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केबीसी आसान है या सरकारी नौकरी- इन सवालों को पढ़कर खुद तय कर लें

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 24 अक्टूबर, 2017 05:21 PM
  • 24 अक्टूबर, 2017 05:21 PM
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हरियाणा सरकार और विवाद एक दूसरे के पूरक हैं. इस बार हरियाणा सरकार ने फिर कुछ ऐसा किया है जो किसी भी समझदार आदमी को हैरत में डाल देगा और वो दांतों तले अंगुली दबा लेगा.

मेरे बगल में एक दुबले पतले अंकल रहते थे जिनकी मूंछ चार्ली चैपलिन की तरह थी. अंकल स्वाभाव से बहुत सज्जन आदमी थे. मगर जब बात एजुकेशन की आती तो प्रायः शांत रहने वाले अंकल, उग्र हो जाते. उनका मानना था कि मैथ्स और केमिस्ट्री में अंग्रेजी को एक सोची समझी साजिश के तहत डाला गया है. ऐसा इसलिए ताकि बच्चे हमारी संस्कृति भूल के विदेशी कल्चर की तरफ ज्यादा आकर्षित हों. अंकल अब बूढ़े हो गए हैं और शायद उन्होंने शहर भी छोड़ दिया मगर अब भी अक्सर मुझे उनकी याद आ जाती है.

हरियाणा के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि वो संस्कृति की बातों से आगे ही नहीं बढ़ पा रही है

अंकल भारतीय एजुकेशन को लेकर बड़े पर्टिकुलर थे. और जब भी वो पीठ पर भारी भरकम बस्ता टांगे किसी बच्चे को स्कूल जाते देखते तो अपने ठेठ अंदाज में कहते थे, 'अरे हम बता रहे हैं गद,हा हैं ई लोग, जो इस तरफ छोटा छोटा बच्चा लोग के भविष्य के साथ खेलवाड़ कर रहा है. बताइए भला ऊ पढ़ाने का क्या जरूरत जिसका हमारा बच्चा लोग से कोई लेना देना नहीं है'.

अभी ऑफिस आया था, सिस्टम ऑन किया और फिर एक खबर देखी. अंकल और उनकी बातें आज फिर बड़ी कस के याद आ गए. खबर हरियाणा से थी. हां वही हरियाणा जिसने कई मुद्दों पर ऐसा बहुत कुछ कर दिया है जिससे कोई भी साधारण आदमी हैरत में पड़ जाए और दांतों तले अंगुली दबा ले.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा सरकार ने छात्रों को राज्य की 'संस्कृति' से रू-ब-रू कराने के लिए शिक्षा में एक अजब ही स्वांग रच डाला. हरियाणा सरकार ने पुलिस कॉन्सटेबल, क्लर्क, फूड सब-इंसपेक्टर, पटवारी, स्टेटिस्टिकल असिस्टेंट और पंप ऑपरेटर्स के पद पर होने वाली भर्तियों की परीक्षाओं में परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों से कहा है कि अगर उन्हें नौकरी पानी है तो उनको बताना होगा कि, काली कमाली बाबा का डेरा...

मेरे बगल में एक दुबले पतले अंकल रहते थे जिनकी मूंछ चार्ली चैपलिन की तरह थी. अंकल स्वाभाव से बहुत सज्जन आदमी थे. मगर जब बात एजुकेशन की आती तो प्रायः शांत रहने वाले अंकल, उग्र हो जाते. उनका मानना था कि मैथ्स और केमिस्ट्री में अंग्रेजी को एक सोची समझी साजिश के तहत डाला गया है. ऐसा इसलिए ताकि बच्चे हमारी संस्कृति भूल के विदेशी कल्चर की तरफ ज्यादा आकर्षित हों. अंकल अब बूढ़े हो गए हैं और शायद उन्होंने शहर भी छोड़ दिया मगर अब भी अक्सर मुझे उनकी याद आ जाती है.

हरियाणा के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि वो संस्कृति की बातों से आगे ही नहीं बढ़ पा रही है

अंकल भारतीय एजुकेशन को लेकर बड़े पर्टिकुलर थे. और जब भी वो पीठ पर भारी भरकम बस्ता टांगे किसी बच्चे को स्कूल जाते देखते तो अपने ठेठ अंदाज में कहते थे, 'अरे हम बता रहे हैं गद,हा हैं ई लोग, जो इस तरफ छोटा छोटा बच्चा लोग के भविष्य के साथ खेलवाड़ कर रहा है. बताइए भला ऊ पढ़ाने का क्या जरूरत जिसका हमारा बच्चा लोग से कोई लेना देना नहीं है'.

अभी ऑफिस आया था, सिस्टम ऑन किया और फिर एक खबर देखी. अंकल और उनकी बातें आज फिर बड़ी कस के याद आ गए. खबर हरियाणा से थी. हां वही हरियाणा जिसने कई मुद्दों पर ऐसा बहुत कुछ कर दिया है जिससे कोई भी साधारण आदमी हैरत में पड़ जाए और दांतों तले अंगुली दबा ले.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा सरकार ने छात्रों को राज्य की 'संस्कृति' से रू-ब-रू कराने के लिए शिक्षा में एक अजब ही स्वांग रच डाला. हरियाणा सरकार ने पुलिस कॉन्सटेबल, क्लर्क, फूड सब-इंसपेक्टर, पटवारी, स्टेटिस्टिकल असिस्टेंट और पंप ऑपरेटर्स के पद पर होने वाली भर्तियों की परीक्षाओं में परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों से कहा है कि अगर उन्हें नौकरी पानी है तो उनको बताना होगा कि, काली कमाली बाबा का डेरा हरियाणा में कहां स्थित है? बाबा रामदेव का गुरु कौन है? शरीर के कौन से हिस्से में 'चलकड़ा' पहना जाता है.

वो सवाल जिसने हरियाणा के आम  परीक्षार्थियों  को हैरत में डाल दिया है

आपको बताते चलें कि इन परीक्षाओं को हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमिशन (एचएसएससी) द्वारा आयोजित किया जाता है. ज्ञात हो कि जब ऐसे निराधार प्रश्नों के विषय में एचएसएससी के वरिष्ठ अधिकारियों से जवाब तलब किया गया तो उन्होंने इसका जवाब देने से मना कर दिया. ये प्रश्न निराधार क्यों नहीं हैं इसका जवाब दिया हरियाणा सरकार के प्रवक्ता रमन मलिक ने. मलिक मानते हैं कि ये सवाल राज्य के ताने-बाने और संस्कृति से जुड़े हैं, ऐसे में परिक्षार्थियों को इनके बारे में पता होना चाहिए.

वहीं इन प्रश्नों पर बेचारे परीक्षार्थी काफी कन्फ्यूज हैं और कह रहे हैं कि कमिशन आखिर वो सवाल क्यों पूछ रहा है जिसका कोई लॉजिक नहीं है. छात्रों का मानना है कि बहुत से सवाल ऐसे हैं जिनसे वो अपने को रिलेट ही नहीं कर पा रहे हैं.

बहरहाल, भले ही छात्रों को सवालों का लॉजिक समझ में नहीं आ रहा हो मगर वहां की सरकार बखूबी जानती हैं कि उसे छात्रों को क्या दिखाना है, उन्हें क्या पढ़ाना है, उनसे क्या पढ़वाना है. इस पूरे प्रकरण में एक बात तो साफ है कि लॉ एंड आर्डर में नाकाम हरियाणा सरकार गाय और 'संस्कृति' के संरक्षण से आगे निकल ही नहीं पा रही है और अपनी हरकतों से अपनी थू-थू खुद करा रही है.

अंत में इतना ही कि यदि हरियाणा सरकार के लिए जर्नल नॉलेज का मतलब डेरे का पता और बाबा रामदेव का गुरु जानना है तो इसके बाद यही कहा जा सकता है कि जब से राम रहीम गिरफ्तार हुए हैं तब से डेरे और बाबाओं तक ने खट्टर और उनकी सरकार को नफरत की निगाह से देखना शुरू कर दिया है. ऐसी परिस्थितिओं में भगवान ही मालिक इस अंधेर नगरी और उसके चौपट राजा का. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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