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डर और अंधविश्वास के चलते आंध्र प्रदेश का एक गांव घरों में बंद है बदनाम बेचारे 'पिशाच' को किया!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 22 अप्रिल, 2022 07:19 PM
  • 22 अप्रिल, 2022 07:15 PM
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आंध्र प्रदेश के एक गांव में अंधविश्वास कुछ यूं फैला है कि लोगों को लगता है कि एक पिशाच लोगों को मार रहा है. पिशाच से मुक्ति मिले इसलिए लोग अब खुद ही घरों में रहने को मजबूर हैं. साफ़ है कि ये एक अफवाह है जिसका खामियाजा जनता देश के कई हिस्सों में पहले ही भुगत चुकी है.

एक ऐसा वक़्त जब विज्ञान अपने एक्सट्रीम पर हो. मंगल में जीवन तलाशा जा रहा हो. विकास और आधुनिकता की बड़ी बड़ी बाते हो रही हों. आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के छोटे से वेनेलावलास गांव में लोग बेहद डरे हैं. डर का कारण एक पिशाच है. खौफ का लेवल कुछ ऐसा है कि लोगों ने अपने को घरों में बंद कर रखा है. गांव वालों का मानना है कि गांव में सिर्फ 1 महीने में 4 लोगों की मौत हो गयी है. मौत का कारण जो भी हो मगर गांव वालों का तर्क यही है कि एक पिशाच है जिसने अमन, प्रेम, सुख, शांति, समृद्धि से रह रहे लोगों का जीवन बर्बाद करके रख दिया है. मामले के तहत गांव वालों का कहना है कि पिशाच गांव में घात लगाए बैठे हैं इसलिए लोगों ने खुद ही लॉकडाउन लगा दिया है. जैसे हालत हैं लोग इसी उम्मीद में हैं कि जो टोटका उन्होंने किया है वो पिशाच को अपने ठिकाने लेकर चला जाएगा. गांव में 'पिशाच' का हव्वा कुछ ऐसा है कि सरकारी ऑफिसों जैसे स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र तक में ताला जड़ दिया गया है. गांव वालों का कहना है कि जब तक स्थिति नहीं संभलती किसी भी बाहर वाले को गांव में एंट्री नहीं दी जाएगी.

आंध्र प्रदेश में पिशाचों के खौफ में पूरा गांव अपने घरों में रहने को मजबूर है

आंध्र प्रदेश के इस गांव के बारे में दिलचस्प तथ्य ये भी है कि इसकी सीमा ओडिशा से मिलती है. गांव वालों का मानना है कि लॉक डाउन बुरी शक्तियों को मात देने में कारगर साबित होगा. पिशाच वाला ये मैटर क्या है जब इसकी पड़ताल हुई तो भी कुछ दिलचस्प बातें निकल कर बाहर आईं. स्थानीय लोगों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से गांव के कुछ लोग बुखार की चपेट में थे. और अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है. गांव वालों का मानना है कि ये सब बुरी शक्तियों के कारण हुआ जिन्होंने गांव को अपनी चपेट में ले रखा...

एक ऐसा वक़्त जब विज्ञान अपने एक्सट्रीम पर हो. मंगल में जीवन तलाशा जा रहा हो. विकास और आधुनिकता की बड़ी बड़ी बाते हो रही हों. आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के छोटे से वेनेलावलास गांव में लोग बेहद डरे हैं. डर का कारण एक पिशाच है. खौफ का लेवल कुछ ऐसा है कि लोगों ने अपने को घरों में बंद कर रखा है. गांव वालों का मानना है कि गांव में सिर्फ 1 महीने में 4 लोगों की मौत हो गयी है. मौत का कारण जो भी हो मगर गांव वालों का तर्क यही है कि एक पिशाच है जिसने अमन, प्रेम, सुख, शांति, समृद्धि से रह रहे लोगों का जीवन बर्बाद करके रख दिया है. मामले के तहत गांव वालों का कहना है कि पिशाच गांव में घात लगाए बैठे हैं इसलिए लोगों ने खुद ही लॉकडाउन लगा दिया है. जैसे हालत हैं लोग इसी उम्मीद में हैं कि जो टोटका उन्होंने किया है वो पिशाच को अपने ठिकाने लेकर चला जाएगा. गांव में 'पिशाच' का हव्वा कुछ ऐसा है कि सरकारी ऑफिसों जैसे स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र तक में ताला जड़ दिया गया है. गांव वालों का कहना है कि जब तक स्थिति नहीं संभलती किसी भी बाहर वाले को गांव में एंट्री नहीं दी जाएगी.

आंध्र प्रदेश में पिशाचों के खौफ में पूरा गांव अपने घरों में रहने को मजबूर है

आंध्र प्रदेश के इस गांव के बारे में दिलचस्प तथ्य ये भी है कि इसकी सीमा ओडिशा से मिलती है. गांव वालों का मानना है कि लॉक डाउन बुरी शक्तियों को मात देने में कारगर साबित होगा. पिशाच वाला ये मैटर क्या है जब इसकी पड़ताल हुई तो भी कुछ दिलचस्प बातें निकल कर बाहर आईं. स्थानीय लोगों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से गांव के कुछ लोग बुखार की चपेट में थे. और अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है. गांव वालों का मानना है कि ये सब बुरी शक्तियों के कारण हुआ जिन्होंने गांव को अपनी चपेट में ले रखा है.

जैसा कि होता आया है गांव पर जब ये विपदा आई तो गांव के बुजुर्गों की मदद से ओडिशा और जिले के पुजारियों से संपर्क किया गया जिन्होंने गांव वालों से साफ़ कह दिया कि यदि उन्हें सुरक्षित रहना है तो लॉक डाउन ही इसका एकमात्र विकल्प है. पुजारियों की सलाह के अनुसार, गांव के चारों दिशाओं में नींबू लगाए गए और 17 से 25 अप्रैल तक लॉक डाउन को लागू किया गया है.

ध्यान रहे देश में कोविड -19 के मामले तेजी से बढ़े हैं और चूंकि गांव वालों की मौत बुखार के बाद हुई है तो ये अपने में साफ़ है कि पिशाच की बात व्यर्थ है लेकिन चूंकि अन्धविश्वास की एक बड़ी वजह डर है. इसलिए लोग एक ऐसी बात पर बल दे रहे हैं जो कहीं से भी लॉजिकल नहीं है.

बात इललॉजिकल बातों की हुई और डर की हुई है साथ ही ये भी बताया गया है कि पिशाच की आड़ लेकर कैसे लोग अपने अपने घरों में दुबके हैं. तो बताते चलें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब हमने या आपने डर की आड़ लेकर लोगों को ऐसा करते देखा है. हिंदुस्तान जैसे देश में पूर्व में ऐसी तमाम घटनाएं घट चुकी हैं जिनपर यदि नजर डाली जाए तो साफ़ था कि यदि वो घटित हुईं तो उसका एकमात्र कारण डर और अन्धविश्वास था.

सवाल होगा कैसे? तो आइये उन घटनाओं पर भी एक नजर डाल ही ली जाए जहां सिर्फ डर के चलते लोगों ने अपने घर पर रहना मुनासिब समझा.

जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजधानी दिल्ली में दिखा मंकी मैन का खौफ!

बात मई 2001 की है. अफवाह उड़ी की कि जैसे ही रात होती है एक काले रंग का बन्दर आता है और लोगों को अपना निशाना बनाता है. मंकी में विषय में जो सबसे दिलचस्प बात थी वो ये कि अफवाहबाजों ने इसका ठीक ठीक कद भी लोगों को बता दिया था. जिन तमाम लोगों ने मंकी मैन की अफवाह उड़ाई उनके अनुसार मंकी का औसत कद 4 फुट और 6 इंच के आसपास था. इसे लोगों ने बेहद खतरनाक बताया.

लोगों ने दावा किया कि उन्होंने मंकी मैन को देखा है और फिर मंकी मैन के सन्दर्भ में रोचक जानकारियों का सिलसिला शुरू हुआ. कहा गया कि इसके पूरे शरीर पर घने बाल थे. चेहरा हेल्मेट से ढंका था जिसमें से सिर्फ इसकी लाल लाल आंखें ही दिखती थीं. तब मंकी मैन का खौफ कुछ ऐसा था कि लोग सिर्फ इसका नाम सुनकर थर थर कांपते थे और जैसे हालात थे भीषण गर्मी में भी लोग खुले में नहीं बल्कि घरों के अंदर कैद होकर सोते थे.

एक व्वो भी वक़्त था जब मंकी मैन की दहशत में था देश का एक बड़ा हिस्सा

अगर उस दौर को याद करें तो लोग शिफ्ट में समूह बनाकर रात रात भर जागते और पहरा देते थे. बाद में जब बात ज्यादा बढ़ी तो दिल्ली पुलिस सक्रिय हुई और कई स्तर की जांच के बाद नतीजा यही निकला कि मंकी मैन कोरी कल्पना या ये कहें कि किसी के दिमाग का फितूर था.

2017 में भी चोटी कटवा ने लोगों को खूब थर्राया!

2017 में शांति थी लेकिन तभी किसी ने अफवाह उड़ा दी कि राजधानी दिल्ली में चोटीकटवा घूम रहा है.इसके विषय में कहा गया कि ये बंद घर में घुसता है. बाल काटता है और फिर गायब हो जाता है. चोटीकटवा को लेकर जो अफवाह फैली उसके अनुसार वो सोती हुई महिलाओं को अपना टारगेट बनाता है. जिन भी महिलाओं की चोटी कटी उनमें कई बातें कॉमन थी जैसे घटना के वक़्त सिर में तेज दर्द होना फिर घटना के बाद बेहोश होना या फिर बेसुध पड़ जाना.

बताते चलें कि चोटिकटवा की पहली अफवाह राजस्थान में उड़ी फिर मामले हरियाणा पहुंचे और फिर दिल्ली आए.चोटीकटवा के मामले में जो सबसे मजेदार बात है वो गए कि राज्य चाहे कोई भी रहा हो चोटीकटवा के कारनामों ने जनता के साथ साथ पुलिस को भी खूब परेशान किया.

देश ने एक वक़्त वो भी देखा जब कहा गया कि कोई है जो महिलाओं की चोटी काट रहा है

चोटीकटवा और मंकी मैन की ही तरह देश उस वक़्त भी सकते में आया जब मुंह नोचवा को लेकर बातें हुईं. बाद में जब इसकी भी जांच हुई तो ये भी फर्जी निकला.

बहरहाल ज़िक्र आंध्र प्रदेश के मामले का हुआ है तो ये बताना भी बहुत जरूरी है कि आंध्र प्रदेश के उस गांव में कोई पिशाच नहीं है. लोग मर रहे हैं और उसकी वजह कोरोना वायरस है. ख़ैर आंध्र प्रदेश के इस गांव के विषय में जो इकलौती अच्छी बात है वो ये कि लोगों ने ख़ुद ही लॉक डाउन लगाया है और अपने अपने घरों में बंद हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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