही सबसे बड़ी चीज है. कह सकते हैं कि अपने अहम और झूठी शान के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. हो सकता है आप इन पंक्तियों पर ऐतराज जताएं मगर सत्य को नकारा नहीं जा सकता. सत्य जटिल भी है और कड़वा भी.

कह सकते हैं कि आज का सत्य यही है कि हम अपने अहम को शांत और चित को ठंडा करने के लिए उस सीमा तक जा सकते हैं जो किसी को असहानीय पीड़ा का आभास करा सकती है. इस बात को उत्तर प्रदेश में घटित एक घटना से समझा जा सकता है.

खबर है कि उत्तर प्रदेश के रामपुर में लड़की वाले ने सिर्फ इसलिए घर आई बारात को वापस भेज दिया क्योंकि लड़के वालों ने बीफ के बने आइटम खाने और दूल्हे को कार देने की मांग रखी थी. ज्ञात हो कि लड़की वाले न तो बारात संग आये बारातियों को बीफ ही खिला सकते थे और आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण न ही वो दूल्हे मियां को दहेज में कार ही दे पा रहे थे. बताया ये भी जा रहा है कि बारातियों द्वारा बारात वापस ले जाने के बाद लड़की की तरफ से आए एक मेहमान ने मौके की नजाकत देखते हुए दुल्हन को प्रपोज किया और उसने शादी के लिए हामी भर दी और पूरे प्रकरण की हैप्पी एंडिंग हो गयी.

बारातियों को बीफ न खिला पाना बना शादी टूटने का कारण

बहरहाल, इस पूरे मामले पर गौर करें तो मिलता है कि ये जानते हुए कि उत्तर प्रदेश में बीफ बिकना प्रतिबंधित है और उत्तर प्रदेश में बीफ का सेवन पूर्णतः वर्जित है, लड़के वालों द्वारा ऐसी डिमांड निंदनीय है. साथ ही एक मजबूर बाप से दहेज में कार मांगना अलग से उनका ओछापन दर्शाता है. अब अगर इस पूरे प्रकरण पर फिर से विचार करें तो जो बात हमारे सामने आती है वो ये कि दुनिया में सब कुछ बदल रहा है और अगर कुछ नहीं बदल रहा तो कुछ विशेष लोगों कि रूढ़िवादिता और कट्टरपंथी रवैया....

हम एक अजीब दौर से गुजर रहे हैं, एक ऐसा दौर जब हमारे लिए हमारा अहम और शान ही सबसे बड़ी चीज है. कह सकते हैं कि अपने अहम और झूठी शान के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. हो सकता है आप इन पंक्तियों पर ऐतराज जताएं मगर सत्य को नकारा नहीं जा सकता. सत्य जटिल भी है और कड़वा भी.

कह सकते हैं कि आज का सत्य यही है कि हम अपने अहम को शांत और चित को ठंडा करने के लिए उस सीमा तक जा सकते हैं जो किसी को असहानीय पीड़ा का आभास करा सकती है. इस बात को उत्तर प्रदेश में घटित एक घटना से समझा जा सकता है.

खबर है कि उत्तर प्रदेश के रामपुर में लड़की वाले ने सिर्फ इसलिए घर आई बारात को वापस भेज दिया क्योंकि लड़के वालों ने बीफ के बने आइटम खाने और दूल्हे को कार देने की मांग रखी थी. ज्ञात हो कि लड़की वाले न तो बारात संग आये बारातियों को बीफ ही खिला सकते थे और आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण न ही वो दूल्हे मियां को दहेज में कार ही दे पा रहे थे. बताया ये भी जा रहा है कि बारातियों द्वारा बारात वापस ले जाने के बाद लड़की की तरफ से आए एक मेहमान ने मौके की नजाकत देखते हुए दुल्हन को प्रपोज किया और उसने शादी के लिए हामी भर दी और पूरे प्रकरण की हैप्पी एंडिंग हो गयी.

बारातियों को बीफ न खिला पाना बना शादी टूटने का कारण

बहरहाल, इस पूरे मामले पर गौर करें तो मिलता है कि ये जानते हुए कि उत्तर प्रदेश में बीफ बिकना प्रतिबंधित है और उत्तर प्रदेश में बीफ का सेवन पूर्णतः वर्जित है, लड़के वालों द्वारा ऐसी डिमांड निंदनीय है. साथ ही एक मजबूर बाप से दहेज में कार मांगना अलग से उनका ओछापन दर्शाता है. अब अगर इस पूरे प्रकरण पर फिर से विचार करें तो जो बात हमारे सामने आती है वो ये कि दुनिया में सब कुछ बदल रहा है और अगर कुछ नहीं बदल रहा तो कुछ विशेष लोगों कि रूढ़िवादिता और कट्टरपंथी रवैया. ऐसे लोग जिनके लिए दूसरों की भावना का कोई मान नहीं है और जो केवल और केवल अपने विषय में सोचते हैं.

कुछ खाना या न खाना किसी भी व्यक्ति के लिए एक बेहद व्यक्तिगत मामला होता है. अब यदि उसे सामूहिक रूप से किसी पर लादते हुए बेवजह अपनी शर्तें मनवाई जाएं तो इसे सरासर एक गलत कृत्या माना जायगा. वहीं लड़की पक्ष की तरफ से आए मेहमान द्वारा लड़की को अपनाना और उससे विवाह करना ये साफ दर्शाता है कि समाज में जहां बीफ खाने के नाम पर बारात वापस ले जाने वाले मानसिक दिवालिये लोग होते हैं वहीं कुछ उस युवक जैसे लोग भी हैं जिनपर हमारा समाज सदैव गर्व करेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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