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'हिजाब कट्टरता से परे दमन का जरिया है,' मुंबई में जो हुआ देखकर तो यही लग रहा है!

    • सरिता निर्झरा
    • Updated: 01 अक्टूबर, 2022 11:17 PM
  • 01 अक्टूबर, 2022 11:17 PM
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हिंदुस्तान हो या अफगानिस्तान या ईरान या दुनिया के विकसित देश. स्त्री का बोलना सोचना सवाल करना और अपनी शर्त पर जीवन जीने की मांग ही उसके दमन है कारण है. बहरहाल ये शत प्रतिशत मानते हुए की स्त्री का शोषण हर देश समाज काल और समय के परे हो रहा है आज का किस्सा खास उन बहनो के लिए जिन्हे 'हिजाब माय चॉइस' का परचम लहराया था.

अच्छा सुनो वो ईरान में जो हुआ उसका रोष ठंडा पड़ रहा हो और उन तमाम स्त्रियों के नाम और उनसे जुड़े किस्से भूलने लगे हो तो रिविज़न के लिए यहीं आपके पास में उन्नत शहर मुंबई में कारनामा अंजाम दिया गया है. नहीं समझे ? अरे प्रोग्रेसिव शहर मुंबई के तिलक नगर में रुपाली की हत्या इसलिए कर दी गयी है क्योंकि उसने ससुराल पक्ष की मांग पर हिजाब पहहने से मना कर दिया. उफ़ अगेन कन्फूशन. रुपाली हिन्दू हिजाब इस्लामी. ओहो मोहब्बत. हां कमबख़्त मोहब्बत हुई इक़बाल शेख और रुपाली में. शादी को हुए हैं तीन साल. रुपाली की उम्र 20 साल की है और इक़बाल 36 साल का ! मोहब्बत में रुपाली ने नाम बदल लिया ज़ारा. आई ऍम श्योर वीर ज़ारा से इन्स्पायरड रही होगी. तो निकाह हुआ और धर्म बदला गया क्योंकि क्या है की मोहब्बत अपनी जगह धर्म अपनी जगह.धर्म बदला तो कायदे भी मानो ! अब यही हो गयी दिक्कत और जब ससुराल पक्ष की ज़ोर जबरदस्ती हिजाब पहनने को ले कर ज़्यादा बढ़ने लगी तब रुपाली अपने दुधमुंहे बेटे के साथ अलग रहने लगी.

मुंबई में हिजाब के लिए मारी गयी रुपाली का कातिल आखिर पुलिस की गिरफ्त गया

इसी मुद्दे को लेकर उन्होंने तलाक की मांग की और बेटे की कस्टडी भी चाही. 26 सितम्बर को इक़बाल शेख ने रुपाली की गला काट कर हत्या कर दी. हां हां  मुझे कट्टर कह कर सौहार्द का दुश्मन करार करना चाहे तो करे लेकिन इसे घरेलू मसला बना कर रफा दफा न करें.  और कर भी दे तो होगा क्या खुले आम चाहे घर में गला काटने की परम्परा शुरू तो कर दी गयी है. जागना चाहे जागे वरना 'मोहब्बत माय चॉयस' का राग अलापे.

लव जिहाद सुन कर डमरू ले कर हाय हाय हिन्दू भय पर तांडव न नाचे बल्कि पिछले कुछ वर्षों में ऐसे केस पर नज़र डाले. एक 36 साल का आदमी 20 वर्ष की उम्र की लड़की से शादी करता है मोहब्बत के नाम अपर लेकिन फिर धर्म और...

अच्छा सुनो वो ईरान में जो हुआ उसका रोष ठंडा पड़ रहा हो और उन तमाम स्त्रियों के नाम और उनसे जुड़े किस्से भूलने लगे हो तो रिविज़न के लिए यहीं आपके पास में उन्नत शहर मुंबई में कारनामा अंजाम दिया गया है. नहीं समझे ? अरे प्रोग्रेसिव शहर मुंबई के तिलक नगर में रुपाली की हत्या इसलिए कर दी गयी है क्योंकि उसने ससुराल पक्ष की मांग पर हिजाब पहहने से मना कर दिया. उफ़ अगेन कन्फूशन. रुपाली हिन्दू हिजाब इस्लामी. ओहो मोहब्बत. हां कमबख़्त मोहब्बत हुई इक़बाल शेख और रुपाली में. शादी को हुए हैं तीन साल. रुपाली की उम्र 20 साल की है और इक़बाल 36 साल का ! मोहब्बत में रुपाली ने नाम बदल लिया ज़ारा. आई ऍम श्योर वीर ज़ारा से इन्स्पायरड रही होगी. तो निकाह हुआ और धर्म बदला गया क्योंकि क्या है की मोहब्बत अपनी जगह धर्म अपनी जगह.धर्म बदला तो कायदे भी मानो ! अब यही हो गयी दिक्कत और जब ससुराल पक्ष की ज़ोर जबरदस्ती हिजाब पहनने को ले कर ज़्यादा बढ़ने लगी तब रुपाली अपने दुधमुंहे बेटे के साथ अलग रहने लगी.

मुंबई में हिजाब के लिए मारी गयी रुपाली का कातिल आखिर पुलिस की गिरफ्त गया

इसी मुद्दे को लेकर उन्होंने तलाक की मांग की और बेटे की कस्टडी भी चाही. 26 सितम्बर को इक़बाल शेख ने रुपाली की गला काट कर हत्या कर दी. हां हां  मुझे कट्टर कह कर सौहार्द का दुश्मन करार करना चाहे तो करे लेकिन इसे घरेलू मसला बना कर रफा दफा न करें.  और कर भी दे तो होगा क्या खुले आम चाहे घर में गला काटने की परम्परा शुरू तो कर दी गयी है. जागना चाहे जागे वरना 'मोहब्बत माय चॉयस' का राग अलापे.

लव जिहाद सुन कर डमरू ले कर हाय हाय हिन्दू भय पर तांडव न नाचे बल्कि पिछले कुछ वर्षों में ऐसे केस पर नज़र डाले. एक 36 साल का आदमी 20 वर्ष की उम्र की लड़की से शादी करता है मोहब्बत के नाम अपर लेकिन फिर धर्म और कायदे के लिए जबरदस्ती. बहनो ये कौन सा वाला प्यार है ?

स्त्री दमन -देश समाज काल और समय के परे

प्रियंका से ले कर अंकिता - इनके अलावा अठ्ठासी की दर से रोज़ जुड़े होंगे केस. आप और हम कैसे रखे भला ? याद कैसे रहे कि उत्पीड़न कितना कहां और क्यों हो रहा है? हिंदुस्तान हो या अफगानिस्तान या ईरान या दुनिया के विकसित देश. स्त्री का बोलना सोचना सवाल करना और अपनी शर्त पर जीवन जीने की मांग ही उसके दमन है कारण है. बहरहाल ये शत प्रतिशत मानते हुए की स्त्री का शोषण हर देश समाज काल और समय के परे हो रहा है आज का किस्सा खास उन बहनो के लिए जिन्हे 'हिजाब माय चॉइस' का परचम लहराया था.

पर्दे से बाहर रहने वाली स्त्रियां भी बहनापे के नाम पर सर से पैर तक काले कपड़े में लिपटने का समर्थन करती हुई 'आंचल को परचम ' बना कर लहराने लगी. मतलब बहन बात समझ नहीं आती. तुमको सर पर पल्ला खटकता है , घूंघट तो तौबा मेरी ! और बुरका हिजाब चॉइस लगती है ?

कभी ठंडे दिमाग से सोचो की पुरुषसत्ता ने कौन अफीम चटाई है !

दमन का प्रतिरोध करते हुए अभी बहुत आहुतियां जाएंगी लेकिन प्रतिरोध की आवाज़ एक हो तो रास्ता शायद कुछ आसान हो जाये. दुःख इस बात का है की जिस देश में इस्लाम कुछ सौ साल पहले आया ,जहां सभी कनवर्टेड मुस्लमान है वहां पर कट्टरता बढ़ती जा रही है. जिन कस्बों गाँवो राज्यों में हिजाब कुछ साल पहले तक नहीं था वहां लड़कियां 'किताब से पहले हिजाब' का नारा दिए बैठी है. दो साल की बच्ची की चॉयस ये धर्म समझ लेता है और कस देता है सर से पैर तक काले कपडे में !

कैसे एक देश में लड़कियां पर्दा घूंघट के खिलाफ है और बुर्के के पक्ष में ?

पढ़ी लिखी स्त्रियां जिन्होंने खुद परदे में रहने से मना किया, शिक्षा का दामन थम कर जीवन में आगे बढ़ी वो इन बच्चियों के पक्ष में है की ,'हिजाब उसकी मर्ज़ी'! घुटन किसी की चॉयस नहीं हो सकती ये समझने में दिक्कत क्यों है. जब भी 'हिजाब माय चॉइस' की आवाज़ उठती है ये समझिये की मेंटल कंडीशनिंग की पुकार है. बरसों ने रक्षित करने के नाम पर बांध कर, दो कदम पीछे रखने की कवायद यही है.

गलत निगाह से बचने का जरिया

अगर बुर्के को गलत निगाह से बचने का जरिया मान लिया गया है तो ये भी समझिये की वो निगाह बदलने को तैयार नहीं लेकिन आपको निगाह से बचने के तरिके सुझाये जा रहे हैं और ये निगाह **&&^%% छह महीने की बच्ची से लेकर बुज़ुर्ग तक पर खराब होती है तो क्या करोगी ? अपने लिए जगह बनानी होगी वरना दिवार ऊंची ,पर्दा मोटा और घर लौटने का समय शाम चार बजे करने में इन्हे बुरा नहीं लगेगा. पागल कुत्तों का इलाज गोली है जो सरकार नहीं करती क्योंकि आवाज़ एक नहीं है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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