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भारत आए नामीबिया के चीतों ने पहली कमाई हासिल कर ली है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 07 नवम्बर, 2022 09:24 PM
  • 07 नवम्बर, 2022 09:24 PM
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एमपी स्थित कूनो नेशनल पार्क में दो नर चीतों फ्रेडी और एल्टन ने अपने प्राकृतिक वास में चीतल का शिकार कर इतिहास रच दिया है. चीतों का ये शिकार भारतीय भूमि में उनके पुनरुत्पादन की प्रक्रिया में एक बड़ी भूमिका के तौर पर देखा जा रहा है.

पिछले 51 दिनों से सिर्फ एमपी ही नहीं, सम्पूर्ण भारत के आकर्षण का केंद्र बने, कूनो नेशनल पार्क में वास कर रहे अफ़्रीकी चीते सुर्ख़ियों में हैं. चीतों ने इतिहास रचा है. कारण बना है शिकार. बताया जा रहा है कि अभी बीते दिन ही अफ़्रीकी चीतों ने चीतल हिरन का शिकार किया है जिससे पूरे नेशनल पार्क में ख़ुशी की लहर है. ध्यान रहे चीते अब तक दो ऐसे एनक्लोजर में थे जहां उन्हें खाना मुहैया कराया जा रहा था. क्योंकि अब चीतों को एक ऐसे स्थान पर रखा गया है, जहां सब कुछ उनके प्राकृतिक वास जैसा है. इसलिए चीतों द्वारा किया गया ये शिकार एक अहम और बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है. यूं तो अफ़्रीकी चीतों को इस तरह शिकार करते देखकर कहने सुनने के लिए तमाम बातें हो सकती हैं. मगर इन 'विदेशी' चीतों का 'स्वदेशी' शिकार करना ठीक वैसा ही है. जैसे कोई लड़का या लड़की कॉलेज से पास आउट होकर निकले. उसकी जॉब लगे और महीने भर बाद उसके अकाउंट में पहली सैलरी क्रेडिट हो और उसके साथ साथ उसके दोस्त यार, रिश्तेदार और घरवाले जश्न मनाएं.

नामीबिया की भूमि से कूनो नेशनल पार्क पहुंचे चीतों ने आखिकार वो कर दिया जिसकी उम्मीद उनसे की जा रही थी

कूनो में रह रहे इन चीतों के विषय में जो जानकारी आई है यदि उसपर भरोसा करें तो दो नर चीते, 'फ्रेडी' और 'एल्टन' को 5 नवंबर की शाम को क्वारंटाइन से बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया था, जो उनके प्राकृतिक वास जैसा तो है साथ ही यहां प्रचुर मात्रा में शिकार भी उपलब्ध है. बताया जा रहा है चीतों ने एक चीतल हिरन को ढेर किया है. कूनो और चीतों के लिहाज से ये शिकार क्यों एक बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है? इसकी वजह बस इतनी है कि ये शिकार ये साबित करता नजर आ रहा है कि अफ्रीका से आई ये बिल्लियां अपने नए घर के लिए अनुकूल होने के लिए तैयार हैं.

यह...

पिछले 51 दिनों से सिर्फ एमपी ही नहीं, सम्पूर्ण भारत के आकर्षण का केंद्र बने, कूनो नेशनल पार्क में वास कर रहे अफ़्रीकी चीते सुर्ख़ियों में हैं. चीतों ने इतिहास रचा है. कारण बना है शिकार. बताया जा रहा है कि अभी बीते दिन ही अफ़्रीकी चीतों ने चीतल हिरन का शिकार किया है जिससे पूरे नेशनल पार्क में ख़ुशी की लहर है. ध्यान रहे चीते अब तक दो ऐसे एनक्लोजर में थे जहां उन्हें खाना मुहैया कराया जा रहा था. क्योंकि अब चीतों को एक ऐसे स्थान पर रखा गया है, जहां सब कुछ उनके प्राकृतिक वास जैसा है. इसलिए चीतों द्वारा किया गया ये शिकार एक अहम और बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है. यूं तो अफ़्रीकी चीतों को इस तरह शिकार करते देखकर कहने सुनने के लिए तमाम बातें हो सकती हैं. मगर इन 'विदेशी' चीतों का 'स्वदेशी' शिकार करना ठीक वैसा ही है. जैसे कोई लड़का या लड़की कॉलेज से पास आउट होकर निकले. उसकी जॉब लगे और महीने भर बाद उसके अकाउंट में पहली सैलरी क्रेडिट हो और उसके साथ साथ उसके दोस्त यार, रिश्तेदार और घरवाले जश्न मनाएं.

नामीबिया की भूमि से कूनो नेशनल पार्क पहुंचे चीतों ने आखिकार वो कर दिया जिसकी उम्मीद उनसे की जा रही थी

कूनो में रह रहे इन चीतों के विषय में जो जानकारी आई है यदि उसपर भरोसा करें तो दो नर चीते, 'फ्रेडी' और 'एल्टन' को 5 नवंबर की शाम को क्वारंटाइन से बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया था, जो उनके प्राकृतिक वास जैसा तो है साथ ही यहां प्रचुर मात्रा में शिकार भी उपलब्ध है. बताया जा रहा है चीतों ने एक चीतल हिरन को ढेर किया है. कूनो और चीतों के लिहाज से ये शिकार क्यों एक बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है? इसकी वजह बस इतनी है कि ये शिकार ये साबित करता नजर आ रहा है कि अफ्रीका से आई ये बिल्लियां अपने नए घर के लिए अनुकूल होने के लिए तैयार हैं.

यह घटना इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि भारत लाए गए अफ्रीकी चीतों ने अब तक कभी चीतल नहीं देखा था - हिरण न तो नामीबिया में पाया जाता है, न ही पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में. बताते चलें कि जिस बाड़े में चीतों को छोड़ा गया है, उसमें चीतल, नीला गाय, चार सींगों वाला हिरन, जंगली सूअर और भारतीय चिंकारा शामिल हैं. कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों ने इन चीतों के लिए ये भी कहा है कि यदि जरूरत महसूस हुई तो शिकार के लिहाज से इन बाड़ों को और चौड़ा किया जाएगा.

जिक्र चीतों के पहले शिकार का हुआ है तो ये बताना भी बहुत जरूरी है कि हिरन को मार गिराना इन चीतों के लिए भी आसान नहीं था. अधिकारियों की मानें तो जैसे ही चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा गया उन्होंने शिकार की कोशिश लेकिन वो कोशिश नाकाम रही. चीतों ने मौका देखकर दोबारा शिकार किया और न केवल कामयाब होकर लौटे बल्कि उन्होंने इतिहास भी रचा. अधिकारियों ने ये भी कहा कि चीतों द्वारा चीतल के इस शिकार के बाद कहा यही जाएगा कि इससे भारत में चीतों के पुनरुत्पादन की प्रक्रिया में मदद मिलेगी.

गौरतलब है कि इसी साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर देश को चीतों की सौगात मिली थी. नामीबिया से 8 चीते जिसमें 5 मादाएं और 3 नर शामिल थे उन्हें नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क लगा गया था. शुरुआत में चीतों को एक महीने के लिए क्वारेंटाइन किया गया था और कूनो प्रशासन द्वारा उन्हें खाने के लिए भैंस का ताजा मीट दिया जा रहा था.

क्योंकि चीतों को हिंदुस्तान की आबो हवा अभी रास नहीं आई है कुछ मुद्दों के कारण, विशेषज्ञों ने एक महीने के बाद चीतों को क्वारेंटाइन से प्राकृतिक वास् वाले बाड़े में छोड़ने की अनुमति नहीं दी थी. आखिरकार, मंजूरी मिली, जिसकी शुरुआत 5 नवंबर को फ्रेडी और एल्टन से हुई. माना ये भी जा रहा है कि ग्रुप का जो तीसरा नर चीता है, उसे भी जल्द ही उसके नेचुरल हैबिटेट में छोड़ दिया जाएगा. ये चीता अब तक क्यों नहीं छोड़ा गया इसकी वजह इसके कैप्चर उपकरण हैं जिनमें कुछ खराबी आ गयी थी.

वहीं बात अगर मादा चीतों को उनके प्राकृतिक वास में छोड़ने की हो तो उन्हें अभी तक सिर्फ इसलिए नहीं छोड़ा गया है क्योंकि जिस बाड़े में उन्हें छोड़े जाने की योजना हैवहां अभी एक लेपर्ड है. अधिकारियों के मुताबिक पहले उसे वहां से हटाया जाएगा फिर तभी इन मैदा चीतों को वहां डाला जाएगा. ध्यान रहे कि चीते और लेपोर्ड की आपस में कम बनती है और कूनो के अधिकारी इन चीतों को लेकर किसी भी प्रकार का कोई रिष नहीं लेना चाहते.

भारत में अफ़्रीकी शीटों के रिहैब में शामिल विशेषज्ञों ने कहा है कि चीतों के लिए अपना पहला शिकार करना एक महत्वपूर्ण कदम होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि पहले तो अफ़्रीकी चीते शिकार करते दौरान उन जानवरों को देख रहे होंगे जिन्हें उन्होंने अफ्रीका में कभी नहीं देखा है. दूसरे ये कि भारत आए कुछ चीते पूर्व रूप से जंगल की पृष्ठभूमि से नहीं हैं.

हो सकता है कि पहली बार में किसी जानवर का शिकार करने में उन्हें अलग अलग चुनौतियों का सामना करना पड़े. इन तमाम बातों के बावजूद वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अफ़्रीकी चीते अंततः सफलतापूर्वक शिकार करेंगे और ऐसा सिर्फ इसलिए होगा क्योंकि उनपर उनकी प्राकृतिक प्रवृत्ति हावी हो जाएगी.

बहरहाल विषय चीतों द्वारा किया गया पहला शिकार है. अफ़्रीकी चीते ने कूनो में एक ऐसे जानवर को ढेर किया है जिससे उसका पहले कभी सामना नहीं हुआ. जिसकी प्रवृति से चीते वाकिफ नहीं है. कुल मिलाकर कहा यही जाएगा कि 51 दिनों के बाद चीतों ने अपनी पहली कमाई की है और भारत में की है जो उन्हें और उनके पुनरुत्थान के लिए मुबारक हो.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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